दिल (हृदय) का तेज धड़कना इसके कारण, लक्षण और इलाज

Last Updated on August 3, 2022 by admin

हार्ट बीट तेज होना :

हृदय की धड़कने की क्रिया से ही हमारे पूरे शरीर में रक्त का संचालन होता है। यदि किसी दोष या बीमारी के कारण यह धड़कन सामान्य से तेज हो जाती है तो उसे बीमारी का रूप माना जाता है। इसमें सीने में भारीपन, दर्द एवं घबराहट का अनुभव होता है।

दिल के तेज धड़कने के कारण :

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  • मानसिक उत्तेजना,
  • स्नायु में किसी प्रकार की बीमारी,
  • उत्तेजित पदार्थों को खाना,
  • डर,
  • बहुत ज्यादा परिश्रम,
  • शोक,
  • हस्तमैथुन और अधिक संभोग यानी सहवास आदि कारणों से दिल की धड़कन तेज हो जाती है।

दिल के तेज धड़कने के लक्षण :

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इस रोग में दिल बड़ी तेजी से धड़कने लगता है जिसके कारण –

  • शरीर में रूखापन,
  • प्यास अधिक लगना,
  • भूख की कमी,
  • हाथ-पांव ठंडे से हो जाते हैं,
  • दिल जैसे बैठा जा रहा हो और
  • सांस लेने में परेशानी होती है।

दिल के तेज धड़कने पर खान-पान और परहेज :

  • गेहूं की रोटी, हरी सब्जी, दलिया, फलों में सन्तरा, मौसमी, अनार, अनान्नास, सेब और सेब का मुरब्बा लाभकारी है।
  • इसके साथ ही तेल, गुड़, मिर्च, पान या पान मसाला, तम्बाकू, चाय, गैस बनाने वाली चीजे, खजूर, बादाम, पपीता, काजू, पिस्ता, चिलगोजे और अखरोट आदि गर्म मेवे नहीं देने चाहिए।
  • भोजन के साथ प्याज, अदरक तथा लहसुन का प्रयोग अवश्य करें।

विभिन्न औषधियों से दिल (हृदय) के तेज धड़कने का उपचार :

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1. मुलेठी : मुलेठी का चूर्ण 4 ग्राम सुबह-शाम घी या शहद के साथ सेवन करने से हृदय के समस्त रोगों में लाभ होता है।

2. अनार : अनार के ताजे पत्तों को 10-50 ग्राम की मात्रा में पीसकर 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर, उस पानी को छानकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से धड़कन सामान्य हो जाती है।

3. लहसुन :

  • लहसुन की तीन कलियों का रस एक गिलास पानी में डालकर रोगी को देने से दिल की बढ़ी हुई धड़कन में लाभ होगा।
  • लहसुन को आग में भूनकर चूर्ण बना लें। उसमें 5 ग्राम सत गिलोय और 2 चुटकी प्रवाल पिष्टी मिलाकर रख लें। इसके बाद इसमें से एक चुटकी चूर्ण के साथ रोगी को सेवन करायें।

4. सर्पगंधा : हृदय की धड़कन में छोटी चन्दन (सर्पगन्धा) चूर्ण रोज 1-2 ग्राम की मात्रा में रात को सोने से पहले सेवन करने से लाभ होता है।

5. देवदारू : देवदारू चूर्ण 3 से 6 ग्राम को सोंठ के साथ पीसकर सुबह-शाम सेवन करने से हृदय रोग नष्ट होते हैं।

6. छोटी इलायची : छोटी इलायची का चूर्ण 1 से 2 ग्राम पिप्पलीमूल के साथ घी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।

7. जटामांसी :

  • हृदय की धड़कन में जटामांसी के बारीक चूर्ण का घोल 30 मिलीलीटर से 50 मिलीलीटर प्रतिदिन 3 बार सेवन करने से पूर्ण लाभ होता है।
  • जटामांसी का चूर्ण 500 मिलीग्राम से लेकर 1 ग्राम की मात्रा में नौसादर के साथ सुबह-शाम देने से दिल की तेज धड़कन, सिर का भारीपन और कमजोरी दूर होती है।

8. बेल :

  • बेल की जड़ का काढ़ा सुबह-शाम सेवन करने से हृदय की धड़कन नियन्त्रित हो जाती है।
  • पके हुए बेल का गूदा लगभग 100 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह के समय मलाई के साथ खाने दिल की धड़कन की बीमारी में आराम मिलता है।
  • बेल-पत्र का 10 मिलीलीटर रस लेकर गाय या भैंस के शुद्ध घी में मिलाकर सेवन करें।

