Last Updated on June 28, 2021 by admin
टाइगर मच्छर पर सवार होकर आने वाला डेंगू एक किस्म का विषाणु ज्वर है। यह देश के छुटपुट हिस्सों में पिछले 200 सालों से होता आया है। पर हाल के वर्षों में इसने अपना स्वरूप काफी बदल लिया है। एक तो अब यह देश के बहुत बड़े हिस्से में देखा जाने लगा है, दूसरा इसकी उग्रता भी बढ़ी है। इसका गंभीर रूप “डेंगू रक्तस्रावी बुखार” घातक भी साबित होने लगा है।
डेंगू बुखार क्या है और यह कैसे होता है ? (Dengue Fever in Hindi)
डेंगू एक खास परिवार के विषाणुओं से होने वाला ज्वर है। इन विषाणुओं की चार किस्में हैं, लेकिन व्यवहार में ये सभी एक जैसे हैं। ये विषाणु टाइगर मच्छर की लारग्रंथि में सवारी करते हैं और मादा मच्छर के काटने से मनुष्य में पहुँच जाते हैं और चार से छह दिनों बाद उसे ज्वर से पीड़ित कर देते हैं।
क्या डेंगू अन्य विषाणु ज्वर की तरह हवा से नहीं फैलता ?
नहीं, टाइगर मच्छर या उसका सही नाम लें – “एडीज एजिप्टी” के बगैर डेंगू का विषाणु आदमी पर वार नहीं कर सकता। यह उसकी बड़ी कमजोरी है, जिसका फायदा उठाकर उस पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
डेंगू बुखार के लक्षण (Dengue Fever Symptoms in Hindi)
डेंगू ज्वर के लक्षण क्या हैं ?
- डेंगू बुखार किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है।
- बुखार की शुरुआत सिरदर्द, कमर टूटने और कुछ अच्छा न लगने से होती है।
- ये लक्षण एक-दो रोज से होते हैं कि अचानक तेज बुखार हो जाता है।
- माथा जोरों से दुखने लगता है।
- आँखों के पीछे तेज दर्द होता है, जो आँखों को हिलाने-डुलाने पर बढ़ जाता है।
- पीठ तो दर्द करती ही है, मांसपेशियाँ और जोड़ भी भयंकर रूप से दर्द करते हैं।
- बहुत बेचैनी होती है, भूख मर जाती है और किसी भी चीज में स्वाद नहीं आता।
- कब्ज हो जाती है और पेट में दर्द भी हो सकता है।
- चेहरे, गर्दन और छाती पर खसरे के दाने जैसे उभार आ सकते हैं।
- बुखार अक्सर 39° से 40° सेल्सियस (102° से 104° फारेनहाइट) के बीच रहता है और पाँच से सात दिन बाद उतरता है।
- इसके उतरने के बाद भी मरीज अपने को बिलकुल पस्त महसूस करता है।
डेंगू रक्तस्रावी बुखार के लक्षण :
डेंगू रक्तस्रावी ज्वर के लक्षण साधारण डेंगू ज्वर से किस रूप में भिन्न होते हैं ?
- दोनों की शुरुआत एक जैसी होती है। लेकिन एक-दो दिन बाद रक्तस्रावी ज्वर में त्वचा की सूक्ष्म खून की नलियाँ फटने से शरीर पर जगह-जगह खून इकट्ठा हो जाता है।
- कुछ मामलों में नाक, मुँह और मसूड़ों से और इक्का-दुक्का मामलों में पेशाब के साथ खून आता देख रोग की गंभीरता खुलकर सामने आ जाती है।
- इस बीच मरीज की बेचैनी भी तेज हो जाती है।
- अधिक गंभीर मामलों में भीतर-ही-भीतर रक्तस्राव होने से मरीज बेहोशी में चला जाता है और उसकी जान बचा पाना मुश्किल होता जाता है।
पर जिन मामलों में पेचीदगियाँ पैदा होने से पहले ही सँभाल हो जाती है और शरीर में द्रव की पूर्ति कर दी जाती है, उनमें धीरे-धीरे मरीज स्वास्थ्यलाभ कर अच्छा हो जाता है।
क्या डेंगू बुखार से मिलते-जुलते लक्षण किसी दूसरे ज्वर में भी पाए जा सकते हैं ?
मलेरिया और डेंगू बुखार के बीच फर्क कर पाना कभी-कभी अनुभवी डॉक्टर के लिए भी बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में खून की जाँच ही सही बीमारी का पता दे पाती है। लेकिन जब इस जाँच से भी बात नहीं बनती, तब मलेरिया की दवा साथ में देना जरूरी हो जाता है।
डेंगू बुखार का परीक्षण (Diagnosis of Dengue Fever in Hindi)
क्या कोई ऐसी जाँच है, जिससे डेंगू वायरस की निश्चित पहचान की जा सकती हो ?
