बुढ़ापा आने के कारण :
प्रकृति के नियमानुसार बुढ़ापा आना तो निश्चित है, पर अगर बुढ़ापा दूर करने का उपाय पर चर्चा करें तो उचित आहार-विहार और स्वास्थ्यरक्षक नियमों का पालन करके इसे यथासम्भव दूर रखा जा सकता है। इस दिशामें एक सफल सिद्ध अनुभूत प्रयोग यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है|
शरीरशास्त्री वैज्ञानिकों का मानना है कि जबतक शरीर के कोषाणुओं (Cells)-का पुनर्निर्माण ठीक-ठीक होता रहेगा, तबतक बुढ़ापा दूर रहेगा और शरीर युवा बना रहेगा। जब इस प्रक्रिया में विघ्न पड़ता है और कोषाणुओं के पुनर्निर्माण की गति मन्द होने लगती है, तब शरीर बूढ़ा होने लगता है। इस वैज्ञानिक विश्लेषणसे एक निष्कर्ष यह निकला कि यदि विटामिन ‘ई’, विटामिन ‘सी’ और ‘कोलीन’-ये तीन तत्त्व पर्याप्त मात्रा में प्रतिदिन शरीर को आहार के माध्यम से मिलते रहें तो शरीरके कोषाणुओं का पुनर्निर्माण बदस्तूर ठीक से होता रहेगा और जबतक यह प्रक्रिया ठीक-ठीक चलती रहेगी, तबतक बुढ़ापा दूर रहेगा। बुढ़ापा आयेगा जरूर, पर देर से आयेगा।
इन तीनों तत्त्वोंको दवाओं के माध्यमसे प्राप्त करने की अपेक्षा प्राकृतिक ढंगसे, आहार द्वारा प्राप्त करना अधिक उत्तम और गुणकारी रहेगा। विटामिन ‘ई’ अंकुरित गेहूँसे, विटामिन ‘सी’ नीबू, शहद और आँवले से एवं ‘कोलीन’ मेथीदाने से प्राप्त किया जा सकता है।
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बुढ़ापा रोकने की औषधि “संजीवनी पेय” बनाने की विधि : Budhapa Rokne ki Aushadhi
४० ग्राम यानी ४ चम्मच गेहूँ और १० ग्राम मेथीदाना-दोनों को ४-५ बार साफ पानी से अच्छी तरह धो लें, ताकि इनपर यदि कीटनाशक दवाओंके छिड़कावका प्रभाव हो तो दूर हो जाय। धोनेके बाद आधा गिलास पानी में डालकर चौबीस घंटेतक रखें। चौबीस घंटे बाद पानी से निकालकर एक गीले तथा मोटे कपड़े में रखकर बाँध दें और चौबीस घंटेतक हवामें लटकाकर रखें। गिलास का पानी फेंकें नहीं, इस पानी में आधा नीबू । निचोड़कर दो ग्राम सोंठ का चूर्ण डाल दें। इसमें २ चम्मच शहद घोलकर सुबह खाली पेट पी लें। यह पेय बहुत शक्तिवर्धक, पाचक और स्फूर्तिदायक है, इसीलिये इसका नाम ‘संजीवनी पेय’ रखा है।
चौबीस घंटे पूरे होनेपर हवामें लटके कपड़ेको उतारकर खोलें और गेहूँ तथा मेथीदाना एक प्लेटमें रखकर इसपर पिसी काली मिर्च और सेंधा नमक बुरक दें गेहूँ और मेथीदाना अंकुरित हो चुका होगा। इसे खूब चबा चबाकर प्रातः खायें। यदि इसे मीठा करना चाहें तो काली मिर्च और नमक न डालकर गुड़ मसलकर डाल दें, शक्कर न डालें। यह मात्रा एक व्यक्तिके लिये है।
यदि दाँत न हों या कमजोर हों तो वे अंकुरित अन्न चबा नहीं सकते, ऐसी स्थितिमें निम्नलिखित फार्मूले का सेवन करना चाहिये
प्रात:काल एक कटोरी गेहूँ और तीन चम्मच मेथीदाना अच्छी तरह धो-साफकर चार कप पानीमें डालकर चौबीस घंटे रखें। दूसरे दिन सुबह इसका एक कप पानी लेकर नीबू तथा शहद डालकर पी लें। शेष तीन कप पानी निकालकर फ्रिजमें रख दें। यदि फ्रिज न हो तो पानी गिलासमें डालकर गिलासपर गीला कपड़ा लपेट दें और गिलास ठंडे पानीमें रख दें और ढक दें, ताकि पानी शामतक खराब न हो। इस पानीको शामतक एक-एक कप पीकर समाप्त कर दें।
गेहूँ और मेथीदाने को फेंकें नहीं, बल्कि फिर से ४ कप पानी में डालकर रख दें। दूसरे दिन सुबह १ कप पानी और शेष पानी दिनभरमें पी लें।
अब नया गेहूँ तथा मेथी दाना लें और सुबह पानी में डालकर रख दें। दो दिनतक भिगोये हुए गेहूँ और मेथीदानेको सुखा लें और पिसानेके लिये रखे गये गेहूँमें मिला दें। इस तरह बिना दाँतके भी इस नुस्खेका सेवन कर लाभ उठा सकते हैं।
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संजीवनी पेय के फायदे :
✦इस फार्मूलेका सेवन करनेसे ये तीनों तत्त्व तो शरीरको प्राप्त होते ही हैं, साथ ही एनजाइम्स, लाइसिन, आइसोल्यूसिन, मेथोनाइन आदि स्वास्थ्यवर्धक पौष्टिक तत्त्व भी प्राप्त होते हैं।
✦यह फार्मूला सस्ता भी है और बनानेमें सरल भी, इसमें गजबकी शक्ति है, यह स्फूर्ति और पुष्टि देनेवाला है।
✦ इस प्रयोगको प्रौढ़ ही नहीं वृद्ध स्त्री-पुरुष भी कर सकते हैं।
ये पोस्ट मुझे बहुत पसंद आयी आपने जो जानकारी दी है वहअनोखी है आपने जो संजीवनी पेय बताया है बहुत अच्छा है थैंक्यू इतनी अच्छी पोस्ट लिखने के लिए इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए