Last Updated on March 4, 2022 by admin
गठिया रोग क्या है ? :
हड्डियों की तरल चिकनाई सूख जाने से हड्डियों में रगड़ के कारण आई सूजन।
गठिया रोग क्यों होता है ? :
- उस जोड़ में, जिसे स्वस्थ होने के लिए पर्याप्त विश्राम न मिला हो, उसमें चोट लगने से।
- मसालेदार अम्लीय आहार, जो जोड़ों के ऊतक को उत्तेजित कर देता है।
- जिन पुष्टिकर चीजों की स्वस्थ जोड़ बनाने में आवश्यकता होती है, उनकी कमी-खासतौर से कैल्शियम और विटामिन C एवं D की।
- पाचन प्रणाली का कार्य सही ढंग से न कर पाना, जहाँ जोड़ों के ऊतकों के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्वों को सोखा नहीं जाता, न ही उसको सही प्रकार से उपयोग में लाया जाता है।
- एक अस्वस्थ शरीर में उम्र बढ़ने के कारण जोड़ों का अध:पतन।
- जोड़ों का अत्यधिक व्यवहार, जैसा कि व्यायामी लोग करते हैं।
- तनाव, क्योंकि वह शरीर की निर्विघ्न क्रिया के बीच में हस्तक्षेप करता है।
गठिया रोग के लक्षण :
यह रोग जोड़ों के दर्द के साथ आता है – सामान्यतः वे जोड़ , जो भार ढोते हैं, जैसे – घुटने और कूल्हे ।
गठिया रोग का परंपरागत उपचार :
यदि गठिया रोग का सही समय पर उपचार नहीं किया गया तो अनुत्क्रमणीय ढंग से जोड़ों को क्षति पहुँच सकती है। जो सबसे पारंपरिक चिकित्सा है, वह है दर्द-निवारक गोलियाँ या शल्य चिकित्सा।
दर्द-निवारक गोलियों के कई दुष्परिणाम होते हैं, जबकि शल्य चिकित्सा के कारण अन्य प्रकार की जटिलताएँ हो सकती हैं, जैसे –
- रक्त के थक्कों की रचना, जो हृदय और फेफड़ों तक जा सकते हैं, जिसके कारण ऐसी अवस्था हो सकती है, जो जीवन को जोखिम में डाल सकती है, जैसे दिल का दौरा और दिमागी धक्का ।
- शल्य-क्रिया के बाद हुआ संक्रमण, जिसकी हो सकता है कि कई सप्ताहों की प्रतिजीवाणु चिकित्सा चले।
- शल्य-क्रिया के बाद जोड़ों में कड़ापन आ जाना।
योग द्वारा गठिया रोग का उपचार (Yoga for Gathiya)
निम्नलिखित योग चिकित्सा गठिया को प्रारंभिक अवस्था में नियंत्रित कर सकती है।
- जोड़ों का अभ्यास करना और उन तक प्राणों को ले जाना – पवनमुक्तासन शृंखला,
- प्राण बढ़ाने के लिए – सूर्य नमस्कार – या तो पूरा अभ्यास या जो भी संभव हो और कपालभाति प्राणायाम।
- शरीर के भीतर बढ़ी हुई ऊर्जा को बंद कर देना – महाबंध।
- ऊर्जा के क्षेत्र में आई कमियों को सुधारना – भुजंगासन, धनुरासन, पश्चिमोत्तानासन।
- ऊर्जा की सारणियों को साफ करना – नाड़ी शोधन प्राणायाम।
- बड़े जोड़ों को ऊर्जा देना – गरुड़ासन और वातायनासन।
- चक्रों की क्रियाओं को सामान्य बनाते हुए मन को तनाव-रिक्त करना – सब चक्रों का चिंतन-मनन।
- विश्राम के लिए और टूटे-फूटे ऊतकों की मरम्मत के लिए – सोते समय योगनिद्रा।
- शीघ्र रोग-मुक्ति के लिए वैकल्पिक योग – एक चक्र चिंतन : मणिपुर चक्र में।
गठिया रोग में आहार की भूमिका :
प्रारंभिक अवस्था में औषधि के रूप में आहार दर्द की चिकित्सा में अत्यंत लाभकारी भूमिका निभाता है। सब्जियों के रस से बना निम्नलिखित नुस्खा दर्द के लक्षणों को कम करने में सहायता कर सकता है।
पहला नुस्खा –
- कच्चे आलू का रस,
- छोटा गुच्छा पालक का साग,
- गाजर का रस निकालिए। इनको मिलाइए और खाली पेट इसे पीजिए।
रोग के प्रारंभिक अवस्था में यह लाभदायक है। मेथी की चाय का निम्नलिखित नुस्खा रोग के लक्षणों को दूर करने में सहायक होगा।
दूसरा नुस्खा –
एक चम्मच मेथी के दानों को एक गिलास पानी में तब तक उबालिए, जब तक कि उसकी मात्रा आधी न रह जाए। उसमें एक चुटकी हल्दी एवं एक चुटकी नमक मिलाइए और उसे दिन में दो बार पीजिए-सुबह सबसे पहले और सोने के समय। एक महीने के अंदर आप चमत्कारिक सुधार देखेंगे।
अन्य लाभकारी तरह के आहार, जो राहत देते हैं, वे निम्नलिखित हैं –
- खंडसार (खाँड़) – ज्यादातर राहत आधे घंटे के अंदर ही अनुभव होती है।
- अंकुरित गेहूँ का तेल – यह पुनरुद्धार की प्रक्रिया में सहायक होता है।
- अलसी का तेल – इसमें ओमेगा 3 होता है।
- बंद गोभी – इसमें सल्फर (गंधक) होता है, जिसकी कमी भी गठिया का कारण होती है। इसके अलावा, यह खनिज शरीर को विष-रहित करने मे सहायक है।
- मधु / शहद – इसमें मैंगनीज होता है, जो जोड़ों के ऊतकों की मरम्मत करने के लिए आवश्यक होता है।
- रोज हिप (गुलाब पौधे का फल) – यह विटामिन C का सबसे बड़ा स्रोत है। गठिया के रोगियों को इस विटामिन की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है।
- हल्दी – यह जोड़ों के लचीलेपन को बढ़ाती है।
चूँकि कैल्शियम और फास्फोरस हड्डी बनाने वाले खनिज हैं, इसलिए जिन खाद्य पदार्थों में ये होते हैं, उन पर फोकस करना चाहिए। इसके अलावा ऐसे खाद्य पदार्थ, जो अम्ल बनाने वाले हैं, उनको दूर रखना चाहिए।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)