Last Updated on May 7, 2023 by admin
फाइब्रोमायल्जिया रोग क्या है ? (Fibromyalgia in Hindi)
फाइब्रोमायल्जिया ऐसी बीमारी है, जो मरीज के जीवन को असहनीय पीड़ा एवं तकलीफों से भर देती है । इस बीमारी के कारण मरीज को हर वक्त शरीर की सारी मांसपेशियों एवं हड्डियों में इस कदर का दर्द होता है कि वह स्पर्श मात्र से ही तड़प उठता है। हमेशा शारीरिक थकान, जकड़न एवं तनाव से मरीज ग्रस्त रहता है। मरीज को नींद नहीं आती है और हाथ-पैर पर हमेशा चींटियाँ चलने जैसा महसूस होता है ।
जाड़ों में उनकी तकलीफें असहनीय हो जाती हैं। फाइब्रोमायल्जिया में मांसपेशियों और जोड़ों में इतना अधिक दर्द एवं जकड़न की समस्या होती है और इस कदर का मानसिक तनाव रहता है कि रोगी अपनी नित्यक्रियाओं के लिए भी दूसरों पर निर्भर हो जाता है । जाड़े के मौसम में इसके लक्षण बहुत अधिक बढ़ जाते हैं ।
हमारे देश में फाइब्रोमायल्जिया आम बीमारी नहीं है । सिर्फ 0.2 से 0.4 प्रतिशत आबादी ही इस रोग से ग्रस्त है । यह बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है और इससे आम तौर पर महिलाएँ ही पीड़ित होती हैं।
फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण :
फाइब्रोमायल्जिया के प्रमुख लक्षणों में –
- लंबे समय से मांसपेशियों और हड्डियों में अत्यधिक दर्द, जकड़न, झनझनाहट और सुन्नपन का होना ।
- अनिद्रा की समस्या।
- मानसिक तनाव, सिर दर्द और चक्कर आना ।
- दस्त लगना ।
- एकाग्रता में कमी ।
- महिलाओं में मासिक धर्म के समय तेज दर्द आदि प्रमुख हैं।
- इसके मरीजों को खास तौर पर सिर के पिछले और निचले हिस्से, कमर के ऊपर और नीचे के हिस्से, गरदन, कंधे, कोहनी, कूल्हे और घुटने में भीषण दर्द होता है।
- इस बीमारी में कभी तो उक्त सारे लक्षण भीषण रूप धारण कर लेते हैं और मरीज की तकलीफें असहनीय हो जाती हैं तो कभी ये लक्षण काफी कम हो जाते हैं ।
- इस बीमारी के कारण रोगी मानसिक तनाव से इस कदर ग्रस्त हो जाता है कि उसका किसी कार्य में भी मन नहीं लगता है ।
- लक्षण बढ़ जाने पर मरीज को बार-बार उल्टियाँ होती हैं।
- फाइब्रोमायल्जिया के मरीजों को ठंड भी अधिक लगती है और उन्हें गरमियों में भी हाथ-पैर में जुराबें पहननी पड़ती है और पंखे की हवा भी कष्टदायक लगती है।
फाइब्रोमायल्जिया के कारण :
अभी तक ठीक तौर पर यह पता नहीं चला है कि इस बीमारी के क्या कारण हैं । अनेक विशेषज्ञों का मानना है कि यह बीमारी किसी चोट या हादसे से होती है। चोट या हादसे से केंद्रीय तंत्रिया तंत्र प्रभावित होता है । कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, मांसपेशियों के मेटाबॉलिज्म में परिवर्तन और शरीर में हार्मोन कोर्टिसोल के स्तर में असमान्य रूप से कमी का संबंध फाइब्रोमायल्जिया से है ।
इस बीमारी की पहचान के लिए न तो एक्स-रे और न ही लैब जाँच की जरूरत पड़ती है, बल्कि इसके लक्षणों से ही रोग का पता चल जाता है । लक्षण ही इस बीमारी का निदान हैं।
फाइब्रोमायल्जिया का उपचार :
इसके इलाज के लिए व्यापक रणनीति अपनानी पड़ती है, जिसमें अस्थि शल्य चिकित्सक और फिजियोथेरेपिस्ट के अलावा मनोचिकित्सक और पारिवारिक सहयोग की भी जरूरत पड़ती है । मानसिक तनाव और दर्द कम होने पर रोगी आराम की नींद सोता है। दर्द और सूजन कम करने तथा अच्छी नींद आने के लिए ट्राइसाइक्लिक, एंटीडिप्रेसेंट, एंटीइनफ्लामेट्री, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीएंग्जायटी, मसलरिलैक्सेंट और मल्टी विटामिन दिए जाते हैं।
इसके मरीजों को खान-पान और रहन-सहन में बदलाव करना पड़ता है। मरीज को नियमित व्यायाम की जरूरत होती है। रोगियों को कच्चा शुद्ध शाकाहारी तथा प्रोटीन युक्त आहार दिया जाता है, जिसमें सारे विटामिन ए, बी, सी, ई तथा अन्य अनिवार्य मिनरल्स मौजूद होते हैं। ऐसे आहार से रोगी की मांसपेशियों की जकड़न और दर्द में कमी आ जाती है, मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं तथा रोगी को अच्छी नींद आती है।
इसके रोगियों को तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए। मरीज को नित्य सही समय पर सोना जरूरी है । एक घंटा देर से सोना भी लक्षणों को इतना बढ़ा देता है कि उन्हें ठीक होने में कई दिन लग जाते हैं । इसके अलावा रोगी को दिन में बिलकुल नहीं सोना चाहिए।
इस बीमारी के मरीजों के लिए प्रतिदिन सही समय तक उचित व्यायाम करना अनिवार्य है, अन्यथा लक्षण और गंभीर हो सकते हैं । इसलिए किसी फिजियोथेरैपिस्ट की निगरानी में ही व्यायाम करना चाहिए । व्यायाम से मांसपेशियों में ताकत आती है, दर्द में कमी आती है और अच्छी नींद आती है। ऐसे रोगियों के लिए मध्यम तीव्रता वाले व्यायाम लाभकारी साबित होते हैं। रोगी को खिंचाव वाले व्यायाम, मांसपेशियों में ताकत लाने वाले व्यायाम, एरोबिक एक्सरसाइज, पैदल चलना, साइकिल चलाना, तैरना और साँस लेने वाले व्यायाम करने चाहिए।
शरीर के विभिन्न अंगों की गरम पानी की सिकाई से भी फायदा होता है । इसके अलावा बिजली के यंत्र द्वारा तंत्रिकाओं पर भी प्रभाव डाला जाता है, जिससे दर्द कम होता है।
मानसिक तनाव को कम करने के लिए मनोवैज्ञानिक की मदद ली जाती है। रोगी का इलाज तनाव रहित माहौल में किया जाता है । बायोफीडबैक, दिमागी शांति और मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग तथा मरीज को परिवार के सदस्यों एवं दोस्तों से भावनात्मक सहारा मिलना आवश्यक है । फाइब्रोमायल्जिया के मरीज रिवर्सल थेरैपी की मदद से दोबारा सक्रिय एवं कष्ट रहित जीवन व्यतीत कर सकते हैं ।