Last Updated on August 25, 2020 by admin
लिगामेंट्स क्या है ? : Ligament in Hindi
ghutne ka ligament kya hota hai –
लिगामेंट्स स्नायु तंतुओं का ऐसा रस्सीनुमा समूह हैं, जो हड्डियों (bones) को परस्पर जोड़कर उन्हें स्थिरता प्रदान करता हैं। इस कारण शरीर के जोड़ व्यवस्थित रूप से कार्य करते हैं।
घुटने का जोड़ घुटने के ऊपर फीमर और नीचे टिबिया नामक हड्डी से मिलकर बनता है। बीच में टायर की तरह के दो मेनिस्कस (एक तरह का तकिया) होता है।
फीमर व टिबिया को दो रस्सीनुमा लिगामेंट (स्नायु तंतु) आपस में लपेटकर घुटनों को स्थिरता प्रदान करते हैं।
साइड में यानी कि घुटने के दोनों तरफ कोलेटेरल और मीडियल कोलेटेरल लिगामेंट (medial collateral ligament) और लेटेरल कोलेटरल लिगामेंट (lateral collateral ligament) नामक रस्सीनुमा लिगामेंट्स होते हैं। इनका कार्य भी क्रूसिएट की तरह दोनों हड्डियों को बांधकर रखना है।
घुटने के लिगामेंट्स टूटने का कारण : Ligament Tutne ka Karan in Hindi
स्पोर्ट्स इंजरी – मैदान में या घर से बाहर खेले जाने वाले खेलों (outdoor games or sports) के दौरान जब घुटने पर घुमावदार ताकत या जोर (Twisting force) लगता है, तो घुटने के लिगामेंट्स में से एक या अधिक टूट जाते हैं। ऐसा दौड़ने-कूदने वाले खेल जैसे – फुटबॉल, क्रिकेट, बास्केटबॉल, बेसबॉल आदि खेलों के दौरान अक्सर हो जाता है।
घुटने के लिगामेंट्स टूटने के लक्षण : Ligament Tutne ke lakshan in Hindi
इस स्थिति में निम्न लक्षण प्रकट होते हैं –
- घुटने में सूजन का आना तथा उसमे दर्द होना।
- घुटने का अस्थिर हो जाना।
- घुटने में बल का अभाव और दर्द महसूस होना।
- घुटने में क्लिक जैसी आवाज का आना।
- कभी-कभी घुटना का एक ही स्थिति में जाम हो जाता है।
- सीढ़ियां के चढ़ने व उतरने, पाल्थी मारने तथा उकडू बैठने में परेशानी होती है।
- घुटना पूरी तरह से नहीं मुड़ता है ।
लिगामेंट्स टूटने का इलाज : Ligament Tutne ka Ilaj in Hindi
आर्थोस्कोपिक विधि से इलाज –
आर्थोस्कोपिक विधि से अब लिगामेंट्स टूटने का इलाज सफलतापूर्वक संभव है। चीरफाड़ के बिना जो भी लिगामेंट टूट गया है, उसे मरम्मत कर दिया जाता है या फिर उसे फिर से बना दिया जाता है। घुटने की ढीले अंग (चोट लगने के कारण लिगामेंट में टूट-फूट होने वाले भागों) को बाहर निकाल दिया जाता है। फलस्वरूप घुटने की अस्थिरता समाप्त हो जाती है और दर्द मिट जाता है। ऐसे व्यक्ति की दिनचर्या सामान्य हो जाती है। यह आधुनिक विधि की दर्दरहित और सफल उपचार पद्दति है।
आयुर्वेदिक विधि से उपचार (ligament tutne ka ayurvedic ilaj) –
- औषधि मे पुनर्नवा गुग्गल 5 ग्राम, पंचामृत गुग्गल 5 ग्राम, महावात विध्वंस रस 5 ग्राम, हड़जोड़ 5 ग्राम, प्रवाल भस्म 5 ग्राम की 45 पुड़ियां बनाकर महारास्नादि 2-2 चम्मच के साथ सुबह-दोपहर-शाम लें।
- स्थानिक प्रयोग के लिए पंचगुण तेल व विषगर्भ तेल की हल्के हाथ की मालिश कर निर्गुण्डयादि क्वाथ की नाड़ी स्वेदन करें व दूध में हल्दी डालकर पीएं।
पंचकर्म चिकित्सा –
घुटने व रीढ़ सबधी विकृति के लिए आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा लाभकारी है।
- पंचकर्म के अंतर्गत जानुधारा, जानुबस्ति, स्नेहन व नाड़ी स्वेदन के उत्तम परिणाम मिलते हैं।
- रीढ़ संबंधी विकार में कटिधारा, कटिबस्ति, पिंडस्वेद, स्नेहन व रीढ़ का नाड़ी स्वेदन उत्तम परिणाम देता है।
घुटने का फ्रैक्चर होने पर आर्थोपेडिक सर्जन का परामर्श लिया जाता है।
(अस्वीकरण : दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)