जवासा के 8 चमत्कारी फायदे, उपयोग और दुष्प्रभाव – Yavasa: Benefits and Side Effects in Hindi

Last Updated on November 22, 2023 by admin

परिचय (Yavasa in Hindi)

जवासा वास्तव में एक अद्भुत औषधीय पौधा है। यह एक मजबूत और लचीली झाड़ी है, जो औषधि गुणों से भरपूर है। एशिया, अफ़्रीका और मध्य पूर्व के रेगिस्तानों में इसके काँटेदार पौधों को देखा जा सकता है। इसे कई नामों से जाना जाता है, जैसे – कैमलथॉर्न, फारसी मैना, इब्रू मैना आदि।

परंतु इसका संस्कृत नाम ‘जवासा’ इसके औषधीय महत्व की ओर इशारा करता है। प्राचीन काल से ही यह आयुर्वेद में इस्तेमाल होता रहा है। इसमें शरीर को शुद्ध करने जैसे गुण हैं। साथ ही यह एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह भी काम करता है। जवासा से कई प्रकार की दवाइयाँ और सौंदर्य प्रसाधन भी तैयार किए जाते हैं।

इस प्रकार, जवासा एक अद्भुत औषधीय पौधा है, जिसका इतिहास और महत्व सदियों पुराना है।

जवासा का विभिन्न भाषाओं में नाम:

भाषाजवासा के नाम
संस्कृतजवासा, यवास, यावस, यवश
हिंदीजवासा
अंग्रेजीCamelthorn, Caspian manna, Persian manna, Hebrew manna, Moor’s alhagi
गुजरातीजवसो
बंगालीजवसा
तेलुगुछिन्नडूलगोंडी, धनवय सम
तमिलपुनैकान्जुरी, कांचोरी
मलयालमकप्प तुम्प
कन्नडबल्लि थुरुके
अरबीहाज, अलगौल

जवासा: सेवन की मात्रा 

मात्रा : 2 ग्राम।

जवासा के औषधीय गुण (Yavasa Medicinal Properties)

जवासा बलकारक है और भूख को बढ़ाता है। यह कफ, पित्त तथा रक्तविकार नाशक है तथा कोढ़ (कुष्ठ), छोटी-छोटी फुंसियां, मोटापा, भ्रम, नशा, वातरक्त, खांसी, बुखार और अन्य अनेको बीमारियों में फायदेमंद हैं। यह पुराने से पुराने सिर के दर्द को ठीक करता है। इससे पेशाब खुलकर आता है और सुजाक जैसे रोगों में लाभ पहुंचता है। इसका तेल गठिया से परेशान रोगी के लिए लाभकारी होता है।

  • रंग : जवासा का रंग हरा होता है।
  • स्वाद : इसका स्वाद तीखा और तेज होता है।
  • स्वभाव : यह शीतल है।

जवासा के फायदे और उपयोग (Yavasa Uses and Benefits)

1. वात-कफ ज्वर: जवासा, कुटकी, सोंठ, कचूर, पाठा, अडूसा और एरण्ड की जड़ को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर रख लें, फिर इस काढ़े के सेवन से श्वास (दमा), कास (खांसी), दर्द और वात के ज्वर (बुखार) आदि रोग नष्ट हो जाते हैं।

2. दमा: श्वास रोग (दमा) में जवासे का धूम्रपान करना लाभकारी होता है।

3. गर्भपात: मुलहठी, कमल, जवासा, सारिवा, रास्ना तथा पद्याख इन सभी औषधियों को समान मात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण तैयार कर लें, फिर इस तैयार मिश्रण को गाय के दूध में मिलाकर पीने से गर्भस्राव रुक जाता है।

4. हिचकी का रोग: जवासा, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, कायफल, पुश्कर की जड़ तथा काकड़ासिंगी। सबको बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इसे शहद के साथ सेवन करें। इससे हिचकी में लाभ होता है।

5. पित्त ज्वर: जवासा, अडूसा, कुटकी, पित्तपापड़ा, प्रियंगु के फूल और चिरायता इन सभी को मिलाकर काढ़ा बना लें और मिश्री या खाण्ड डालकर रोगी को दें।

6. भ्रम रोग: लगभग 58 मिलीलीटर जवासे के काढ़े में 29 ग्राम घी डालकर पीने से भ्रम रोग खत्म हो जाता है। इसी में 240 मिलीग्राम तांबे की भस्म मिलाकर देने से बहुत जल्दी और बहुत अच्छा लाभ मिलता है।

7. भूलने की बीमारी: जवासे की जड़ को छाया में सुखाकर उसको दरदरा कूटकर लगभग 25 ग्राम कूटे हुए जवासे को लगभग 250 मिलीलीटर पानी में उबालें और जब एक चौथाई पानी रह जाये तो इसे छान लें, और इसमें आधा चम्मच घी मिलाकर थोड़ा गर्म करके पीयें। इसका सेवन सुबह और शाम एक हफ्ते तक निरन्तर रूप से करने से भूलने की बीमारी से छुटकारा मिल जाता है।

8. गठिया रोग: गठिया के रोगी को जवासे का तेल की मालिश करने से रोगी का दर्द दूर हो जाता है।

जवासा के दुष्प्रभाव (Yavasa Side Effects)

जवासा का अधिक मात्रा में उपयोग शीतल स्वभाव वालों को हानि पहुंचा सकता है।

दोषों को दूर करने वाला : कतीरा व गुलनीलोफर, जवासा के दोषों को दूर करता है।

Read the English translation of this article hereYavasa (Alhagi): Uses, Benefits, Dosage and Side Effects

अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।

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