Last Updated on November 23, 2021 by admin
अंकुरित अनाज क्या है ? इसके सेवन का महत्व :
व्यक्ति के स्वस्थ रहने या रोगमुक्त होने में भोजन की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। हम भोजन के अधिकांश भाग को आग में पकाकर प्रयोग करते हैं। आदिकाल में मनुष्य ने पत्थरों को रगड़कर अग्नि को उत्पन्न किया, तभी से अग्नि मनुष्य की सभ्यता की कसौटी बन मानव सभ्यता के विकास की साक्षी बनी। वास्तव में अग्नि तत्व प्रकृति एवं प्राकृतिक चिकित्सा का एक महत्वूपर्ण तत्व है। अग्नि का स्वभाव है। जलाना, तपाना परन्तु क्या अग्नि में तपकर प्रत्येक वस्तु कुंदन ही बनती है?…… यह एक विचारणीय प्रश्न है।
एक फल या अन्न को पेड़ पर प्राकृतिक रूप से पकने का अर्थ है- उसके अन्दर के बीज का पूर्णता को प्राप्त हो जाना एवं बोने के बाद अपनी वंश परंपरा को आगे बढ़ाने की योग्यता आ जाना, परन्तु उसे अग्नि पर पकाने के पश्चात् क्या उस बीज में यह योग्यता शेष रह पाती है?
आज हमारे भोजन में अपक्वाहार (आग से न पकाया गया भोजन) की मात्रा पचास से सौ ग्राम सलाद या फिर दिन भर में दो सौ पचास ग्राम से पाँच सौ ग्राम फल के रूप में सिमट कर रह गयी है, इसमें भी देश की आबादी के बहुत बड़े प्रतिशत को फलों का सेवन एक स्वप्न मात्र ही है। हम भोजन को सुस्वादु या फिर कहें स्वाद परिवर्तन के चक्कर में पकाकर उनमें तेल, घी, मिर्च-मसाले आदि डालकर प्रयोग करते हैं इन परिशोधित, निष्प्राण व्यंजनों के कारण ही हमारा शरीर दिन-प्रतिदिन रोगी एवं शक्तिहीन होता जा रहा है।
यह एक आश्चर्य का विषय है कि आज जिस स्तर पर नयी-नयी दवाओं की खोज हो रही है, जिस अनुपात में चिकित्सकों की संख्या में वृद्धि हो रही है उससे कहीं बड़े अनुपात में रोग और रोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है इसको देखते हुए आज के परिप्रेक्ष्य में यह बहुत आवश्यक हो गया है कि हम प्रकृति का मार्गदर्शन प्राप्त करें एवं प्रकृति के नियमों को अपनी जीवन शैली में सम्मिलित करें। इसकी शुरुआत हम अपनी रसोई से कर सकते हैं। इस सन्दर्भ में प्रकृति के एक नियम प्रकृति प्रदत्त प्रत्येक वस्तु का उपयोग उसका स्वरूप नष्ट किये बिना उपयोग किया जाये” का अनुपालन अत्यंत आवश्यक है। भोजन के सन्दर्भ में यह आवश्यक है। कि कच्चा भोजन जो स्वास्थ्य की दृष्टि से हितकर हो, को रुचिकर बनाने की कला का विकास किया जाये।
अपक्वाहार या प्राकृतिक आहार के समर्थन का यह आशय कदापि नहीं कि हम जानवरों की भांति घास-पात, फल-फूल पर निर्भर हों बल्कि इसका अर्थ यह है कि हम अधिकांश खाद्यों को स्वास्थ्य की दृष्टि से हितकर विधि से सेवन करें। इस सन्दर्भ में अंकुरित आहार की बहुत बड़ी उपयोगिता सिद्ध हो सकती है।
अंकुरित आहार को अमृताहार कहा गया है। अंकुरित आहार भोजन की सप्राण खाद्यों की श्रेणी में
आता है। यह पोषक तत्वों का श्रोत माना गया है। अंकुरित आहार न सिर्फ हमें उन्नत रोग प्रतिरोधी व ऊर्जावान बनाता है बल्कि शरीर का आंतरिक शुद्धिकरण कर रोग मुक्त भी करता है।
अंकुरित आहार अनाज या दालों के वे बीज होते हैं जिनमें अंकुर निकल आता है। इन बीजों की अंकुरण की प्रक्रिया से इनमें रोग मुक्ति एवं नव जीवन प्रदान करने के गुण प्राकृतिक रूप से आ जाते हैं।
अंकुरित आहार के रूप में प्रयोग किये जाने वाले बीज मूंग, मेथी, चना, गेहूँ, लोबिया, सूर्यमुखी, मूंगफली आदि के बीजों को आवश्यकतानुसार अंकुरित कर उपयोग कर सकते हैं।
अंकुरित करने की विधि : Ankurit Anaj Karne ki Vidhi
अंकुरित अनाज कैसे बनाये ?
