चीनी (शक्कर) खाने के फायदे और नुकसान – Shakkar Khane ke Fayde aur Nuksan

Last Updated on February 2, 2023 by admin

हेल्थ के लिए चीनी (शक्कर) कितनी जरुरी ? : 

    चीनी और गुड़ छोटी आंत में पाचन होने के बाद खून में शोषित हो जाती है। खून में घुल जाने के बाद चीनी ग्लाइकोजन के रूप में यकृत (जिगर) में एकत्र होती है। चीनी के शोषित होने की क्रिया प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग होती है। कार्बोहाइड्रेट पदार्थ शरीर की मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करते हैं। इससे चीनी और गुड़ सरलता से खून में शोषित हो जाती हैं। हृदय की मांसपेशियों की कमजोरी में तात्कालिक शक्तिपूर्ति के लिए मिठास का अत्यधिक महत्व है। हृदय और पित्ताशय के रोगों में भी चर्बी अपथ्य होने के कारण आहार में कैलोरी बढ़ाने के लिए कार्बोहाइड्रेट पदार्थ देने की आवश्यकता होती है। विकासशील बच्चों में शक्ति का अत्यधिक व्यय होता है। उसकी पूर्ति के लिए वे अज्ञात रूप से मीठी वस्तुओं के प्रति उन्मुख होते हैं। ऐसी दशा में चीनी के स्थान पर उनको शहद, सूखे फल और गुड़ देना चाहिए। उनसे मिठास के साथ बच्चे को चर्बी, गर्मी और शक्ति उचित मात्रा में उपलब्ध हो जाएगी।

चीनी (शक्कर) के गुण : 

  • चीनी मधुर, वीर्यवर्द्धक, आंखों के लिए हितकारी, पुष्टिदायक, शीतल, वायु तथा पित्तनाशक, चिकनी, बलप्रद और वमन (उल्टी) को रोकने वाली होती है।
  • जो चीनी बालू के समान और ज्यादा सफेद होती है। उसे सिता कहते हैं। सिता मधुर, रुचिकारक तथा वायु, पित्त, रक्तविकार, जलन, मूर्च्छा, उल्टी, बुखार को दूर करने वाली अत्यन्त शीतल एवं वीर्यवर्द्धक है। 
  • शक्कर सफेद मधुर, शीतल, रक्त तथा पित्त के विकारों को दूर करने वाली और हल्की होती है। 
  • खड़ी शर्करा दस्त उतारने वाली, हल्की, वायु तथा पित्त को दूर करने वाली शीतल एवं मूर्च्छा, टी.बी., रक्तपित्त, वायु, पित्त, सूजन और जलन को नष्ट करने वाली है।

वैज्ञानिक मतानुसार : कार्बोहाइड्रेट पदार्थ जितने खाए जाए, उसी अनुपात में विटामिन बी-1 की जरूरत पड़ती है। इसकी अपर्याप्त मात्रा के परिणामस्वरूप भूख का नाश, अपच, मनोदौबल्य, जोश और वजन में कमी एवं थकान आदि तकलीफें उत्पन्न होती है।

चीनी (शक्कर) के फायदे और उपयोग (Shakkar ke Fayde aur Upyog)

1. चक्कर आना: 2-2 चम्मच शक्कर और सूखा धनिया को मिलाकर चबाने से चक्कर आना बंद हो जाता है।

2. खुजली: चीनी या चीनी से बनी चीजों जैसे टाफियां, मिठाइयों आदि का सेवन बंद कर देने से खुजली ठीक हो जाती है।

3. आग से जलने पर: जले हुए अंगों पर चीनी को पानी में घोलकर लेप करें, पानी कम मात्रा में मिलाएं जिससे घोल गाढ़ा तैयार हो, इससे जलन बंद हो जाती है।

4. गर्मी के मौसम के विभिन्न रोग: दही में चीनी डालकर गर्मी के मौसम में पीने से अधिक प्यास लगना, लू लगना और दाह (गर्मी की जलन) दूर हो जाती है। इससे सर्दी, जुकाम दूर होता है तथा वीर्य की वृद्धि होती है।

5. शक्तिवर्द्धक: 2 चम्मच चीनी और 2 चम्मच घी में 10 पिसी हुई कालीमिर्च मिलाकर रोजाना खाली पेट चाटने से दिमाग में तरावट आती है और कमजोरी के कारण होने वाला सिरदर्द दूर हो जाता है।

