आई फ्लू के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार – Eye Flu in Hindi

Last Updated on April 7, 2021 by admin

वातावरण में नमी और गंदगी के कारण कुछ बीमारियाँ जोर पकड़ने लगती हैं । फोड़ा-फुंसी, बुखार के साथ-साथ ‘आई फ्लू’ बीमारी उनमें से एक है। इसमें आँखों में दर्द रहता है और आँखें सूज जाती हैं ।

आई फ्लू के वायरस दो प्रकार के होते हैं । वायरस के कारण दूसरे लोगों पर भी इसका संक्रमण शीघ्र हो जाता है।

आई फ्लू के लक्षण (Eye Flu Symptoms in Hindi)

आई फ्लू के क्या लक्षण होते हैं ?

  • आई फ्लू इतना तीव्र संक्रामक रोग है कि रोगी की आँखों की ओर देखने मात्र से संक्रमण हो जाता है । इसके वायरस हवा के संपर्क में आते ही दूसरे व्यक्ति की आँखों में पहुँच जाते हैं। संक्रमण के आँखों तक पहुँचने के कुछ ही मिनटों में वायरस अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देता है ।
  • इस बीमारी में आँखों से पहले पानी निकलना शुरू होता है । इसका एक कारण अश्रुनली में रुकावट उत्पन्न होना भी होता है । इसके बाद आँखों की सफेद झिल्ली के नीचे खून उतर आता है, जिससे आँखें पहले गुलाबी, फिर लाल होकर सूज जाती हैं। विशेषकर पलकों पर सूजन आ जाती है ।
  • आँखों में किरकिराहट व जलन होने लगती है । ऐसा लगता है जैसे आँखों में कुछ चुभ रहा है ।
  • आँखों को धूप तथा तेज रोशनी चुभती है ।
  • आँखों में थकान व दर्द महसूस होता है।
  • कभी-कभी सही उपचार नहीं होने पर पुतलियों पर दाने पड़ जाते हैं ।
  • यह स्थिति काफी कष्टप्रद होती है ।

आई फ्लू के कारण (Eye Flu Causes in Hindi)

आई फ्लू क्यों होता है ?

  • आई फ्लू के वायरस गंदी अंगुलियों, धूल, धुआँ, गंदे पानी आदि के प्रयोग से तथा मक्खियों के माध्यम से फैलते हैं।
  • संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों का उपयोग करने से भी आई फ्लू के वायरस आँखों को संक्रमित करते हैं ।
  • रोगी से हाथ मिलाने, उसके शरीर को स्पर्श करने आदि से भी यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँच जाती है।

( और पढ़े – आंखों की देखभाल और सुरक्षा के घरेलू उपाय और टिप्स )

आई फ्लू का उपचार एवं सावधानियाँ (Eye Flu Treatment in Hindi)

आई फ्लू का इलाज कैसे किया जाता हैं ?

पर्याप्त देखभाल एवं थोड़ी सावधानी से ही इससे छुटकारा मिल सकता है। समय पर आई ड्रॉप्स और आराम करना ही काफी होता है। जब कंजक्टिवाइटिस (आई फ्लू) हो जाए तो निम्न सावधानियाँ बरतें :

  • यदि आप कॉन्टेक्ट लैंस लगाते हैं तो उन्हें एकदम निकाल दीजिए।
  • अपना रूमाल, तौलिया, बेड कवर, तकिया कवर, साबुन आदि किसी अन्य सदस्य को उपयोग न करने दें।
  • परिवार में किसी को भी आई फ्लू हो तो उसे दवा डालने से पहले और बाद में हाथ अवश्य धो लें, ताकि संक्रमण नहीं फैले।
  • आई फ्लू के रोगी ने काला चश्मा पहना हो तो आप दूर से बात कर सकते हैं।
  • ऐसे में रोगी को दूसरे से हाथ नहीं मिलाना चाहिए, न ही काला चश्मा उतारकर बात करनी चाहिए।
  • तेज धूप में नहीं निकलना चाहिए, न ही तेज रोशनी में अधिक समय बैठना चाहिए।
  • धूप के चश्मे का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।
  • ठंडे पानी से दिन में तीन-चार बार आँखें धोएँ और डॉक्टर की सलाहानुसार आई ड्राप डालें।
  • रात्रि में सोने से पहले रुई को माँ के दूध अथवा गाय-भैंस के दूध की मलाई में भिगोकर आँखों पर रखें। शुद्ध शहद की रुई भी इसी प्रकार रखी जा सकती है, इससे बहुत आराम मिलता है।
  • कोई भी प्रामाणिक आयुर्वेदिक आई ड्राप या शुद्ध गुलाब जल आँखों में डाला जा सकता है।
  • कितनी भी खुजलाहट हो, आँखों को खुजाएँ नहीं। आँखों से निकलने वाले पानी को साफ रूमाल से पोंछ दें। गंदी उँगली आँख में न लगाएँ।
  • छोटे बच्चों की आँख फ्लू से पीड़ित हो तो माँ के दूध में रुई के फाहे भिगोकर रात्रि में सोने से पूर्व आँखों पर रखें।
  • प्रौढ़ व्यक्ति गाय या भैंस के दूध के झाग में रुई भिगोकर आँखों पर रखें, प्रातः स्वच्छ पानी से आँखें धोएँ।
  • जब आँख रोग से पीड़ित हों तब तीखे मसाले या अधिक गरिष्ठ भोजन न करें, बल्कि हलका भोजन करें।

( और पढ़े – आँखों की देखभाल के प्राकृतिक तरीके और उपाय )

आँखें शरीर का अनमोल अंग हैं, ये जितनी उपयोगी हैं, उससे कहीं ज्यादा नाजुक भी हैं। अत: इनकी देखभाल विशेष रूप से की जानी चाहिए। संसार की समस्त खुशियों की सार्थकता आँखों के कारण है। आँखों के बिना सारा जहान सूना है।

Leave a Comment

Share to...