चिरौंजी खाने के 17 सेहतमंद फायदे और उपयोग : Chironji Khane ke Fayde

Last Updated on July 31, 2024 by admin

चिरौंजी का सामान्य परिचय :

चिरौंजी (chironji) के पेड़ विशाल होते हैं। चिरौंजी के पेड़ महाराष्ट्र, नागपुर और मालाबार में अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। इसके पत्ते लम्बे-लंबे महुवे के पत्ते के समान मोटे होते हैं। इसकी पत्तल भी बनाई जाती है। इसकी छाया बहुत ही ठण्डी होती है।

इसकी लकड़ी से कोई चीज नहीं बनती है। इसमें छोटे-छोटे फल लगते हैं। फलों के अन्दर से अरहर के समान बीज निकलते हैं। इसी को चिरौंजी कहा जाता है। चिरौंजी एक मेवा होती है। इसे विभिन्न प्रकार के पकवानों और मिठाइयों में डाला जाता है। इसका स्वाद मीठा होता है। इसका तेल भी निकलता है। यह बादाम के तेल के समान ठण्डा और लाभदायक होता है।

चिरौंजी का पेड़ कैसा होता है ? :

चिरौंजी खाने के 17 सेहतमंद फायदे और उपयोग : Chironji Khane ke Fayde

चिरौंजी के पेड़ महाराष्ट के कोंकण में अधिक पाये जाते हैं। इसके पत्ते छोटे नोकदार और खुरदरे होते हैं। इसके फल छोटे-छोटे बेर के समान नीले रंग के होते हैं। इसमें से जो मींगी निकलती है उसे ही चिरौंजी कहा जाता है।

  • चिरौंजी(chironji) का पेड़ : चिरौंजी का पेड़ मीठा, खट्टा, भारी, दस्तावर, मलस्तम्भक, चिकना, शीतल, धातुवर्द्धक, कफकारक, दुर्जन, बलकारक और प्रिय होता है तथा यह वात, पित्त, जलन, बुखार, प्यास, घाव, रक्तदोष और टी.बी आदि रोगों को दूर करता है।
  • चिरौंजी का फल : चिरौंजी का फल फीका और कफकारक होता है तथा रक्तपित्त रोग को नष्ट करता है।
  • चिरौंजी की गिरी : चिरौंजी की गिरी मधुर होती है तथा यह जलन और पित्त का नाश करती है।
  • चिरौंजी का तेल : चिरौंजी का तेल मधुर, गर्म, कफ, पित्त और वात को नष्ट करने वाला होता है।

चिरौंजी का विभिन्न भाषाओं में नाम :

  • हिन्दी – चिरौंजी
  • संस्कृत – चार या राजादन
  • गुजराती – चारोली
  • कर्नाटकी – मोराप्य, मोरवे, मोरटी या चावलि
  • तमिल – कारप्यारूक्कु
  • मलयालम – मुरल
  • तेलगू – चारुपप्पु या चारुमुंडी
  • फारसी – बुकलेखाजा
  • अरबी – हबुस्माना
  • लैटिन – बेचेनेनियालेटी फोलिया

चिरौंजी के गुण :

  • रंग : चिरौंजी सफेद और लाल रंग की होती है।
  • स्वाद : इसका स्वाद फीका, मीठा, स्वादिष्ट और चिकना होता है।
  • स्वभाव : इसकी तासीर गर्म होती है।
  • तुलना : चिरौंजी की तुलना पिस्ता से की जा सकती है।

चिरौंजी के फायदे और उपयोग :

1. रक्तातिसार (खूनी दस्त): चिरौंजी के पेड़ की छाल को दूध में पीसकर शहद मिलाकर पीने से रक्तातिसार (खूनी दस्त) बंद हो जाता है।

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2. पेचिश: चिरौंजी के पेड़ की छाल को दूध में पीसकर शहद में मिलाकर पीने से पेचिश रोग ठीक हो जाता है।

3. खांसी:

