Last Updated on June 22, 2021 by admin
प्रायः प्रौढ़ों और वृद्धों को यह रोग होता है, जिसमें बहुत मात्रा में पानी के समान पेशाब होती है। इसका रोगी 24 घंटे में 5 से 10 लीटर तक पेशाब करता है, जिसमें न तो शर्करा होती है और न एल्ब्यूमिन। अधिक मात्रा में पेशाब करते रहने के कारण शरीर से आहार के पोषक तत्त्व निकलने लगते हैं, जिससे रोगी शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है। उसकी मस्तिष्क की पिट्यूटरी ग्लैंड और किडनी में भी विकार पैदा हो जाता है। स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में यह रोग अधिक होता है।
बहुमूत्र रोग के कारण :
बहुमूत्रता उत्पन्न होने के प्रमुख कारणों में पीयूष ग्रंथि के पश्च भाग के मूत्र निरोधी हार्मोन की कमी, गुर्दो की सूजन, प्रोस्टेट ग्लैंड का बढ़ना, मधुमेह (डायबिटीज इंसीपीडस), हाइपरपेराथायरायडिज्म, मूत्र संस्थान की टी.बी., हिस्टीरिया, मस्तिष्कावरण शोथ, पिट्यूटरी ग्लैंड की विकृति, मिर्गी, नाड़ी उत्तेजना, अति स्त्री-प्रसंग, शराब, चाय, पानी, कॉफी, दूध का अधिक सेवन, शारीरिक श्रम न करना, दिन में सोना, मांस अधिक खाना, मानसिक अशांति, मानसिक आघात, अति परिश्रम, अधिक चिंता, कैल्शियम की अधिकता, पोटेशियम की कमी आदि होते हैं।
बहुमूत्र रोग के लक्षण :
इकी विकृस रोग में लक्षणों के रूप में –
- अधिक मात्रा में बार-बार पेशाब आना,
- रात में ज्यादा और दिन में कुछ कम होना,
- स्वभाव में चिड़चिड़ापन,
- नींद न आना,
- सिर और कमर में दर्द,
- अंगों की फड़कन,
- शारीरिक कमजोरी,
- प्यास की अधिकता,
- मंदाग्नि, कब्ज आदि देखने को मिलते हैं।
बहुमूत्र रोग में क्या खाएं :
✓ हलका, सुपाच्य, संतुलित भोजन करें।
✓ शाम के भोजन में पालक की सब्जी नियमित रूप से सेवन करें।
✓ सुबह-शाम के भोजन में मसूर की दाल खाएं।
✓ फलों में अंगूर, केला, सेब, आंवला रोजाना खाएं।
✓ रात में 2-4 छुहारे खाकर एक कप दूध पिएं।
✓ गुड़ और तिल समान मात्रा में मिलाकर बनाए लड्डू दिन में 3 बार खाएं।
✓ जितनी प्यास हो उतना ही पानी पिएं।
बहुमूत्र रोग में क्या न खाएं :
✘ रात में ज्यादा चावल न खाएं।
✘ चाय, कॉफी, शराब न पिएं।
✘ मांस, नमक, कैल्शियम युक्त पदार्थ न खाएं।
✘ अधिक मात्रा में पानी न पिएं।
( और पढ़े – बहुमूत्र रोग के लाभकारी घरेलू नुस्खे )
रोग निवारण में सहायक उपाय :
क्या करें –
✓ सुबह की सैर करें।
✓ नियमित रूप से व्यायाम करने की आदत बनाएं।
✓ मानसिक तनाव, चिंता, भय, परेशानियों को कम करने के उपाय करें।
✓ जिस कारण से रोग वृद्धि हो रही हो, उसका पता लगाकर उसे दूर करें।
क्या न करें –
✘ अति स्त्री-प्रसंग न करें।
✘ दिन में न सोएं।
✘ अति परिश्रम करने से बचें।
आपके लिए कुछ उपयोगी लेखों की लिंक दी जा रही है जिसमे रोग के कारण व उपचार दोनों ही बताएं गये है –
यूरिनरी रिटेंशन (मूत्रावरोध) का आयुर्वेदिक घरेलू उपचार >> https://bit.ly/3dAPUFs
पेशाब रुक जाने के 24 रामबाण घरेलु उपचार >> https://bit.ly/43vN1KB
रोगों के इलाज में घरेलू नुस्खे कारगर होते है किंतु एक योग्य डॉक्टर के महत्व को कभी भी नकारा नहीं जा सकता….तत्काल किसी अनुभवी चिकित्सक से संपर्क कर रोगी का उनके मार्गदर्शन में उपचार शुरू करें..धन्यवाद
Sir pesab ruk ruk kar aane wali bimari ke bare me kuchh btaiye aur iska nivaran ham kaise kare yah bhi btaye, please. Ye Rog hmare pitaji ko bhut time se hai, unki halat bhut kharab rhti hai. Use achhe se pesab nhi hota, thora thora kar ruk ruk kar aata hai. Ek bar hi khul nhi hota. Please hmari help kijiye.