डेंगू वायरस की निश्चित पहचान की जा सकती है लेकिन ये विशेष टेस्ट सहज उपलब्ध नहीं हैं । अतएव जिन दिनों में डेंगू किसी एक शहर में शुरू होता है, सिर्फ शुरू में ही कुछ बड़े चिकित्सा-संस्थानों में ये टेस्ट किए जाते हैं। अधिकतर मामलों में निदान लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है। पर जब कोई मामला अधिक उलझा हुआ नजर आता है, तो डॉक्टर अक्सर मरीज के तमाम टेस्ट कराने में ही अच्छाई समझते हैं।
रक्तस्रावी ज्वर में अन्य जाँच-परीक्षणों के साथ-साथ समय-समय पर रक्त-कणों की गिनती और रक्त जमने से जुड़ी खून की जाँच भी बार-बार दुहराई जाती है ताकि जरूरी होने पर मरीज को समय से खून या खून जमने में काम आनेवाले रक्त-कण (प्लेटलेट) दिए जा सकें।
डेंगू बुखार का इलाज (Dengue Fever Treatment in Hindi)
डेंगू ज्वर का इलाज कैसे किया जाता है ?
- उपचार डेंगू बुखार की उग्रता पर निर्भर करता है। साधारण डेंगू बुखार का इलाज घर पर ही हो सकता है।
- बुखार और दर्द कम करने के लिए पेरासिटामोल की गोलियाँ चार-छह घंटे से ली जा सकती हैं।
- निम्यूलिड की गोलियाँ भी ऐसे में खूब काम आती हैं। लेकिन एस्प्रिन लेना नुकसानदेह हो सकता है, इससे भीतर रक्तस्राव होने का खतरा खड़ा हो सकता है।
- बेचैनी घटाने के लिए थोड़े-थोड़े समय पर पानी, जूस, सूप और दूसरे पेय लेना उपयोगी होता है, इसके लिए परिवारजनों का सजग होना जरूरी है।
- अधिक गंभीर मामलों में मरीज को अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है। उसे नस से ग्लूकोज, इलैक्ट्रोलाइट और दूसरे घोल दिए जाते हैं ताकि उसके शरीर में पानी की कमी न आए।
- भीतर तेज रक्तस्राव होने पर खून चढ़ाया जाता है।
कोशिश यह होती है कि कैसे भी मरीज का जीवन बचाया जाए।
( और पढ़े – डेंगू बुखार के घरेलू उपाय )
डेंगू बुखार से बचाव (Prevention of Dengue Fever in Hindi)
क्या डेंगू ज्वर से बचा जा सकता है ?
डेंगू बुखार की रोकथाम के लिए हाल ही में थाइलैंड में एक टीका ईजाद किया गया है। पर यह अभी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है। उम्मीद है कि प्रयोग के अंतिम दौर से गुजरकर यह बहुत जल्द दुनिया के सभी देशों में उपलब्ध हो जाएगा।
लेकिन डेंगू की रोकथाम का एक दूसरा रास्ता भी है। जनव्यापी प्रयास से इसके संवाहक – एडीज इजिप्टाई मच्छर को खत्म करना मुश्किल नहीं है। इसके लिए कुछ आसान कदम उठाए जाने जरूरी हैं। जैसे –
- घर में और आसपास पानी जमा न होने दें।
- मादा एडीज मच्छर कहीं भी और किसी भी चीज में थोड़ा-सा पानी जमा होने पर उसमें अंडे देने के लिए आतुर रहती है। टूटी हुई बोतलें, डिब्बे, बाल्टियाँ, गमले, पुराने टायर, कुलर और पानी के टैंक उसके प्रिय स्थान हैं। साधारण साफ-सफाई रखकर इससे बचा जा सकता है।
- समय-समय पर मच्छरों को मारनेवाली दवा का छिड़काव करने से मच्छरों के बढ़ने पर रोक लग सकती है। ये प्रयास व्यक्तिगत और सामुदायिक-दोनों स्तरों पर किए जा सकते हैं।
- मच्छरों से बचने के लिए पूरी बाजू की कमीज और पतलून या ऐसी पोशाक पहनना बेहतर है जिसमें पूरा बदन ढंका रहे।
हर कोई यदि इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखे, तो डेंगू पर नियंत्रण पाया जा सकता है।