शतावरी के 55 दिव्य फायदे, गुण, उपयोग और नुकसान : Shatavari ke Fayde aur Nuksan

Last Updated on April 5, 2024 by admin

शतावरी क्या है ? : What is Shatavari in Hindi

यूं तो शतावरी पुरुष व स्त्री दोनों के लिए ही अतिलाभप्रद व उपयोगी जड़ी है फिर भी यह स्त्रियों के लिए विशेष गुणकारी एवं उपयोगी है ।

शतावरी का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Shatavari in Different Languages

Shatavari in –

  • संस्कृत (Sanskrit) – शतावरी
  • हिन्दी (Hindi) – शतावर
  • मराठी (Marathi) – सतावरी
  • गुजराती (Gujarati) – सेमूखा
  • बंगाली (Bangali) – शतमूली
  • तेलगु (Telugu) – एटुमट्टी टेंडा
  • तामिल (Tamil) – सडावरी
  • कन्नड़ (kannada) – मज्जिगे गड्डे
  • फ़ारसी (Farsi) – शकाकुल
  • अंग्रेजी (English) – एरेस मोसस (Ares Moses)
  • लैटिन (Latin) – एस्पेरेगस रेसिमोसस (Asparagus Racemosus)

शतावरी का पौधा कहां पाया या उगाया जाता है ? : Where is Shatavari Plant Found or Grown?

यूं तो शतावरी की पैदावार देश के सभी प्रान्तों में होती है पर उत्तर भारत में यह विशेष रूप से पैदा होती है।

शतावरी का पौधा कैसा होता है ? :

आयुर्वेद ने शतावरी को कई गुणवाचक नामों से पुकारा है जैसे बहुसुता, नारायणी, शतवीर्या, इन्दीवरी, सहस्रवीर्या, शतपदी आदि । यह लता जाति का, कांटेदार पौधा होता है जो जड़ से ही अनेक शाखाओं में फैला हुआ होता है।

  • शतावरी के पत्ते – शतावरी के पत्ते छोटे और सोया जैसे होते हैं।
  • शतावरी के फूल – इसके फूल छोटे और सफ़ेद रंग के होते हैं।
  • शतावरी के फल – शतावरी के फल गोल, मटर के दाने जैसे पकने पर गहरे लाल रंग के लगते हैं, जिसमें 1 से 2 काले रंग के बीज निकलते हैं।
  • शतावरी की शाखा – शतावरी की शाखाएं तिकोनी, चिकनी और रेखांकित होती हैं।
  • शतावरी की जड़ – शतावरी की जड़ लम्बी गोल, उंगली की तरह मोटी सफेद, मटमैले, पीले रंग की सैकड़ों जड़ों के गुच्छे के रूप में निकलती हैं। शतावरी की इन जड़ों को ही औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता हैं। शतावरी का स्वाद फीका होता है।

शतावरी के प्रकार :

शतावरी छोटी और बड़ी दो प्रकार की होती है। बड़ी महाशतावरी कहलाती है। दोनों के गुण लगभग एक समान हैं। महाशतावरी शीतवीर्य, ग्रहणी, अर्श तथा नेत्र रोग नाशक, मेधा तथा हृदय के लिए हितकारी, वृष्य (वीर्य और बल बढ़ाने वाली) और रसायन है। दोनों के अंकुर हलके तथा त्रिदोष, अर्श (बवासीर)और क्षय रोग (तपेदिक या टी.बी.) को नष्ट करने वाले होते हैं।

शतावरी के औषधीय गुण : Shatavari ke Gun in Hindi

महर्षि चरक ने इसे आयुष्य (आयु देने वाली), अत्यन्त बलवीर्यवर्द्धक ,वृद्धावस्था दूर रखने वाली और स्त्रियों के स्तनों में दूध बढ़ाने वाली सर्वोत्तम औषधि बताया है। सुश्रुत के अनुसार शतावरी को दूध के साथ, सेवन करने से बवासीर (अर्श) रोग नष्ट होता है। इसका पाक (शतावरी पाक) अत्यन्त पौष्टिक और स्त्री के शरीर को सुडौल बनाने वाला होता है।

