बोटुलिज़्म के कारण ,लक्षण और बचाव | Botulism – Symptoms and causes in Hindi

Last Updated on October 20, 2019 by admin

बोटुलिज़्म क्या है ? : Botulism in Hindi

बोटुलिज़्म एक अत्यन्त भयंकर संक्रामक रोग है, जो एक विशेष जीवाणु से उत्पन्न होता है। लापरवाही बरतने पर इसके रोगी की शीघ्र मृत्यु हो सकती है। इसका कारण ‘क्लास्ट्रीडियम बोटुलिज़्म’ नामक जीवाणु से मानी गई है।

बोटुलिज़्म के कारण :

यह रोग उन लोगों में अधिक देखने में मिलता है जो डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों का अत्यधिक मात्रा में सेवन करते हैं। डिब्बों में खाद्य पदार्थ भरने के बाद उनको उचित ताप स्टेरिलाइज्ड करने के पश्चात् उनको सील कर दिया जाता है। ताकि उनमें वायु का लेशमात्र प्रवेश न हो सकें।
अनेक बार कारखानों के कर्मचारियों की असावधानी के कारण किसी प्रकार ये जीवाणु अथवा उनके स्पोर्स (Sporgs) डिब्बे में रखे पदार्थ में मिल जाते हैं। जिससे उन डिब्बों का खाद्य पदार्थ संक्रमित हो जाता है। सील बंद डिब्बे में वायु की अनुपस्थिति में यह जीवाणु अत्यधिक मात्रा में वृद्धि करते हैं और पूरा का पूरा खाद्य पदार्थ जीवाणु युक्त हो जाता है। ऐसा संक्रमित आहार जब कोई स्वस्थ व्यक्ति शौक से खाता है, तब वह रोगग्रस्त हो जाता है।

बोटुलिज़्म के लक्षण : Botulism Symptoms in Hindi

इस रोग से पीड़ित व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दृष्टिगत होते हैं –
☛ बोटुलिज़्म रोग का प्रथम लक्षण यह है कि रोग प्रारम्भ होने से पूर्व तत्काल वमन (उल्टी) शुरु हो जाती है।
☛ शरीर में मांस-पेशियों में अत्यधिक दुर्बलता रोगी महसूस करने लगता है।

( और पढ़े – शरीर की कमजोरी दूर करने के घरेलू उपाय )

☛ इसका एक विशेष लक्षण यह भी मिलता है कि- श्वासनलिका तथा अन्न-नलिका की मांसपेशियों में पक्षाघात (Paralysis) हो जाता है। जिससे रोगी सांस लेने में असमर्थ रहता है। अन्त में रोगी की मृत्यु हो जाती है।

( और पढ़े – लकवा के आयुर्वेदिक उपचार )

☛ इसकी चिकित्सा लक्षणों को देखकर तथा रोग के इतिहास के आधार पर अनुमानित रुप से की जाती है।

बोटुलिज़्म से बचाव के उपाय : Botulism Prevention in Hindi

✸ डिब्बा बंद पुलाव ,डिब्बा बंद कोरमा आदी जो आजकल बाजारों मे उपलब्ध है, इनका सेवन नहीं करना चाहिए।
✸ इसके विपरीत साधारण डिब्बा बंद पेठे तथा आंवले के मुरब्बे के सेवन से संक्रमण का भय नहीं रहता है। क्योंकि इनमें जीवाणुओं की वृद्धि नहीं होती है।
✸ क्योंकि खाद्य पदार्थों के दूषित प्रभाव से यह रोग होता है, अत: दूषित पदार्थों की अपेक्षा ताजा भोजन/खाद्य पदार्थों का सेवन करना ही श्रेयस्कर रहता है।

Share to...