अम्बर के उपयोग गुण फायदे और दुष्प्रभाव | Amber Benefits & Side Effects in Hindi

Last Updated on December 22, 2019 by admin

अम्बर क्या है ? : Amber in Hindi

अम्बर एक बहुत अधिक क़ीमती द्रव्य है जो लालसागर, ब्राजील और अफ्रीका के समुद्र-तटों पर पानी में तैरता हुआ पाया जाता है। यह मोम की शक्ल का एक पदार्थ है जो सफ़ेद, मामूली पीला और कुछ काले रंग का होता है। शुद्ध पीली झाईं वाला सफ़ेद अम्बर सर्वश्रेष्ठ होता है। उत्तम सफ़ेद अम्बर पर छोटे छोटे छींटे होते हैं। इसमें मधुर सुगन्ध होती है। यह स्वाद रहित और स्निग्ध होता है।

अम्बर का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Amber in Different Languages

Amber in –

✦ संस्कृत (Sanskrit) – अम्ब्रम,अम्बर सुगन्ध
✦ हिन्दी (Hindi) – अम्बर
✦ तामिल (Tamil) – मिनम्बर
✦ फारसी (Farsi) अम्बर शाहेबू
✦ अरबी (Arbi) अम्बर
✦ लैटिन (Latin) – अम्बर ग्रिस (Ambergris)

अम्बर के औषधीय गुण : Medicinal Properties of Amber in Hindi

☛ अम्बर नपुंसकता नष्ट करने वाला, कामोद्दीपक और स्फूर्तिदायक है।
☛ यह क्षय, पक्षाघात, कम्पवात, हृदय रोग, मस्तिष्क रोग, यकृत विकार, उदर व प्लीहा के रोग आदि कई व्याधियों को नष्ट करने वाला है।
☛ पौरुष शक्ति (वीर्य) बढ़ाने के मामले में अम्बर अत्यन्त प्रभावशाली और बेजोड़ है।
☛ यूनानी मत के अनुसार यह रूखा तथा शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिकतीनों शक्तियों को बढ़ाने व मज़बूत करने वाला है।
☛ यह शीतल प्रकृति वालों के लिए अत्यन्त उपयोगी है।
☛ अम्बर मन को प्रसन्न करने वाला और हृदय की व्याकुलता को मिटाने वाला है।
☛ अम्बर का उपयोग लकवा, धनुर्वात, अवसन्नता, सिर दर्द, आधा सीसी, खांसी, हृदय की निर्बलता, मूर्छा, कामला, जलोदर, आमाशय सन्धि शूल आदि व्याधियों की चिकित्सा में लाभकारी सिद्ध होता है ।
☛ इण्डियन मेटेरिया मेडिका के मतानुसार अम्बर सर्वांगिक निर्बलता, अपस्मार, आक्षेप और स्नायु दौर्बल्य में उपयोगी है।
☛ यह मूर्च्छा, उन्मादयुक्त तीव्र ज्वर और हैजे की निस्तेज अवस्था में अच्छा काम करता है।

असली अम्बर की पहचान : Difference Between Real and Fake Amber in Hindi

आज कल बाज़ार में अम्बर के नाम से कई नकली वस्तुएं मिल रही हैं इसलिए इसे खरीदते समय, इसकी परीक्षा करना ज़रूरी है। इसकी जांच करने की कुछ विधियां प्रस्तुत हैं। अम्बर की पहचान व परीक्षा –

  • एक शीशी में अम्बर रख कर, कोयले की आंच पर रखने पर यदि यह पिघल कर तैल की तरह बहने लगे तो असली समझना चाहिए।
  • आग पर डालने पर सुगन्धित धुआं निकले, इसे चबाने पर मुंह खुशबूदार हो जाए और चबाते समय मोम जैसा लगे तो इसे असली समझना चाहिए।
  • वजन में हलका और सफ़ेद रंग का अम्बर सर्वश्रेष्ठ होता है।
  • यह बहुत जल्दी जलने वाला और आंच पर रखा रहे तो भाप बन कर उड़ जाने वाला होता है।
  • इसमें ईथर, वसा, उड़नशील तैल और गरम अल्कोहल में घुलने वाला और ठण्डे पानी में न घुलने वाला होता है।
  • इस पर अम्लों का कुछ भी असर नहीं होता।
  • सूखने पर अम्बर का गुरुत्व ° 780 से ° 926 तक होता है।
  • 145° फारेनहीट की गर्मी पर यह पिघल जाता है और 212 ° डिग्री की गर्मी पर भाप बन कर उड़ जाता है।

