Last Updated on November 20, 2019 by admin
आंव क्या है ? : Aanv in Hindi
अतिसार से मिलता जुलता एक रोग होता है जिसे प्रवाहिका’ कहते हैं। ‘प्रवातोऽल्पं बहुतशोमलाक्तं प्रवाहिकां तां प्रवदन्ति तज्ज्ञाः ‘ के अनुसार जिस रोग में मल और कफ, कभी कम और कभी ज्यादा मात्रा में बार-बार निकलता है प्रवाहित होता रहता है उस रोग को प्रवाहिका कहते हैं।
आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार प्रवाहिका (डिसेंट्री) दो तरह की होती है-
(1) बेसीलरी डिसेंट्री (Bacillary Dysentery) और (2) अमीबिक डिसेंट्री (Amoebic Dysentery)
प्रचलित भाषा में इस रोग को ‘आंव पड़ना’ या आंव के दस्त’ कहते हैं क्योंकि इस रोग में जब दस्त होता है तब दस्त में मल की मात्रा कम और आंव की मात्रा ज्यादा रहती है और बार-बार दस्त होता है।
बिना पचे हुए आहार को ‘आम’ यानी कच्चा रस कहा गया है जिसे आम बोलचाल में ‘आंव’ बोला जाता है।
आंव के लक्षण : Aav ke Lakshan in Hindi
✵ इस रोग के मुख्य लक्षणों में मल चिकना होना, मरोड़ के साथ होना उल्लेखनीय लक्षण हैं।
✵ आंव रोग से पीड़ित मनुष्य को भूख भी नहीं लगती है। रोगी को हर वक्त आलस्य, काम में मन न लगना, मन बुझा-बुझा रहना तथा अपने आप में साहस की कमी महसूस होती है। आइये जाने aav aane ke karan क्या है
आंव आने के कारण : Aav ke Karan in Hindi
✦आयुर्वेद के अनुसार इस रोग की उत्पत्ति का मुख्य कारण जठराग्नि के मन्द होने पर अपच होना और वातादि दोषों का कुपित होना होता है और ये दोनों कारण वर्षा ऋतु में नैसर्गिक रूप से बलवान रहते हैं।
✦ज्यादा भारी, गरिष्ठ, तेज़ मिर्च मसालेदार तथा गर्म प्रकृति के पदार्थों का अति सेवन करना।
✦पहले का भोजन पचे बिना ही फिर से भोजन करना या अन्य कोई पदार्थ खा लेना।
✦ठीक से चबाए बिना निगलना।
✦अभक्ष्य पदार्थों व दूषित जल का सेवन करना आदि कारणों से यह रोग होता है।
उपरोक्त कारणों का त्याग करते हुए नीचे दिये गए नुस्खों में से किसी एक प्रयोग को करने से लाभ होता है।आइये जाने aav ka ilaj in hindi
आंव का घरेलू उपचार : Aav ka Gharelu Upchar
1- सोते समय एक गिलास गरम दूध में 1 या 2 चम्मच शुद्ध घी डाल कर पीने से आंव निकल जाती है।
2- कच्चे बेलफल का गूदा, गुड़, तिल का तैल, पीपल और सोंठ का चूर्ण- सब समभाग मिलाकर कांच के बर्तन में रख लें। इस चटनी को 10 से 20 ग्राम मात्रा में सुबह-शाम खाने और ऊपर से कुनकुना गरम पानी पीने से आंव निकल जाती है। परीक्षित है।( और पढ़े –बेल फल के चौका देने वाले 88 फायदे )
3- बाल हरड़, लेंडी पीपल और सोंठ- सब को अलग-अलग कूट पीस कर, समान भाग में मिलाकर शीशी में भर लें। इस चूर्ण को आधा-आधा चम्मच सुबह और रात को कुनकुने गरम पानी के साथ फांकने से आम का सही पाचन होने लगता है और यह रोग दूर हो जाता है।
4- जीरा सफ़ेद, सोंठ, काली मिर्च, सेन्धा नमक , सौंफ, अजवायन और बड़ी इलायची सबको अलग-अलग कूट पीस कर चूर्ण कर लें और सब को समान भाग में मिला लें और शीशी में भर लें। इसे भोजन के बाद आधा या एक चम्मच मात्रा में, छाछ में घोल कर पीने से बहुत लाभ होता है। वायु विकार नष्ट होते हैं, भूख बढ़ती है और पाचन क्रिया सुधरने से यह रोग जड़ से चला जाता है।
आंव का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार : Aav ka Prakritik Chikitsa se Upchat
1-रोगी को कुछ दिनों तक रसाहार पोषक तत्वों (नींबू का पानी, संतरा का रस, अनानास का रस, ,सफेद पेठे का पानी, खीरे का रस, लौकी का रस, मठ्ठा तथा नारियल पानी) का अपने भोजन में उपयोग करना चाहिए।
2-रोगी को कुछ दिनों तक भोजन में फलों का सेवन करना चाहिए। इसके बाद कुछ दिनों तक सलाद ,फल, और अंकुरित अनाजों का सेवन करना चाहिए। इसके कुछ दिनों के पश्चात रोगी को सामान्य भोजन का सेवन करना चाहिए।
3-रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को एनिमा लेना चाहिए ताकि उसका पेट साफ हो सके।
4-रोगी के पेट पर सप्ताह में 1 बार मिट्टी की गीली पट्टी रखनी चाहिए तथा सप्ताह में 1 बार उपवास भी रखना चाहिए।
5-रोगी को प्रतिदिन सुबह तथा शाम छाछ पीना चाहिए।
6- रोगी को पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए ताकि शरीर में पानी का कमी न हों ।
7-रोगी को नारियल का पानी और चावल का पानी पिलाना काफी फायदेमंद होता है।
आंव की आयुर्वेदिक दवा : Aav ki Ayurvedic Dawa
अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित आंव में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां ।
1) बेल चूर्ण (Achyutaya Hariom bel churna)
2) पुदीना अर्क (Achyutaya Hariom Pudina Ark)
प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है ।
सर्वप्रथम अनुभवी वैद्य की सहायता से शरीर से निकलने वाले रक्त का कारण ज्ञात कर उसका उपचार कराएं ।
बाहर के खान-पान से परहेज करें ।
तली-भुनी वस्तुओं का तथा मैदा व बेसन से बनी चीजों का सेवन न करें ।
भूख बढ़ाने वाले घरेलू नुस्खों की सहायता लें ।
नियमित योगासन करें ।
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