Last Updated on February 12, 2022 by admin
गन्ना (ईख) क्या है ? : Sugar Cane in Hindi
गन्ना देश भर में पैदा होता है इसलिए इसे प्रायः सभी जानते हैं। गांव-गांव इसकी खेती की जाती है। गन्ने की पैदावार देश के उष्ण क्षेत्रों में ज्यादा पाई जाती है।
गन्ना खाने का सही तरीका : Ganna Khane ka Tarika in Hindi
गन्ने से परिचित तो सभी हैं पर इसके सेवन का सही तरीका सभी लोग नहीं जानते। कुछ मौसमी (Seasonal) दूकानें मशीन से गन्ने का रस निकाल कर बेचती हैं। गन्ने का निकला हुआ रस पीना अच्छा तो है पर रस पीने की अपेक्षा, इसे छील कर और टुकड़े (गंडेरियां) करके चूसना अधिक निरापद, शुद्ध तथा सुपाच्य होता है क्योंकि ‘गुरुर्विदाही विष्टम्भी यान्त्रिकस्तु प्रकीर्तितः‘ (सुश्रुत संहिता) के अनुसार यन्त्र (चरखी या ज्यूसर) से निकाला हुआ रस भारी, दाहकारी, कब्जकारक होने के साथ ही संक्रामक कीटाणुओं से युक्त भी हो सकता है।
गन्ने की जातियाँ : Ganne ki Jatiya in Hindi
आयुर्वेद ने गन्ने की १३ जातियों की चर्चा की है जिनके नाम इस प्रकार हैं- (१) पौण्ड्रक (२) भीरुक (३) कोशक (४) कान्तार (५) शतपोरक (६) तापस इक्षु (७) काण्डेक्षु (८) सूचिपत्रक (९) नैपाल (१०) दीर्घपत्रक (११) नीलपोर (१२) मनोगुप्ता और (१३) वंशक।
गन्ना का विभिन्न भाषाओं में नाम :
- संस्कृत – इक्षु
- हिन्दी – ईख, गन्ना
- मराठी – ऊसी
- गुजराती – झेरडी
- बंगला – इक्षु, आक
- कन्नड़ – कब्बु
- तेलगु – चिरगु
- तामिल – कारुम्बु
- फारसी – नेशकर
- इंगलिश – सुगरकेन (Sugar cane)
- लैटिन – सेक्करम एल्बम (Saccharum Album)
गन्ने के रासायनिक संघटन :
रासायनिक दृष्टि से ईख (गन्ना) में शर्करा, जल, पिच्छिल द्रव्य, राल, वसा, एलब्युमिन, ग्वैनिन तथा केल्शियम आक्जलेट पाया जाता है।
आयुर्वेदिक मतानुसार गन्ने के गुण : Ganne ke Gun in Hindi
- गन्ना रक्तपित्त नामक व्याधि को नष्ट करने वाला होता है ।
- यह बलवर्द्धक, वीर्यवर्धक, कफकारक, पाक तथा रस में मधुर, स्निग्ध, भारी, मूत्रवर्द्धक और शीतल होता है। यह गुण पके हुए गन्ने के हैं।
- ‘तृणपंचमूल क्लाथ‘ इसका विशिष्ट योग है।
- गन्ना पका हुआ हो तो वातपित्त का शमन करने वाला पर कफ को बढ़ाने वाला होता है ।
- गन्ना कृमिनाशक, हृद्य(हृदय को अच्छा लगनेवाला) और रक्तपित्तशामक होता है ।
- यह वृष्य(वीर्य और बल बढ़ानेवाला) तथा स्तन्यजनन(दूध बढ़ानेवाला), बलवर्द्धक और पौष्टिक तथा मूत्रल होता है।
- कच्चा और थोड़े ही दिनों का (बाल अवस्था वाला) गन्ना कफकारी, मेद तथा प्रमेह उत्पन्न करने वाला होता है।
- अधपका (युवा अवस्था वाला) गन्ना वातनाशक, मधुर, थोड़ा तीखा और पित्त शामक होता है। ☛ भावप्रकाश ने पके हुए गन्ने के गुण, रक्तपित्त तथा क्षय रोग को नष्ट करने वाला एवं बलवीर्यवर्द्धक होना, बताये हैं। पका हुआ गन्ना ही सेवन करना चाहिए।
- यह जड़ की तरफ सर्वाधिक मीठा, मध्य भाग में मीठा और पत्तों की तरफ़ के भाग में खारी (खारे स्वाद का) होता है।
गन्ना खाने के फायदे और इसके उपयोग : Ganna Khane ke Fayde in Hindi
1. गुड़ बनाने में उपयोगी
