Last Updated on December 21, 2022 by admin
बाबूना (कैमोमाइल) क्या है ? (Chamomile in Hindi)
यह एक बूटी है, जिसका आकार बाबूना के समान होता है।
सेवन की मात्रा :
बाबूना की मात्रा एक ग्राम के लगभग होनी चाहिए।
बाबूना (कैमोमाइल) के गुण :
- बाबूना पेट की गांठों को खत्म करता है।
- यह कफ और वात को दस्त के रूप में बाहर निकालता है।
- रंग : इसकी पत्तियां हरे रंग की होती है तथा फूल सफ़ेद रंग के होते हैं।
- स्वाद : इसका स्वाद हल्का फीका और सुगन्धित होता है।
- स्वभाव : यह गर्म और खुश्क होता है।
बाबूना (कैमोमाइल) के फायदे और उपयोग :
1. बुखार : बाबूना के फूल के 3 से 4 ग्राम फांट (काढ़ा) के रूप में लेने से बुखार में फायदा मिलता है।
2. अफारा (गैस का बनना) : पेट का फूलना (आनाह) के रोग में बाबूना के फूलों की 3 ग्राम से 4 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से कष्ट में लाभ होता है।
3. गर्भाशय की सूजन : 10-10 ग्राम बाबूना, गुलकंद और अफतिमून को 300 ग्राम पानी में उबालें जब यह एक चौथाई रह जाए तो इसे छानकर पी लेते हैं। बाबूना को पानी में पीसकर अरंड के तेल में मिलाकर पेडु (नाभि का निचला हिस्सा) और योनि पर लेप करें इससे गर्भाशय की सूजन ठीक हो जाती है।
4. कष्टार्तव (मासिक-धर्म का कष्ट के साथ आना) : मासिक-धर्म के रोगों में बाबूना के फूलों का चूर्ण लगभग 40 से 80 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। इसे 3 से 4 ग्राम की मात्रा में उपयोग करना चाहिए। इससे अधिक मात्रा उपयोग करने पर उल्टी शुरू हो सकती है।
5. कमजोरी : 3-4 ग्राम बाबूना के फूलों (पुष्पों) का सेवन ज्यादा कमजोरी न होने, पर करने से कमजोरी दूर हो जाती है और शरीर में उत्तेजना पैदा हो जाती है।
6. प्रसव का जल्दी होना : बाबूना, सोया तथा दोनों प्रकार का मरुआ- इन्हें पर्याप्त पानी में उबाल लें तथा उस पानी में गर्भवती को इस तरह से बैठाये कि पानी उसकी नाभि तक रहे। इससे प्रसव में मोटापे की रुकावट दूर हो जाती है।
7. गठिया रोग: गठिया के दर्द को ठीक करने के लिए बाबूना के तेल से मालिश करनी चाहिए।
8. हिस्टीरिया : लगभग 30 ग्राम से 40 ग्राम बाबूना के फूलों को हिस्टीरिया के रोगी को देने से यह रोग ठीक हो जाता है।
बाबूना (कैमोमाइल) के दुष्प्रभाव :
इसका अधिक मात्रा में उपयोग करने से शरीर में दर्द उत्पन्न होता है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)