Last Updated on September 23, 2024 by admin
परिचय :
कुंदरू एक प्रकार की सब्जी है और यह बारहों महीने अपने आप मेढ़ों पर उगती रहती है। कुंदरू की बेल होती है। इसकी बेल 8 से 10 वर्षों तक रहती है। कुंदरू दो प्रकार की होती हैं- कडुवी कुंदरू और मीठी कुंदरू।
कड़वी कुदरू का प्रयोग सब्जी के रूप में नहीं किया जाता है। मीठे कुंदरू की सब्जी बनाई जाती है। नर्म व कोमल बीजों वाले छोटे-छोटे कुंदरू सब्जी के लिए अच्छा होता है।
कुंदरू की सब्जी अत्यधिक सेवन करने से जीभ में जड़ता आती है। कड़वे कुंदरू के जड़ की छाल का सेवन करने से पेट साफ होता है।
कुंदरू के फायदे और उपयोग : Kundru ke Fayde
1. मधुमेह: कडुवे कुंदरू के पत्तों का 4 ग्राम चूर्ण मधुमेह के रोग से पीड़ित रोगी को लेना चाहिए और कुंदरू की सब्जी बनाकर प्रतिदिन खाना चाहिए। इससे मधुमेह रोग में लाभ होता है।
2. बिच्छू का डंक: कड़वे कुंदरू के पत्तों का रस निकालकर बिच्छू के डंक पर लगाने से डंक का असर सामप्त होता है।
3. पेशाब में वीर्य आना: कड़वे कुंदरू की जड़ का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से पेशाब में वीर्य आना बंद होता है।
4. प्रदर: स्त्रियों को प्रदर रोग में कुंदरू की जड़ का चूर्ण बनाकर लेना चाहिए। इससे प्रदर रोग ठीक होता है।
5. रक्तस्राव: कुंदरू के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) का रस चीनी मिलाकर पीने से खून का स्राव बंद होता है।
6. जीभ फटना: कुंदरू को चबाकर इसके रस को कुछ देर तक मुंह में रखने से जीभ का फटना ठीक होता है।
7. घाव:
- कुंदरू के पत्तों का रस या पत्तों की पुल्टिश बनाकर घाव पर बांधने से घाव या फोड़े का दर्द शांत होता है। इससे फोड़े पककर फूट जाते हैं।
- यदि घाव में तेज जलन हो तो कुंदरू के पत्तों का रस निकालकर घाव पर लगाएं। इससे जलन दूर होती है और दर्द में भी आराम मिलता है।
8. अंडकोष की सूजन: कुंदरू, मस्तगी, सोंठ, तम्बाकू, आंबाहल्दी, वत्सनाग, पोस्तादाना व वच। इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बना लें और फिर मकोय के रस के साथ आधे-आधे ग्राम की गोलियां बना लें। 1-1 गोली पानी के साथ घीसकर अंडकोष पर लेप करें और इसी चूर्ण की पोटली बनाकर हल्का गर्म करके अंडकोष की सिंकाई करें। इससे अंडकोष की सूजन दूर होती है।
9. खांसी:
- यदि खांसी में कफ (बलगम) बहुत लसदार और चिपचिपा हो तो कुंदरू 120 से 360 मिलीग्राम की मात्रा में बादाम और शर्करा के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे कफ निकल जाती है और खांसी भी नष्ट होती है।
- कुंदरू के धूम्रपान करने से पुरानी लसदार, चिपचिपा कफ नष्ट होता है।
10. मुंह के छाले: मुंह व जीभ के छाले में कुन्दरु के फल को चबाना चाहिए। इससे मुंह व जीभ के छाले समाप्त होते हैं।
11. चोट लगना:
- चोट लगने से यदि सूजन आ गई हो तो कुंदरू, खसखस का तेल और सफेद मोम को एक साथ हल्के आग पर पिघला लें और फिर कपड़े से छानकर मलहम बना लें। यह मलहम सूजन पर लगाने से 2 से 3 बार में ही सूजन समाप्त हो जाती है।
- कुंदरू का गोन्द, अफीम, धतूरा, अजवायन आदि मिलाकर मोटे कपड़े पर हल्का लेप चढ़ाकर सूजन पर पट्टी करने से रक्तवाहिनियों की संकोचन के कारण आई सूजन दूर होती है और दर्द भी ठीक होता है।
12. गिल्टी (ट्यूमर): कुंदरू, खसखस का तेल और सफेद मोम मिलाकर धीमी आंच पर पिघलाकर मलहम बना लें। यह मलहम गिल्टी पर प्रतिदिन लगाने से गिल्टी ठीक हो जाती है और सूजन मिट जाती है।
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।