हड़जाेड़ के फायदे, गुण, उपयोग और नुकसान – Hadjod ke Fayde in Hindi

Last Updated on September 15, 2022 by admin

हड़जाेड़ क्या है ? : What is Edible stemmed vine (Hadjod) in Hindi

लम्बी-लम्बी तीन धारियों या चार धारियों से युक्त हड्डियों की सांकल के समान दिखलाई देने वाली इस वनौषधि की लता होने के कारण ही इसे अस्थि श्रृंखला के नाम से जाना जाता है। त्रिधारी थूहर से मिलती हुई होने के कारण इसे कई थूहर का ही भेद मानते हैं। वैसे इसका वनौषधि कुल द्राक्षाकुल (वाइटेसी) है।

हड़जाेड़ का पौधा कहां पाया या उगाया जाता है ? : Where is Hadjod Found or Grown?

हड़जाेड़ की लता उष्ण प्रदेशों में सब जगह उगती है, विशेष रूप से दक्षिण भारत और श्रीलंका में यह होती है। अफ्रीका में भी इसकी लता पाई जाती है। कई वाटिकाओं में यह उगाई जाती है।

हड़जाेड़ का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Edible stemmed vine (Hadjod) in Different Languages

Edible stemmed vine (Hadjod) in –

  • संस्कृत (Sanskrit) – अस्थिश्रृंखला, अस्थिसंहारी, वज्रवल्ली
  • हिन्दी (Hindi) – हड़जोड़
  • गुजराती (Gujarati) – हाडसांकल
  • मराठी (Marathi) – कांडवेल
  • बंगाली (Bangali) – हाड़जोड़ा
  • तामिल (Tamil) – पिण्डयि
  • तेलगु (Telugu) – नलेस
  • कन्नड़ (kannada) – मंगरोली
  • अंग्रेजी (English) – एडिबुल-स्टैम्ड वाइन (Edible stemmed vine), वेल्ड ग्रेप (Veld grape)
  • लैटिन (Latin) – सिसस क्वैड्रेड्गुले रिस (Cissus Quadrangularis) ,वीटिस क्वाड्रांगुलरिस (Vitis Quadrangularis)

हड़जाेड़ का पौधा (बेल) कैसा होता है ? :

  • हड़जाेड़ की बेल – जिस प्रकार लताएं वृक्षों की डालियों से लिपटती हुई फैलती हैं उस प्रकार इसकी लता नहीं बढ़ती पर वृक्षों का सहारा ले उन पर चढ़ती और लटकती रहती हैं।
  • हड़जाेड़ का तना – काण्ड (पौधे का एक गांठ से दूसरी गाँठ तक का भाग) हरा चतुष्कोण या त्रिकोण बीच-बीच में पर्वयुक्त होता है। इसकी संधियों पर सूत्र होते हैं। इसका छिलका बहुत पतला होता है। यह काण्ड हाथ के अंगूठे जितना मोटा होता है। बीच-बीच में दबा हुआ होने से यह गांठदार प्रतीत होता है।
  • हड़जाेड़ के पत्ते – पत्र एकान्तर छोटे वृन्त वाले, हृदयाकृति 2-27 इंच बड़े, मोटे, दन्तुर, उपपत्रयुक्त एवं संख्या में अल्प होते है।
  • हड़जाेड़ के फूल – पुष्प छोटे तथा हरित श्वेत वर्ण के, रोमश व मंजरियों में होते हैं।
  • हड़जाेड़ के फल – फल गोल, रक्तवर्ण, रसयुक्त तथा मटर के बराबर तथा एक बीज युक्त होते हैं।
  • हड़जाेड़ के बीज – बीज हल्के भूरे रंग के, 5 एम.एम. बड़े तथा चिकने होते हैं।
    पुष्प वर्षा ऋतु में तथा फल शीत काल में लगते हैं।

इसकी लता का एक कोना जमीन में गाड़ने पर लता उग आती हैं। इसी प्रकार ये पर्व गाड़कर खेतों की मेड़ों पर इसकी लतायें उगाई जाती हैं। दक्षिण भारत एवं लंका में इसके काण्ड का शाक बनाकर खाया जाता है। काण्ड तोड़ने पर बहुत रस निकलता है। इसके ताजे काण्ड और पत्तों का उपयोग चिकित्सा में किया जाता है।

हड़जाेड़ का उपयोगी भाग : Beneficial Part of Hadjod plant in Hindi

जड़ , तना, पत्ते

सेवन की मात्रा :