अम्बर की सेवन विधि और मात्रा :

आधी रत्ती मात्रा में मीठा पत्ता (पान), शहद या मलाई के साथ सुबह शाम।
(1 रत्ती = 0.1215 ग्राम)

अम्बर के औषधीय उपयोग : Amber Uses in Ayurveda in Hindi

वीर्यशक्ति की वृद्धि और नपुंसकता को नष्ट करने के लिए, सोने के वरक या स्वर्ण भस्म, मोती पिष्टी आधी आधी रत्ती और अम्बर आधी रत्ती ले कर शहद मिला कर सुबह चाटना चाहिए । यह उपयोग अत्यन्त बल वीर्यशक्ति वर्द्धक है।
कुछ रोगों को दूर करने के लिए अम्बर के उपयोग के बारे में जानकारी प्रस्तुत की जा रही है।

रोग उपचार में अम्बर के फायदे : Amber Benefits in Hindi

कफ रोग में अम्बर के प्रयोग से लाभ (Amber Benefits in Mucus Treatment in Hindi)

पान में रख कर चबाने और चूसने से कफ रोग नष्ट होते हैं।

( और पढ़े – कफ दूर करने के 35 घरेलू उपाय )

वात रोग में अम्बर से फायदा (Amber Benefits to Cure Arthritis in Hindi)

लौंग जायफल 5-5- ग्राम, अम्बर 1 ग्राम,- तीनों को कूट पीस कर 40 पुड़िया बना लें। सुबह शाम 1-1 पुड़िया शहद के साथ लेने से सब प्रकार के वात विकार व कष्ट दूर होते हैं।

( और पढ़े – वात रोग में वृहत् वात चिंतामणि रस के फायदे )

स्मरणशक्ति तेज करे अम्बर का उपयोग (Ambe Beneficial to Boost Memory in Hindi)

ब्राह्मी और शंखपुष्पी 20-20 ग्राम और अम्बर 1 ग्राम- तीनों को कूट पीस कर बारीक चूर्ण कर 20 पुड़िया बना लें। सुबह शाम 1-1 पुड़िया शहद के साथ लेने से उन्माद दूर होता है और स्मरणशक्ति तेज होती है। छात्र-छात्राओं के लिए यह प्रयोग बहुत उपयोगी है।

( और पढ़े – दिमाग तेज करने के 15 उपाय )

अम्बर से निर्मित अन्य आयुर्वेदिक योग (दवा) :

लगभग उन सभी श्रेष्ठ आयुर्वेदिक औषधियों में अम्बर का उपयोग होता है जो पौष्टिक, शक्तिवर्द्धक और वाजीकारक गुण रखती हैं। यहां कुछ ऐसी आयुर्वेदिक उत्तम औषधियों के बारे में विवरण दिया जा रहा है जिनमें अम्बर का उपयोग किया जाता है।

वसन्त कुसुमाकर रस – (घटक द्रव्य ,सेवन विधि और लाभ)

यह योग अम्बर, स्वर्ण भस्म, मुक्ता पिष्टी, रौप्य भस्म, वंग भस्म, कस्तूरी आदि महत्त्वपूर्ण एवं अत्यन्त गुणकारी घटक द्रव्यों से बनाया जाता है।

यह योग पौष्टिक, बलवीर्यवर्द्धक , नपुंसकतानाशक, मधुमेह पर नियन्त्रण करने वाला, कामोद्दीपक और मानसिक एवं स्नायविक दौर्बल्य नष्ट करने वाला है।
पुरानी डायबिटीज से उत्पन्न हुए उपद्रव, श्वासकास, इन्द्रिय शिथिलता, प्रमेह पिटिका, शुक्र क्षय से उत्पन्न निर्बलता, जरा कामुक विचार करते ही वीर्यपात हो जाना, महिलाओं में नवीन प्रदर, पुराना श्वेत प्रदर और स्नायविक दुर्बलता आदि व्याधियों को नष्ट करने के लिए यह सफल सिद्ध योग है।

