Last Updated on September 2, 2022 by admin
पौरुष शक्ति वर्द्धक चमत्कारी योग – धातु पौष्टिक चूर्ण : Dhatupoushtik Churna in Hindi
आजकल चिन्ता-तनाव एवं दौड़ धूप भरी दिनचर्या से पीड़ित व्यक्ति उचित आहार-विहार और स्वस्थ आचार-विचार का पालन नहीं कर पाता और इसके कई प्रकार के दुष्परिणाम व्यक्ति को भोगने पड़ रहे हैं। इन दुष्परिणामों में मुख्य दुष्परिणाम है अस्वस्थ और बीमार होना। इस अस्वस्थ्यता और बीमारियों में सबसे अधिक पाई जाने वाली बीमारियां हैं पौरुष शक्ति से सम्बन्धित व्याधियां जैसे धातुक्षीणता, नपुंसकता, शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, ध्वजभंग आदि।
युवा अवस्था में पिचका हुआ और निस्तेज चेहरा तथा कमज़ोर और शिथिल शरीर वाले नवयुवक, प्रौढ़ और वृद्धावस्था में पहुंच कर और भी खस्ता हाल हो जाते हैं। ऐसे रोगियों के लिए एक ऐसा घरेलू नुस्खा प्रस्तुत कर रहे हैं जिसे स्त्री-पुरुष दोनों ही सेवन कर सकते हैं इसलिए यह नुस्खा दम्पति के लिए सेवन योग्य है।
यह नुस्खा बहुत पुष्टिदायक और बलवर्द्धक है लेकिन शीतकाल में ही सेवन करने योग्य है क्योंकि इसमें गरिष्ठ पदार्थ होने से यह पचने में भारी है। इस नुस्खे का सेवन वे ही स्त्रीपुरुष करें जिनकी पाचनशक्ति यानी जठराग्नि प्रबल हो। पूरे शीतकाल में इस पौष्टिक नुस्खे का सेवन कर शरीर की धातुओं को पुष्ट कर शरीर को बलवान बनाया जा सकता है।
धातु पौष्टिक चूर्ण के घटक द्रव्य और उनकी मात्रा :
- सफ़ेद मूसली – 50 ग्राम
- काली मूसली – 50 ग्राम
- सालम मिश्री – 50 ग्राम
- शतावरी – 50 ग्राम
- गोखरू बड़ा – 50 ग्राम
- बीजबन्द – 50 ग्राम
- सोंठ – 50 ग्राम
- पीपल – 50 ग्राम
- काली मिर्च – 50 ग्राम
- छिलका रहित कौंच के बीज – 50 ग्राम
- असगन्ध(Ashwagandha) – 50 ग्राम
- विदारीकन्द – 50 ग्राम
- बंशलोचन – 50 ग्राम
- चोपचीनी – 50 ग्राम
- कबाबचीनी (शीतल चीनी) – 50 ग्राम
- निशोथ – 100 ग्राम
बनाने की विधि :
सब द्रव्यों को अलग-अलग कूट पीस कर महीन चूर्ण करके मिला लें और छन्नी से तीन बार छान कर कांच की बर्नी में भर रख लें। ढक्कन एयर टाइट लगाएं।
उपलब्धता : यह “धातु पौष्टिक चूर्ण” इसी नाम से बना हुआ बाज़ार में मिलता है।
मात्रा और सेवन विधि : Dosage of Dhatupoushtik Churna
- सुबह खाली पेट और रात को सोते समय, कुनकुने गर्म मीठे दूध के साथ एक चम्मच (5 ग्राम) चूर्ण सेवन करें।
- जो मधुमेह के रोगी हों वे फीका दूध लें और जो मधुमेह के रोगी न हों वे इस चूर्ण को फांकते समय इसमें 5 ग्राम पिसी मिश्री मिला कर कुनकुने गर्म-मीठे दूध के साथ लें।
धातु पौष्टिक चूर्ण के फायदे और उपयोग : Benefits & Uses of Dhatupoushtik Churna in Hindi
- इस आयुर्वेदिक योग में उत्तम बलपुष्टिदायक और वाजीकारक द्रव्यों को सम्मिलित किया गया है इससे यह योग अत्यन्त वाजीकारक, बलवीर्यवर्द्धक और मादक द्रव्य से रहित हो कर भी स्तम्भन शक्ति दायक गुण रखता है।
- धातु पौष्टिक चूर्ण के सेवन से शरीर पुष्ट और सुडौल होता है।
- धातु पौष्टिक चूर्ण के सेवन से यौन व्याधियां दूर होती हैं।
- स्वप्नदोष के रोगियों के लिए विशेष रूप से लाभप्रद इस चूर्ण को, वीर्यशोधन वटी की 2 गोली के साथ लेना चाहिए।
- शीघ्रपतन के रोगी वीर्यस्तम्भन वटी की 2 गोली के साथ धातु पौष्टिक चूर्ण का सेवन करें।
- शरीर को पुष्ट और निरोगी बनाने के लिए महिलाओं को धातु पौष्टिक चूर्ण का सेवन दूध के साथ करना चाहिए।
- सामान्य दौर्बल्य से पीड़ित पुरुषों को इस चूर्ण का सेवन कम से कम 45 दिन तक अवश्य करना चाहिए।
धातु पौष्टिक चूर्ण के नुकसान और सावधानीयाँ : Dhatupoushtik Churna Side Effects in Hindi
- धातु पौष्टिक चूर्ण के कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं हैं फिर भी इसे आजमाने से पहले अपने चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय अवश्य ले ।
- अधीक मात्रा में सेवन किये जाने पर यह मंदाग्नि (भूख न लगना) जैसी समस्या उत्पन्न कर सकता है ।
- मन्दाग्नि और क़ब्ज़ के रोगी स्त्री-पुरुष पहले इन व्याधियों को दूर करें इसके बाद ही इस नुस्खे का सेवन करें। क़ब्ज़ दूर करने के लिए ‘त्रिफला चूर्ण’ एक चम्मच रात को सोते समय पानी के साथ कुछ दिन सेवन करे । क़ब्ज़ दूर करने के बाद ही इस नुस्खे का सेवन शुरू करे।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)
हा ले सकते है ~ हरिओम
Dhatupostik churan 20-23 saal ka log le sakta he..
धातु पौष्टिक चूर्ण को मधुमेह के रोगी ले सकते है । लेने से पूर्व आपको एक बार अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लेना चाहिए ।
धातु पौष्टिक चूर्ण का एक घटक “अश्वगंधा” भी है इसलिए इसे अलग से लेने की आवश्यकता नहीं है ।
क्या मधुमेह के रोगी धातु पौष्टिक चूर्ण का इस्तेमाल कर सकते हैं !
और क्या धातु पोस्टिक चूर्ण के साथ अलग से अश्वगंधा चूर्ण का इस्तेमाल कर सकते हैं
अगर चूर्ण के घटकों की यहाँ बात नहीं की जा रही तो नाम के अनुसार यहाँ कोई भी अंतर नहीं है ।
आयुर्वेद में सप्तधातु वह तत्व है जिससे शरीर का निर्माण या धारण होता है, इसी कारण से इन्हें ‘धातु’ कहा जाता है धा अर्थात = धारण करना। जो क्रमशः रस धातु, रक्त धातु, मांस धातु, मेद धातु, अस्थि धातु, मज्जा धातु और शुक्र धातु के नाम से जाने जाते है ।
धातु पौष्टिक चूर्ण और वीर्य पौष्टिक चूर्ण में क्या अन्तर है
Chahjye
बहुत सुंदर जानकारी