बड़ी इलायची के 28 दिव्य फायदे, गुण, उपयोग और दुष्प्रभाव – Badi Elaichi ke Fayde our Nuksan in Hindi

Last Updated on March 13, 2024 by admin

बड़ी इलायची (badi elaichi in hindi)

इलायची अत्यंत सुगन्धित होने के कारण मुंह की बदबू को दूर करने के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। इसको पान में रखकर खाते हैं। सुगन्ध के लिए इसे शर्बतों और मिठाइयों में मिलाते हैं। मसालों तथा औषधियों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। इलायची दो प्रकार की होती है। छोटी और बड़ी। छोटी इलायची मालाबार और गुजरात में अधिक पैदा होती है, और बड़ी इलायची उत्तर प्रदेश व उत्तरांचल के पहाड़ी क्षेत्रों तथा नेपाल में उत्पन्न होती है। दोनों प्रकार की इलायची के गुण समान होते हैं। छोटी इलायची अधिक सुगन्ध वाली होती है।

विभिन्न भाषाओं में नाम :

  • संस्कृत – एला, स्थूल, बहुला
  • हिन्दी – बड़ी इलायची लाल इलायची
  • बंगाली – बड़ एलायच
  • मराठी – थोखेला
  • गुजराती – मोटी एलची, जाडी एलची
  • फारसी – हैल्कल्क
  • इंग्लिश – लार्ज कारडेमम
  • लैटिन – एमोमम सुवेलेटम, छोटी इलायची
  • संस्कृत – सूक्ष्ममैला, उपकुंचिका, तुत्थादि
  • हिन्दी – छोटी इलायची, गुजराती इलायची
  • बंगाली – छोट एलायच, गुजराती रानी एलायच
  • मराठी – लघुवेला
  • गुजराती – झीली एलची,
  • फारसी – हैलहिला
  • इंग्लिश – सेलसर कारडेमम
  • लैटिन – एलोटोरिया कार्डामोमम

बड़ी इलायची के गुण (badi elaichi ke gun in hindi)

  • रंग : यह भूरा, कालापन और हल्का लाल रंग का होता है।
  • स्वाद : इसका स्वाद चरपरा (तीखा) होता है।
  • स्वरूप : इलायची का पेड़ अदरक के पेड़ के जैसा होता है। इसके फल सफेद और लाल रंग के होते हैं। इसके बीज काले होते हैं।
  • स्वभाव : आयुर्वेद के अनुसार इसकी प्रकृति शीतल है। यूनानी चिकित्सा पद्धति के अनुसार यह गर्म और खुश्क होती है।

सेवन की मात्रा : 

 इसे 5 ग्राम की मात्रा में सेवन करना चाहिए।

बड़ी इलायची के फायदे और उपयोग (badi elaichi ke fayde aur upyog)

1. सिर दर्द : इलायची को पीसकर सिर पर लगाने से सिर दर्द दूर हो जाता है। इसके चूर्ण को सूंघने से भी सिर दर्द दूर हो जाता है।

2. पेट दर्द के लिए : 2 इलायची को पीसकर शहद में मिलाकर खाने से पेट का दर्द दूर हो जाता है।

3. खांसी, दमा, हिचकी :

  • इलायची खाने से खांसी, दमा, हिचकी आदि रोगों से छुटकारा मिलता है।
  • इलायची, खजूर और अंगूर को शहद में चाटने से खांसी, दमा और कमजोरी दूर होती है।

4. मूत्रकृच्छ (पेशाब में कष्ट) :

  • इलायची को दूध के साथ लेने से पेशाब की जलन दूर होती है तथा पेशाब खुलकर आता है।
  • इलायची के दाने का चूर्ण शहद में मिलाकर पीने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) दूर हो जाता है।
  • 30-30 ग्राम इलायची और बांसकपूर लेकर चन्दन के तेल में घोंटकर उसकी 14 गोलियां बनाकर सेवन करने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) के रोग में लाभ होता है।