सुबह शाम 1-1 गोली मलाई के साथ खा कर ऊपर से मीठा कुनकुना गर्म दूध पिएं।

महाशक्ति रसायन – (घटक द्रव्य ,सेवन विधि और लाभ)

अम्बर, पूर्ण चन्द्रोदय विशेष, त्रिबंग भस्म, वीर बहूटी, अकरकरा, जावित्री आदि श्रेष्ठ द्रव्यों का उपयोग इस योग में किया जाता है।

इसके सेवन से शरीर पर तत्काल प्रभाव दिखाई देता है। यह रसायन हृदय और मस्तिष्क को बल देने वाला है और शक्ति में कमी, वृद्धावस्था जन्य कमज़ोरी, जीर्ण श्वास-कास और कफ प्रकोप आदि दूर करने वाला है। पाचनशक्ति बढ़ाने वाला और बलदायक है। दिमागी परिश्रम से होने वाली कमज़ोरी व थकावट दूर करता है।

सुबह शाम 1-1 गोली मलाई के साथ ले कर ऊपर से एक गिलास मीठा कुनकुना गर्म दूध पिएं।

अम्बर कस्तूर्यादि वटी – (घटक द्रव्य ,सेवन विधि और लाभ)

अम्बर, स्वर्ण भस्म, पूर्ण चन्द्रोदय रस, अभ्रक सहस्त्र पुटी, जायफल, मोती पिष्टी, अकरकरा आदि श्रेष्ठ घटक द्रव्यों से बनी यह वटी श्रेष्ठ शक्तिप्रद औषधि है।

यह शारीरिक और मानसिक नपुंसकता नष्ट करती है। यह योग बलपुष्टि वर्द्धक,समशीतोष्ण और वीर्यशक्ति वर्धक है।

मात्रा 1-1 गोली सुबह शाम दूध के साथ लें।

शिलाजत्वादि (अम्बर युक्त) – (घटक द्रव्य ,सेवन विधि और लाभ)

अम्बर, शिलाजीत, अभ्रक भस्म, लोह भस्म, बंग भस्म आदि अत्यन्त गुणकारी घटक द्रव्यों से बनाई गई यह औषधि अति उत्तम है।

स्वप्नदोष के लिए इसका सेवन बहुत ही लाभप्रद सिद्ध होता है।
पित्त प्रधान प्रकृति वाले तथा अति स्त्री सहवास करने वाले तथा जिनके शरीर में अधिक उष्णता रहती हो, दिमाग़ कमज़ोर हो गया हो, सहवास शुरू करते ही या इससे पहले ही वीर्यपात हो जाता हो, शरीर दुबला-पतला हो ऐसे रोगियों के लिए इस योग का सेवन लाभप्रद सिद्ध होता है। इसके सेवन से मधुमेह, दिमाग़ी कमज़ोरी, स्वप्नदोष और वीर्य का पतलापन आदि विकार नष्ट हो जाते हैं और शरीर में उत्साह, उमंग तथा चुस्ती फुर्ती पैदा हो जाती है।

सुबह शाम 1-1 गोली गर्म मीठे दूध के साथ लें।

चन्द्रोदय वटी – (घटक द्रव्य ,सेवन विधि और लाभ)

अम्बर, स्वर्ण भस्म, कपूर, वंग भस्म, वाजीकरण तिला, लोह भस्म, लौंग, जावित्री, के सर, अकरकरा आदि शक्तिवर्द्धक द्रव्यों से निर्मित यह योग अत्यन्त पौष्टिक, कामोत्तेजक और नपुंसकता नाशक है। इसके सेवन से वृद्ध को भी युवा जैसा जोश और बल का अनुभव होता है। शीतकाल में सेवन योग्य यह अत्युत्तम वाजीकारक योग है।

सुबह शाम 1-1 गोली दूध के साथ लें।

अम्बर के नुकसान : Amber Side Effects in Hindi

1- अम्बर सेवन से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
2- अम्बर को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।

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