Last Updated on August 26, 2020 by admin
सेहत की सलामती के लिए जरूरी है आराम (Importance of Rest for Health in Hindi)
acche health ke liye jaruri hai aaram –
केवल उत्तम संतुलित आहार और उचित व्यायाम ही अच्छी सेहत के लिए जरूरी नहीं है, समय-समय पर आराम करना भी आवश्यक है। जब हम काम करके थक जाते हैं, तो शरीर स्वयं आराम करना चाहता है। यही शरीर का प्राकृतिक स्वभाव है। थकान के बाद आराम नहीं करने पर शरीर में विकार उत्पन्न होने की संभावना होती है।
शरीर का प्रत्येक अंग काम (श्रम) करता है। काम करने से थकने के बाद वह आराम चाहता है। जब हम पढ़ते समय थक जाते हैं, तब बीच में आंखें पलक झपकाकर आराम कर लेती हैं और पुनः देखने के लिए तैयार हो जाती हैं। इसीलिए प्रकृति ने एक दिन के 24 घंटे दिन और रात में, समाज ने भी हफ्ते में छह दिन काम और एक दिन आराम करने के लिए निर्धारित किया है।
क्या है थकान ? (What is Fatigue in Hindi)
thakan kya hai –
हर मनुष्य की काम करने की एक क्षमता होती है। जब वह शारीरिक शक्ति की क्षमता से अधिक काम करने लगता है, तो उसे शारीरिक शक्ति की क्षीणता का एहसास होता है। उसे लगता है कि अब वह अधिक समय तक काम नहीं कर पाएगा। व्यक्ति की इस मनःस्थिति को ‘थकान’ कहते हैं।
मनुष्य शारीरिक ही नहीं, मानसिक श्रम भी करता है। लेकिन मानसिक या दिमागी काम से मनुष्य उतना नहीं थकता, जितना शारीरिक श्रम से इसका प्रभाव शरीर के स्नायु और मनोवेगों पर पड़ता है।
वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि कार्यक्षमता में गिरावट के बिना मस्तिष्क में से जब रक्त गुजरता है, तो उसमें जरा भी थकान के लक्षण नहीं होते । मस्तिष्क 8 से 12 घंटों तक कार्य करने के बाद भी उतनी ही तीव्रता दिखाता है, जितना कार्यारंभ के समय दिखाता है, अर्थात् मस्तिष्क जल्दी नहीं थकता। फिर वह कौनसा कारण है, जो हमें थकाता है?
थकान क्यों होती है ? इसके कारण (Fatigue Causes in Hindi)
thakan kyu hoti hai –
विविध कारण
1). मांसपेशियों में जमा हानिकारक पदार्थ – थकान के प्रमुख कारण मांसपेशियों में जमा होने वाले कुछ हानिकारक पदार्थ हैं। काम करते समय शरीर की मांसपेशियों में कुछ हानिकारक पदार्थ जमा होते रहते हैं, जो एक निश्चित मात्रा में जमा होने के बाद हमारी मांसपेशियों की कार्यक्षमता कम कर देते हैं। इससे थकान का अनुभव होता है, लेकिन थोड़ा आराम कर लेने से ये पदार्थ मांसपेशियों से बाहर निकल जाते हैं। इससे हमारी कार्यक्षमता का ह्रास नहीं होता है और हम ताजगी महसूस करते हैं।
2). भावनात्मक एवं दिमागी अवस्थाएं – मनोरोग चिकित्सकों के अनुसार, थकान का मुख्य कारण प्रायः हमारी भावनात्मक एवं दिमागी अवस्थाएं हैं। इंग्लैंड के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक का कहना है कि पूर्ण रूप से स्वस्थ कामगार यदि बैठकर काम करता है तो उसे मनोवैज्ञानिक एवं भावात्मक तत्वों के कारण थकान होती है।
आखिर वे कौनसे भावनात्मक तत्व हैं, जिनके कारण बैठकर काम करने वाले थकान महसूस करते हैं ? क्या वह प्रसन्नता एवं संतोष की भावना है? नहीं,ये भावना नहीं है। ये भावात्मक तत्व हैं –
