बच्चों में मस्तिष्क रोग की होम्योपैथिक दवा और इलाज – Baccho me Mastishk rog ki Homeopathic Dawa aur Upchar

Last Updated on March 21, 2023 by admin

बच्चों में मस्तिष्क रोग का होम्योपैथिक इलाज (Baccho me Mastishk rog ka Homeopathic Ilaj)

मस्तिष्क की झिल्ली की प्रदाह और उसमें प्रयोग की जाने वाली औषधियां : 

1. एपिस, आर्निका तथा बेलेडोना :- इस रोग से ग्रस्त बच्चे का सिर भारी हो जाता है, भूख बिल्कुल नहीं लगती तथा उल्टी होती है। जब यह रोग बच्चे को होता है तो बच्चे की नाड़ी की गति कम हो जाती है, सांस लेने व छोड़ने में परेशानी होती है और नज़रे टेढ़ी हो जाती हैं। इसके बाद धीरे-धीरे बच्चे का सिर खिंचने लगता है, तेज नाड़ी, शरीर का तापमान बढ़कर लगभग 103 डिग्री तक पहुंच जाता है। इस तरह के लक्षण उत्पन्न होने पर यदि बच्चे का उपचार जल्दी न कराया जाए तो 2-3 सप्ताह में ही बच्चे की मृत्यु भी हो जाती है। मस्तिष्क झिल्ली के जलन के ऐसे लक्षणों से पीड़ित बच्चे को एपिस औषधि की 3 शक्ति की मात्रा देना अत्यधिक लाभकारी होता है। इस तरह के लक्षणों के साथ यदि बच्चा हल्की सी चोट के कारण भी अचानक चिल्लाकर नींद उठ जाता हो तो ऐसे लक्षणों में बच्चे को तुरंत लाभ के लिए आर्निका औषधि की 3 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए। यदि बच्चा रोगग्रस्त होने के कारण अधिक रोता हो तो बच्चे को बेलेडोना औषधि की 3 शक्ति की मात्रा देना लाभदायक होता।

2. हेलिबोरस :-  यदि बच्चे के सिर के पिछले भाग में और गर्दन के पिछले भाग में तेज दर्द होता हो तो हेलिबोरस औषधि की 3 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए। इस रोग में बच्चे को ठीक करने के लिए बीच-बीच में अन्य औषधि जैसे- बैसिलिनम की 200 शक्ति (सिर्फ एक बार), फास्फोरस की 6 शक्ति, जिंकम की 6 शक्ति, ब्रायोनिया की 6 शक्ति, सल्फर की 6 शक्ति, जेलसिमियम की 3x या स्ट्रैमोनियम की 6 शक्ति आदि की भी आवश्यकता होती है।

3. मस्तिष्क में पानी भरना (हाइड्रोसिफाल्यस) :- बच्चों के जन्म के बाद 1 वर्ष के अंदर बच्चे के सिर में पानी भरने की संभावना रहती है। बच्चों में उत्पन्न होने वाला यह रोग लगभग 8-10 वर्ष के बच्चों में भी हो सकता है। इस रोग के होने पर बच्चे को भूख लगती है परन्तु अधिक खाने के बाद भी व कमजोर व पतला होता जाता है। इसके बाद धीरे-धीरे बच्चे का सिर बड़ा हो जाता है। इस रोग से ग्रस्त बच्चा बचपन में ही बूढ़े की तरह दिखाई देने लगता है तथा हमेशा पड़ा रहना चाहता है। इस रोग की पहचान न होने पर बच्चा मर जाता है।

4. कैल्केरिया, सल्फर या साइलिसिया :- सिर में पानी भरने के रोग से ग्रस्त बच्चे को रोग के शुरुआती अवस्था में ही उपचार कराना चाहिए। इस रोग से पीड़ित बच्चे को कैल्केरिया औषधि की 30 शक्ति, साइलीशिया औषधि की 30 शक्ति या सल्फर औषधि की 30 शक्ति देनी चाहिए। यह औषधि रोग में उचित क्रिया करके रोग को ठीक करती है।

