Last Updated on February 26, 2024 by admin
1). लू लगना – लू के प्रभाव को आम तुरन्त दूर करता है। कच्चे आम को आग में भूनकर गुड़ के शर्बत में इसका रस मिलाकर रोगी को पिलायें। तुरन्त ही रोग दूर हो जायेगा। रोग की ऋतु में ही कच्चा आम मिल जाता है।
( और पढ़े – लू के कारण ,बचाव और घरेलू आयुर्वेदिक उपचार)
2). कमजोरी – वह फल जो निर्बल व्यक्तियों के लिए अमृत समान है और जिससे बढ़कर संसार में पाचनशक्ति का सुधार करने के लिए कोई फल नहीं, अंगूर है। यदि घण्टे-घण्टे के बाद थोड़ा-थोड़ा खाया जाये और बीच में खुश्क रोटी के अतिरिक्त कुछ न खाया जाये तो कमजोर व्यक्ति के लिए यह अक्सीर है। यदि अधिक शारीरिक परिश्रम के कारण किसी व्यक्ति की पाचनशक्ति खराब हो गयी हो तो इस विधि से वह ठीक हो जायेगी।
3). तालु के कष्ट – वह फल जो हलक के रोग को दूर कर देता है, अनन्नास है। यदि ताजा फल का रस निकालकर प्रयोग किया जाये तो तालु के सभी रोगों को दूर करता है।
4). आँखों की सफेदी – वह फल जो आँखों की सफेदी को नष्ट कर देता है, गुठली दूर किया हुआ आँवला है। आँवला छह-सात ग्राम लेकर कुछ कूट कर जल में भिगो दें। दस घण्टे बाद निचोड़ कर फेंक दें और इस पानी में उतना ही और आँवला भिगो दें। ऐसी क्रिया तीन बार करें। पुनः इस जल को साफ करके आँखों में डाला करें। इससे आँखों की सफेदी शीघ्र नष्ट हो जायेगी।
5). नशाहारी – वह फल जिसके प्रयोग से शराबी का नशा उतर जाता है, शराबियों की शराब छूट जाती है, सेब है। यदि पकाया हुआ सेब दिन में तीनचार बार खाया जाये तो शराबियों के लिए अक्सीर का प्रभाव रखता है। इसके कुछ दिनों के प्रयोग से आदी शराबी हर नशीली चीज से घृणा करने लगता है।
6). रोगी का सर्वोत्तम भोजन – वह फल जिसमें दूध के बराबर पोषणतत्त्व है और जो तुरन्त शरीर का अंग बन जाता है, सन्तरा है। यह रोगियों के लिए अमृत समान है। इसका विशेष गुण यह है कि यह मेदे पर किसी प्रकार का भार डाले बिना पचकर शरीर का अंग बन जाता है। जिस रोगी को कोई भोजन न दिया जा सके उसे सन्तरे का रस दिया जाता है और इससे बहुत ही लाभ उठाया जा सकता है।
7). नीरोग रखने वाला टॉनिक – वह फल जिसके लगातार प्रयोग से सदा यौवन कायम रहता है और आयुपर्यन्त कोई रोग नहीं सताता, हरा आँवला है। दो प्रात: और दो सायंकाल खाने वाला न तो कभी बीमार होगा और न कभी उसके बाल श्वेत होंगे। आँवला रसायन (शरीर को नया बना देने वाला) है।
8). गुर्दे का दर्द – वह फल जिसका छिलका दर्द गुर्दा और हैजे में अद्भुत प्रभाव रखता है, खरबूजा है। इसका सूखा छिलका छह ग्राम लेकर धोकर दो घण्टे तक एक कप जल में उबालें। पुनः छानकर कुछ चीनी मिलाकर दोनों समय आधा-आधा कप पी लिया करें। एक सप्ताह तक लगातार और फिर दूसरे-तीसरे दिन पी लिया करें, गुर्दे का दर्द जाता रहेगा।
