Last Updated on August 5, 2020 by admin
स्वप्नदोष (नाईट फॉल) क्या है : swapndosh (nightfall ) kya hai
आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञ स्वप्नदोष को कोई रोग नहीं मानते जबकि आयुर्वेद चिकित्सा में वीर्य की किसी तरह भी आप्राकृतिक रूप में क्षति होने को रोग की संज्ञा दी जाती है। स्वप्नदोष में भी वीर्य की अनावश्यक रूप से बहुत क्षति होती है। जब भी रोगी गहरी नींद में खोया होता है तभी अश्लील स्वप्नों के साथ वीर्य स्खलित अर्थात् नष्ट होता है।
आइये जाने स्वप्नदोष होने का कारण क्या है ।
स्वप्नदोष (नाईट फॉल) के कारण : swapndosh (nightfall ) ke karan
- यौन स्वच्छंदता के वातावरण, अश्लील फिल्में और पत्रिकाओं में प्रकाशित नवयुवतियों की कामुक फोटो किशोर और नवयुवकों के मस्तिष्क में कोमोत्तेजना उत्पन्न करती हैं।
- मस्तिष्क में कामोत्तेजित विचारों की कल्पना से स्वप्नदोष की उत्पत्ति होती है। शरीर के यौन अंगों का मस्तिष्क से सीधा संबंध होता है। जब किशोर व नवयुवक फिल्मों में हीरो-हीरोइन को अर्धनग्न वेशभूषा में आलिंगन, चुंबन में संलग्न देखते हैं तो उनके मस्तिष्क में तीव्र कामोत्तेजना होती है जो यौन अंगों को कामोत्तेजित करके वीर्य को स्खलन की सीमा रेखा तक पहुंचा देती है। रात्रि में नींद में खोए हुए नवयुवकों के मस्तिष्क में स्वप्न के रूप में मैथुन क्रिया सक्रिय होती है और वीर्य स्खलित हो जाता है।
- कोष्ठबद्धता (कब्ज) के कारण आंत्रों में अधिक मल एकत्र होने पर शुक्रवाहिनियों पर दबाव पड़ने पर भी स्वप्नदोष की उत्पत्ति होती है।
- आंत्रकृमि की अधिकता के कारण जननेंद्रिय के आसपास अधिक खुजली होने से उत्तेजना की स्थिति बन जाती है और फिर स्वप्नदोष होने लगता है।
- भोजन में अधिक उष्ण प्रकृति के खाद्य पदार्थों का सेवन उदर में उष्णता की उत्पत्ति करके स्वप्नदोष की विकृति को जन्म देता है।
- उष्ण मिर्च-मसालों और अम्लरसों से बने खाद्य पदार्थ शरीर में अम्लता की उत्पत्ति करके वीर्य को हानि पहुचाते हैं।
- चाय-कॉफी का अधिक सेवन भी उष्णता के साथ स्वप्नदोष का कारण बनता है ।
स्वप्नदोष (नाईट फॉल) के लक्षण : swapndosh (nightfall ) ke Lakshan
- स्वप्नदोष की विकृति शारीरिक रूप से नवयुवकों को बहुत कमजोर करती है।
- स्वप्नदोष की अधिकता नवयुवकों को नपुंसकता के कगार पर पहुंचा देती है।
- स्वप्नदोष में पुरुष के शिश्न को शुक्रनाड़ियां काफी शिथिल हो जाती हैं। थोड़ी सी यौन उत्तेजना होने पर वीर्य स्खलित होने लगता है।
- रात्रि में सोते हुए स्वप्न के रूप में मस्तिष्क सक्रिय हो जाता है तो किसी नवयुवक के साथ सहवास की प्रक्रिया के साथ वीर्यपात हो जाता है।
- कुछ नवयुवकों को एक रात में दो-तीन बार भी स्वप्नदोष होता है। कुछ नवयुवक दिन में सोते हुए भी स्वप्नदोष के शिकार होते हैं।
- स्वप्नदोष से शारीरिक निर्बलता उत्पन्न होती है। कुछ नवयुवक प्रारंभ में निर्बलता अनुभव नहीं करते ।
- प्रतिदिन वीर्य स्खलित होने से पौरुष शक्ति क्षीण होने पर चेहरे की कांति नष्ट होने लगती है।
- मानसिक रूप से रोगी के मस्तिष्क में निराशा की भावना बढ़ने लगती है। उत्साह और स्फूर्ति कम होने लगते हैं। अपराध बोध की प्रक्रिया रोगी को निराशा में डुबोती जाती है।
- स्वप्नदोष के कारण मूत्रदाह और वृष्णों (अण्डकोषों) में पीड़ा की उत्पत्ति होती है।
