Last Updated on October 3, 2020 by admin
क्या है स्वाइन फ्लू ? (What is Swine flu in Hindi)
स्वाइन फ्लू , इनफ्लुएंजा (फ्लू वायरस) के अपेक्षाकृत नए स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस से होने वाला संक्रमण है। इस वायरस को ही एच 1 एन 1 कहा जाता है। इसके संक्रमण ने वर्ष 2009-10 में महामारी का रूप धारण कर लिया था। बाद में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 10 अगस्त, 2010 में इस महामारी के खत्म होने का भी ऐलान कर दिया था। अप्रैल 2009 में इसे सबसे पहले मैक्सिको में पहचाना गया था।
तब इसे स्वाइन फ्लू इसलिए कहा गया था क्योंकि सुअर में फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा वायरस से यह मिलता-जुलता था। स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। कई बार यह मरीज के आसपास रहने वाले लोगों और तिमारदारों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखे तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाए रखना चाहिए, स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए।स्वाइन फ्लू एक संक्रामक बीमारी हैं, जो श्वसन-तंत्र को प्रभावित करती है |
स्वाइन फ्लू के लक्षण (Swine flu Symptoms in Hindi)
- नाक ज्यादा बहना,
- ठंठ लगना,
- गला खराब होना,
- मांसपेशियों में दर्द,
- बहुत ज्यादा थकान,
- तेज सिरदर्द,
- लगातार खाँसी,
- दवा खाने के बाद भी बुखार का लगातार बढ़ना आदि ।
स्वाइन फ्लू में सावधानियाँ :
- लोगों से हाथ-मिलाने, गले लगाने आदि से बचें । अधिक भीडवाले थिएटर जैसे बंद स्थानों पर जाने से बचें ।
- बिना धुले हाथों से आँख, नाक या मुँह छूने से परहेज करें ।
- जिनकी रोगप्रतिकारक क्षमता कम हो उन्हें विशेष सावधान रहना चाहिए ।
- जब भी खाँसी या छींक आये तो रुमाल आदि का उपयोग करें ।
स्वाइन फ्लू से बचने के उपाय (Prevention of Swine flu in Hindi)
स्वाइन फ्लू से कैसे बचें ?
स्वाइन फ्लू के बचाव हेतु दिनचर्या में निम्नलिखित नियम अपनाएं –
- सुबह के समय दातुन के लिए नीम या गुड़वेल की डंठल का प्रयोग करें।
- नियमित योगाभ्यास करें व विशेष रूप से प्राणायाम का अभ्यास करें ताकि आपका श्वसन तंत्र मजबूत रहे।
- चाय बनाते समय तुलसी, लौंग, अदरक, दालचीनी,यष्टिमधु, काली मिर्च का प्रयोग करें।
- पानी उबालकर पिएं व अधिक मात्रा में सेवन करें।
- बाहर का आहार पूर्णतः त्याग करें। घर का बनाया हुआ शुध्द, पौष्टिक, सात्विक व सादा आहार ग्रहण करें। लंबे समय तक फ्रिज में रखे हुए आहार का सेवन न करें। अनियमित आहार से बचें।
- लहसुन, प्याज, पुदीना का प्रयोग अधिक मात्रा में करें।
- नींद पर्याप्त मात्रा में लें।
- सूर्यप्रकाश के संपर्क में न रहने से भी इम्युनिटी कम होती है। अतः सूर्य किरणों के सपंर्क में रहें।
- भीड़ वाले स्थानों पर जाने से परहेज करें।
- मादक पदार्थों का सेवन न करें, इम्युनिटी कम होती है।
