Last Updated on January 10, 2021 by admin
कम अवधि के उपवास करने से ट्यूमर और कुछ कैंसरों से लड़ने व इसके इलाज में मदद मिलती है।
वैज्ञानिकों ने स्तन, मूत्र व डिंबग्रंथी आदि के कैंसर से ग्रसित चूहों पर सफल परीक्षण किया है। वैज्ञानिकों को शोध में पता चला कि “भूखा रखने से कुछ ट्यूमर और कैंसर चूहों में कम तेजी से फैले।”
कुछ समय भूखा रहने के साथ किमोथेरपी करने से कुछ चूहों का कैंसर जड़ से खत्म हो गया।
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लिहाजा वैज्ञानिक अब अधिक तल्लीनता से उपवास के ऊपर शोध कर रहे हैं। साइन्स ट्रांसलेशनल मेडिसन जर्नल में प्रकाशित हुआ कि भूखा रहने के दौरान कोशिकाएँ अलग तरह से व्यवहार करती हैं। भूखा रखने के दौरान कुछ कोशिकाओं ने अपने आपको नष्ट नहीं किया बल्कि वे कुछ तरह की बचने की क्रिया करने लगे। उल्लेखनीय यह है कि हाइबरनेशन के तहत ठंढ अधिक होने पर जीव दुबकने का कार्य करते हैं।
भूखा रहने के दौरान अपनी कुछ कोशिकाएँ अपने को बढ़ाती रहीं और अपने आपको विभाजित करती रहीं। आखिरकार ये कोशिकाएँ मर गईं। दल का नेतृत्व कर रहे दक्षिण कॅलिफोर्निया युनिवर्सिटी के शोध वैज्ञानिक वाल्टर लोनगो ने कहा कि इन कोशिकाओं ने एक तरह से आत्महत्या की । इसे सेल्यूलर आत्महत्या की संज्ञा दी गई।
उन्होंने कहा, ‘हमने पाया कि भूखा रहने के बाद कोशिकाओं ने कुछ खोई हुई चीजों को पुनः प्राप्त करने का प्रयास किया। कोशिकाओं ने अदला-बदली करने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं हुई। वैज्ञानिकों ने स्तन, मूत्र व डिंबग्रंथी, मिलॅनोमा, त्वचा, ग्लायोमा दिमाग आदि के कैंसर से पीड़ित चूहों पर निरीक्षण किए हैं । यह कैंसर नर्व टिश्यू में होते हैं। हर एक मामले में यह पता चला कि किमोथेरपी के साथ उपवास करने से इलाज बेहतर हुआ।
बहुत ज्यादा कैंसर से पीड़ित 20 फीसदी चूहे किमोथेरपी व रुक-रुककर लगातार भूखे रहने के कारण ठीक हो गए। हालाँकि 40 फीसदी चूहों में किमोथेरपी व रुक-रुककर लगातार भूखा रहने के कारण कैंसर की कोशिकाओं का बढ़ना बंद हुआ।
अनुसंधानकर्ता उपवास मानव शरीर पर कई बार अध्ययन कर चुके हैं। लेकिन कैंसर से पीड़ित मनुष्य को उपवास करवाकर कैलरी का कम सेवन करने देकर शोध करने में कई साल लग जाएँगे । कैंसर व अन्य रोगों से पीड़ित आदमी को उपवास करने के दौरान सबसे बड़ा खतरा यह है। कि तेजी से वजन कम होने के दौरान या शुगर से पीड़ित होने पर खतरा हो सकता है।
शिकागो में अमेरिकन सोसायटी ऑफ कैंसर ‘ऑनकोलॉजिस्ट की इस जून में होनेवाली सालाना बैठक में परीक्षण की संख्याएँ विस्तार से रखी जाएँगी। प्रो. लोनगो ने कहा कि ‘किमोथेरपी से दो दिन पहले और एक दिन बाद भूखा रखने में समर्थ होने पर ही परीक्षण किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि कैंसर के मरीज की पहुँच से बाहर उपवास है लेकिन मरीज को डॉक्टर से जाकर पूछना चाहिए कि किमोथेरपी के साथ उपवास करना चाहिए या नहीं। कैंसर कोशिकाओं को मारने तक इलाज सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि इन कोशिकाओं के लिए ऐसा वातावरण बनाया जाना चाहिए कि वे दिग्भ्रिमित हो जाएँ, जैसे उपवास से होती है।