6. खांसी: यदि खांसी बार-बार आती हो तो मिश्री के टुकडे़ को मुंह में रख लेते हैं। इससे खांसी आना बंद हो जाती है।

7. पथरी: बड़ी इलायची के 15 दाने, 1 चम्मच खरबूजे के बीजों की मींगी, 2 चम्मच मिश्री को पीसकर 1 कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम रोजाना 2 बार पीने से गुर्दे की पथरी गलकर निकल जाती है।

8. अरुचि: खाने-पीने की इच्छा न होने पर 1 कप पानी में स्वादानुसार चीनी तथा बारीक पिसी हुई चौथाई चम्मच इमली को छानकर कालीमिर्च मिलाकर रोजाना 4 बार पीने से भोजन के प्रति रुचि पैदा हो जाती है।

9. आधे सिर का दर्द (माइग्रेन): यदि सिर दर्द सूरज उगने के साथ बढ़े और सूरज ढलने के साथ कम होता जाए तो ऐसे सिर दर्द में सूरज उगते समय उसके सामने खड़े हो जाए और लगभग 150 ग्राम पानी में 60 ग्राम शक्कर मिलाकर धीरे-धीरे पीने से आधे सिर का दर्द समाप्त होता है।

10. प्रसव में विलंब होना: प्रसवकाल के अन्तिम समय में जबकि कोई यान्त्रिक अवरोधक न रहे, जरायु (गर्भाशय) की क्रियाहीनता के कारण विलंब होता है तो ऐसी स्थिति में शीघ्रता से प्रसव कराने के लिए 25 ग्राम चीनी पानी में मिलाकर आधे घंटे के अन्तर से कई बार देना चाहिए। इससे प्रसव बिना कष्ट के और जल्दी हो जाता है।

11. दस्त: दस्त होने पर शरीर में शीघ्रता से पानी, नमक और शक्ति की कमी आ जाती है। अत: पानी को उबालकर ठण्डा करके 1 गिलास भर लेते हैं। इसमें 1 चुटकी पिसा घरेलू नमक और स्वाद के अनुसार 1-2 चम्मच चीनी मिलाकर घोल लेते हैं। इस घोल का बार-बार उपयोग करते हैं ताकि शरीर में पानी नमक की कमी से रोगी कमजोर न होने पाये।

12. मूत्रकृच्छ: पानी में शक्कर मिलाकर और घी मिलाकर सेवन करने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) मिट जाता है अथवा गर्म दूध में शक्कर डालकर और घी मिलाकर सेवन करने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) मिटता है। दही में शक्कर मिलाकर खाने से भी मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) दूर हो जाता है।

13. आंख की फूली: सुबह-शाम आंखों में शक्कर लगाते रहने से कुछ ही दिनों में आंख की फूली कट जाती है। पुरानी फूली को मिटने में अधिक समय लगता है।

14. आंखों की बीमारी: शक्कर और नारियल की सूखी गिरी खाने से आंखो के रोगों मे लाभ होता है।

15. जुकाम:

  • गेहूं के आटे के चोकर को 1 कप पानी में डालकर उबाल लें और छान लें। फिर इसके अन्दर दूध और शक्कर मिलाकर पीने से जुकाम और नजला ठीक हो जाता है।
  • कोयलों को जलाकर उसके ऊपर से शक्कर डालकर उसमें से निकलने वाले धुंए को नाक से अन्दर खींचने से जुकाम दूर हो जाता है।

16. आंवयुक्त दस्त

  • लगभग 480 से 960 मिलीग्राम राल को चीनी के साथ सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है।
  • सफेद राल और शक्कर को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और चूर्ण का सेवन करने से पेचिश के रोगी को लाभ होता है।
  • गाय के दूध से बने मट्ठे (लस्सी) में ‘शक्कर मिलाकर पीने से पेचिश का रोग दूर हो जाता है।

17. जलोदर: चीनी और कालीमिर्च को डालकर छाछ के साथ पीने से जलोदर (पेट में पानी भरना) में लाभ होता है।

18. नाक के रोग: देशी शक्कर को गाय के दूध में मिलाकर नस्य (नाक से सूंघने से) नकसीर गिरना (नाक से खून बहना) बंद हो जाती है।

19. पेशाब अधिक मात्रा में आना: 3 ग्राम शीतलचीनी को पीसकर आधा किलो पानी के साथ पीने से पेशाब का अधिक आना दूर हो जाता है।