5. हेलिबोरस :- यदि बच्चे के मस्तिष्क में पानी भर गया हो और बच्चे को पेशाब आना बंद होने के साथ उसे कुछ भी खाने की इच्छा न होती हो तो ऐसे लक्षणों में बच्चे को हेलिबोरस औषधि की 3 शक्ति की मात्रा का सेवन कराना उचित होता है।

मस्तिष्क में खून का जमा होना :

इस रोग से पीड़ित बच्चे का ब्रह्मतालु सूज जाती है और वह काम करना बंद कर देता है। सिर कुछ गर्म हो जाता है, नाड़ी की गति कभी तेज और कभी मंद होती रहती है। बच्चे को कब्ज रहती है, उल्टी आती है, बच्चा गों-गों की आवाज करता है, किसी भी चीज को टकटकी लगाकर देखता है, पुतलियां फैल जाती हैं, जीभ और आंखें लाल हो जाती हैं, चेहरा लाल हो जाता है, कपाल और गर्दन के पीछे की शिराएं फूल जाती हैं, सांस फूलने लगती है और सांस लेने में परेशानी होती है जिससे बच्चा गहरी नींद से अचानक चिल्लाकर उठ बैठता है।

7. एपिस :- चोट लगने, दांत निकलने, शिराओं पर अधिक दबाव पड़ने और खसरा रोग होने, चेचक या किसी दूसरे त्वचा रोग का पूर्ण रूप से उत्पन्न न होकर बैठ जाना आदि कारणों से मस्तिष्क में खून जमा होता है। मस्तिष्क में खून जमा होने पर एपिस औषधि की 3 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए।

8. जेल्स :- मस्तिष्क में खून जम जाने के साथ ऐसे लक्षण जिसमें सिर भारी हो जाता है, आंखें बंद हो जाती हैं तथा शरीर का तापमान 103 डिग्री तक पहुंच जाता है। ऐसे लक्षणों में जेल्स औषधि की 1x का उपयोग करना अत्यधिक लाभकारी होता है।

9. बेलेडोना :-  मस्तिष्क में खून जमा होने के साथ चेहरा और आंखें काली व चमकीली होना, पुतलियों का फैल जाना, हमेशा नींद की झपकी लेते रहना परन्तु सो नहीं पाना, बीच-बीच में चौंकते रहना, ब्रह्मतालु फूल जाना आदि लक्षणों में बच्चे को बेल औषधि की 3 शक्ति देनी चाहिए। यदि ऐसे लक्षणों के साथ उपसर्ग बढ़े हुए हो तो ग्लोनाइन औषधि की 3 शक्ति देनी चाहिए।  इस रोग से ग्रस्त बच्चे को हल्की और पुष्ट चीजें खाने के लिए दें।

बच्चे के मस्तिष्क में खून की कमी से उत्पन्न विकार (हाइड्रोसिफलोडि ब्रेन) : 

       मस्तिष्क में खून की कमी से कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं जैसे- हैजा, अतिसार व न्युमोनिया आदि। शिशु का ब्रह्मरंध्र बैठ जाना, सिर को हमेशा करवट बदल-बदलकर रखने की कोशिश करना, मोह का भाव पैदा होना आदि। इस तरह मस्तिष्क में खून जम जाने के साथ उत्पन्न लक्षणों में फास्फोरस की 6 शक्ति, सल्फर की 30 शक्ति, कैल्के-कार्ब की 30 शक्ति, इथूजा की 30 शक्ति, कैल्के-फास 12x चूर्ण, कैडमियम-सल्फ की 3 शक्ति, हेडिरा हेलिक्स θ या हेलिबोरस 3x आदि का प्रयोग किया जाता है।

(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)

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