Last Updated on July 22, 2019 by admin
जलनेति के लाभ,क्रिया विधि और सावधानी : Jala Neti Kriya Yoga
जलनेति में नासिका मार्ग की सफाई हेतु जल का प्रयोग होता है। यह योग क्रिया आपके पुरे नासिका छिद्र को साफ करने में मदद करता है। इस तरह से जलनेति आपको बहुत सारी बीमारी एवं परेशानियो से बचाता है।
जलनेति के लिए एक लम्बी टोटी (नली) लगे लोटे या बर्तन की आवश्यकता होती है। इस तरह का बर्तन आसानी से मिल जाता है। जलनेति में नमकीन गुनगुना पानी का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पानी को नेटिपोट से नाक के एक छिद्र से डाला जाता है और दूसरे से निकाला जाता है।
जल नेति के लाभ : Jal Neti ke Labh / Fayde
1. इस क्रिया से नाक व गले की गंदगी साफ हो जाती है तथा यह गले व नाक से संबन्धी रोगों को खत्म करता है।
2 . इससे सर्दी, खांसी, जुकाम, नजला, सिर दर्द आदि रोग दूर होते हैं।
3 . यह आंखों की बीमारी, कान का बहना, कम सुनना आदि कान के सभी रोग तथा पागलपन के लिए लाभकारी है।
4 . इससे अनिद्रा, अतिनिद्रा, बालों का पकना तथा बालों का झड़ना आदि रोग दूर होते हैं।
5 . इससे मस्तिष्क साफ होता है और तनाव मुक्त रहता है, जिससे मस्तिष्क जागृत होकर बुद्धि व विवेक को विकसित करता है।
6 . यह सुषुम्ना नाड़ी को जागृत करता है।
जलनेति की विधि : Jal Neti ka Tarika / Technique
★ जलनेति की क्रिया के लिए नमक मिले पानी को गर्म करके हल्का गुनगुना कर लें।
★ फिर टोटी वाले बर्तन या लोटे में नमक मिले पानी को भर लें।
★ अब नीचे बैठ कर लोटे की टोटी को उस नाक के छिद्र में लगाएं, जिससे सांस चल रही हो और मुंह खोलकर रखें। इसके बाद टोटी लगे छिद्र वाले भाग को हल्का सा ऊपर उठाकर रखें और पानी को नाक में डालें। इससे पानी नाक के दूसरे छिद्र से बाहर निकलने लगेगा।
★ जब लोटे का सारा पानी खत्म हो जाए तो टोंटी को नाक के छिद्र से निकालें और फिर उस लोटे में पानी भरकर इस क्रिया को नाक के दूसरे छिद्र से भी करें।
★ ध्यान रखें कि नाक में पानी डालते समय मुंह को खोलकर रखें और मुंह से ही सांस लें और छोड़ें।
★ इस क्रिया के पूर्ण होने के बाद कपालभांति या भस्त्रिका प्राणायाम करें।
सावधानी :
★ यह क्रिया कठिन है इसलिए जलनेति करते समय सावधानी रखें और इस क्रिया में पानी को पूर्ण रूप से बाहर निकलने दें क्योंकि पानी अन्दर रहने पर जुकाम या सिर दर्द हो सकता है।
★ जलनेति को किसी जानकर की देख-रेख में करें और जलनेति के बाद कपालभांति या भस्त्रिका प्राणायाम जरूर करें।