- उकताहट,
- क्लेश,
- जल्दबाजी,
- क्षोभ,
- चिंता आदि।
यही भाव व्यक्ति को थकाकर सिरदर्द, सर्दी-जुकाम आदि का शिकार बना देते हैं, जिससे व्यक्ति की कार्यक्षमता कम हो जाती है। हम इसलिए बीमार पड़ते हैं क्योंकि हमारे मनोवेग शरीर में स्नायु-तनाव उत्पन्न कर देते हैं।
3). कठिन परिश्रम – कठिन काम करने से कभी-कभी ऐसी थकान उत्पन्न होती है, जो अच्छी नींद और आराम से भी दूर नहीं होती। इस प्रकार चिंता, तनाव तथा मनोवेगकारक असंतुलन ही थकान के तीन मुख्य कारण हैं। आप अनुभव करते होंगे कि काम करते समय मांसपेशियां कसी हुई रहती हैं। अगर उन्हें ढीला कर दें तो आप आराम महसूस कर सकते हैं। आप में फिर से काम करने की शक्ति आ जाती है। कोई पुस्तक पढ़ते समय यदि भृकुटी चढ़ी हो, आंखों पर भार का अनुभव हो रहा हो, शरीर ढीला व लचीला नहीं है, तो इस स्थिति में ये तनाव थकान उत्पन्न करते हैं।
4). उकताहट भी प्रमुख कारण – जब व्यक्ति को काम करने में आनंद नहीं आता और उसे काम करने में ऊब लगती है, तो थकान महसूस होने लगती है। वस्तुतः जो काम जबरदस्ती करना पड़ता है या जिस काम से ऊब या उकताहट महसूस हो, तो उस काम के करने से थकान अधिक जल्दी आती है। लेकिन जिस काम को करने में मन लगता है, आनंद प्राप्त होता है, उस काम से थकान कोसों दूर रहती है।
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉ. बारमेक ने थकान संबंधी एक शोध किया। उन्होंने कुछ विद्यार्थियों पर इसका परीक्षण किया और पाया उकताहट से थकान जल्दी आती है। इसके लिए उन्होंने विद्यार्थियों को ऐसे विषय दिए, जिनमें उनकी रुचि नहीं थी। परिणाम यह हुआ कि विद्यार्थी थकान एवं सुस्ती का अनुभव करने लगे। उन्हें सिरदर्द होने लगा, आंखें भारी हो गई तथा चिड़चिड़ापन आ गया। कुछ विद्यार्थियों का तो पेट खराब हो गया।
इसके बाद उन विद्यार्थियों का परीक्षण किया गया कि उनके भोजन से रक्त एवं मांसपेशियां बराबर बनती हैं या नहीं। परीक्षणों से पता चला कि जब कोई व्यक्ति उकताकर चला जाता है, तब उसके शरीर का रक्तचाप और ऑक्सीजन की खपत वस्तुतः कम हो जाती है। इसके विपरीत जब व्यक्ति अपने काम में आनंद लेने लगता है, तो भोजन में रस-रक्तादि बनने की संपूर्ण क्रिया सुचारु रूप से होने लगती है। अतः जब हम कोई रुचिकर एवं उत्साहवर्धक काम करते हैं, तो थकान महसूस नहीं होती है।
आराम के स्वास्थ्य लाभ (Benefits and the Importance of Rest for Health in Hindi)
aaram karne ke fayde –
सर्व श्रेष्ठ दवा है आराम – थकान से राहत पाने के लिए नियमित दिनचर्या का होना जरूरी है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, सात्विक रहन-सहन तथा नशे से परहेज रखना जैसे उपाय मनुष्य की शारीरिक शक्ति एवं सामर्थ्य में वृद्धि करते हैं। इसके अतिरिक्त हर मनुष्य को अपनी कार्यक्षमता के अनुसार ही काम करना चाहिए। लेकिन सबसे अच्छा और उत्तम उपाय है- थकान के मनोवेग में पूर्ण आराम करना। स्नायु अथवा मनोवेग संबंधी अवस्था कैसी भी खराब क्यों न हो, पूर्ण आराम से वह ठीक हो जाती है। अतः थकान से राहत पाने के लिए पहला नियम यह है कि आराम किया जाए। थकान के पूर्व ही थोड़ा आराम कर लिया जाए, तो अति उत्तम है। इससे थकान जल्दी महसूस नहीं होती। काम के बीच-बीच में 4-6 मिनट आराम कर लेने से थकान आपके पास फटकेगी भी नहीं और आप अधिक स्वस्थ व ताजगी के साथ काम सकेंगें।