- मूत्र त्याग अधिक होता है। मूत्र में अवरोध सा अनुभव होता है। रोगी को कई-कई बार मूत्र के लिए जाना पड़ता है।
- बार-बार वीर्य की क्षति होने पर स्मरण शक्ति को हानि पहुंचती है। पढ़ने-लिखने वाले नवयुवकों को स्मरण रखने में कठिनाई होती है।
- कुछ नवयुवक अधिक सिरदर्द, नेत्रों के आगे अंधेरा छाने और चक्कर आने से भी परेशान होते हैं।
- निराशा की भावना कुछ नवयुवकों को चिड़चिड़ा बना देती है।
- स्वप्नदोष की विकृति अधिक बढ़ जाने पर रोगी के पांवों में अधिक थकावटऔर पीड़ा होती है। कमर में दर्द होता है।
- हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। सीढ़ियां चढ़ने व थोड़ा सा शारीरिक श्रम करने में रोगी पसीने से भीग जाता है।
- कुछ रोगियों में अनिद्रा की विकृति भी देखी जाती है।
- ग्रीष्म ऋतु में रोगी को अधिक उष्णता और शीत ऋतु में अधिक शीतलता का अनुभव होता है।
- स्वप्नदोष के रोगी शीघ्रपतन की विकृति के शिकार होकर अपने को नपुंसक समझने लगते हैं।
आइये जाने स्वप्नदोष रोकने के घरेलू उपाय ,नाईट फेल रोकने के उपाय,
स्वप्नदोष (नाईट फॉल) का इलाज : swapndosh (nightfall ) ka ilaj
☛ स्वप्नदोष की उत्पत्ति अश्लील व कामुक विचारों के कारण होती है इसलिए स्वप्नदोष की चिकित्सा में इन कामुक विचारों व कल्पनाओं का परित्याग आवश्यक होता है। इन कल्पनाओं के मस्तिष्क में चलते स्वप्नदोष से मुक्ति पाना संभव नहीं हो पाता।
☛ स्वप्नदोष निवारण के लिए कोई औषधि देने से पहले रोगी की कोष्ठबद्धता को नष्ट करना आवश्यक होता है। कोष्ठबद्धता के नष्ट होने पर ही औषधियां अधिक प्रभावशाली होती हैं।
1) कोष्ठबद्धता को नष्ट करने के लिए रोगी को रात्रि को सोते समय त्रिफला चूर्ण 3 से 5 ग्राम मात्रा में हल्के उष्ण जल के साथ सेवन करना चाहिए। अधिक कोष्ठबद्धता होने पर दो-ती दिन भी सेवन करना चाहिए। 1 नीबू का रस जल में मिलाकर एनीमा लेने से कोष्ठबद्धता पूरी तरह नष्ट हो जाती है। ( और पढ़ें – स्वप्नदोष रोकने के 17 अचूक घरेलू नुस्खे )
2) आरोग्यवर्द्धिनी की 2-2 गोली दिन में दो बार सुबह-शाम जल के साथ सेवन करने से स्वप्न दोष में बहुत लाभ होता है।
3) प्रतिदिन सुबह और रात्रि के समय चंद्रप्रभावटी की 1-1 गोली जल के साथ सेवन करनी चाहिए।
4) स्वप्नदोष के कारण शारीरिक निर्बलता बढ़ जाती है। इस निर्बलता को नष्ट करने के लिए रोगी को सुबह-शाम च्यवनप्राश दूध के साथ सेवन करना चाहिए। च्यवनप्राश में आंवला होता है और आंवले से शरीर को बहुत लाभ मिलता है। ( और पढ़ें – शक्तिवर्धक कुछ खास प्रयोग )
5) शतावरी को कूट-पीस कर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को कुछ देर घी में भूनकर घी सिद्ध हो जाने पर छानकर रखें। इस चूर्ण में पिप्पली का चूर्ण और मिश्री मिलाकर सेवन करने से स्वप्नदोष की विकृति से उत्पन्न क्षीणता नष्ट होती है। स्वप्नदोष में भी बहुत लाभ होता है। ( और पढ़ें – शतावरी(Shatavari) के दिव्य औषधीय प्रयोग )
6) त्रिफला का कूट-पीसकर बनाया गया चूर्ण 80 ग्राम, प्रवाल पिष्टी 20 ग्राम, जहरमोहरा 20 ग्राम, शुद्ध कपूर 7 ग्राम और गुड़ 70 ग्राम मात्रा में खूब अच्छी तरह घोंटकर गोलियां बनाकर छाया में सुखाकर रखें। इन गोलियों को सुबह-शाम दूध के साथ लेने से स्वप्न दोष में बहुत लाभ होता है।
7) गोक्षुर, आंवला और गिलोय 10-10 ग्राम मात्रा में लेकर, कूटपीसकर बारीक चूर्ण बना लें। 3-3 ग्राम चूर्ण घी और चीनी (मिश्री) मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से स्वप्नदोष का निवारण होता है।
