Last Updated on July 18, 2020 by admin
अलसी क्या है ? : Flaxseed in Hindi
पिछले कुछ समय से अलसी के बारे में पत्रिकाओं, अखबारों, इण्टरनेट, टीवी आदि पर बहुत कुछ प्रकाशित होता रहा है। बड़े शहरों में अलसी के व्यंजन जैसे बिस्कुट, ब्रेड आदि बेचे जा रहे हैं। दिल्ली से कोरोनरी बाईपास सर्जरी करवा कर लौटे एक रोगी ने मुझे बताया कि उसे डॉक्टर ने नियमित अलसी खाने की सलाह दी है ताकि वह उच्च रक्तचाप व हृदय रोग से मुक्त रहे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) अलसी को सुपर स्टार फूड का दर्जा देता है।
आयुर्वेद में अलसी को दैविक भोजन माना गया है। यह सब पढ़ कर मेरी जिज्ञासा बढ़ती रही और मैंने अलसी से सम्बन्धित जितने भी लेख उपलब्ध हो सके सो पढे व अलसी पर हुई शोध के बारे में भी विस्तार से पढ़ा। मैं अत्यन्त प्रभावित हुआ कि ये अलसी जिसका हम नाम तक भूल से गये थे, हमारे स्वास्थ्य के लिए इतनी ज्यादा लाभप्रद है, जीने की राह है, लाइफ लाइन है। फिर क्या था, मैंने स्वयं अलसी का सेवन शुरू किया और अपने रोगियों को भी अलसी खाने के लिए प्रेरित करता रहा। कुछ महीने बाद मेरी जिन्दगी में आश्चर्यजनक बदलाव आना शुरू हुआ। मैं अपार शक्ति व उत्साह का संचार अनुभव करने लगा, शरीर चुस्ती फुर्ती तथा गज़ब के आत्मविश्वास से भर गया।
अलसी के औषधीय गुण : Alsi ke Gun in Hindi
alsi khane ke gun
आइये, हम देखें कि इस चमत्कारी, आयुवर्द्धक, आरोग्यवर्द्धक व दैविक भोजन अलसी में ऐसी क्या खास बात है-
- अलसी का बोटेनिकल नाम लिनम यूज़ीटेटीसिमम् यानी अति उपयोगी बीज है। अलसी के पौधे में नीले फूल आते हैं। अलसी का बीज तिल जैसा छोटा, भूरे या सुनहरे रंग का व चिकना होता है। प्राचीनकाल से अलसी का प्रयोग भोजन, कपड़ा व रंगरोगन बनाने के लिए होता आया है।
- हमारी दादी मां जब हमें फोड़ा-फुसी हो जाती थी तो अलसी का पुल्टिस बना कर बांध देती थी।
- अलसी में मुख्य पौष्टिक तत्व ओमेगा-3, फेटी एसिड एल्फा-लिनोलेनिक एसिड, लिगनेन, प्रोटीन व फाइबर होते हैं।
- अलसी गर्भावस्था से वृद्धावस्था तक फायदेमन्द है।
- अलसी में लगभग 18 % ओमेगा-3 फेटी एसिड ALA होते हैं। अलसी ओमेगा-3 फैटी एसिड का पृथ्वी पर सबसे बड़ा स्रोत है। हमारे स्वास्थ्य पर अलसी के चमत्कारी प्रभावों को भली भांति समझने के लिए हमें ओमेगा-3 व ओमेगा 6 फेटी एसिड को विस्तार से समझना होगा।
ओमेगा-3 व ओमेगा-6 दोनों ही हमारे शरीर के लिए आवश्यक हैं यानी ये शरीर में नहीं बन सकते हमें इन्हें अपने भोजन द्वारा ही ग्रहण करना होता है। ओमेगा-3 अलसी के अलावा मछली, अखरोट, चिया आदि में भी मिलते हैं। मछली में DHA और EPA नामक ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं, ये अलसी में मौजूद ALA से शरीर में बन जाते हैं। ओमेगा-6 हमारे शरीर के विभिन्न अंगों विशेष तौर पर मस्तिष्क, स्नायुतन्त्र व आंखों के विकास व उनके सुचारु रूप से संचालन में महत्व पूर्ण योगदान करते हैं। हमारी कोशिकाओं की भित्तियां ओमेगा-3 युक्त फोस्फोलिपिड से बनती हैं। जब हमारे शरीर में ओमेगा-3 की कमी हो जाती है तो ये भित्तियां मुलायम व लचीले ओमेगा3 के स्थान पर कठोर व कुरूप ओमेगा-6 फैट या ट्रांस फैट से बनती है और यहीं से हमारे शरीर में उच्च रक्तचाप, मधुमेह प्रकार-2, आइटिस, मोटापा, कैंसर आदि बीमारियों की शुरुआत हो जाती है। शरीर में ओमेगा-3 की कमी व इन्फ्लेमेशन पैदा करने वाले ओमेगा-6 के ज्यादा हो जाने से प्रोस्टाग्लेन्डिन-ई 2 बनते हैं जो लिम्फोसाइट्स व माक्रोफाज को अपने पास एकत्रित करते हैं व फिर ये साइटोकाइन व कोक्स एंजाइम का निर्माण करते हैं और शरीर में इनफ्लेमेशन फैलाते हैं।