तीन ग्राम खरबूजे के छिलके के चूर्ण में दो चम्मच ब्रांडी और दो चम्मच पानी मिलाकर हैजे के रोगी को दें या खरबूजे के छिलके का चूर्ण । केवल ठण्डे पानी से ही दें। इससे हैजे का प्रभाव दूर हो जायेगा।
9). जलोदर – वह फल जो जलोदर (पेट का पानी) को नष्ट कर देता है, हरा नारियल है। इसके दो-तीन गिलास जलोदर के रोगी को रोज पिलाते रहने से कुछ दिनों में जलोदर दूर हो जाता है। रोग और रोगी की शक्ति और दशा के अनुसार इसकी मात्रा न्यूनाधिक की जा सकती है। ( और पढ़े – जलोदर के 21 रामबाण घरेलु उपचार)
10). फेफड़ों से खून आना – वह फल जो छाती से खाँसी के साथ रक्त आने को ठीक कर देता है, मुनक्का है। रोगी को एक-एक दाना करके धीरे-धीरे मुनक्का खिलाई जायें। पचास से डेढ़ सौ ग्राम तक खाने से खून आना बन्द हो जाता है।
11). सफेद बाल काले हो जायेंगे – वह फल जिसके तेल से श्वेत बाल काले हो जाते हैं और सदा काले रहते हैं, अखरोट है। ताजा फल के दो किलो छिलके लेकर दो से पन्द्रह किलो दूध में दिन भर कढ़ने दें। रात को दही जमाकर मक्खन निकाल लें और घी बनाकर शीशी में रख लें। इस घी को हाथों से श्वेत बालों पर लगायें। चन्द दिनों के प्रयोग से ही बाल काले हो जायेंगे। पुनः चौथे दिन लगाते रहने से बाल सदैव काले रहेंगे।
12). यौवनदाता – वह फल जिसके प्रयोग से अस्सी वर्ष का बूढ़ा भी जवानी का आनन्द ले सकता है, आँवले का चूर्ण है। चूर्ण बनाकर उसी के रस में सात बार भिगो और सुखा कर इसी के बराबर वजन खांड और मधु और घी मिला कर चाटें और ऊपर से दूध पी लें। चन्द दिनों के प्रयोग से ही अस्सी वर्ष के बूढ़े में भी जवानी जैसी उमंग पैदा हो जायेगी।
13). कमजोर इन्द्री का इलाज – वह फल जिसे इन्द्री पर मलने से इच्छानुसार मुटाई प्राप्त की जा सकती है, नारियल है। ऐसा नारियल जिसमें पानी न हो, लेकर भेड़ के दूध से भर लें। जब सूख जाये तो पीसकर उसमें शहद मिलाकर खूब एकजान कर लें। इसे इन्द्री पर मलने से इन्द्री मोटी हो जाती है। इस काम के लिए इससे बढ़कर और कोई दवा नहीं।
14). मधुमेह – वह फल जो मधुमेह का उत्तम इलाज है, जामुन है। जामुन की गुठली की गिरी का चूर्ण दिन में एक से दो ग्राम तक दो बार ताजा जल से फाँक लिया करें। यह बिल्कुल आसान योग है।
15). अण्डकोष में पानी पड़ना – वह फल जिससे अण्डकोषों में जमा पानी खारिज हो जाता है, किशमिश है। अण्डकोषों में पानी भरकर वे बहुत बड़े हो जाते हैं। ऐसी दशा में किशमिश को दूध के साथ खाना चाहिए।
16). खुश्क खाँसी – वह फल जो खुश्क खाँसी में अक्सीर से कम नहीं, आलूचा है। रोज प्रात:काल आलूचे के पन्द्रह-बीस दाने खा लेने से खुश्क खाँसी जाती रहती है।
पित्त के बुखारों और रक्त की गर्मी को दूर करने के लिए भी आलूचे का प्रयोग अत्यन्त लाभदायक है।