Last Updated on November 15, 2019 by admin
प्रसूति रोग क्या है ? prasuti rog kya hai
विवाह के बाद गर्भ धारण करने से पहले नवविवाहिता को गर्भकाल के आहार विहार और आचार-विचार की समुचित जानकारी प्राप्त कर लेना चाहिए और अपनी दिनचर्या आहार-विहार तथा आचार विचार का नियमित ढंग से पालन करने का अभ्यास अभी से शुरू कर देना चाहिए। ताकि वह मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रहे, मन से प्रसन्न और उत्साहित बनी रहे, उसका मासिक धर्म नियमित होता रहे, शरीर स्वस्थ निरोग और शक्तिशाली बना रहे। इस तरह गर्भ धारण करने से पहले वह हर प्रकार से गर्भ धारण करने योग्य हो सके।
गर्भधारण करने के बाद उसे आयुर्वेद द्वारा निर्देशित ‘नवमास चिकित्सा का पालन करना होगा, प्राणायाम, योग और अन्य स्वास्थ्य रक्षक कार्य करने होंगे । ऐसा करने पर प्रसव सामान्य होगा और जन्म लेने वाला शिशु तो स्वस्थ, सुडौल और निरोगी होगा ही स्वयं प्रसूता युवती भी स्वस्थ शरीर वाली बनी रहेगी। ऐसी स्थिति में प्रसूति रोग होने की क़तई कोई सम्भावना नहीं रहेगी।
प्रसव होने के बाद स्त्री का मन और तन बहुत संवेदनशील हो जाता है इसलिए यह नहीं समझना चाहिए कि प्रसव हो गया और काम खत्म बल्कि अब तो पहले से ज्यादा सतर्क और नियमित रहने की ज़रूरत होती है। प्रसव के बाद दो महीने तक विशेष ध्यान रखना होता है ताकि शरीर स्वस्थ और निरोग बना रहे क्योंकि इन दो महीनों में प्रसूता, शरीर व मन से, पूर्ण स्वस्थ नहीं रहती, सशक्त नहीं रहती। ऐसी स्थिति में यदि उसे परिवार का, विशेष कर पति का सहारा न मिले तो वह मानसिक अवसाद व हीन भावना से ग्रस्त हो जाती है जिससे कुछ व्याधियां उसे पीड़ित कर देती हैं। इसलिए इन दो महीनों में प्रसूति की उचित देखभाल और सेवा सम्भाल की जानी चाहिए । यदि ऐसा नहीं किया जाता तो प्रसूता स्त्री को प्रसूति रोग हो सकता है। इस रोग के सम्भावित लक्षण इस प्रकार प्रकट हो सकते हैं।
प्रसूति रोग के लक्षण : prasuti rog ke lakshan
(1) ज्वर होना
(2) अंग अंग में टूटन व दर्द होना
(3) शरीर कांपना
(4) प्यास अधिक लगना
(5) बार-बार मुंह सूखना
(6) शरीर में जकड़न व सूजन
(7) श्वेत व रक्त प्रदर
(8) खांसी चलना
(9) अतिसार
(10) पेट का अफारा
(11) अनिद्रा
(12) शारीरिक कमज़ोरी
(13) पसीना अधिक आना
(14) अरुचि
(15) वात व कफ प्रकोप होना।
इन में से कोई भी लक्षण प्रकट होना प्रसूति रोग होने का सूचक होता है।
प्रसूति रोग के कारण : prasuti rog ke karn
इसके कुछ कारण होते हैं जैसे
1-चिन्ता शोक और मानसिक अवसाद होना,
2-प्रसव के बाद शरीर को ठण्डी हवा से न बचाना,
3-ग़लत ढंग से आहार-विहार करना,
4-कच्चे व ठण्डे पानी का उपयोग करना,
5- क़ब्ज़ रहना,
6-वस्त्रों की साफ सफाई न रखना आदि ।
प्रसूति रोग का इलाज व घरेलू चिकित्सा : prasuti rog ka ilaj
1- दशमूल काढ़ा के फायदे प्रसूति रोग में : prasuti rog ki dawa
उपर्युक्त कोई भी एक लक्षण या एक से अधिक लक्षण प्रकट होने पर दशमूल काढ़ा सुबह खाली पेट पीना चाहिए और भोजन के बाद दोनों वक्त दशमूलारिष्ट आधा कप कुनकुने गरम पानी में 4 चम्मच मिला कर पीना चाहिए।
दशमूल काढ़ा बनाने के लिए। दो कप पानी में 20 ग्राम सूखा दशमूल काढ़ा डाल कर उबालें जब पानी आधा कप बचे तब ठण्डा कर छान कर सुबह खाली पेट एक महीने तक पीना चाहिए।
2-सौभाग्य सुण्ठी पाक के फायदे प्रसूति रोग में :
आयुर्वेद में प्रसूति रोग के विषय में विस्तृत विवरण देते हुए इसके 64 प्रकार बताये गये हैं। सभी प्रकार के विकार ठीक करने के लिए दशमूल के साथ सौभाग्य सुण्ठी पाक का सेवन करना गुणकारी सिद्ध होता है। इस पाक का परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है
सौभाग्य सुण्ठी पाक के घटक द्रव्य :
त्रिकटु, त्रिफला, जीरा, छोटी इलायची, दालचीनी, नागकेशर, तेजपत्र, नागरमोथा, जावित्री, जायफल, धनिया, लौंग, सोया, नलिका, मैनफल,अजवायन, अजमोद, धाय के फूल, शतावर, मूसली, लोध्र, गज पीपल, चिरौंजी, गिलोय, कपूर, सफ़ेद चन्दनप्रत्येक 10-10 ग्राम।
सौभाग्य सुण्ठी पाक बनाने की विधि :
इन सब द्रव्यों को कूट पीस कर महीन चूर्ण करके मिला कर तीन बार छान कर एक जान कर लें। 3 लिटर दूध में डेढ़ किलो सोंठ का चूर्ण डाल कर अच्छे साफ़ किये हुए मटके में डाल कर मन्दी आंच पर पकाएं। जब मावे की तरह गाढ़ा हो जाए तब 400 ग्राम देशी घी में मिला कर अच्छी तरह भून लें। इसके बाद 2 किलो शक्कर की चाशनी बना कर इसे चाशनी में डाल कर पकाएं। पक जाने पर ऊपर लिखित औषधियों का चूर्ण मिला कर नीचे उतार लें और ठण्डा करके मसल लें।
इसे चूर्ण के रूप में बर्नी में भर कर रखें।
मात्रा और सेवन विधि:
एक बड़ा चम्मच भर सुबह शाम कुनकुने गरम मीठे दूध के साथ लेना चाहिए। इस पाक के सेवन से ज्वर, प्यास, दाह, सर्दी खांसी श्वास, रक्ताल्पता, अग्निमांद्य आदि प्रसूति रोग के सभी विकार दूर होते हैं।
अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित “सौभाग्य सुण्ठी पाक” बना बनाया सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से प्राप्त किया जा सकता है ।
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