5. पथरी : पथरी होने पर इलायची का सेवन करने से लाभ मिलता है।

6. रक्तपित्त : सुबह उठते ही खाली पेट रहकर 2 इलायची रोजाना चबाएं इसके बाद ऊपर से दूध या पानी पियें। इससे रक्तपित्त में लाभ मिलता है।

7. नेवले का विष : इलायची का चूर्ण दही के साथ सेवन करने से नेवले का जहर उतर जाता है।

8. शक्ति एवं रोशनी वर्द्धक : 50-50 ग्राम इलायची के दाने, बांस, कपूर और बादाम को भिगोकर छान लेते हैं। इन्हें 50 ग्राम पिस्तों के साथ पत्थर पर बारीक पीसकर 2 लीटर दूध में पकाएं। पकने के बाद इसका हलुआ जैसा होने पर उसमें 20 ग्राम चांदी का वर्क मिलाएं। इसे रोजाना 10-20 ग्राम सेवन करने से आंखों की रोशनी तेज होती है और शारीरिक शक्ति बढ़ती है।

9. घबराहट व जी मिचलाना : इलायची के दानों को पीसकर खाने से या शहद में मिलाकर चाटने से घबराहट व जी मिचलाना दूर हो जाता है।

10. वमन (उल्टी) :

  • 1-2 ग्राम इलायची के दानों का चूर्ण अथवा 5 बूंद इलायची के तेल को अनार के शर्बत में मिलाकर चाटने से जी मिचलाना और उल्टी होना बंद हो जाता है।
  • इलायची को छिलके के साथ जलाकर 600 मिलीग्राम भस्म शहद के साथ बार-बार चाटने से कफजन्य उल्टियां आना बंद हो जाती हैं।

11. हृदय रोग : इलायची के दाने और पीपरामूल को बराबर मात्रा में लेकर घी के साथ रोजाना सुबह के समय चाटने से दिल के रोग मिट जाते हैं।

12. धातु की पुष्टि : इलायची के दाने, जावित्री, बादाम की गिरी, गाय का मक्खन और चीनी को एक साथ मिलाकर रोजाना सुबह के समय खाने से धातु पुष्ट होती है और वीर्य गाढ़ा होता है।

13. धातु की वृद्धि : असगंध, शतावरी, गोखरू, सफेद मूसली, क्रौंच (शुद्ध), खिरेंटी के बीज, एखरा, इलायची के दाने और बादाम बराबर मात्रा में लेकर शक्कर मिलाकर चूर्ण तैयार कर लेते हैं। यह 5-5 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम गाय के दूध के साथ लेने से वीर्य की वृद्धि होती है।

14. शीघ्रपतन : इलायची के दाने और ईसबगोल बराबर मात्रा में लेकर आंवले के रस में खरल करके बेर के आकार की गोलियां बना लेते हैं। यह एक-एक गोली सुबह-शाम लेने से शीघ्रपतन के रोग में लाभ होता है।

15. पेशाब में धातु का जाना : इलायची के दाने और सेंकी हुई हींग का लगभग 360 मिलीग्राम चूर्ण घी और दूध के साथ रोगी को देने से पेशाब में धातु का आना बंद हो जाता है।

16. पेशाब का खुलकर आना : इलायची के दाने और सोंठ को बराबर मात्रा में लेकर अनार के रस या दही के छने हुए पानी में सेंधानमक मिलाकर पीने से पेशाब खुलकर आता है और मूत्राघात दूर हो जाता है।

17. सूखी खांसी : छोटी इलायची को तवे पर जलाकर कोयला बनाकर धुंआ निकल जाने के बाद किसी बर्तन से ढंक दें। इनका चूर्ण बनाकर लगभग 500 मिलीग्राम घी और शहद के साथ दिन में तीन बार चाटने से सूखी खांसी में आराम आता है।