  • खांसी में चिरौंजी का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से लाभ मिलता है। चिरौंजी पौष्टिक भी होती है। इसे पौष्टिकता की दृष्टि से बादाम के स्थान पर उपयोग करते हैं।
  • छठवें महीने के गर्भाशय के रोग: चिरौंजी, मुनक्का और धान की खीलों का सत्तू, ठण्डे पानी में मिलाकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से गर्भ का दर्द, गर्भस्राव आदि रोगों का निवारण हो जाता है।

4. शीतपित्त:

  • चिरौजी की 50 ग्राम गिरी खाने से शीत पित्त में जल्दी आराम आता है।
  • चिरौंजी को दूध में पीसकर शरीर पर लेप करने से शीतपित्त ठीक होती है।
  • चिरौंजी और गेरू को सरसों के तेल में पीसकर मलने से पित्ती शान्त हो जाती है।

5. अकूते के फोड़े: चिरौंजी को दूध के साथ पीसकर लगाने से अकूते के फोड़े में आराम आ जाता है।

6. चेहरे की फुंसियां: चेहरे की फुंसियों पर चिरौंजी को गुलाबजल में पीसकर मालिश करने से चेहरे की फुंसियां ठीक हो जाती हैं।

7. रंग को निखारने के लिए: 2 चम्मच दूध में आधा चम्मच चिरौंजी को भिगोकर लेप बनाकर चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट के बाद चेहरे को धो लें। यह क्रिया लगातार 45 दिन तक करने से चेहरे का रंग निखर जाता है और चेहरे की चमक बढ़ जाती है। इसको लगाने से रूखी और सूखी त्वचा भी कोमल हो जाती है।

8. सौंदर्यप्रसाधन:

  • त्वचा के किसी भी तरह के रोग में चिरौंजी का उबटन (लेप) बनाकर लगाने से आराम आता है।
  • चिरौंजी (Charoli) के तेल को रोजाना बालों में लगाने से बाल काले हो जाते है।

9. शारीरिक सौंदर्यता: ताजे गुलाब के फूल की पंखुड़िया, 5 चिरौंजी के दाने और दूध की मलाई को पीसकर होठों पर लगा लें और सूखने के बाद धो लें। इससे होठों का रंग लाल हो जाता है और फटे हुए होंठ मुलायम हो जाते हैं।

चिरौंजी ( चारोली ) के अन्य उपयोगी लाभ व प्रयोग :

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1. चिरौंजी(Charoli) के सेवन से शारीरिक शक्ति बढ़ती है, थकावट दूर होती है तथा मस्तिष्क को ऊर्जा मिलती है ।

2. यह वीर्य को गाढ़ा बनाती है । शुक्राणुओं की कमी व नपुंसकता में इसे दूध के साथ लें ।

3. यह ह्रदय को शक्ति देती है तथा दिल की घबराहट में अत्यंत लाभदायी है ।

4. चिरौंजी (Charoli) शीतपित्त में अति लाभप्रद है | शीतपित्त के चकत्ते होने पर दिन में एक बार 15-20 चिरौंजी के दानों को खूब चबा- चबाकर खायें तथा दूध में पीस के चकत्तों पर इसका लेप करें ।

5. गले, छाती व पेशाब की जलन में चिरौंजी का सेवन लाभदायी है ।

6. मूँह एवं जीभ के छाले होने पर इसके 3-4 दाने खूब देर तक चबायें तथा इसका रस मूँह में इधर – उधर घूमाते रहें, फिर निगल जायें | इस प्रकार दिन में 3-4 बार करें ।

7. इसे दूध के साथ पेस्ट बना के लगाने से त्वचा चमकदार बनती है, झाँईयाँ दूर होती हैं ।

8. सिरदर्द व चक्कर आने में पिसी चिरौंजी दूध में उबालकर लें ।

चिरौंजी ( चारोली ) के नुकसान :

चिरौंजी भारी है तथा देर में हजम होती है।

सावधानी : पचने में भारी एवं कब्जकारक होने से भूख की कमी व कब्ज के रोगियों को इसका सेवन अल्प मात्रा में करना चाहिए |

दोषों को दूर करने वाला : शहद, चिरौंजी के गुणों को सुरक्षित रखकर इसके दोषों को दूर करता है।

Read the English translation of this article hereChironji (Cuddapah Almond): 9 Incredible Uses and Benefits

अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।

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