- सर्वप्रथम अंकुरित करने वाले बीजों को कई बार अच्छी तरह पानी से धोकर एक शीशे के जार में भर लें।
- शीशे के जार में बीजों की सतह से लगभग चार गुना पानी भरकर भीगने दें।
- अगले दिन प्रात:काल बीजों को जार से निकाल कर एक बार पुनः धोकर साफ सूती कपड़े में बांधकर उपयुक्त स्थान पर रखें।
- गर्मियों में कपड़े के ऊपर दिन में कई बार ताजा पानी छिड़कें ताकि इसमें नमी बनी रहे।
- गर्मियों में सामान्यत: 24 घंटे में बीज अंकुरित हो उठते हैं। सर्दियों में अंकुरित होने में कुछ अधिक समय लग सकता है।
- अंकुरित बीजों को खाने से पूर्व एक बार अच्छी तरह से धो लें, तत्पश्चात इसमें स्वादानुसार हरा धनियाँ, हरी मिर्च, टमाटर, खीरा, ककड़ी काटकर मिला सकते हैं।
- यथासंभव इसमें नमक न मिलाना ही हितकर है।
( और पढ़े – अंकुरित चने खाने के 12 लाजवाब फायदे)
ध्यान रखें :
- अंकुरित करने से पूर्व बीजों से मिट्टी, कंकड़ पुराने रोगग्रस्त बीज निकलकर साफ कर लें।
- प्रातः नाश्ते के रूप में अंकुरित अन्न का प्रयोग नियमित रूप से करें। प्रारंभ में कम मात्रा में लेकर धीरे-धीरे इनकी मात्रा बढ़ाएं।
- अंकुरित अन्न अच्छी तरह चबाकर खाएं।
- वृद्धजन जो चबाने में असमर्थ हैं वे अंकुरित बीजों को पीसकर इसका पेस्ट बना कर खा सकते हैं। ध्यान रहे, पेस्ट को भी मुख में कुछ देर रखकर चबाएं ताकि इसमें लार अच्छी तरह से मिल जाए।
अंकुरित अनाज के फायदे : Ankurit Anaj Khane ke Fayde
- अंकुरित आहार शरीर को नवजीवन देने वाला अमृतमयी आहार है।
- अंकुरित अन्न विटामिन तथा खनिज पदार्थों को प्राप्त करने का एक उत्कृष्ट स्रोत है।
- अंकुरित आहार सप्राण होने के कारण शरीर आसानी से आत्मसात कर लेता है जिससे शरीर ऊर्जावान बनता है।
- बीजों के अंकुरित होने के पश्चात् इसमें पाया जाने वाला स्टार्च-ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि होती है।
अंकुरित अनाज के नुकसान : Ankurit Anaj ke Nuksan
अंकुरित अनाज सेवन के कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं हैं फिर भी प्रारंभ में कम मात्रा में लेकर धीरे-धीरे इनकी मात्रा बढ़ाएं।
Hari om ji kya aap bhi hamare pyare asaram bapu ji ke.shishye he