- स्वच्छता के लिए फिनाइल, डेटॉल आदि का प्रयोग नियमित करें।
- वातावरण को शुद्ध रखने के लिए घर में गोबरी, गुग्गुल, लोभान, नीम के पत्ते, गोघृत का धूपन करें। इसमें गाय का घी डालने से ओजोन निर्मित होती है।
- मास्क का प्रयोग करें या फिर नाक में गोघृत / पंचगव्य घृत / अष्टमंगल घृत की 2-2 बूंद डालें। इसे आयुर्वेदिक पंचकर्म में नस्य कहते हैं।
- दालचीनी, लौंग, इलायची व नीलगिरी तेल में उबालकर भाप (इन्हेलेशन) लें। रूमाल में नीलगिरी तेल की कुछ बूंदें छिड़ककर सूंघे।
- प्रतिदिन यष्टिमधु चूर्ण, तुलसीपत्र चूर्ण व हल्दी चूर्ण आधा चम्मच, 2 चम्मच शहद के साथ सेवन करें।
- swine flu ki ayurvedic dawa – आयुर्वेदानुसार इसके लक्षण वातश्लैष्मिक ज्वर से मिलते हैं। अतः औषधि में संजीवनी वटी, महासुदर्शन काढ़ा, गुड़वेल सत्व व त्रिभुवन कीर्ति रस चिकित्सक के परामर्शानुसार ले सकते हैं।
- 1 चम्मच हल्दी व अदरक का रस आधा चम्मच गर्म दूध में डालकर पिएं।
- विटामीन सी का प्रयोग अधिक मात्रा में करें जैसे मोसंबी, नींबू, आंवला इत्यादि।
- गुग्गुल, काली मिर्च, गाय का शुद्ध घी, कपूर और शक्कर मिश्रित कर सेवन अवश्य करें।
- तनावग्रस्त न रहें, प्रफुल्लित और प्रसन्न रहें।
- बासी, फ्रिज में रखी चीजें व बाहर के खाने से बचें । खुलकर भूख लगने पर ही खायें ।
स्वाइन फ्लू के आयुर्वेदिक नुस्खे और उपचार (Swine flu Ayurvedic Treatment in Hindi)
स्वाइन फ्लू के आयुर्वेदिक उपचार में निम्न उपाय किए जा सकते हैं –
1). 10-15 पत्ते तुलसी का रस, 1 चम्मच अदरक का रस, 1/2 चम्मच लौंग पाउडर, 1/2 चम्मच दालचीनी पाउडर, 1/2 चम्मच पीपरमेंट के पत्ते, 1/2 चम्मच इलायची, 1/2 चम्मच सेंधा नमक, 1/2 चम्मच हल्दी पाउडर सबको मिलाकर 1 चम्मच शहद मिलाएं व कुनकुना कर पिएं।
2). नीम की 21 डंठलियाँ (जिनमें पत्तियाँ लगती हैं, पत्तियाँ हटा दें ) व 4 काली मिर्च पानी डालकर पीस लें और छान के पिला दें । बच्चा हैं तो 7 डंठलियाँ व सवा काली मिर्च दें ।
3). 5 – 7 तुलसी पत्ते, 10 – 12 नीमपत्ते, 2 लौंग, 1 ग्राम दालचीनी चूर्ण, 2 ग्राम हल्दी, 200 मि.ली. पानी में डालकर उबलने हेतु रख दें । उसमें 4 – 5 गिलोय की डंडियाँ कुचलकर डाल दें अथवा 2 से 4 ग्राम गिलोय चूर्ण मिलाये । 50 मि.ली. पानी शेष रहने पर छानकर पिये । यह प्रयोग दिन में 2 बार करें । बच्चों को इसकी आधी मात्रा दें ।
4). दो बूँद तेल नाक के दोनों नथुनों के भीतर ऊँगली से लगाये । इससे नाक की झिल्ली के ऊपर तेल की महीन परत बन जाती हैं, जो एक सुरक्षा-कवच की तरह कार्य करती हैं, जिससे कोई भी विषाणु, जीवाणु तथा धुल-मिटटी आदि के कण नाक की झिल्ली को संक्रमित नहीं कर पायेंगे ।
नोट : सर्दी, खांसी, बुखार, गले में दर्द, उलटी, जोड़ों में दर्द, कमरदर्द इत्यादि स्वाइन फ्लू के लक्षण पाये जाने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)