मैं आपको सरल तरीके से समझाता हूं। जिस प्रकार एक सफल फिल्म बनाने के लिए नायक और खलनायक दोनो ही आवश्यक होते हैं। वैसे ही हमारे शरीर के ठीक प्रकार से संचालन के लिए ओमेगा-3 व ओमेगा 6 दोनो ही बराबर यानी 1:1 अनुपान में चाहिए। ओमेगा-3 नायक हैं तो ओमेगा-6 खलनायक हैं। ओमेगा-6 की मात्रा बढ़ने से हमारे शरीर में इन्फ्लेमेशन फैलता है तो ओमेगा-3 इन्फ्ले मेशन दूर करते हैं, मरहम लगाते हैं। ओमेगा-6 हीटर है। तो ओमेगा-3 सावन की ठण्डी हवा है। ओमेगा 6 हमें तनाव, सरदर्द, डिप्रेशन का शिकार बनाते – हैं तो ओमेगा-3 हमारे मन को प्रसन्न रखते हैं,क्रोध भगाते हैं, स्मरण शक्ति व बुद्धिमत्ता बढ़ाते हैं।
ओमेगा-6 आयु कम करते हैं तो ओमेगा-3 आयु बढ़ाते हैं।
ओमेगा-6 शरीर में रोग पैदा करते हैं तो ओमेगा-3 हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
पिछले कुछ दशकों से हमारे भोजन में ओमेगा-6 की मात्रा बढ़ती जा रही है और ओमेगा-3 की कमी होती जा रही है। मल्टीनेशनल कम्पनियों | द्वारा बेचे जा रहे फास्ट फूड व जंक फूड ओमेगा 6 से भरपूर होते हैं। बाज़ार में उपलब्ध सभी रिफाइण्ड तैल भी ओमेगा-6 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं। हाल ही हुई शोध से पता चला है कि हमारे भोजन में ओमेगा-3 बहुत ही कम और ओमेगा 6 प्रचुर मात्रा में होने के कारण हम उच्च रक्तचाप, हृदयाघात, स्ट्रोक , डायबिटीज़, मोटापा, गठिया, अवसाद, दमा, कैंसर आदि रोगों का शिकार हो रहे हैं। ओमेगा-3 की यह कमी 30-60 ग्राम अलसी खा कर आसानी से पूरी की जा सकती है। ये ओमेगा-3 ही अलसी को सुपर स्टार फूड का दर्जा दिलाते हैं।
अलसी के फायदे और उपयोग : Flaxseed Health Benefits in Hindi
alsi khane ke labh
- अलसी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। गठिया, गाउट, मोच आदि में अत्यन्त लाभकारी है।
- ओमेगा-3 से भरपूर अलसी यकृत, गुर्दे, एडरीनल, थायराइड आदि ग्रन्थियों को ठीक से काम करने में सहायक होती है।
- अलसी ल्यूपस नेफ्राइटिस और अस्थमा में राहत देती है।
- मस्तिष्क और स्नायु तन्त्र के लिए दैविक भोजन- अलसी हमारे मन को शान्त रखती है, इसके सेवन से चित्त प्रसन्न रहता है, विचार अच्छे आते हैं, तनाव दूर होता है, बुद्धिमत्ता व स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा क्रोध नहीं आता। ( और पढ़े –दिमाग तेज करने के घरेलू उपाय )
- अलसी के सेवन से मन और शरीर में एक दैविक शक्ति और ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- अलसी एल्ज़ीमर्स मल्टीपल स्कीरोसिस, अवसाद (Depression), माइग्रेन, सीज़ोफ्रेनिया व पार्किनसन्स बीमारी में बहुत लाभदायक है।
- गर्भावस्था में शिशु की आंखों व मस्तिष्क के समुचित विकास के लिए ओमेगा 3 अत्यन्त आवश्यक होते हैं। ओमेगा-3 से हमारी नज़र अच्छी हो जाती है, रंग ज्यादा स्पष्ट व उजले दिखाई देने लगते हैं।
- आंखों में अलसी का तैल डालने से आंखों का सूनापन दूर होता है और काला पानी व मोतियाबिंद होने की सम्भावना भी बहुत कम होती है। ( और पढ़े – आँखों की रौशनी बढ़ाने वाले सबसे कामयाब घरेलू नुस्खे )
- अलसी बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्रन्थि, नामर्दी, शीघ्रपतन, नपुंसकता आदि के उपचार में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
- अलसी ब्लड शुगर को नियन्त्रित रखती है, डायबिटीज़ के शरीर पर होने वाले दुष्प्रभावों को कम करती है । चिकित्सक डायबिटीज़ के रोगी को कम शर्करा और ज्यादा फाइबर लेने की सलाह देते हैं। अलसी व गेहूं के मिश्रित आटे में 50 % कार्ब, 16% प्रोटीन व 20% फाइबर होते हैं यानी इसका ग्लायसीमिक इन्डेक्स गेहूं के आटे से काफी कम होता है। डायबिटीज़ के रोगी के लिए इस मिश्रित आटे से अच्छा भोजन क्या होगा ?