  • शतावरी भारी, शीतल, कड़वी, स्वादिष्ट, रसायन तथा मधुर रस युक्त है ।
  • यह बुद्धिवर्द्धक, अग्निवर्द्धक,स्निग्ध तथा पौष्टिक होती है ।
  • शतावरी नेत्रों के लिए हितकारी, गुल्म व अतिसार नाशक है ।
  • यह स्तनों में दूध बढ़ाने वाली, बलवर्द्धक, वात-पित्त, शोथ और रक्त विकार को नष्ट करने वाली है।

शतावरी की तासीर :

शतावरी का स्वभाव ठंडा होता है, मगर यूनानी चिकित्सा पद्धति के अनुसार गर्म और रूखा भी होता है।

शतावरी का उपयोगी भाग : Beneficial Part of Shatavari Plant in Hindi

मूल।

सेवन की मात्रा :

  1. शतावरी के कन्द का रस – 10 से 20 मिलीलीटर।
  2. शतावरी फल का चूर्ण – 4 से 6 ग्राम।
  3. शतावरी जड़ का काढ़ा – 40 से 80 मिलीलीटर।

शतावरी का उपयोग : Uses of Shatavari in Hindi

  • शतावरी का उपयोग विभिन्न नुस्खों में, व्याधियों को नष्ट कर शरीर को पुष्ट और सुडौल बनाने के लिए किया जाता है।
  • शतावरी का उपयोग पुरुष वर्ग के लिए पौष्टिक नुस्खों में गुणकारी सिद्ध होता है
  • शतावरी स्त्री-वर्ग के लिए स्तनों में दूध बढ़ाने वाली तथा प्रदर रोग नष्ट करने वाली दिव्य औषधि है।
  • यह गर्भस्थ शिशु को बल पुष्टि देने वाली, फिट्स (चक्कर) आने की शिकायत दूर करने वाली और प्रसव पश्चात प्रसूता के लिए हितकारी सिद्ध होने वाली औषधि है।
  • शतावरी तेल का उपयोग सुखपूर्वक प्रसव कराने में अत्यन्त सहायक सिद्ध होता है।
  • यहां इसके कुछ घरेलू प्रयोगों का विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है।

शतावरी के फायदे : Benefits of Shatavari in Hindi

1. जुकाम मिटाता है शतावरी : 10 ग्राम शतावरी चूर्ण को चार से पांच काली मिर्च के साथ पानी में घोटकर सुबह-शाम पीने से जुकाम ठीक हो जाता है। ( और पढ़े – सर्दी जुकाम दूर करने के 31 घरेलू नुस्खे )

2. गठिया रोग में लाभकारी है शतावरी का प्रयोग : शतवारी के तेल से नित्य सुबह-शाम घुटनों पर मालिश करने से घुटनो का दर्द (गठिया रोग) ठीक हो जाता है। ( और पढ़े – गठिया रोग के घरेलू उपचार )

3. शतावरी के प्रयोग से दूर करे अनिद्रा रोग : शतवारी की खीर में घी मिलाकर सेवन करने से कुछ ही दिनों मे नींद न आने का रोग (अनिद्रा) मिट जाता है।

4. स्त्री के दूध में वृद्धि करने में शतावरी करता है मदद : 10 ग्राम की मात्रा में शतवारी चूर्ण को दूध के साथ लेने से स्त्री के स्तनों मे दूध की बढ़ोतरी होती है।

5. वात रोग में शतावरी से फायदा : 15 -15 ग्राम शतावरी और पीपर को पीसकर 4 से 5 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध से लेने से वात रोग में लाभ होता है।

6. नपुसंकता मिटाए शतावरी का उपयोग : 