20. बालातिसार और रक्तातिसार: बच्चों के रक्तयुक्त आंव (दस्त में आंव और खून आना) में 240 मिलीग्राम से 480 मिलीग्राम चीनी को पानी में मिलाकर सेवन करने से बच्चों को लाभ मिलता है।

21. खून की कमी: लाल चीता का चूर्ण 300 मिलीग्राम रोजाना चीनी के साथ सेवन करने से खून और मांस की बढ़ोत्तरी होती है।

22. प्यास और जलन: 250 ग्राम गुलाब के फूल लेकर लगभग 2 लीटर पानी में डालकर पका लें। जब पकाने पर आधा पानी बाकी रह जाये तो उसमें लगभग आधा किलो चीनी डालकर शर्बत जैसी चाशनी बना लें। इसके पीने से पित्त (गर्मी) या गर्म हवा लगने से पैदा हुआ प्यास और जलन शान्त हो जाती है।

23. आंखों का दर्द:

  • शक्कर 1 हिस्सा और धनिया 3 हिस्सा लेकर उसका बारीक चूर्ण खौलते पानी में डालकर 1 घंटे तक ढककर रख लेते हैं। फिर उसे कपड़े से छानकर किसी साफ बोतल में भर लेते हैं। उसमें से 2-2 बूंद दवा सुबह-शाम आंखों में डालने से आंखें 2-3 दिन में अच्छी होती हैं।
  • देशी शक्कर (बूरा) या बताशे को रोटी के साथ खाने से आंखों का दर्द दूर हो जाता है।

24. चीनी कम करने के उपाय:

  • ताजा फलों का रस बिना चीनी डाले पीना चाहिए।
  • हमें मिठाइयों का कम से कम सेवन करना चाहिए।
  • बिस्कुट, चाकलेट आदि के स्थान पर स्नैक के रूप में एक फल खाएं।
  • व्यंजनों में चीनी की मात्रा का उपयोग कम से कम करें।
  • प्रोसेस्ड और मीठे खाद्य पदार्थों से बचें।

चीनी (शक्कर) के सेवन में सावधानीयां :

  • शक्कर या कोई भी मीठी चीज खाने के बाद दान्तों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए। ऐसा न करने से दांत खराब हो जाते हैं। मधुमेह के रोगी शक्कर या शक्कर से बनी चीजों का सेवन न करें।
  • दानेदार चीनी को प्राकृतिक चिकित्सा में सफेद जहर कहा गया है। इसे खाने से क्षय (टी.बी), गठिया, रक्तचाप आदि रोग होते हैं और मदिरा सेवन करने की इच्छा होती है। इसके स्थान पर मीठे फल, गुड़, शक्कर, देशी बूरा मिश्री आदि उपयोगी होते हैं। चीनी खाने से व्यक्ति हिंसक प्रवृत्ति का हो जाता है। इससे चिड़चिड़ापन और क्रोध अधिक आता है। चीनी सारहीन खाद्य है। इसके सेवन से शरीर में वि़द्यमान विटामिन और कैल्शियम नष्ट हो जाते हैं। चीनी खाना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक नहीं है।

चीनी (शक्कर) खाने के नुकसान (Shakkar Khane ke Nuksan)

  1. शरीर में चीनी की मात्रा आवश्यकता से अधिक बढ़ जाने पर जठर और आंतों में अम्लता के कारण जलन, सूजन, सड़न और घाव हो जाते हैं तथा मोटापा, मधुमेह सन्धिवात रोग होते हैं। 
  2. शरीर रोगों का घर बन जाता है।
  3.  चीनी के पानी का अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो वह दाहक (जलनकारी) बनता है।
  4.  जठर में अधिक चीनी चले जाने पर जठर की आंतरिक त्वचा में जलन होती है। इसके परिणामस्वरूप अत्यधिक श्लेष्म और आम्लिक पाचक रसों का स्राव होता है। 
  5. चीनी के सेवन से बच्चों के दांत निश्चित रूप से खराब होते हैं। मुख्य रूप से टॉफी और चाकलेट बच्चों के दांत खराब करती हैं। चाकलेट में 45 प्रतिशत और टॉफी में 90 प्रतिशत चीनी होती है। 
  6. मधुमेहग्रस्त रोगियों को चीनी और गुड़ का सेवन नहीं करना चाहिए। 
  7. जोड़ों के सूजन वाले रोगियों के लिए भी यह हानिकारक होती है। 
  8. चीनी खाने से कोलेस्ट्राल भी बढ़ता है।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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