बरसात में होने वाली 6 बिमारियां व उसके सफल घरेलू उपचार

Last Updated on May 24, 2021 by admin

बरसात के मौसम में वात, पित्त और कफ जैसे भयंकर रोग शरीर के संतुलन को बिगाड़ देते हैं। इस मौसम में होने वाले रोग व उनका बचाव

सर्दी-जुकाम :

घरेलु उपचार –

1. इलायची : इलायची को पीसकर रूमाल पर लगाकर सूंघने से सर्दी, जुकाम और खांसी ठीक हो जाती है।

2. अदरक : 10 ग्राम अदरक को काटकर लगभग 200 मिलीलीटर गर्म पानी में उबालकर एक चौथाई रह जाने पर छान लेते हैं। इसे खांड मिले एक कप कम गर्म दूध में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खांसी, जुकाम और खांसी नष्ट हो जाती है।

3. जायफल : जायफल पिसा हुआ एक चुटकी मात्रा में लेकर दूध में मिलाकर लेने से सर्दी का असर ठीक हो जाता है। इसे सर्दी में सेवन करने से सर्दी नहीं लगती है।

4. छोटी पीपल : 20 ग्राम छोटी पीपल और 5 ग्राम अतीस को कूटकर और छानकर लगभग आधा-आधा ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खांसी नष्ट हो जाती है।

5. आयुर्वेदिक चाय : यदि सर्दी के कारण जुकाम, सिरदर्द, बुखार तथा खांसी हो, आंख से पानी निकलता हो या पतला झागदार श्लेष्मा (कफ, बलगम) नाक से निकलता हो तो अच्युताय हरिओम ओजस्वी पेय (चाय )पीना लाभदायक होता है। इससे ठंड़ दूर होकर पसीना आता है तथा सर्दी में आराम मिलता है। यदि जुकाम खुश्क हो जाए, कफ गाढ़ा, पीला बदबूदार हो और सिरदर्द हो तो चाय पीना हानिकारक होता है।

6. मेथी : मेथी के पत्तों की सब्जी को सुबह-शाम खाने और बीजों को 1 चम्मच मात्रा में गर्म दूध के साथ सेवन करने से सर्दी-जुकाम के सारे कष्टों में आराम मिलता है।

7. कलौंजी : कलौंजी के बीजों को सेंककर और कपड़े मे लपेटकर सूंघें। साथ ही थोड़े-थोड़े अन्तर से कलौंजी का तेल और जैतून का तेल बराबर की मात्रा में थोड़ा-सा मिलाकर नाक में टपकाएं।

8. कपूर : कपूर की एक टिकिया को रूमाल में लपेटकर बार-बार सूंघने से आराम मिलता है और बन्द नाक खुल जाती है।

दस्त (Diarrhea) :

प्रदूषित व संक्रमित पानी पीने से दस्त जैसी बीमारी लगने लगती है। दस्त में पेट दर्द, और बुखार के साथ आंतो में सूजन जैसे लक्षण होते हैं। दस्त लगने पर करें निम्न प्रयोग

घरेलु उपचार –

पहला प्रयोग : 1 से 2 ग्राम सोंठ का पाउडर 2 से 10 ग्राम शहद के साथ देने से दस्त एवं उलटी में लाभ होता है।

दूसरा प्रयोग : तुलसी के पंचांग (जड़, पत्ती, डाली, मंजरी, बीज) का काढ़ा देने से अथवा प्याज, अदरक एवं पुदीने प्रत्येक के 2 से 5 मिलिलीटर रस में 1 से 2 ग्राम नमक मिलाकर देने से दस्त में लाभ होता है।

तीसरा प्रयोग : दस्त के रोगी की नाभि में बड़ का दूध अदरक का रस भर देने से लाभ होता है।

चौथा प्रयोग : आम की गुठली की गिरी का 4 से 5 ग्राम चूर्ण शहद के साथ देने से लाभ होता है।

पाँचवाँ प्रयोग : सौंफ और जीरा सम भाग लेकर तवे पर भूनें और बारीक पीसकर 3-3 ग्राम दिन में 2-3 बार पानी के साथ खिलावें। दस्त बन्द करने के लिए यह सस्ता व अच्छा इलाज है।

डेंगू (Dengu) :

बदलते मौसम में मच्छरों की वजह से डेंगू की बीमारी अक्सर लोगों को होने लगती है। यह एक तरह का बुखार होता है जो डेंगू के मच्छर के काटने से होता है। इस रोग के मुख्य लक्षण हैं। सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, बदन में दर्द और जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण होते हैं। इस रोग को हड्डीतोड रोग भी कहते हैं।

इस रोग से बचने के लिए अपने घर के आस-पास गंदा पानी को जमा न होने दें। रात को सोते समय मच्छरदानी लगाकर सोएं।

घरेलु उपचार –

1. एलोवेरा – एलोवेरा, गेंहू का ज्वारा, गिलोय और पपीते के पत्ते। इन सबको मिला कर इन का रस पीने से डेंगू में चमत्कारी ढंग से फायदा मिलता है। ये उपाय चिकनगुनिया का इलाज में भी काफी उपयोगी है। अगर ये सब चीज़े ना मिले तो गिलोय का पानी दिन में 3 बार पिये, इससे भी डेंगू के उपचार में फायदा मिलता है।

2. गिलोय (giloy) –सुबह शाम घी या फिर या शहद में गिलोय का रस मिला कर पीने से खून की कमी दूर होती है।

