Last Updated on September 1, 2019 by admin
यों तो बुद्धि ईश्वरप्रदत्त तत्त्व है और वह हर एक मनुष्य में विद्यमान है। इतने पर भी ‘मूर्ख’ और ‘विद्वान्’ ‘बुद्ध’ और ‘बुद्धिमान्’ जैसे शब्द आज खूब प्रचलन में हैं। जब बुद्धि प्रत्येक आदमी में है और नियंता की ओर से हर एक को एक जैसा स्तर प्राप्त है, तो इस प्रकार के परस्पर विरोधी शब्दों का गठन आखिर क्यों हुआ?
इस पर गहराई से विचार करने पर ज्ञात होता है कि मनुष्य-भेद के आधार पर उसमें बौद्धिक सक्रियता और निष्क्रियता पाई जाती है। इस आधार पर किसी को निर्बुद्धि और किसी को ज्ञानवान् कह दिया जाता है। आयुर्वेद के आचार्यों ने गहन अनुसंधान के बाद ऐसी कुछ जड़ी-बूटियों का निर्धारण किया है, जिनसे बौद्धिकता के स्तर को सहेजकर उसे प्रखर बनाया जा सके। प्रस्तुत है उस पर एक विहंगम दृष्टि।
बच्चों की बुद्धि बढ़ाने के लिए उपाय :
बुद्धि बढ़ाने वाला उत्तम उपाय –
चक्रदत्त लिखते हैं, जड़-पत्तों सहित ब्राह्मी को उखाड़कर उसका स्वरस निकाल लें। इसकी एक तोला मात्रा में छह माशे गोघृत मिलाकर पकावें। तत्पश्चात् हल्दी, आँवला, कूट, निसोत, हरड़ चार-चार तोले; पीपल, वायविडंग, सेंधा नमक, मिश्री और बच एक-एक तोले, इन सबकी चटनी उसमें डालकर मंद आंच में पकावें। जब पानी सूख जाए और घृत शेष रहे, तो उसे छान लें एवं प्रतिदिन प्रात:काल इसके एक तोले का सेवन करें।
लाभ-इससे वाणी शुद्ध होगी। सात दिन सेवन करने से अनेक शास्त्रों की धारणा-शक्ति आ जाती है। इसके अतिरिक्त अठारह प्रकार के कोढ़, छह प्रकार के बवासीर, दो प्रकार के गुल्मी, बीस प्रकार के प्रमेह एवं खाँसी दूर होती है।
बुद्धि बढ़ाने का अचूक नुस्खा –
योग चिंतामणि में लिखा है, ब्राह्मी के रस में बच, कूट, शंखपुष्पी का कल्क डालकर पुराने घृत में सिद्ध करना चाहिए। इस ब्राह्मी घृत के सेवन से शुद्ध बुद्धि उत्पन्न होती और उन्माद तथा अपस्मार दूर भागता है।
बुद्धि बढ़ाने का सरल उपाय –
चार माशे मालकांगनी प्रात:काल धारोष्ण दूध के साथ सेवन करना बुद्धिवर्द्धक होता है।
बुद्धि बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक योग –
गिलोय, ओंगा, वायविडंग, शंखपुष्पी, ब्राह्मी, बच, सोंठ और शतावर, इन सबको बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बनावें और प्रातः चार माशे मिश्री के साथ चाटें। इससे स्मरण शक्ति बढ़ती है।
बच से बुद्धि बढ़ाने का आसान तरीका –
बृहन्निघण्टु में इस बात का उल्लेख है कि बच का एक माशा चूर्ण जल, दूध या घृत के साथ एक मास तक सेवन करना चाहिये यह बुद्धिवर्द्धक चमत्कारी प्रयोग है ।
बुद्धि बढ़ाने के घरेलू उपाय –
चरक कहते हैं,
(क) मंडूकपर्णी का स्वरस सेवन करना
(ख) मूलहटी के चूर्ण को दूध के साथ खाना,
(ग) मूल पुष्प सहित गिलोय का रस पीना
(घ) शंखपुष्पी की चटनी सेवन करना,
यह सब आयु को बढ़ाते हैं, रोगों का शमन करते, बल, पाचन शक्ति और स्वर को उत्तम करते तथा बुद्धि बढ़ाते हैं। इन सबमें शंखपुष्पी विशेष रूप से बुद्धिवर्द्धक है।
बुद्धि बढ़ाने की अनुभूत विधि –
भावप्रकाश का मत है कि शतावरी, गोरखमुण्डी, गिलोय, हस्तकर्ण, पलाश और मुसली, इन सबका चूर्ण बनाकर मधु अथवा घृत के साथ सेवन करने से मनुष्य रोग रहित, बलवान्, वीर्यवान् और शुद्ध बुद्धि वाला हो जाता है।
बल और बुद्धि वर्धक प्रयोग –
सुश्रुत के अनुसार, मंडूकपर्णी का स्वरस एक तोला मिश्री मिले हुए पाव भर धारोष्ण दूध में मिलाकर सुबह पीना चाहिए। जब पच जाए, तब दूध के साथ जौ का भोजन करना चाहिए अथवा मंडूकपर्णी को तिल के साथ खाकर ऊपर से दूध पीना चाहिए। इस प्रकार तीन माह के सेवन से मनुष्य की आयु, बल और बुद्धि बढ़ जाती है।
बुद्धि बढ़ाने का चमत्कारी योग –
बेल जड़ की छाल और शतावरी का क्वाथ प्रतिदिन दूध के साथ स्नान पश्चात् पीने से भी आयु और बुद्धि बढ़ती है।
बुद्धि बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा –
भैषज्य रत्नावली में इस बात का उल्लेख है कि श्री सिद्धि मोदक के सेवन से मनुष्य में कितनी ही प्रकार का शक्तियाँ पैदा हो जाती हैं। निर्माण विधिका वर्णन करते हुए कहा गया है कि-
सोंठ, कालीमिर्च, हरड़, बहेड़ा, आँवला, प्रत्येक एक-एक तोला, गिलोय, वायविडंग, पीपरामूल, गोखरू और लाल चित्रक की छाल, प्रत्येक दो-दो तोला लेकर सबका चूर्ण बनाना चाहिए और ढाई सेर गुड़ में मिलाकर 330 गोलियाँ बनानी चाहिए।
नोट :- 1 तोला = 11.66 ग्राम
प्रतिदिन प्रातः जल के साथ एक गोली लेने से प्रथम महीने में बुद्धि, दूसरे में बल-वीर्य अन्य महीनों में अन्यान्य शक्तियाँ, नौवें महीने में आयु और दसवें-ग्यारहवें मास में स्वर उत्तम हो जाता है।
इसके अतिरिक्त भी आयुर्वेदीय ग्रंथों में कितने ही प्रकार के पाक, क्वाथ एवं दूसरी जड़ी-बूटियों का वर्णन है। इनके सेवन से बुद्धि और स्मृति को प्रखर बनाया जा सकता है।
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)
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