Last Updated on February 6, 2024 by admin
आडू का सामान्य परिचय :
वास्तव में यह वृक्ष चीन का है । योरप और पश्चिमी एशिया में भी यह बोया जाता है । भारतवर्ष में हिमालय पहाड़, मनीपुर और उत्तरी वर्मा में यह वृक्ष होता है। यह एक छोटे कद का झाड़ होता है । इसके फूल हलके गुलाबी रंग के और फल खटमीठे और गुठलीदार होते हैं। इसकी गुठली पर रेखायें होती हैं । इसमें एक प्रकार का गोंद लगता है । इसकी जड़ की छाल रंगने के काम में आती है। इसकी गिरी में से एक प्रकार का तेल निकाला जाता है जो कड़वे बादाम के तेल की तरह होता है ।
अलग-अलग भाषाओं में इसके नाम :
- संस्कृत – आरुक ।
- हिन्दी – आडू ।
- बंगाली – पीच ।
- अरबी – खुज, परसिक ।
- पंजाब – आरु ।
- फारसी – शपतालू ।
- उर्दू – अदूद ।
- अंग्रेजी – Peach ( पीच )।
- लेटिन – Prunus Persica ( पूनस परसिका)
आयुर्वेदिक के मतानुसार आडू के औषधीय गुण :
- आयुर्वेदिक मत से आडू हृदय को बल देनेवाला तथा प्रमेह, बवासीर, गुल्म और रक्तदोष को नष्ट करनेवाला है।
- इसका प्रतिनिधि अमरूद और इसके दर्प को नाश करने वाले शहद और सोंठ हैं।
- इसके पत्ते कृमिनाशक और घाव को भरनेवाले होते हैं ।
- ये धवल रोग और बवासीर में भी उपयोग में लिए जाते हैं।
- इसके फल कामोद्दीपक, मस्तिष्क को बल देने वाले और खून को बढ़ानेवाले होते हैं ।
- ये मुंह और कफ की दुर्गन्धि को दूर करते हैं।
- इसके बीजों का तेल गर्भस्रावक है।
- यह बवासीर, बहरापन, पेट की तकलीफ और कान के दर्द को मिटाता है ।
- पंजाब के निवासी इस फल को कृमिनाशक वस्तु की तरह उपयोग में लेते हैं ।
- इण्डो-चाइना में इसकी छाल जलोदर रोग में लाभदायक समझी जाती है ।
- इसके बीज कृमिनाशक और दुग्धवद्धक माने जाते हैं ।
- यूरोप में इसकी छाल और पत्ते शान्तिदायक, मूत्रल और कफनिस्सारक माने जाते हैं ।
- अंतड़ियों की जलन और पाकस्थली के दर्द पर भी यह बहुत मुफीद माना गया है।
- खांसी, कुक्कुरखांसी और वायुनलियों के प्रदाह में भी यह दिया जाता है ।
- ट्रांसवास में इसके पत्तों का शीतल काथ उन लड़कियों को देते हैं, जिनको बहुत समय तक मासिक स्राव नहीं होता।
- कर्नल चोपड़ा के मतानुसार इसके फूल विरेचक हैं और इसका फल अग्निवर्धक और शान्तिदायक है । इसमें प्रसिड नामक एक तत्व पाया जाता है।
- बेलफोर के मतानुसार इसका फल स्कह्वी रोग में लाभ पहुँचानेवाला, आमाशय को बल देनेवाला और पाचक है।
- इण्डियन मटेरिया मेडिका के मतानुसार इसका पका हुआ फल पेट को मुलायम करनेवाला और लघुपाकी है ।
- इसकी पत्तियों का काढ़ा पेट के कृमियों को नष्ट करनेवाला अवसादक है।
- इसके फूल और गुठली बवासीर में लाभदायक हैं।
यूनानी मतानुसार इसके गुण :
- यूनानी मत से यह दूसरे दर्जे में सर्द और तर है।
- यह वात एवं कफ प्रकृति के लोगों को हानि पहुंचाने वाला और ज्वर पैदा करने वाला है।
- यूनानी ग्रन्थकार के मतानुसार इसके पत्तों का स्वरस १ छटांक(60 grams) की मात्रा में पीने से तथा पेड पर पत्तों का लेप करने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं ।
आडू के फायदे व उपयोग :
1. उदर के विकारों की शुद्धि मे सहायक – इसके फूलों का क्वाथ पिलाने से हल्का विरेचन होता है।
2. आमाशय के दर्द को दूर करने वाला – इसके फल के रस में अजवायन का चूर्ण मिलाकर पिलाने से आमाशय का शूल मिटता है।
3. आंतो के कीड़े दूर करने वाला – इसके फल के रस में थोड़ी सी सेंकी हुई हींग मिलाकर पिलाने से आंतों के कीड़े मरते हैं ।
4. बच्चों के पेट के कृमि नष्ट करने वाला – इसके पत्तों का रस पिलाने से बच्चों के पेट में पड़नेवाले कृमि (चुरने) नष्ट होते हैं ।
5. कान के दर्द मे लाभदायक – इसके बीजों का तेल कान में डालने से कान के दर्द और बहरेपन में लाभ होता है।
6. चर्मरोग मिटाने मे सहायक – इसके बीजों के तेल की मालिश करने से चमड़े पर होनेवाली पीली फुन्सियाँ मिटती हैं ।
इसका उपयोग करने के लिये प्रायः इसका ठण्डा काढ़ा (हिम ) और शर्बत ही उपयोग में लिया जाता है।
आडू के नुकसान :
यूनानी मतानुसार वात एवं कफ प्रकृति के लोगों को इसका सेवन सूझबूझ के साथ ही करना चाहिये ।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)