3. तुलसी (Basil) – तुलसी के पत्तों को गरम पानी में उबालकर छानकर, रोगी को पीने को दें। तुलसी की यह चाय डेंगू रोगी को बेहद आराम पहुंचाती है। यह चाय दिनभर में तीन से चार बार ली जा सकती है।

4. चिरायता (Chirayta) – चिरायता में बुखार को ठीक करने के गुण होते हैं। डेंगू के बुखार को भी चिरायता के इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है।

टाइफायड बुखार (Typhoid fever) :

बारिश के मौसम में अक्सर लोग गंदे हाथों से खाने की चीचें खा लेते हैं जिस वजह से वे टाइफायड जैसी गंभीर बुखार के शिकार हो जाते हैं। इस रोग के मुख्य लक्षण हैं सूखी खांसी, पेट चलना, सिर दर्द, भूख की कमी आदि मुख्य लक्षण होते हैं।

घरेलू इलाज –

1. पान का रस, अदरक का रस और शहद को बराबर मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम पीने से आराम मिलता है।

2. यदि जुकाम या सर्दी-गर्मी में बुखार हो तो तुलसी, मुलेठी, गाजवां, शहद और मिश्री को पानी में मिलाकर काढा बनाएं और पीएं। इससे जुकाम सही हो जाता है और बुखार भी जल्द ही उतर जाता है।

3. गर्मी के मौसम में टायफायड होने पर लू लगने के कारण बुखार होने का खतरा रहता है। ऐसे में आप कच्चे आम को आग या पानी में पकाकर इसका रस पानी के साथ मिलाकर पीएं।

4. जलवायु परिवर्तन की वजह से बुखार होने तुलसी की चाय पीने से आराम मिलता है। इसके लिए 20 तुलसी की पत्तियां, 20 काली मिर्च, थोड़ी सी अदरक, जरा सी दालचीनी को पानी में डालकर खूब खौलाएं। अब इस मिश्रण को आंच से उतारकर छानें और इसमें मिश्री या चीनी मिलाकर गर्म-गर्म पीएं।

5. तुलसी और सूर्यमुखी के पत्तों का रस पीने से भी टायफायड बुखार ठीक होते हैं। करीब तीन दिन तक सुबह-सुबह इसका प्रयोग करें।

आंखों के रोग (Eye disease) :

बरसात की वजह से आंखों में भी कई प्रकार के रोग लगने लगते हैं जैसे आई फलू यानि आंख आना आदि। जिस वजह से आंख लाल हो जाती है और सूजन की वजह से आंखों में दर्द भी होने लगता है। फलू से बचने के लिए साफ हाथों से ही आंखों को साफ करना चाहिए। अपने खुद के तौलिये से ही शरीर को पोछें। आंखों को दिन में 3 से 4 बार पानी से धोना चाहिए।

विभिन्न औषधियों से उपचार –

1. त्रिफला : त्रिफला के काढ़े की बूंदे आंखों में डालने या धोने से हर प्रकार के आंखों का दर्द दूर होता है।

2. 40 ग्राम आंवला को जौकूट यानी पीसकर 2 घंटे तक पानी में उबालकर छान लें। इस पानी को रोजाना दिन में 3 बार आंखों में डालने से आंखों की फूली समाप्त हो जाती है।

3. नीम के बीजों (निंबौली) को बारीक पीसकर कपड़े में छानकर रख लें। इस चूर्ण को सूरमे की तरह आंखों में लगाने से आंखों में पानी भर जाने की बीमारी दूर हो जाती है।

4. फिटकरी को गुलाबजल में घिसकर आंखों में लगाने से फूला और जाला समाप्त हो जाता है लाली व दर्द में राहत मिलती है ।

फूड प्वाइजनिंग (Food poisoning) :

यह संक्रमित भोजन करने से होता है। इस रोग में ठंड लगना, पेट में दर्द, उल्टी और बुखार आने के आदि मुख्य लक्षण होते हैं। एैसे में ग्लूकोज का पानी, शिकंजी, सूप, और पानी आदि का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए। और इस बीमारी से बचने के लिए साफ सुतरा खाना ही खाएं। साफ बर्तन में ही भोजन रख कर ही सेवन करें।

हैजा (Cholera) :

ये एक खतरनाक बीमारी है। जो दूषित खाना खाने से होती है। हैजा में उल्टी के साथ-साथ दस्त भी होने लगते हैं। जिससे रोगी के शरीर में पानी की कमी हो जाती है एैसे मे रोगी की जान भी जा सकती है।

हैजा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार –

  • हैजा रोग से पीड़ित रोगी को पानी में नींबू या नारियल पानी मिलाकर पीना चाहिए ताकि उसके शरीर में पानी की कमी पूरी हो सके और उल्टी करते समय दूषित द्रव्य शरीर से बाहर निकल सके।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को पुदीने का पानी पिलाने से भी बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • लौंग को पानी में उबालकर रोगी को पिलाने से हैजा रोग ठीक होने लगता है।
  • तुलसी की पत्ती और कालीमिर्च पीसकर सेवन कराने से हैजा रोग ठीक हो जाता है।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को प्याज तथा नींबू का रस गर्म पानी में मिलाकर पिलाने से हैजा रोग ठीक हो जाता है।

यदि आप बारिश के मौसम में होने वाली इन बीमारियों के बारे में पहले से जानकारी रखेगें तो शायद आप 80 प्रतिशत तक इन रोगों से बच सकते हो।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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