9. नागबला : नागबला की जड़ की छाल का बारीक चूर्ण 5 से 10 ग्राम सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से पूर्ण लाभ होता है।

10. सफेद गुलाब : सफेद गुलाब की पंखुड़ियों का रस 10 से 20 मिलीलीटर सुबह-शाम सेवन करने से हृदय की धड़कन में लाभकारी होता है।

11. अर्जुन की छाल :

  • अर्जुन की छाल का चूर्ण 10 ग्राम को 500 मिलीलीटर दूध में उबालकर खोया बना लें। उस खोये के वजन के बराबर मिश्री का चूरा मिलाकर, प्रतिदिन 10 ग्राम खोया खाकर दूध पीने से हृदय की तेज धड़कन सामान्य होती है।
  • 5 ग्राम से 10 ग्राम की मात्रा में अर्जुन की छाल को दूध में पकाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।

12. फालसा :

  • फालसा के फलों का शर्बत बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
  • फालसे 30 ग्राम, कालीमिर्च के पांच दानों का चूर्ण और स्वाद के अनुसार सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से दिल की तेज धड़कन में आराम मिलता है।

13. शहतूत : शहतूत का शर्बत बनाकर पीने से हृदय की तीव्र धड़कन सामान्य होती है।

14. बरगद :

  • बरगद के कोमल हरे पत्तों को 10 ग्राम की मात्रा में पीसकर 150 ग्राम पानी में मिलाकर, छानकर थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से तेज धड़कन सामान्य होती है।
  • बरगद के 10 ग्राम कोमल हरे रंग के पत्तों को 150 मिलीलीटर पानी में खूब पीसकर छानकर उसमें थोड़ी मिश्री को मिलाकर सुबह-शाम 15 दिनों तक सेवन करने से फायदा होता है।

15. ब्राह्मी : ताजी ब्राह्मी का 20 मिलीलीटर रस और 5 ग्राम शहद को मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से दिल की कमजोरी नष्ट होकर तेज धड़कन की समस्या में भी आराम मिलता है।

16. अर्जुन की छाल : अर्जुन की छाल 500 ग्राम को कूट-पीसकर उसमें 125 ग्राम छोटी इलायची को पीसकर 20 ग्राम की मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम 3-3 ग्राम को खुराक के रूप पानी के साथ सेवन करने से तेज दिल की धड़कन और घबराहट नष्ट होती है।

17. असगंध : असगंध और बहेड़ा दोनों को कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर 3 ग्राम चूर्ण को थोड़े-से गुड़ में मिलाकर हल्के गर्म पानी से सेवन करने से दिल की तेज धड़कन और निर्बलता नष्ट होती है।

18. पीपरा मूल : पीपरा मूल और छोटी इलायची को 25-25 ग्राम मात्रा में कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण को घी के साथ मिलाकर सेवन करने से कब्ज की समस्या से उत्पन्न हृदय रोगों में लाभ होता है।

19. आंवला :

  • आंवले का चूर्ण आधा चम्मच लेकर उसमें थोड़ी-सी मिश्री का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से धड़कन में आराम मिलता है।
  • आंवले का मुरब्बा या शर्बत दिल की तेज धड़कन को सामान्य बनाता है।

20. पपीते : पपीते का गूदा लेकर उसे मथ लें। 100 ग्राम गूदे में 2 लौंग का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से दिल की धड़कन में लाभ होगा।

21. गाजर :

  • हृदय की धड़कन बढ़ना और रक्त गाढ़ा होने की बीमारी में गाजर लाभ करती है।
  • गाजर का रस 200 मिलीलीटर मात्रा में प्रतिदिन पीने से हृदय की निर्बलता नष्ट होने से तेज धड़कन की समस्या का निवारण होता है।

22. धनिया :

  • यदि दिल की धड़कन तेज मालूम पड़े और घबराहट बढ़ जाए, तो सूखा धनिया एक चम्मच और मिश्री एक चम्मच दोनों को मिलाकर सेवन करने से धड़कन सामान्य हो जाएगी।
  • 3 ग्राम धनिये के चूर्ण में 3 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर ताजे पानी से सेवन करने पर दिल की तेज धड़कन में लाभ होता है।
  • हृदय की धड़कन यदि अधिक मालूम हो तो सूखा धनिया और मिश्री समान मात्रा में मिलाकर नित्य एक चम्मच ठंडे पानी से लें।

