Last Updated on December 22, 2022 by admin
गर्भावस्था (प्रेग्नेंसी) की पुष्टि :
आप गर्भवती हो चुकी हैं यह कई लक्षणों एवं जाँचों के द्वारा पता कर सकती हैं। मासिक चक्र का बंद होना गर्भावस्था का पहला एवं प्रमुख लक्षण है। अन्य प्रारंभिक लक्षण निम्न हैं-
- सुबह के समय मतली आना।
- स्तनों में हल्की दुखन या सूजन ।
- योनि से मामूली रक्तस्त्राव ।
- थकान, आलस्य एवं भूख कम लगना ।
- गंध के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता ।
गर्भावस्था (प्रेग्नेंसी) की पुष्टि के लिए जाँच :
- मासिक चक्र बंद होने से पहले भी रक्त में हार्मोन की जाँच से गर्भधारण का 11 से 12 दिन पश्चात् ही पता लगाया जा सकता है।
- मासिक धर्म बंद होने की स्थिति में प्रेगनेन्सी किट से घर पर ही पेशाब की जाँच से गर्भावस्था का पता लगाया जा सकता है तथा इसकी सत्यता का प्रतिशत लगभग 95 प्रतिशत है।
- यदि गर्भावस्था किट या प्रेगनेंसी किट की जांच नेगेटिव आती है, लेकिन आपके शरीर में गर्भावस्था के लक्षण हैं तो यह किसी रोग के कारण हो सकते हैं । अतः अपने चिकित्सक से संपर्क करें ।
- सोनोग्राफ़ी के द्वारा भी गर्भावस्था की पुष्टि की जा सकती है ।
गर्भावस्था (प्रेग्नेंसी) के लक्षण :
गर्भावस्था के लक्षण सभी महिलाओं में अलग-अलग होते हैं। केवल कुछ लक्षण ही ऐसे होते हैं जो सब में एक जैसे होते हैं। जैसे- किसी महिला को हो सकता है कि पूरी गर्भावस्था में एक बार भी उल्टी नहीं हो और किसी को संपूर्ण गर्भावस्था में उल्टियाँ होती रहती हैं। कुछ सामान्य लक्षण हम यहाँ बताते हैं –
- जब निषेचित (Fertilized) अण्डाणु गर्भाशय में इम्प्लांट (समाविष्ट) होगा तो हल्का खून का धब्बा दिखाई दे सकता है । इसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहते हैं ।
- ब्रेस्ट में कई तरह के बदलाव आते हैं। कुछ भारीपन, संवेदनशीलता तथा निप्पल के आसपास का रंग गहरा हो जाता है ।
- थकान या उनींदापन
- उबकाई आना या जी मतलाना ( कई महिलाओं में यह लक्षण डेढ़ महीने तक भी प्रकट नहीं होता)
- मूत्र की बार – बार प्रवृत्ति होना ।
- द्वितीय माह में योनि से हल्का सफेद स्राव आ सकता है।
- पेट का हल्का गोलाई में आना ।
- कब्ज़ होना ।
- भोजन की पसंद और नापसंद में बदलाव आना ।
- तीसरे एवं चौथे माह में – पेट की गोलाई का और बढ़ना तथा वज़न में बढ़ोत्तरी होना, एसिडिटी या जलन होना, स्तनों का आकार बढ़ना, भूख का बढ़ना तथा कभी-कभी हल्का सिरदर्द, हाथों और पैरों में सूजन ।
- पाँचवें महीने में – आप भ्रूण की हलचल महसूस कर सकती हैं। पैरों में ऐंठन, सूजन तथा नसों का फूलना, नाभि में उभार आना, धड़कनें थोड़ी तेज़ होना ।
- छठे माह में – भ्रूण की हलचल में वृद्धि, योनि से स्राव का बढ़ना, पेट के निचले हिस्से में दर्द, कमर में दर्द, नाभि का और ज़्यादा उभरना । स्ट्रेच मार्क्स आना तथा पेट एवं चेहरे पर पिगमेंटेशन ।
- सातवें माह में – छठे माह के लक्षणों में बढ़ोत्तरी होना ।
- आठवें माह में – सातवें माह से भी प्रबल लक्षणों में बढ़ोत्तरी ।
- नौवें माह में – भ्रूण की गतिविधि में थोड़ा बदलाव, शिशु की हलचल में कमी क्योंकि उसके मूवमेंट के लिए जगह कम बचती है । योनि स्राव पहले से ज्यादा गाढ़ा हो जाता है, स्तनों एवं पेट के निचले हिस्से में दर्द एवं बैचेनी, मूत्राशय पर दबाव बढ़ने की वजह से बार-बार मूत्र आना । निप्पल से कोलेस्ट्रम (पीला गाढ़ा दूध) का रिसाव । ज़्यादा थकान महसूस होना ।
इन बातों का रखे ध्यान (सावधानियाँ) :
- कुछ स्त्रियां माहवारी शुरु करने के लिए दवाईयों का सेवन करना शुरू कर देती हैं। इस प्रकार की दवा का सेवन उनके लिए हानिकारक होता है इसलिए जैसे ही यह मालूम चले कि आपने गर्भधारण कर लिया है तो अपने रहन-सहन और खानपान पर ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए।
- गर्भधारण करने के बाद स्त्री को किसी भी प्रकार की दवा के सेवन से पूर्व डॉक्टरों की राय लेना अनिवार्य होता है। ताकि वह किसी ऐसी दवा का सेवन न करें जो उसके और उसके होने वाले बच्चे के लिए हानिकारक होता है।
- यदि स्त्री को शूगर का रोग हो तो इसकी चिकित्सा गर्भधारण से पहले ही करानी चाहिए। यदि मिर्गी, सांस की शिकायत या फिर टी.बी. का रोग हो तो भी इसके लिए भी डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
- यह भी सच है कि स्त्री के विचार और कार्य भी गर्भधारण के समय ठीक और अच्छे होने चाहिए ताकि उसके होने वाले बच्चे पर अच्छा प्रभाव पड़े।
सामान्य भारतीय नारी का वजन और लम्बाई :
लम्बाई – फुट में | लम्बाई – सेंटीमीटर में | वजन – किलो में |
4 फुट 10 इंच | 145.0 | 45.0 |
4 फुट 11 इंच | 147.0 | 46.2 |
5 फुट | 150.0 | 48.0 |
5 फुट 1 इंच | 152.5 | 49.0 |
5 फुट 2 इंच | 155.0 | 50.2 |
5 फुट 3 इंच | 157.0 | 52.5 |
5 फुट 4 इंच | 160.0 | 53.2 |