  • जड़ का रस – 2 से 4 मिली
  • पत्ते का रस – 5 से 10 मिली
  • कल्क (पेस्ट) – 1 से 2 ग्राम

हड़जाेड़ का रासायनिक विश्लेषण : Hadjod Chemical Constituents

इसके ताजा काण्ड में कैल्शियम आक्जलेट, केरोटीन एवं काफी मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। इन्ही तत्वों के कारण इसमें रसायन, बृंहण का गुण होता है।

हड़जाेड़ के औषधीय गुण : Hadjod ke Gun in Hindi

  • गुण – लघु, रूक्ष
  • रस – मधुर
  • विपाक – मधुर
  • वीर्य – उष्ण
  • प्रधानकर्म – कफवातशामक, पित्तवर्धक, अस्थि संधानीय, स्तम्भक, दीपन पाचन, अनुलोमन, कृमिघ्न, रक्तशोधक, रक्तस्तम्भक आदि।
  • इससे हृदय की गति कम होती है तथा रक्त दबाव कम होता है।

हड़जाेड़ के फायदे और उपयोग : Benefits of Hadjod in Hindi

1. टूटी हुई हड्डी जोड़ने में हड़जाेड़ का उपयोग फायदेमंद (Hadjod Plant Uses in Bone Fracture in Hindi)

हड़जाेड़ के ताजे काण्ड व पत्र स्वरस 10-20 मि. लि. तक मौखिक सेवन के लिये दिया जाना चाहिये। इसके अन्तः प्रयोग से तथा बाह्यप्रयोग से टूटी हुई हड्डी शीघ्र जुड़ती है तथा सूजन भी मिटती है।

परीक्षणों से यह ज्ञात हुआ है कि जिन अस्थिभग्न के रोगियों को हड़जाेड़ (अस्थि श्रृंखला) का लेप लगा कर यथाविधि प्लास्टर चढ़ाया गया उनकी हड्डियाँ शीघ्र जुड़ गई, उन्हें बहुत कम दर्द हुआ। यद्यपि इस लेप से कुछ चुनचुनाहट अवश्य होती थी जबकि जिन रोगियों पर इसका लेप नहीं किया गया उन्हें अस्थिसंधान में भी अधिक समय लगा तथा दर्द भी अपेक्षाकृत अधिक होता रहा।

अस्थिभग्न में हड़जाेड़ का स्वरस दूध या घृत के साथ सेवन भी कराते रहना चाहिये।
अस्थिसंहारकादि चूर्ण (भै.र.) 3 से 4 ग्राम को दूध या घृत के साथ देना और अस्थिसंहारक तैल को गरम कर बार-बार आक्रान्त स्थान पर लेप करना भी हितावह है।

2. वात रोग ठीक करे हड़जाेड़ का प्रयोग (Benefits of Hadjod to Get Relief from Gout in Hindi)

हड़जाेड़ को “वातव्याधिहरी” कहा गया है। काण्ड की ऊपरी छाल को छीलकर भीतर के गूदे में अर्धभाग छिलका रहित उड़द की दाल मिला, जल के साथ सिल पर पीसकर तिल तैल में पकोडियाँ पकाकर खिलाने से वातरोगियों को लाभ होता है। ये प्रबल वातनाशक है। उरुस्तम्भ (जांघ का सुन्न हो जाना) में भी ये पकोड़ियाँ लाभदायक हैं।

उरुस्तम्भ में इसका गूदा रुक्ष (जिसमें चिकनाहट न हो) यूषों में मिलाकर सेवन करावें। इससे अपस्मार, आध्मान, अस्थि का टूटना आदि रोग भी ठीक होते हैं। रीढ़ की हड्डी में विशेष पीड़ा होने पर इसके कोमल काण्डों का विछौना बनाकर, उस पर रोगी को सुलाते हैं। कटिशूल (कमर दर्द) में इसकी पुरानी शाखाओं को कूटकर कमर पर बाँधते हैं।

3. अग्निमांद्य (हाजमे की खराबी) में लाभकारी है हड़जाेड़ का सेवन (Hadjod Benefits in Indigestion Problem in Hindi)

अग्निमांद्य एवं अजीर्ण में हड़जाेड़ के कोमल काण्ड और पत्तों का शाक खिलाते हैं। काण्ड का चूर्ण सोंठ के साथ खिलाने से भी भूख बढ़ती है। नरम काण्ड व पत्तों को आग पर सेक कर उनकी चटनी बनाकर खिलाने से भी क्षुधावृद्धि होती है।

4. पेट दर्द में आराम दिलाए हड़जाेड़ का उपयोग (Benefits of Hadjod in Stomach Pain in Hindi)

