Sitafal ke Fayde | सीताफल के फायदे ,औषधीय गुण और नुकसान

Last Updated on April 24, 2020 by admin

सीताफल क्या है ? : What is Sitafal (custard apple) in Hindi

गांठों से युक्त फल होने से इसे संस्कृत में गण्डगात्र कहते हैं। यह दक्षिण अमेरिका में पाये जाने वाला मुख्य वृक्ष है, इसका अंग्रेजी नाम कस्टर्ड एपल है। आजकल भारत में यह सर्वत्र उगाया जाता है। यह वनों में स्वतः ही उग जाता है। इसका पेड़ 3 से 4 मीटर ऊंचा होता है जो अधिक ठण्ड व कम वर्षा वाले स्थानों पर कम पाया जाता है। भारत में इसे (हिन्दी में) सीताफल या शरीफा कहा जाता है। जुलाई-अगस्त से इसके फल लगने शुरु हो जाते हैं जो दिसम्बर के अन्त तक बाजार में उपलब्ध रहते हैं। वनस्पति शास्त्री इसे एनोना स्क्वामोसा के नाम से पुकारते हैं।

सीताफल का रासायनिक विश्लेषण : Sitafal (custard apple) Chemical Constituents

सीताफल में आर्द्रता 72 प्रतिशत होती है । इसके अतिरिक्त सीताफल में लोह, रीबोफ्लेबिन, नियासिन ,थायामिन, कैल्शियम, और विटामिन बी1, बी2 और विटामिन `सी´ तथा शर्करा काफी मात्रा में होता है।

सीताफल के औषधीय गुण : Sitafal ke Gun in Hindi

सीताफल मधुर, शीतल, बलवर्धक, हृदय को सुदृढ बनाने वाला तथा वात-पित्त शामक है।
आयुर्वेदाचार्यों ने इसे कफकारक, शीतवीर्य और दाहशामक (जलन मिटाना) कहा है।

सीताफल के फायदे और उपयोग : Benefits of Sitafal (custard apple) in Hindi

पित्त समन करने में सीताफल का उपयोग फायदेमंद

जिन व्यक्तियों की प्रकृति गर्म अर्थात् पित्त प्रधान है उनके लिये सीताफल बहुत लाभकारी है।

हृदय की कमजोरी में सीताफल के इस्तेमाल से लाभ

जिन व्यक्तियों का हृदय कमजोर हो, हृदय अधिक धड़कता हो, घबराहट रहती हो अथवा उच्च रक्तचाप हो, ऐसे रोगियों के लिये सीताफल का नियमित सेवन हृदय को मजबूत एवं रोग रहित बनाता है।

( और पढ़े – हृदय की कमजोरी दूर करने के उपाय  )

शरीर की जलन मिटाए सीताफल का उपयोग

शरीर की दाह (जलन) को दूर करने के लिये पका सीताफल रात भर ओंस में रखकर सुबह खाना चाहिये।

बालों काला करने में लाभकारी है सीताफल

सीताफल खाने से बाल काले हो जाते हैं और काले रहते हैं।

( और पढ़े – बालों को लंबा ,काला और घना बनाने के उपाय )

शक्ति बढाए सीताफल का सेवन

सीताफल के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है। इससे मनुष्य की पौरुष शक्ति बढ़ती है।

भस्मक रोग से आराम दिलाए सीताफल

जिन्हें भूख खूब लगती हो, पर्याप्त भोजन कर लेने के बाद भी भूख शान्त न होती हो ऐसे भस्मक रोग में सीताफल का सेवन लाभदायक है।

बुखार मिटाए सीताफल का उपयोग

शरीफा के गूद का शर्बत बनाकर पीने से ज्वर में शांति मिलती है।

दस्त में सीताफल के प्रयोग से लाभ

शरीफा का कच्चा फल प्रयोग करने से दस्त , पेचिश एवं अजीर्ण में लाभ होता है।

खून बढ़ाने में लाभकारी सीताफल

शरीर में खून की कमी होने पर नियमित रूप से सीताफल खाने से विशेष लाभ होता है।

सीताफल सेवन से बढ़ती है शारीरिक-मानसिक ताकत

शरीफे का रस निकालकर नियमित सेवन करने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

रक्तपित्त में लाभकारी सीताफल

शरीफे का शर्बत रक्तपित्त में सेवन करने से विशेष लाभकारी होता है।

सीताफल के दुष्प्रभाव : Sitafal ke Nuksan in Hindi

  1. सीताफल की तासीर ठण्डी होने से इसके ज्यादा खाने से सर्दी हो जाती है। ठण्ड लगकर बुखार आने लगता है अतः जिनकी कफ-सर्दी की प्रकृति हो उन्हें सीताफल का सेवन नहीं करना चाहिये।
  2. जिनकी पाचन शक्ति मंद हो, उन्हें सीताफल का सेवन सोच समझकर सावधानी से करना चाहिये। अन्यथा लाभ के बदले हानि होती है।
  3. यह रक्तविकार, यकृतविकार, सुजाक एवं श्वास खांसी के रोगियों को नहीं देना चाहिये। इससे इन रोगों में वृद्धि होती है।
  4. यह कब्ज भी करता है। विशेषकर इसकी सीठी कब्जकारक है अतः सीताफल के गूदे को चूसकर उसकी सीठी (रस निकल जाने पर बचा हुआ कल्क) को थूक देना चाहिये।
  5. यह अधिक मात्रा में सेवन से आमाशय को नुकसान पहुंचाता है ।

इसके हानिकर प्रभाव को दूर करने के लिये नीबू, सिरका आदि खट्टे पदार्थों का सेवन उपयोगी है।

सीताफल बीज के फायदे और नुकसान : Benefits and Side effects of Sitaphal Seeds

१). सीताफल के फल में भूरे-काले, चिकने, लम्बे अनेक बीज मिलते हैं। ग्रामवासी सिर के बालों में जूंमारने के लिये कच्चा फल या बीजों को पीसकर चूर्ण बनाकर रात में सिर पर लगा लेते हैं। पेड़ के पत्ते भी पीसकर रस निकालकर उपयोग में लाते हैं। इससे सिर की जूं, लीख आदि कृमि नष्ट हो जाते हैं। इन कृमियों को मारने में ये श्रेष्ठ है ।

सावधानी :- यह ध्यान रहे कि सीताफल के बीजों का चूर्ण आंखों के लिये एक अत्यन्त घातक वस्तु है। इसके आंख में पड़ जाने से आंख फूट भी सकती है। अत: इसके चूर्ण से आंखों को सावधानी पूर्वक नचाना चाहिये। बालों में चूर्ण का लेप करते समय इसके बाद बालों को धोते समय आंखों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखने की आवश्यकता है।

२). व्यक्ति या पशु के किसी घाव में कीड़े पड़ जाने को हालत में सीताफल के बीजों को पीसकर उनकी पुल्टिस बनाकर बांधने से घावों के कीड़े मर जाते हैं और फिर घाव शीघ्र भरने लगते हैं।

३). सीताफल के बीजों की गिरी को पीसकर और कपड़े में रखकर उसकी बत्ती बनायें इस बत्ती को जलाकर उसका धुंआ ऐसे रोगियों के नाक में प्रवेश करें जो हिस्टीरिया या मिरगी के कारण बेहोश हो गया हो, ऐसा करने से हिस्टीरिया ग्रस्त एवं मिरगी ग्रस्त रोगी, रोगिणी होश में आ जाते हैं किन्तु तब भी ध्यान रखें कि यह धुंआ आंखों में न लगने पाये।

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