  • 2-2 ग्राम शतावरी और अश्वगंधा के चूर्ण को दूध में उबाल कर कुछ दिनों तक नियमित पीने से नपुंसकता समाप्त हो जाती है।
  • शतावरी चूर्ण को दूध में देर तक उबालकर मिश्री मिलाकर इसे पीने से कुछ महीनों में ही नपुंसकता खत्म हो जाती है।
  • शतावरी, असगंध, एला, कुलंजन और वंशलोचन का चूर्ण बनाकर रख लें। इसमें से 3 ग्राम चूर्ण में 6 ग्राम शक्कर मिलाकर खाने से और फिर ऊपर से दूध पीने से कुछ ही महीनों में नपुंसकता खत्म हो जाती है।
  • शतावरी और असगन्ध के 4 ग्राम चूर्ण को दूध में उबाल कर पीने से नपुंसकता समाप्त हो जाती है।
  • शतावरी को दूध में देर तक उबालकर मिश्री मिला लें और इस दूध को पीने से ही कुछ महीनों में नपुंसकता खत्म हो जाती है।
  • 3 ग्राम शतावरी का चूर्ण दूध में डालकर उबाल लें फिर इसमें मिश्री मिलाकर पीने से सहवास की कमजोरी दूर हो जाती है।
  • 10 ग्राम से 20 ग्राम शतावरीी के चूर्ण को शक्कर मिले दूध में सुबह-शाम डालकर पीने से नपुंसकता दूर होती है और शरीर की कमजोरी भी दूर होती है।

7. सूखी खांसी में शतावरी के प्रयोग से लाभ : 

  • 10-10 ग्राम शतावरी, अडूसे के पत्ते और मिश्री को 150 मिलीलीटर पानी में उबालकर दिन में 3 बार पीने से सूखी खांसी दूर हो जाती है।
  • शतावरी, अड़ूसे के पत्ते और मिश्री को पानी में उबालकर सुबह-शाम पीने से सूखी खांसी मिट जाती है।

8. प्रदर रोग ठीक करे शतावरी का प्रयोग : 10 से 15 ग्राम शतवारी चूर्ण को 200 मिलीलीटर दूध और 200 मिलीलीटर पानी के साथ मिलाकर उबाले जब यह आधा रह जाये तब इसमे मिश्री मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर रोग समूल मिट जाता है। ( और पढ़े – स्त्री रोग नाशक आयुर्वेदिक चिकित्सा और नुस्खे )

9. श्वेत प्रदर में आराम दिलाए शतावरी का सेवन : शतवारी चूर्ण को शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से श्वेत प्रदर रोग दूर हो जाता है।

10. योनि से खून का बहना रोकता है शतावरी :  10-10 ग्राम शतवारी और गोखरू की जड़ के चूर्ण को 160 मिलीलीटर बकरी का दूध और 1 लीटर पानी मे मिलाकर आग पर गर्म करें और थोड़ा बचने पर छानकर स्त्री को पिला दें इससे योनि से बहता खून बंद हो जाता है।

11. शतावरी के इस्तेमाल से व्रण (घाव) में लाभ : 20 ग्राम शतवारी के पत्तों का चूर्ण बनाकर 40 ग्राम घी में तलकर अच्छी तरह से पीसकर घावों पर लगाते रहने से पुराने से पुराना घाव भी भर जाता है।

12. स्वप्नदोष में लाभकारी है शतावरी का सेवन : 250 – 250 ग्राम शतवारी चूर्ण और मिश्री को पीसकर 6 से 7 ग्राम की मात्रा में 250 मिलीलीटर दूध के साथ सुबह-शाम रोगी को देने से स्वप्नदोष दूर होकर शरीर मजबूत बन जाता है।

13. मूत्रविकार मिटाए शतावरी का उपयोग :  गोखरू और शतवारी चूर्ण को 6 से 7 ग्राम की मात्रा में मिलाकर पीने से पेशाब के रोग दूर हो जाते हैं।

14. पथरी में शतावरी के प्रयोग से लाभ :  20 से 50 ग्राम शतवारी के रस में बराबर मात्रा में गाय का दूध मिलाकर पीने से किडनी (गुर्दे) की पथरी शिघ्र गल कर पेशाब के साथ बाहर आ जाती है।

15. वात खांसी : शतावरी के थोड़े गर्म काढ़े में 1 ग्राम पीपल का चूर्ण मिलाकर दिन में 3 बार रोगी को पिलाने से वातज कास और दर्द दूर हो जाता है।