उदरशूल में हड़जाेड़ के काण्ड को चूने के पानी में उबाल कर पिलाना चाहिए।

5. उपदंश रोग में हड़जाेड़ से फायदा (Benefits of Hadjod in Syphilis Disease Treatment in Hindi)

गरम राख में हड़जाेड़ के काण्ड को गरम कर मसल कर निकाले गये रस में समभाग गोघृत (दोनों 20-20 ग्राम) मिलाकर दिन में दो बार सात दिनों तक सेवन कराने से उपदंश एवं इससे उत्पन्न शारीरिक स्थायी उष्मा दूर होती है।

6. खून रोकने में हड़जाेड़ के इस्तेमाल से लाभ (Benefits of Hadjod in Bleeding in Hindi)

मासिकस्राव की अधिकता में हड़जाेड़ (अस्थिश्रृंखला) के स्वरस में स्वर्णगैरिक या गोपीचन्दन चूर्ण मिलाकर और मधुघृत मिश्रित कर खिलाना चाहिये। अर्श (बवासीर) के रक्तस्राव को रोकने के लिये भी यह प्रयोग लाभदायक है।
नोट : शहद और घी समान मात्रा में जहर समान होता है। दोनों मे से किसी एक की मात्रा अधिक रखें ।

7. मसूड़ों की सूजन दूर करने में हड़जाेड़ का उपयोग फायदेमंद

दांतों के उपकुश रोग में या मसूड़ों के शोथ (सूजन) और स्राव में हड़जाेड़ के स्वरस का कवल (मुँह में रखना) धारण करावें। ( और पढ़े – मसूढ़ों से खून रोकने के घरेलू उपाय )

8. कान का बहना रोग मिटाए हड़जाेड़ का उपयोग (Hadjod Benefits in Ear Discharge Treatment in Hindi)

नासिका के रक्तस्राव में हड़जाेड़ के स्वरस का नस्य देना चाहिये और पूतिकर्ण (कान का एक रोग जिसमें भीतर फुंसी या घाव होने के कारण बदबूदार पीप निकलने लगता है) में कान के अन्दर उक्त रस टपकाना चाहिये। ( और पढ़े – कान का बहना रोग के देशी नुस्खें )

9. हड़जाेड़ के इस्तेमाल से फोड़ा या घाव में लाभ (Hadjod Benefits in Ulcer in Hindi)

विद्रधि (फोड़ा) या दुष्टव्रण को शीघ्र पकाने के लिए इसके पत्तों को कूट कर तैल में पकाकर पुल्टिस बनाकर बांधना चाहिए।

10. पाचन शक्ति ठीक करे हड़जाेड़ का प्रयोग (Hadjod Helps in improving Digestion in Hindi)

हड़जोड़ का चूर्ण और सोंठ के चूर्ण को बराबर मात्रा में लेकर खाने से पेट की पाचनशक्ति बढ़ती है। ( और पढ़े – बदहजमी के घरेलू इलाज )

हड़जोड़ से निर्मित आयुर्वेदिक दवा (विशिष्ट योग) :

1. अस्थिसंहारकादिचूर्ण (फायदे और उपयोग) –

हड़जाेड़ (अस्थिश्रृंखला) के काण्ड और पत्तों का चूर्ण, पीपल की लाख, गेहूँ का आटा और अर्जुन की छाल का चूर्ण सभी समान भाग लेकर चूर्ण तैयार कर लें। इसमें से 5-6 ग्राम चूर्ण को घृत मिश्रित दूध के साथ सेवन कराने से टूटी हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है। यह अस्थिभग्न और सन्धिभग्न दोनों पर ही लाभदायक है। -भै.र.

2. अस्थिसंहारक तैल (फायदे और उपयोग) –

हड़जाेड़ (अस्थिश्रृंखला) स्वरस 250 ग्राम, तिल तैल 500 ग्राम मिलाकर तैल सिद्ध कर लें। तैल मात्र शेष रहने पर उतार छान कर रखें। मोच, सन्धि विश्लेष में इसे उपयोग में लावें।

हड़जाेड़ के दुष्प्रभाव : Hadjod ke Nuksan in Hindi

  • हड़जाेड़ लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
  • हड़जाेड़ को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
  • हड़जाेड़ (अस्थिश्रृंखला) एक उष्णवीर्य औषधि है इसका अधिक या चिरकाल तक सेवन करने से पित्त प्रकोप हो जाता है ऐसी स्थिति में पित्त शामक उपचार करना चाहिये।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

Leave a Comment

Share to...