Last Updated on December 22, 2021 by admin
बोन ट्यूमर (हड्डी का ट्यूमर) अत्यंत खतरनाक बीमारी है, जिसकी परिणति विकलांगता एवं मृत्यु के रूप में भी हो सकती है। इससे हड्डी कमजोर और भंगुर हो जाती है। रोगी न तो चल-फिर पाता है और न ही बैठ पाता है । इलाज नहीं होने पर यह अपंगता और मौत का भी कारण बन सकता है।
बोन ट्यूमर क्या है ? (What is Bone tumor in Hindi)
हड्डी के भीतर की कोशिकाओं का अनियंत्रित रूप से विभाजन शरीर में गांठ या असामान्य ऊतक का द्रव्यमान निर्मित करता है जिसे बोन ट्यूमर या हड्डी का ट्यूमर कहते है ।
बोन ट्यूमर के लक्षण (Bone tumor Symptoms in Hindi)
बोन ट्यूमर के क्या लक्षण होते हैं ?
- अन्य ट्यूमर की तरह ही बोन ट्यूमर भी असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि और फैलाव से होता है।
- इसकी शुरुआत में जोड़ों के पास दर्द होता है, जो निरंतर बढ़ता जाता है।
- जोड़ों के पास दर्द के अलावा सूजन भी हो सकती है।
- हालाँकि कुछ तरह के बोन ट्यूमर में दर्द नहीं होता है, जबकि कुछ बोन ट्यूमर में कमजोरी और थकावट रहती है।
- अधिकतर बोन ट्यूमर कैंसर रहित (बिनाइन) होते हैं, जबकि कुछ कैंसर जन्य (मेलिग्नेंट) होते हैं।
- बिनाइन ट्यूमर से जिंदगी को कोई खतरा नहीं रहता है, लेकिन मेलिग्नेंट ट्यूमर की कैंसर कोशिकाएँ रक्त या लिंफ के द्वारा पूरे शरीर में फैल सकती हैं।
- जब बोन कैंसर की शुरुआत हड्डी में होती है तो इसे प्राथमिक (प्राइमरी) बोन कैंसर और जब कैंसर शरीर के दूसरे हिस्से से फैलकर हड्डी में आता है तो इसे द्वितीयक (सेकंडरी) बोन कैंसर कहते हैं।
- प्राथमिक (प्राइमरी) बोन कैंसर बहुत ही कम लोगों को होता है और यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होता है। कुछ तरह के बोन कैंसर अधिकतर किशोरवय के बच्चों को ही प्रभावित करते हैं।
बोन ट्यूमर के कारण (Bone tumor Causes in Hindi)
बोन ट्यूमर क्यों होता है ?
अधिकांश मामलों में बोन ट्यूमर के कारण अज्ञात होते है।
बोन ट्यूमर की जांच (Diagnosis of Bone tumor in Hindi)
बोन ट्यूमर का निदान कैसे किया जाता है ?
बोन ट्यूमर का पता लगाने के लिए रोगी का चिकित्सकीय इतिहास और शारीरिक परीक्षण किया जाता है। ट्यूमर होने की स्थिति में बोन ट्यूमर की जाँच, इसके आकार प्रकार, ट्यूमर का स्थान और अगर कैंसर वाला ट्यूमर है तो उसके फैलाव (अवस्था) की जाँच के लिए कई एक्स-रे किए जाते हैं। कैंसर वाला ट्यूमर होने की स्थिति में परीक्षण भी किए जाते हैं। इसके अलावा ट्यूमर के ऊतक से इसकी बायोप्सी लेकर माइक्रोस्कोप से जाँच भी की जाती है।
बोन ट्यूमर का उपचार (Bone tumor Treatment in Hindi)
बोन ट्यूमर का इलाज कैसे किया जाता है ?
बिनाइन ट्यूमर के कुछ मामलों में इलाज की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन बोन ट्यूमर के कुछ मामलों में फ्रैक्चर और अपंगता के खतरे को कम करने के लिए ट्यूमर निकालने या इलाज के अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। हालाँकि कुछ ट्यूमर निकालने के बाद भी फिर से वृद्धि करने लगते हैं।
मेलिग्नेंट ट्यूमर होने की अवस्था में इसके इलाज के लिए रेडियोलॉजिस्ट, कीमो थैरेपिस्ट, पैथोलॉजिस्ट, सर्जन या आर्थोपेडिक कैंसर विशेषज्ञ की टीम की जरूरत पड़ती है। इसका इलाज – कैंसर का स्थान, इसकी अवस्था और फैलाव पर निर्भर करता है। कई बार इसके इलाज में कई तकनीकों का एक साथ इस्तेमाल किया जाता है। शुरुआती अवस्था में कैंसर कोशिकाएँ ट्यूमर और उसके आस-पास जमा रहती हैं, जबकि मेटास्टेटिक अवस्था में कैंसर कोशिकाएँ शरीर में कहीं भी फैल सकती हैं। यह अवस्था अधिक गंभीर होती है और इसका इलाज करना मुश्किल होता है।
शल्य चिकित्सा –
सर्जरी की जरूरत पड़ने पर हड्डी से कैंसर वाले भाग को निकाल दिया जाता है। कई बार पूरे ट्यूमर और उसके आस-पास की स्वस्थ कोशिकाओं को भी निकाला जाता है, लेकिन इसमें इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि इससे वहाँ के टेंडन, नर्स और रक्त नलिकाओं को कोई नुकसान न पहुँचे।
हड्डी या जोड़ को काटकर निकालने की स्थिति में वहाँ हड्डी या मेटालिक रिप्लेसमेंट (प्रोस्थेसिस) प्रत्यारोपित की जाती है। ट्यूमर के किसी भी जोड़ के पास होने पर पूरे जोड़ को काटकर निकाल दिया जाता है और उसी के आकार का जोड़ ट्रायल के तौर पर फिट कर दिया जाता है । इस जोड़ के सही तरह से फिट कर जाने पर वहाँ स्टेराइल इंप्लांट लगा दिया जाता है ।
बोन ट्यूमर के बहुत बड़ा होने या इसमें नर्स या रक्त नकिलओं के शामिल होने पर उस पैर या हाथ के कुछ हिस्से को काटकर हटा दिया जाता है। कैंसर कोशिकाओं को मारने और ट्यूमर को छोटा करने के लिए रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी की भी जरूरत पड़ती है।