Last Updated on January 9, 2021 by admin
आरोग्य रक्षण हेतु हर इंसान के लिए बचपन से लेकर बुढ़ापे तक व्यायाम करना अत्यंत आवश्यक होता है। इंसान का शरीर मिलना परमात्मा की कृपा है। इस कृपा का आदर करने के लिए और इसका सही इस्तेमाल करने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य का जतन करना बहुत जरूरी है।
सदा कार्यरत रहना इंसान का गुण है। हमारे शरीर के सभी अवयव अविरत अपना कार्य करते रहते हैं, इनके कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए इन्हें व्यायाम देने की आवश्यकता होती है।
व्यायाम क्या है ? :
व्यायाम करने का अर्थ बहुत विस्तारित है। सिर्फ व्यायाम शाला में जाकर उठक-बैठक करना, दंडक करना इत्यादि ही व्यायाम नहीं होता बल्कि कोई भी साधारण सा कार्य करना भी व्यायाम करने जैसा होता है। खेती में काम करना, बागवानी करना, घूमना, छोटे-मोटे काम करना भी व्यायाम होता है।
जिस काम से शारीरिक श्रम हो उसे व्यायाम कह सकते हैं। शारीरिक श्रम और व्यायाम में एक अंतर है कि शारीरिक श्रम सही तरीके से नहीं होता, व्यायाम शास्त्रीय पद्धति से किया जाता है। शारीरिक श्रम से किसी अवयव को अधिक व्यायाम प्राप्त होता है और कोई अवयव बिना व्यायाम के रह जाता है इसलिए व्यायाम एक पद्धति के तहत करना ज्यादा फायदेमंद है। खासकर वृद्धत्व में व्यायाम की आवश्यकता बढ़ जाती है।आइए देखें कि वृद्धों को किस प्रकार का व्यायाम करना चाहिए।
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क्यों जरुरी है बुजुर्गों के लिए व्यायाम ? :
आज यह बात सभी जान गए हैं कि बचपन से लेकर वृद्ध होने तक शारीरिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम अत्यावश्यक है। पुराने जमाने में लोगों का शारीरिक श्रम रोज ज्यादा होता था इसलिए उन्हें अतिरिक्त व्यायाम की जरूरत नहीं थी किंतु अब समय के बदलने से केवल बौद्धिक कार्य करनेवाले लोगों को व्यायाम करने की जरूरत होती है, कारण उनका शारीरिक श्रम कम होता है।
वृद्ध लोग, जो काम से निवृत्त हो चुके हैं उन्हें उनके उम्र के हिसाब से व्यायाम अवश्य करना चाहिए ताकि वे शारीरिक आरोग्य को बरकरार रख पाएँ तथा व्याधियों को स्वयं से दूर रख पाएँ।
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बुजुर्गों के व्यायाम में कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है :
1). बुजुर्गों को व्यायाम करने की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि उन्हें अब ढलती उम्र में अपने आपको तंदुरुस्त रखना है। उत्तम प्रकृति रक्षण हेतु बुजुर्गों को व्यायाम करने की जरूरत होती है। ढलती उम्र में उन्हें मांसपेशियाँ जमा करने से ज्यादा उन्हें ठीक रखना जरूरी होता है। स्नायुओं पर तनाव आए, ऐसे व्यायाम उन्हें नहीं करने चाहिए जैसे जोर लगाना, दंड-बैठक करना, बोझ उठाना वगैरह ।
2). व्यायाम के समय उन्हें अपनी रक्तवाहिनियों की अवस्था का विचार करना चाहिए। अकसर रक्तवाहिनियों में कैल्शियम की परत जमती जाती है, जिसे व्यायाम से कम किया जा सकता है।
3). पूरे शरीर को सही अनुपात में व्यायाम की आवश्यकता होती है इसलिए ऐसा व्यायाम करना आवश्यक होता है।
4). हृदय पर तनाव आए, ऐसे व्यायाम कम करें या न करें।
5). व्यायाम सुबह या शाम को खाली पेट करें।
6). व्यायाम करते समय मुँह बंद रखें, नाक से श्वासोच्छवास करें।
7). व्यायाम प्रसन्न मन से तथा धीमी गति से करें।
8). व्यायाम के तुरंत बाद कुछ न खाएँ, आधे घंटे के बाद कुछ खा सकते हैं
9). शुरुआत में कम समय व्यायाम करें, दस मिनट से शुरू करें, बाद में समय को बढ़ाते जाएँ।
10). व्यायाम के बाद मालिश करें और आधे घंटे के बाद नहाएँ।
11). एक महीना निरंतर व्यायाम करने के बाद उसका असर आपको दिखाई देने लगेगा।