18. कफजन्य खांसी : लगभग 500 मिलीग्राम इलायची के दानों का बारीक चूर्ण और सोंठ का चूर्ण लेकर शहद में मिलाकर चाटने से या इलायची के तेल की 4-5 बूंद चीनी के साथ लेने से कफजन्य खांसी मिटती है।

19. कफ : इलायची के दाने, कालानमक, घी तथा शहद को एक साथ मिलाकर चाटने से कफ रोग दूर हो जाता है।

20. ज्वर और जीर्ण ज्वर : इलायची के दाने, बेलफल, साठी, दूध और पानी को एक साथ उबाल लें तथा दूध के शेष रहने रहने पर इसे उतारकर पी लेते हैं। इससे सभी प्रकार के बुखार और पुराने बुखार ठीक हो जाते हैं।

21. अफारा : इलायची को आंवले के रस या चूर्ण के साथ 120 मिलीग्राम सेंकी हुई हींग और नींबू के थोड़े से रस में मिलाकर सेवन करने से पेट की गैस, पेट का दर्द और अफारा का रोग मिट जाता है।

22. सभी प्रकार के दर्द : इलायची के दाने सेंकी हुई हींग, जवाक्षार और सेंधानमक का काढ़ा बनाकर उसमें एरंड का तेल मिलाकर रोगी को देने से कमर, दिल, नाभि, पीठ, मस्तक, कान, आंख आदि स्थानों के सभी प्रकार के दर्द तुरन्त ही मिट जाते हैं।  

23. कफजन्य हृदय रोग : इलायची के दाने, पीपरामूल और पटोलपत्र को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लेते हैं। यह चूर्ण 1 से 3 ग्राम तक शुद्ध घी के साथ चाटने से कफजन्य दिल रोग व दिल का दर्द दूर हो जाता है।

24. वातनाड़ी दर्द : 2 ग्राम इलायची के दाने का ताजा चूर्ण और लगभग 120 मिलीग्राम से 180 मिलीग्राम क्विनाइन मिलाकर वातनाड़ी शूल के रोगी को देने से शीघ्र लाभ मिलता है।

25. खूनी बवासीर : इलायची के दाने, केसर, जायफल, बांस, कपूर, नागकेसर और शंखजीरा बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लेते हैं। इसके 2 ग्राम चूर्ण में 2 ग्राम शहद, 6 ग्राम घी और 3 ग्राम शक्कर को मिलाकर सुबह-शाम 15 दिन तक लेने से रक्तप्रदर और खूनी बवासीर दूर हो जाती है। इस दवा के सेवन करते समय गुड़, खोपरा आदि चीजें नहीं खानी चाहिए।

26. मुंह का रोग : 10-10 ग्राम छालिया और बड़ी इलायची लेकर पीसकर और कपड़े में छानकर पॉउडर बना लें। रोजाना 2 से 3 बार इस पॉउडर को मुंह के घाव, छाले पर लगाने से मुंह के दाने और जख्म ठीक हो जाते हैं।

27. पित्ताशय की पथरी : लगभग आधा ग्राम बड़ी इलायची को खरबूजे के बीज के साथ पीसकर खाने से पथरी के रोग में फायदा होता है।

28. श्वेत प्रदर : बड़ी इलायची और माजूफल को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह पीसकर उसमें बराबर मात्रा में मिश्री को मिलाकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण को 2-2 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह और शाम पीने से स्त्रियों को होने वाले श्वेत प्रदर की बीमारी से छुटकारा मिलता है।

बड़ी इलायची के दुष्प्रभाव (badi elaichi ke nuksan)

बड़ी इलायची को अधिक मात्रा में सेवन करने से आंतों को नुकसान हो सकता है।

दोषों को दूर करना वाला : बड़ी इलायची के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए कतीरा का उपयोग किया जाता है।

Read the English translation of this article hereBlack Cardamom (Badi Elachi): 28 Amazing Uses, Benefits, Dosage and Side Effects

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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