Last Updated on June 26, 2020 by admin
हमारे ऋषियों, आयुर्वेदाचार्य ने जो जल्दी सोने-जागने एवं आहार-विहार की बातें बतायी है, उन पर अध्ययन व खोज करके आधुनिक वैज्ञानिक और चिकित्सक अपनी भाषा में उसका पुरजोर समर्थन कर रहे है ।
स्वस्थ जीवनशैली के टिप्स : Ayurveda tips for a healthy life
बीमार होने से बचने के उपाय –
१). ऋषियों व आयुर्वेदाचार्यों ने बिना भूख लगे भोजन करना वर्जित बताया है । अत: प्रात: एवं शाम के भोज की मात्रा ऐसी रखें, जिससे भोजन के समय में भूख खुलकर लगे ।
२). सुबह व शाम के भोजन के बीच बार-बार कुछ खाते रहने से मोटापा, मधुमेह, ह्रदयरोग जैसी बिमारियों और मानसिक तनाव व अवसाद (mental stress & depression) आदि का खतरा बढ़ता है ।
३). जमीन पर कुछ बिछाकर सुखासन में बैठकर ही भोजन करें । इस आसन में मूलाधार चक्र सक्रिय होने से जठराग्नि प्रदीप्त रहती है । कुर्सी पर बैठकर भोजन करने से पाचनशक्ति कमजोर तथा खड़े होकर भोजन करने से तो बिल्कुल नहीवत हो जाती है | इसलिए ‘बुफे डिनर’ से बचना चाहिए |
४). भोजन से पूर्व प्रार्थना करें, मंत्र बोले या गीता के पंद्रहवे अध्याय का पाठ करें । इससे भोजन भगवतप्रसाद बन जाता है । मंत्र –
हरिर्दाता हरिर्भोक्ता हरिरन्नं प्रजापति: |
हरि: सर्वशरीरस्थो भुंक्ते भोजयते हरि: ||
५). भोजन के तुरंत बाद पानी न पिये, अन्यथा जठराग्नि मंद पद जाती है और पाचन ठीक से नहीं हो पाता । अत: डेढ़-दो घंटे बाद ही पानी पिये । फ्रिज का ठंडा पानी कभी न पिये ।
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६). पानी हमेशा बैठकर तथा घूँट-घूँट करके मुँह में घुमा-घुमा के पिये । इससे अधिक मात्रा में लार पेट में जाती है, जो पेट के अम्ल के साथ संतुलन बनाकर दर्द, चक्कर आना, सुबह का सिरदर्द आदि तकलीफें दूर करती है ।
७). भोजन के बाद १० मिनट वज्रासन में बैठे । इससे भोजन जल्दी पचता है ।
८). पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का लाभ लेने हेतु सिर पूर्व या दक्षिण दिशा में करके ही सोये; अन्यथा अनिद्रा जैसी तकलीफें होती है ।
९). शरीर की कार्यप्रणाली को ठीक ढंग से चलाने हेतु रात्री को बत्ती बंद करके सोये । इस संदर्भ में हुये शोध चौकानेवाले है । नॉर्थ कैरोलिना युनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. अजीज के अनुसार देर रात तक कार्य या अध्ययन करने से और बत्ती चालू रख के सोने से भयंकर स्वास्थ्य-सबंधी हानियाँ होती है । अँधेरे में सोने से हमारा शरीर तंत्र ठीक तरह से काम करता है |
आजकल पाये जानेवाले अधिकांश रोगों का कारण अस्त-व्यस्त दिनचर्या व विपरीत आहार ही है । इस प्रकार थोड़ी-सी सजगता हमें स्वस्थ जीवन की प्राप्ति करा देगी ।