गन्ने का प्रमुख उपयोग शक्कर, गुड़, खाण्डसारी, राब और मिश्री बनाने में किया जाता है और सामान्य रूप में इसका रस पिया जाता है। ( और पढ़े –गुड़ खाने के 47 स्वास्थ्यवर्धक फायदे )
2. दांतों की मज़बूती के लिए गन्ना चूस कर खाना फायदेमंद
आयुर्वेद ने गन्ने को चूस कर खाना अच्छा बताया है यथा-
अविदाही कफकरो वातपित्त निवारणः ।
वका प्रहलादनो वृष्यो दन्तनिष्पीडितो रसः।। (सुश्रुत संहिता)
सुश्रुत संहिता के अनुसार दांतों से दबा कर रस चूसने पर गन्ना दाहकारी नहीं होता और इससे दांत मज़बूत होते हैं अतः गन्ना चूस कर सेवन करना चाहिए। ( और पढ़े – दांतों को मजबूत व चमकदार बनाने के 22 अचूक नुस्खे )
3. पीलिया में गन्ने का प्रयोग लाभदायक
पीलिया के रोगी, कमज़ोर लिवर वाले तथा हिचकी, रक्तपित्त, रक्तविकार, नेत्र रोग, पित्त प्रकोप, जलन, प्यास और जलीय अंश की कमी के रोगी को गन्ना चूस कर ही सेवन करना चाहिए। ( और पढ़े – पीलिया (जॉन्डिस) में क्या खाएं और क्या न खाएं )
4. गन्ने के इस्तेमाल से होता है मूत्र रोग ठीक
इसके सेवन से पेशाब खुल कर होता है और पेशाब की रुकावट व जलन दूर होती है। ( और पढ़े – बंद पेशाब को खुलकर लाने वाले 11 अनुभूत आयुर्वेदिक उपाय )
5. थकावट दूर करने में गन्ने का इस्तेमाल फायदेमंद
इसके सेवन से शरीर की थकावट दूर होती है और तरावट आती है। ( और पढ़े – सुस्ती थकान दूर करने के आसान उपाय )
6. पेट के विकार ठीक करने में गन्ना खाना फायदेमंद
इसके नियमित रूप से सेवन करने पर शरीर का दुबलापन दूर होता है और तेज मिर्च मसालेदार एवं तले हुए पदार्थों का सेवन करने से उत्पन्न होने वाले विकार नष्ट होते हैं।
( और पढ़े – पेट के रोगों को दूर करने के घरेलू नुस्खे और उपाय )
7. गन्ने से रक्तातिसार का इलाज
अनार के रस के साथ गन्ने का रस मिला कर पीने से रक्तातिसार (खूनी दस्त) में, शहद के साथ मिला कर पीने से पित्तजन्य उलटी में और आंवले के रस के साथ सेवन करने से सूज़ाक के रोग में लाभ होता है।
8. मशीन से निकाला रस पचने में भारी
आयुर्वेद के ऋषि मशीनों से परिचित प्रतीत होते हैं तभी यन्त्र (Machine) की चर्चा करते हुए सुश्रुत संहिता में कहा गया है –
गुरुर्विदाही विष्टम्भी यान्त्रिकस्तु प्रकीर्तितः।
पक्वो गुरुः सरः स्निग्धः सतीक्ष्णः कफवातनुत्।।
अर्थात् – गन्ने का रस यदि यन्त्र (चरखी या ज्यूसर) से निकाल कर सेवन किया जाए तो यह भारी, दाहकारी, क़ब्ज़ करने वाला हो जाता है और अग्नि पर पकाया हुआ रस भारी, तनिक रेचक (दस्तावर) स्निग्ध, तीखा तथा कफ व वात को नष्ट करने वाला हो जाता है।
गन्ना खाने के नुकसान : Ganna Khane ke Nuksan in Hindi
- मधुमेह (डायबिटीज़) के रोगी , निर्बल पाचन शक्ति वाले, पीनस के रोगी, कृमि रोग वाले, कफ के रोगी तथा जिनके मुंह से दुर्गन्ध आती हो- ऐसे व्यक्तियों को गन्ने का रस नहीं पीना चाहिए।
- दांतों के रोगी, पायरिया के रोगी और कमज़ोर मसूढ़े वाले रोगियों को गन्ना चूस कर सेवन नहीं करना चाहिए।
- गन्ने का रस यदि चरखी से निकाला हुआ हो तो यह देख लेना चाहिए कि रस शुद्धतापूर्वक निकाला जा रहा है या नहीं। गन्दे ढंग से निकाले गये रस का सेवन करने पर संक्रामकरोग होने की पूरी-पूरी सम्भावना रहती है इसलिए गन्दे ढंग से निकाला गया रस नहीं पीना चाहिए।