Last Updated on July 23, 2019 by admin
स्तूपासन : Satunapasan
आसन से रोगों में लाभ-
★ यह आसन पेट के स्नायुओं को शक्तिशाली बनाता है तथा नाड़ी संस्थान को व्यवस्थित करता है।
★ इस आसन के अभ्यास से कब्ज, पेट के विकार और वीर्य दोष दूर होते है और पूरा शरीर शुद्ध बनता है।
★ उच्च स्तर पर कुण्डलिनी को जाग्रत करने में भी इस आसन का अभ्यास अधिक लाभकारी है।
★ स्तूपासन आंतों की गंदगी को साफ करता है तथा कार्य में वृद्धि करने में भी इस आसन का अभ्यास अत्याधिक लाभकारी है।
स्तूपासन के अभ्यास की विधि-
★ स्तूपासन आसन(Satunapasan) को करने के लिए नीचे दरी बिछाकर बैठ जाएं।
★ अब अपने दाएं पैर को बाईं जांघ पर रखें तथा बाएं पैर को दाएं जांघ पर रखें।
★ इसके बाद दोनों हाथों की मुट्ठियां बांधकर पीछे की ओर ले जाएं।
★ अब दाएं हाथ की मुट्ठी को बाएं हाथ में कसकर पकड़ कर नीचे की ओर करके रखें।
★ इसके बाद गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए सामने की ओर जितना झुकना सम्भव हों झुकें। मुट्ठियों को कसकर पकड़कर रखें। ★ ★ आसन की इस स्थिति में 3 से 10 सैकेंड तक रहें और सांस को रोक कर रखें।
★ फिर सांस को छोड़ते हुए धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं।
★ आसन की स्थिति में हर सप्ताह 1-1 सैकंड बढ़ाते हुए 3 मिनट तक आसन को कर सकते हैं।
★ इस तरह से इस आसन को 5 से 10 बार तक करें।