16. श्वास मूर्छा : 1 ग्राम शतावरी का चूर्ण, 1 ग्राम घी, 4 ग्राम दूध को उबालकर घी मे पकाकर बलानुसार पीने से मूर्च्छा (बेहोशी) ठीक होने के साथ अम्लपित, रक्त पित, वात और पित्त के विकार, श्वास (दमा) और तृष्णा (प्सास) आदि रोग खत्म हो जाते है।

17. स्त्री के दूध में वृद्धि :

  • 10 ग्राम शतावरी के चूर्ण की फंकी दूध के साथ लेने से स्त्री के स्तनों मे दूध की बढ़ोतरी होती है।
  • शतावरी को गाय के दूध में पीस कर सेवन करने से स्त्री का दूध मीठा और पौष्टिक हो जाता है।

18. रक्तातिसार : गीली शतावरी को दूध के साथ पीसकर व छानकर दिन में 3-4 बार पीने से खूनी दस्त बंद हो जाते हैं।

19. मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन और पेशाब की रूकावट) : 20 ग्राम गोखरू के पंचांग के साथ बराबर मात्रा में शतावरी को 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर, छानकर उसमे 10 ग्राम मिश्री और 2 चम्मच शहद मिलाकर रोगी को थोड़ा पिलाने से पेशाब में जलन और पेशाब की रूकावट खत्म हो जाती है।

20. पुरुषार्थ बढ़ाने के लिए: शतावरी को पकाकर सेवन करने से अथवा दूध के साथ इसके चूर्ण की खीर बनाकर खाने से पुरूषार्थ (संभोग करने की शक्ति) बढ़ती है।

21. व्रण (घाव) : शतावरी के 20 ग्राम पत्तों का चूर्ण बनाकर दुगने घी में तलकर अच्छी तरह से पीसकर घावों पर लगाते रहने से पुराने से पुराना घाव भी भर जाता है।

22. स्वप्नदोष : 250 मिलीलीटर ताजी शतावरी की जड़ का चूर्ण और 250 ग्राम मिश्री को पीसकर 6 से 7 ग्राम की मात्रा 250 मिलीलीटर दूध के साथ सुबह-शाम रोगी को देने से स्वप्नदोष दूर होकर शरीर मजबूत बन जाता है।

23. मूत्रविकार : गोखरू और शतावरी का शर्बत बनाकर पीने से मूत्रविकार (पेशाब के रोग) खत्म हो जाते हैं।

24. अश्मरी (पथरी) हो जाने पर : 20 से 50 ग्राम शतावरी के रस में बराबर मात्रा में गाय का दूध मिलाकर पीने से गुर्दे की पथरी जल्दी से गल कर पेशाब के साथ बाहर आ जाती है।

25. प्रमेह : 20 ग्राम शतावरी के रस को 80 ग्राम दूध में मिलाकर पीने से प्रमेह रोग नष्ट हो जाता है।

26. अन्तरार्श : 2 से 4 ग्राम शतावरी के चूर्ण को दूध के साथ रोजाना सेवन करने से अन्तरार्श(बवासीर के मस्से जो बाहर से दिखाई नही पड़ते वह) दूर हो जाते हैं।

27. पित्तज प्रदर : 10 से 20 ग्राम शतावरी के रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीने से पित्तज प्रदर रोग मिट जाता है।

28. वात ज्वर : 10-10 ग्राम शतावरी और गिलोय के रस में थोड़ा गुड़ मिलाकर खाने से या दोनों के 50 से 60 मिलीलीटर काढ़े में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से वात-ज्वर खत्म हो जाता है।

29. विषनाश : शतावरी की जड़ का रस दूध में मिलाकर रोगी को पिलाने से शरीर में चढ़ा हुआ जहर दूर हो जाता है।

30. शरीर का शक्तिशाली होना :

  • शतावरी को पकाकर खाने या शतावरी के चूर्ण की खीर बनाकर सेवन करने से शरीर में ताकत की वृद्धि होती है।
  • लगभग 200-200 ग्राम की मात्रा में शतावरी और असगंध को लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को लगभग 6 ग्राम की मात्रा में लेकर 500 मिलीलीटर  दूध में डालकर इतनी देर तक उबालें की दूध आधी मात्रा में ही रह जाये। अब इस बचे हुए दूध में लगभग 20 ग्राम मिश्री डालकर इसको पी जायें। इसका सेवन 40 दिनों तक लगातार करना चाहिए। इससे शरीर शक्तिशाली बनता है।
  • शतावरी के घी से मालिश करने से शरीर की कमजोरी समाप्त हो जाती है।