23. नींबू : नींबू का रस 15 मिलीलीटर पानी में मिलाकर पीने से दिल में जलन और तेज दिल की धड़कन में बहुत लाभ होता है। नींबू की शिकंजी बनाकर पीने से भी लाभ होता है। यदि धड़कन बढ़ने की वजह से कुछ बेचैनी-सी अनुभव होती हो, तो एक गिलास पानी में नींबू निचोड़कर पी जाएं।

24. टमाटर : टमाटर का सूप बीज निकालकर 250 ग्राम लें और अर्जुन के पेड़ की छाल का चूर्ण 2 ग्राम लेकर दोनों को अच्छी तरह मिलाकर सुबह के समय सेवन करने से दिल की धड़कन में रोगी को लाभ होगा।

25. इलायची : इलायची के दानों का चूर्ण आधा चम्मच शहद के साथ चाटने से घबराहट दूर हो जाती है।

26. सेब : 100 मिलीलीटर सेब के रस में 10 ग्राम शहद मिलाकर पी जाएं।

27. सफेद इलायची : सफेद इलायची का 3 ग्राम की मात्रा में चूर्ण को लेकर गाय के दूध के साथ सेवन करने से धड़कन में आराम होता है।

28. कपूर : यदि दिल तेजी से धड़कता हुआ मालूम पड़े, तो थोड़ा-सा कपूर सेवन करें।

29. अंगूर :

  • रोगी यदि अंगूर खाकर ही रहे तो हृदय-रोग शीघ्र ठीक हो जाते है। जब हृदय में दर्द हो, धड़कन अधिक हो तो अंगूर का रस पीने से दर्द बन्द हो जाता है तथा धड़कन सामान्य हो जाती है। थोड़ी देर में ही रोगी को आराम आ जाता है।
  • रोजाना 25 मिलीलीटर अंगूर का रस पिएं।

30. प्याज :

  • जिनके हृदय की धड़कन बढ़ गई हो, हृदय-रोगों से बचना चाहते हैं, वे एक कच्चा प्याज नित्य खाना खाते समय खायें। इससे धड़कन सामन्य हो जायेगी। प्याज का रस उचित मात्रा में लेना खून के बहाव में सहायक है और दिल को कई बीमारियों से सुरक्षित रखता है।
  • एक चम्मच प्याज के रस में जरा-सा नमक डालकर सेवन करें।

31. पिस्ता : पिस्ते की लौज लगभग 30 दिनों तक खाने से हृदय की धड़कन का रोग कम हो जाता है।

32. किशमिश : 50 ग्राम किशमिश गर्म पानी में मथकर या उबालकर सेवन करें। किशमिश हृदय को बल देती है।

33. बहेड़ा : बहेड़े के पेड़ की छाल का चूर्ण 2 चुटकी प्रतिदिन घी या गाय के दूध के साथ सेवन करने से हृदय की बीमारी में आराम मिलता है।

34. पिस्ता : पिस्ता हृदय की धड़कन कम करता है। रात को 5 पिस्ता पानी में भिगो दें। सुबह पानी फेंक दें केवल पिस्ता खायें ऊपर से दो घूंट पानी पीयें।

35. गुलाब :

  • 50 ग्राम गुलाब के सूखे फल, 100 ग्राम मिश्री को एक साथ मिलाकर पीस लें। इस चूर्ण के 2-2 चम्मच चूर्ण को सुबह-शाम गर्म दूध से फंकी लेने से दिल का धड़कना सही हो जाता है।
  • एक गुलाब के फूल को बासी मुंह चबाकर खा जाएं।
  • यदि दिल बहुत धड़कता हो तो गुलाब के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री लें। इस चूर्ण को 1-1 चम्मच गाय के दूध से दिन में 2 बार देने से दिल का ज्यादा धड़कना कम हो जाता है।

36. दूध : गर्म दूध एक गिलास में स्वादानुसार मिश्री या शहद, दस भीगी हुई किशमिश उसी भिगोये हुए पानी में पीसकर मिला दें। इसे नित्य 40 दिनों तक पीयें। हृदय की धड़कन कम होगी, शरीर में शक्ति आयेगी।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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