हवन से पाएँ स्वास्थ्य व सौंदर्य | Hawan se Paye Swasthya aur Saundarya

Last Updated on July 22, 2019 by admin

✦ कल तक यज्ञ – हवन को आध्यात्मिक बताकर तमाम नास्तिकों द्वारा सिरे से खारिज कर देने वालों को अब स्वस्थ जीवन और प्रदूषणमुक्त वातावरण के लिए यज्ञ और हवन की शरण में जाना ही पड़ेगा। यह अब केवल ऋग्वेद में उल्लेखित प्राचीन सत्य ही नहीं है बल्कि आधुनिक वैज्ञानिकों ने इसे 21 वीं शताब्दी में परीक्षण की कसौटी पर कस कर फायदेमंद साबित कर दिखाया है।

✦ जहाँ एन.बी.आर.आई. के वैज्ञानिकों ने इस सत्य के पक्ष निकट वर्षों में कई तथ्य और प्रमाण जुटाए है वही दूसरी ओर लखनऊ स्थित राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एन.बी.आर.आई.) के वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में काफी काम किया है।  ( और पढ़ेयज्ञ का रहस्य )

✦ हरिद्वार के गुरूकुल काँगड़ी फार्मेसी के सहयोग से उन्होंने बीते साल हरिद्वार में हवन कार्य की सहायता से यह निष्कर्ष जुटाने में कामयाबी पाई है कि वायुमंडल में व्याप्त 94 फीसदी जीवाणुओं को सिर्फ हवन द्वारा नष्ट किया जा सकता है। इतना ही नहीं एक बार हवन करने के बाद तीस दिन तक उसका असर रहता है।

✦ एन. बी. आर. आई. के वैज्ञानिक चंद्रशेखर नौटियाल कहते हैं, हवन के माध्यम से बीमारियों से छुटकारा पाने का जिक्र ऋग्वेद में भी है। करीब दस हजार साल पहले से भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी हवन की परंपरा चली आ रही है। जिसके माध्यम से वातावरण को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकता है।  ( और पढ़ेपंचमहायज्ञ क्या है और उनका महत्व )

✦ एन. बी. आर. आई. के दो अन्य वैज्ञानिक पुनीत सिंह चौहान और यशवंत लक्ष्मण ने भी डॉ. नौटियाल के साथ हवन के स्वास्थ्य और वातावरण पर प्रभाव पर शोध किया है। इनके लंबे-चौड़े शोध प्रबंध का सार यह बताता है कि हवन में बेल, नीम और आम की लकड़ी, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पीपल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन की लकड़ी, तिल, जामुन की कोमल पत्ती, अश्वगंधा की जड़ तमाल यानि कपूर, लौंग, चावल, जौ, ब्राम्ही, मुलैठी की जड़ बहेड़ा का फल और हरे के साथ-साथ तमाम औषधीय और सुगंधित वनस्पतियों को डालकर बंद कमरे में हवन करने से 94 फीसदी जीवाणु मर जाते हैं।

✦ एन. बी. आर. आई. के वैज्ञानिकों ने हवन का प्रभाव भले ही दो वर्ष पहले साबित करने में कामयाबी पाई हो लेकिन तकरीबन छह दशकों से अधिक समय से महाराष्ट्र के शिवपुर जिले के वेद विज्ञान अनुसंधान संस्थान के लोग अग्निहोत्र पात्र में हवन को वातावरण को प्रदूषणमुक्त बनाने के साथ-साथ अच्छी सेहत के लिए जरूरी बताते चले आ रहे हैं।  ( और पढ़ेयज्ञ चिकित्सा से रोग निवारण )

✦ सस्थांन के निदेशक डॉ. पुरूषोत्तम राजिम वाले ने विशेष बातचीत में कहा, साठ-सत्तर देशों में हम लोग हवन के फायदे का प्रचार कर चुके हैं । श्री गजानन महाराज ने विश्व भर में हवन का महत्व बताने के लिए यह अभियान शुरू किया था लेकिन अब माइक्रोबायलॉजी से जुड़े तमाम वैज्ञानिक ही नहीं कृषि वैज्ञानिक भी अपने शोधों के माध्यम से यह साबित करने में कामयाब हुए हैं कि हवन से सेहत और वातारण के साथ-साथ कृषि की उपज को भी बढ़ाया जा सकता है।

✦ माइक्रोबॉयलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. मोनकर ने हवन के प्रभावों के अध्ययन के बाद यह साबित करने में कामयाबी पाई है कि हवन के बाद जो वातावरण निर्मित होता है उसमें विषैले जीवाणु बहुगुणित नहीं हो पाते और बेअसर हो जाते हैं। एसटाईपी नामक प्राणघातक बैक्टीरिया हवन के बाद के वातावरण में सक्रिय ही नहीं रह पाता।

✦ इतना ही नहीं, वेद विज्ञान अनुसंधान संस्थान के लोगों की मानें तो दिल्ली में रक्षा मंत्रालय के शोध एवं विकास विंग के कर्नल गोनोचा और डॉ. सेलवराज ने भी साबित किया है कि हवन में शामिल लोगों की नशे की लत भी दूर की जा सकती है। मन – मस्तिष्क में सकारात्मक भाव ओर विचारों का प्रादुर्भाव होता है । पूना विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान के वैज्ञानिक डॉ. भुजबल का कहना है, ”अग्निहोत्र देने से जैविक खेती की उपज बढ़ने के भी प्रमाण मिले हैं।

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