बच्चों का पक्षाघात (लकवा) की होम्योपैथिक दवा और इलाज – Baccho ke Lakwa Rog ki Homeopathic Dawa aur Upchar

Last Updated on April 4, 2023 by admin

बच्चों का पक्षाघात (लकवा) रोग का होम्योपैथिक इलाज (Baccho ke Lakwa Rog ka Homeopathic Ilaj)

बच्चों का पक्षाघात (लकवा) रोग में विभिन्न औषधियों का प्रयोग :-

       पक्षाघात रोग के साधारण लक्षणों में पहले बच्चे को बुखार होता है और फिर शरीर में अकड़न आने लगती है। इसके 15-20 दिनों बाद शरीर के जिस अंग में लकवा मार गया हो वह अंग सूखने लगता है और वह अंग पतला हो जाता है। लकवा मार जाने के बाद उस स्थान की हड्डियां पतली हो  जाती है और उस अंग का विकास रुक जाता है। इस तरह के लक्षणों के साथ उत्पन्न होने वाले पक्षाघात (लकवा) रोग में बच्चे को ये औषधियां दें- सिकेलि की 3 शक्ति, एकोनाइट की 3 शक्ति, बेलेडोना की 3 शक्ति, प्लम्बम की 6 शक्ति, थूजा की 30 शक्ति, जेलसिमियम की 30 शक्ति या सल्फर की 30 शक्ति। इन औषधियों के प्रयोग से अंगों पर पक्षाघात का असर समाप्त होता है और उस अंग में खून का संचार धीरे-धीरे होने लगता है।

बच्चों की रीढ़ की हड्डी का पक्षाघात (लकवा) रोग (इनफन्टीले स्पेनल परालीसिस) :- 

1. ऐकोन :-  यदि किसी रोगग्रस्त बच्चे के अंगों की पेशियां पतली होने लगे तो समझना चाहिए कि उस रीढ़ की हड्डी में लकवा मार गया है। इस तरह उत्पन्न होने वाले पक्षाघात रोग किसी खास जगह पर ही उत्पन्न होता है। यह रोग अधिकतर अस्तबल की मक्खयों के द्वारा ही फैलता है। इस रोग का मुख्य कारण सर्दी के कारण या एकाएक पसीना बंद हो जाने के कारण उत्पन्न होता है। गर्मी के दिनों में हमेशा 1 वर्ष से 4 वर्ष तक के बच्चे को बुखार होने के साथ पक्षाघात रोग होने की संभावना रहती है। पक्षाघात (लकवा) मार जाने के बाद देखते-देखते जिस अंग में लकवा मारा होता है वह अंग तेजी से पतला हो जाता है। इस रोग में बच्चे को बुखार उत्पन्न होता है, बेचैनी रहती है और स्नायु में दर्द होता है। इस रोग की शुरुआती अवस्था का पता चलते ही बच्चे को ऐकोन औषधि की 3x का सेवन कुछ दिनों तक कराएं। यह औषधि रोगों में उचित क्रिया करके रोगों को समाप्त करने में लाभकारी होती है।

2. जेल्स :- यदि किसी बच्चे में लकवा रोग का असर होना शुरू ही हुआ हो तो ऐसे में बच्चे को जेल्स औषधि की 2x मात्रा देनी चाहिए। यदि लकवा रोग में बुखार होने के साथ उदास रहने के लक्षण हो तो जेल्स औषधि देने से लाभ होता है।

3. बेलेडोना :- लकवा रोग से पीड़ित बच्चे को यदि तेज बुखार हो और उसके चेहरे पर खून जम गया हो तो ऐसे में बच्चे को बेल औषधि की 3 शक्ति देनी चाहिए।

4. कैल्के-कार्ब :- मोटे या थुलथुले बच्चे में पक्षाघात (लकवा) रोग होने पर कैल्के-कार्ब औषधि की 6 शक्ति की मात्रा देना हितकारी होता है।    पक्षाघात रोग से ग्रस्त रोगी को ठीक करने के लिए कुछ अन्य उपाय भी किया जाता है जैसे- लकवा रोग से पीड़ित रोगी को गर्म पानी से नहाना चाहिए और रोग होने के 6 सप्ताह बाद पीड़ित बच्चे को बिजली के झटके लगवाना चाहिए तथा बदन पर कम से कम एक वर्ष तक मालिश करना चाहिए।

(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)

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