आराम कैसे करें ? (How to Relax in Hindi)
aaram kaise kare –
अवकाश के समय आप आराम कर सकते हैं, चाहे आप कहीं भी हों और कोई भी काम कर रहे हों। अवकाश मिलने पर 10 मिनट आराम कर लेने पर शरीर में ताजगी आ जाएगी। लेकिन आराम सर्वथा सहज एवं तनावरहित ढंग से किया जाना चहिए। आराम का विचार कीजिए, अपने चेहरे तथा आंखों की मांसपेशियों को शिथिल करने का विचार करके शुरुआत करें।
आराम का अर्थ बेकार पड़े रहना नहीं है। आराम का अर्थ होता है शक्ति-अर्जन करना। थोड़े-से आराम से भी काफी शाक्ति प्राप्त हो जाती है। केवल पांच मिनट की झपकी ही आपकी सारी थकान दूर कर सकती है। कोई भी पौष्टिक दवा या विटामिन आपकी थकान उतनी जल्दी ठीक नहीं कर सकती है, जितनी जल्दी 5-10 मिनट की झपकी दूर करती भोजन के बाद दस मिनट तक लेटकर झपकी लेने से व्यक्ति दो घंटे तक अधिक काम कर सकता है, किंतु वह थकान का अनुभव नहीं करता। यदि आप ऐसा काम करते हैं। कि दोपहर में आराम करने का मौका नहीं मिलता, तो संध्या के भोजन के पूर्व एक घंटे तक ली गई नींद रात को छह-आठ घंटे की लगातार नींद से अधिक लाभकारी होती है।
स्नायुओं की थकान :
स्नायुओं में उत्पन्न थकान के लिए भी आराम जरूरी है। इसके लिए आंखों को अधिक आराम पहुंचाएं। यदि आप आंखों की मांसपेशियों को पूरा आराम दे सकते हैं, तो आपकी थकान छू-मंतर हो जाएगी। स्नायुओं की थकान को दूर करने में आंखों की अहम भूमिका इसलिए है कि ये शरीर द्वारा काम में लाई जाने वाली एक चौथाई स्नायुशक्ति को नष्ट कर देती हैं।
रुचि के अनुसार काम :
रुचि के अनुसार काम हो तो अति उत्तम है। इससे थकान की अनुभूति जल्दी नहीं होती। अगर रुचि के अनुसार काम नहीं है, तो उसे अपनी रुचि के अनुसार ढालने की कोशिश करें क्योंकि मनपसंद काम नहीं होने से थकान जल्दी महसूस होती है। जेरोन कर्न के अनुसार-
“भाग्यशाली व्यक्ति वे हैं, जिन्हें करने के लिए मनचाहा काम मिले क्योंकि उनमें शक्ति और प्रसन्नता की मात्रा अधिक होती है चिंता और थकान कम।” जहां आपकी रुचि है, वहीं आपकी शक्ति भी है। अपनी प्रेयसी के साथ दस मील चलने में जितनी थकान होती है, उससे भी अधिक झगड़ालू पत्नी के साथ दस कदम चलने में महसूस होगी। अतः अपने काम को रुचिकारक बनाने का प्रयास करें।
इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि काम और आराम दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। काम करने से शरीर में जो थकान आती है, आराम करने से उसकी पूर्ति हो जाती है। इसी प्रकार हमेशा आराम करने से शरीर में जो जड़ता आ जाती है, काम या श्रम उस जड़ता को शरीर से बाहर निकाल फेंकता है। इस नियम का पालन करने से हम सदा निरोगी रह सकते हैं।