- मोटापे के रोगी को भी बहुत फायदा होता है। अलसी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इस कारण अलसी सेवन से लम्बे समय तक पेट भरा हुआ रहता है, देर तक भूख नहीं लगती है। यह बी.एम. आर. को बढ़ाती है, शरीर की चर्बी कम करती है और हम ज्यादा कैलोरी खर्च करते हैं।
- बॉडी बिल्डिंग के लिए भी नम्बर वनअलसी बॉडी बिल्डर के लिए आवश्यक व सम्पूर्ण आहार है। अलसी में 20% आवश्यक अमाइनो एसिड युक्त अच्छे प्रोटीन होते हैं। प्रोटीन से ही मांस-पेशियां बढ़ती हैं।
- अलसी भरपूर शक्ति देती है। कसरत के बाद मांस पेशियों की थकावट चुटकियों में ठीक हो जाती है। बॉडी बिल्डिंग पत्रिका मसल मीडिया 2000 में प्रकाशित आलेख ‘बेस्ट ऑफ द बेस्ट’ में अलसी को बॉडी के लिए सुपर फूड माना गया है। मि. डकेन ने अपने आलेख ‘ऑस्क द गुरु’ में अलसी को नम्बर वन बॉडी बिल्डिंग फूड का खिताब दिया।
- अलसी हमारे शरीर को भरपूर ताक़त प्रदान कर हम में नई ऊर्जा का प्रवाह करती है तथा स्टेमिना बढ़ाती है।
- अलसी हमारे रक्तचाप को सन्तुलित रखती है। अलसी हमारे रक्त में अच्छे कोलेस्ट्रोल (HDI- Cholesterol) की मात्रा को बढ़ाती है। और ट्राइग्लीसराइड्सवखराब कोलेस्ट्रोल (LDICholesterol) की मात्रा को कम करती है।
- अलसी जल्दी ही लिगनेन एड्स का सस्ता, सरल और कारगर उपचार साबित होने वाला है।
- अलसी में 27 प्रतिशत घुलनशील (म्यूसिलेज) और अघुलनशील दोनों ही तरह के फाइबर होते हैं अतः अलसी क़ब्ज़, मस्से, बवासीर, भगन्दर, डाइवर्टिकुलाइटिस, अल्सरेटिव कोलाइटिस और आई.बी.एस. के रोगियों को बहुत राहत देती है।
- क़ब्ज़ में अलसी के सेवन से पहले ही दिन से राहत मिल जाती है। हाल ही में हुए शोध से पता चला है। कि क़ब्ज़ के लिए यह अलसी इसबगोल की भूसी से भी ज्यादा लाभदायक है। ( और पढ़े – कब्ज का 41 रामबाण आयुर्वेदिक इलाज)
- अलसी पित्त की थैली में पथरी नहीं बनने देती और यदि पथरियां बन भी चुकी हैं तो छोटी पथरियां तो घुलने लगती हैं।
- प्राकृतिक सौन्दर्य प्रसाधन-अलसी त्वचा की बीमारियां जैसे मुंहासे, एग्ज़ीमा, दाद, खाज, खुजली, छाल रोग, बालों का सूखा व पतला होना, बाल झड़ना आदिमें काफी असरदायक है।
- अलसी में पाये जाने वाले ओमेगा-3 बालों को स्वस्थ, चमकदार व मजबूत बनाते हैं। अलसी खाने वालों को कभी भी रूसी नहीं होती।
- अलसी त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम व गोरा बनाती हैं। नाखूनों को स्वस्थ व सुन्दर बनाती हैं।
- अलसी खाने व इसके तैल की मालिश से त्वचा के दाग, धब्बे, झाइयां, झुर्रियां दूर होती हैं। अलसी आपको युवा बनाए रखती है। आप अपनी उम्र से काफी वर्ष तक छोटे दिखते हैं। अलसी उम्र बढ़ाती है।
अलसी खाने का तरीका : Flaxseed How to Eat
alsi kaise khaye in hindi
- हमें प्रतिदिन 30-60 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिए। रोज 30-36 ग्राम अलसी को मिक्सी में चटनी जार में पीस कर आटे में मिला कर रोटी, पराठा आदि बना कर खाएं।
- इसकी ब्रेड, केक, कुकीज़, आइसक्रीम, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं।
- अंकुरित अलसी का स्वाद तो कमाल का होता है। इसे आप सब्ज़ी, दाल, सलाद आदि में भी डाल कर ले सकते हैं।
- इसे पीस कर नहीं रखना चाहिए। इसे रोज़ाना पीसें। ये पीस कर रखने से खराब हो जाती है।
- अलसी के नियमित सेवन से व्यक्ति के जीवन में चमत्कारी कायाकल्प हो जाता है। यह हर उम्र में उपयोगी है।
अलसी के नुकसान : Flaxseed Side Effects in Hindi
अलसी के अधिक मात्रा मे इस्तेमाल से सीने में जलन ,दस्त, और बदहज़मी जैसी पेट की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
(दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)