8) कौंच की गिरी, तालमखाने, शतावर 100-100 ग्राम, गोक्षुर 50 ग्राम, केशर 3 ग्राम, जायफल 3 ग्राम, कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 200 गाम मिश्री भी कूट-पीस कर मिलाएं। प्रतिदिन 6 ग्राम चूर्ण दूध के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष की विकृति से छुटकारा मिलता है। ( और पढ़ें – जायफल के अदभुत 58 औषधीय प्रयोग)
9) अश्वगंधा विदारीकंद मूसली, शतावर और इलायची सभी चीजें 10-10 गाम मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर कपड़े द्वारा छानकर रखें। प्रतिदिन 5 ग्राम चूर्ण थोड़ी-सा मिलाकर खाने और ऊपर से दूध पीने से बहुत लाभ होता है।
10) गुलकंद बहुत शीतल और विरेचक होता है। गुलकंद का सेवन करने से शारीरिक उष्णता नष्ट होती है और स्वप्नदोष की विकृति नष्ट होती है। गुलकंद कोष्ठबद्धता से भी सुरक्षित रखता है।
11) 10 ग्राम गुलकंद में आधा ग्राम बंगभस्म मिलाकर सेवन करने से कुछ ही दिनों में स्वप्नदोष का निवारण हो जाता है।
आइये जाने स्वप्नदोष में क्या खाएं, क्या न खाएं ,swapndosh me kya khaye
स्वप्नदोष (नाईट फॉल) में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए :
1) स्वप्नदोष के रोगी का भोजन से सीधा संबंध होता है। यदि कोई व्यक्ति अधिक चटपटे, खट्टे-मीठे, स्वादिष्ट, उष्ण प्रकृति के खाद्य पदार्थों का सेवन करता है तो उसे स्वप्नदोष की विकृति अधिक होती है। उष्ण अम्लीय प्रकृति के खाद्य पदार्थ शरीर में अधिक उष्णता और अम्लता उत्पन्न करके वीर्य को हानि पहुंचाते हैं। ऐसे खाद्य पदार्थों से रोगी को परहेज करना चाहिए।
2) रात्रि का भोजन रोगी को बिस्तर पर जाने से एक डेढ घण्टे पहले कर लेना चाहिए। यदि संभव हो तो भोजन के बाद रोगी को 30-40 मिनट घर के अंदर लॉन में, किसी खुली सड़क पर या किसी पार्क में घूमना चाहिए।
3) स्वप्नदोष के रोगी को प्रातः सूर्योदय के साथ बिस्तर पर छोड़ देना चाहिए। घर के आसपास किसी पार्क में घूमने के लिए जाना चाहिए। ओस से भीगी घास पर नंगे पांव चलने से स्वप्नदोष के रोगी को बहुत लाभ होता है।
4) स्वप्नदोष से पीड़ित नवयुवकों को चाय, कॉफी और फास्ट फूड से परहेज रखना चाहिए क्योंकि ऐसे खाद्य पदार्थ शरीर में उष्णता व अम्लता की उत्पत्ति करके अधिक वीर्यपात में सहायता करते हैं।
5) रोगी को सुपाच्य, तरल खाद्य पदार्थ दाल-चावल, खिचड़ी, दलिया सूप, हरी सब्जियों, फलों से निर्मित शरबत और सलाद का अधिक सेवन करना चाहिए।
6) रात्रि के भोजन में मांस, मछली, उड़द की दाल से बने व्यंजन, अचार का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे खाद्य पदार्थों का देर से पाचन होने के कारण स्वप्नदोष हो जाता है।
7) घी, तेल और मक्खन से बने पकवानों का सेवन भी रोगी को हानि पहुंचाते हैं।
8) इन सबके अतिरिक्त रोगी को अपनी मनोवृत्ति भी परिवर्तित करनी आवश्यक होती है। किसी भी नवयुवती को देखकर बुरे भाव-कल्पनाओं से अलग रहे।
9) अश्लील फिल्मों से भी अलग रहना आवश्यक होता है।
आइये जाने नाईट फॉल मेडिसिन, swapndosh ki medicine
स्वप्नदोष (नाईट फॉल ) की आयुर्वेदिक दवा : swapndosh (nightfall) ki dawa hindi me
स्वप्नदोष में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां –
- आँवला चूर्ण
- रसायन चूर्ण
(दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)