31. अम्लपित्त : शतावरी की 14 से 28 मिलीलीटर जड़ का ताजा रस शहद के साथ दिन 2 बार लेने से अम्लपित्त (एसिडिटीज) का रोग दूर हो जाता है।

32. अपस्मार :

  • 12 ग्राम शतावरी की जड़ का चूर्ण दूध के साथ दिन में 2 बार लेने से अपस्मार (मिर्गी) का रोग दूर हो जाता है।
  • 2 चम्मच शतावरी की जड़ का रस 1 कप दूध के साथ सुबह-शाम पीने से कुछ महीनों मे मिर्गी के रोग मे फर्क दिखाई देने लगता है।

33. परिणामशूल : 3-6 ग्राम शतावरी की जड़ का चूर्ण दूध के साथ दिन में 2 बार लेने से परिणाम शूल दूर हो जाता है।

34. बुखार : 6 मिलीलीटर शतावरी की जड़ का रस बराबर मात्रा में गिलोय के रस तथा गुड़ के साथ दिन में 3 बार रोगी को देने से बुखार जल्दी उतर जाता है।

35. मूत्राघात : 25 ग्राम शतावरी की जड़ का चूर्ण 250 मिलीलीटर दूध के साथ दिन में 2 बार रोगी को देने से मूत्राघात (पेशाब के साथ धातु का आना) बंद हो जाता है।

36. आंखों के रोग : 12 से 24 ग्राम शतावरीी से सिद्ध किया 100-200 मिलीलीटर दूध अदरक के रस के साथ दिन में 2 बार रोगी को देने से आंखों के सारे रोग दूर हो जाते हैं।

37. रक्त्तपित्त : 100 से 200 मिलीलीटर शतावरीी की जड़ तथा गोखरू से सिद्ध दूध दिन में 2 बार रोगी को देने से रक्तपित्त का रोग दूर हो जाता है।

38. रतौंधी : शतावरी के मुलायम पतों की सब्जी घी में बनाकर खाने से रतौंधी दूर हो जाती है। 

39. दस्त:

  • शतावरी का बारीक चूर्ण बनाकर 10 ग्राम से लेकर 20 ग्राम की मात्रा में चीनी और दूध के साथ पीने से रोगी को दस्त और धातु की बीमारी से छुटकारा मिलता है।
  • 10 से 20 ग्राम शतावरी चूर्ण को सुबह-शाम चीनी एवं दूध में पेय बनाकर लेने से संग्रहणी अतिसार (बार-बार दस्त का आना) में लाभ मिलता है।

40. प्रदर रोग :

  • शतावरी के रस को शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से पित्तज प्रदर रोग मिट जाता है।
  • 14 से 28 मिलीलीटर शतावरी का रस दिन में 2 बार पीने से प्रदर रोग मे आराम मिलता है।

41. सातवें महीने के गर्भ के विकार : शतावरी और कमलनाल को बराबर मात्रा में लेकर पीसे और गाय के दूध के साथ सेवन कराएं अथवा कैथ, सुपारी की जड़, धान की खील, और शर्करा या मिश्री को पानी के साथ काढ़ा बनाकर दूध में घोलकर पिलाएं। इससे सातवें महीने के गर्भ के रोग नष्ट हो जाते हैं।

42. लिंग वृद्धि : शतावरी, असगंधा, कूठ, जटामांसी और कटेहली के फल को 4 गुने दूध में मिलाकर या तेल में पकाकर लेप करने से लिंग मोटा होता है और लिंग की लम्बाई भी बढ़ जाती है।

43. स्त्री के स्तनों में दूध की वृद्धि के लिए : शतावरी की जड़ का चूर्ण और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 1 चम्मच दिन में 3 बार 1 कप दूध के साथ पिलाने से न केवल स्त्री के स्तनों में दूध की बढ़ोतरी होगी, बल्कि मासिकस्राव के बाद आई कमजोरी भी दूर होती है।

44. हिस्टीरिया : 2 चम्मच शतावरी की जड़ का रस 1 कप दूध के साथ सुबह-शाम पीने से हिस्टीरिया रोग में लाभ होता है।

45. जुकाम : 10 ग्राम शतावरी पिसी हुई को पांच काली मिर्च के साथ मिलाकर पानी में घोटकर सुबह-शाम पिया जायें तो जुकाम ठीक हो जाता है।

46. वात रोग : 20-20 ग्राम शतावरी और पीपर को पीस-छानकर 5-5 ग्राम सुबह दूध से लेने पर वात रोग ठीक हो जाता है।

47. वीर्य के रोग में  :

  • शतावरी रस या आंवला का रस अथवा गोखुरू का काढ़ा शहद में मिला कर पीने से वीर्य शुद्ध होता है। 
  • शतावरी, सफेद मूसली, असगन्ध, कौंच के बीज, गोखरू और आंवला को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह 3-3 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम खाने से धातु (वीर्य) में वृद्धि होती है।
  • 10 ग्राम से 20 ग्राम शतावरी के चूर्ण को चीनी और दूध के साथ पेय बना कर सुबह-शाम पीने से धातु (वीर्य) का पतलापन दूर होता है और वीर्य गाढ़ा होता है।
  • गीली शतावरी को चीरकर बीच के तिनके निकाल कर दूध के साथ पिसी मिश्री मिलाकर खाने से धातु में वृद्धि होती है।

48. सिर का दर्द : शतावरी की ताजी मूल (जड़) को पीसकर व रस निकाल कर उसमें बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर उबाल लेना चाहिए। फिर इस तेल से सिर की मालिश करने से मस्तक का दर्द और आधे सिर का दर्द खत्म हो जाता है।

49. सूखी खांसी :

  • 10 ग्राम शतावरी, 10 ग्राम अडूसे के पत्ते और 10 ग्राम मिश्री को 150 मिलीलीटर पानी के साथ उबालकर दिन में 3 बार पीने से सूखी खांसी समाप्त हो जाती है।
  • शतावरी, अड़ूसे के पत्ते और मिश्री को पानी में उबालकर पीने से सूखी खांसी मिट जाती है।

50. स्तनों का जमा दूध निकालना : 50-50 ग्राम शतावरी, सौंफ, बिदारीकंद को पीसकर और छानकर 5 ग्राम दूध या पानी से लेने से महिलाओं की छाती का जमा हुआ दूध पिघलकर उतर जाता है।

51. प्रदर रोग : 150 ग्राम शतवारी को पीसकर और छानकर 20 ग्राम की मात्रा में, 200 मिलीलीटर दूध और 200 मिलीलीटर पानी के साथ मिलाकर उबाले आधा रह जाने पर इसमे खांड मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर रोग मिट जाता है।

52. श्वेत प्रदर : शतावरी का चूर्ण बनाकर शहद के साथ सेवन करने से श्वेत प्रदर दूर हो जाता है।

53. गठिया रोग  : शतावरी के तेल से रोजाना घुटनों पर मालिश करने से गठिया (घुटनो का दर्द) रोग ठीक हो जाता है।

54. नहरूआ : नहरूआ के रोगी को शतावरी की ठंडाई (ठंडी शरबत) बनाकर पीने से लाभ मिलता है।

55. अनिद्रा रोग : शतावरी की खीर में घी मिलाकर सेवन करने से अनिद्रा (नींद न आना) का रोग समाप्त हो जाता है।

शतावरी के दुष्प्रभाव : Shatavari ke Nuksan in Hindi

  • शतावरी लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
  • शतावरी का अत्यधिक मात्रा में सेवन सिर में दर्द जैसी समस्या पैदा कर सकता है।

दोषों को दूर करने के लिए : इसके दोषों को दूर करने के लिए शतावरी को शहद के साथ सेवन करना चाहिये शहद के साथ शतावरी का सेवन करने से इसके दोष खत्म हो जाते हैं।

Read the English translation of this article hereShatavari: 45 Medicinal Uses and Health Benefits

अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

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