Last Updated on January 22, 2022 by admin
ग्रीन टी क्या है ? : Green Tea in Hindi
ग्रीन टी एक प्रकार की चाय होती है, जो कैमेलिया साइनेन्सिस नामक पौधे की पत्तियों से बनायी जाती है। इसका उद्गम चीन में हुआ था और आगे चलकर एशिया में जापान से मध्य-पूर्व की कई संस्कृतियों से संबंधित रही।
हाल के कुछ वर्षों में ग्रीन-टी सबसे लोकप्रिय ड्रिंक के रूप में उभरी है। सही ढंग से बनाई जाए तो ग्रीन-टी फायदेमंद है। ग्रीन-टी में मौजूद तत्त्व एल-थिनाइल तनाव घटाने में मददगार है। यह असमय के गंजेपन को रोकने में भी मददगार है। बेहतर है कि ग्रीन-टी को उबालने के बाद इसमें दूध-चीनी बिल्कुल न मिलाएँ। हाँ, यदि इसमें कुछ बूंदें नीबू और थोड़ा सा शहद मिलाकर सेवन किया जाए। तो यह और गुणकारी हो जाती है। ग्रीन-टी में थोड़ी दालचीनी मिलाने से भी इसकी गुणवत्ता बढ़ जाती है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि ग्रीन-टी बहुत लाभदायक है, लेकिन कई लोग इसका सेवन अत्यधिक मात्रा में और बिना सोचे-समझे कर रहे हैं। एक दिन में कितने कप ग्रीन-टी का सेवन किया जाए, इसका सेवन कब और कब ना किया जाए, किन लोगों को इसके सेवन से बचना चाहिए, ये कुछ बातें हैं, जिनकी जानकारी होना बहुत जरूरी है।
ग्रीन टी के फायदे : Green Tea ke Fayde in Hindi
1. स्वाद ही नहीं, स्वास्थ्य भी देती है चाय – ग्रीन-टी में विटामिन बी, मैग्नीज, पोटेशियम, मैग्नेशियम, कैफीन और कैटेचिंस नामक एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। चीन में पारंपरिक उपचार में इसे दवाई की तरह उपयोग किया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार ग्रीन-टी नया सुपर फूड है। वैसे तकनीकी रूप से ग्रीन-टी फूड नहीं है, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नैचरोपैथी का मानना है कि ग्रीन-टी हमारी सेहत के लिए बहुत उपयोगी है। इसमें कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है और यह एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है। हाल में हुए कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि ग्रीन-टी वजन कम करने से लेकर टाइप-2 डायबिटीज तक के खतरे को कम करती है।
2. एंटी-एजिंग – ग्रीन-टी में कैटेचिन नामक रसायन होता है, जो शरीर को फ्री रैडिकल्स से लड़ने में सहायता करता है। एजिंग के कई प्रभाव, विशेषरूप से त्वचा पर शरीर में फ्री-रैडिकल्स के इकट्ठा होने से दिखाई देते हैं, जो आपके शरीर की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं और उनकी उम्र बढ़ा सकते हैं। इसमें पॉलीफेनॉल भी होता है जो कोशिकाओं की नवीनीकरण प्रक्रिया के लिए आवश्यक है। और कोशिकाओं को समय से पहले बूढ़ा होने से बचाता है। पॉलीफेनॉल्स एजिंग को रोकता है और उम्र को बढ़ाता है। कैटेचिन कोशिकाओं को फ्रीरैडिकल्स के हानिकारक प्रभाव से बचाता है।
3. ओरल केअर – ग्रीन-टी फ्लोराइड का एक बड़ा प्राकृतिक स्रोत है, इसलिए यह अपने एंटी-बैक्टीरियल इफेक्ट्स के साथ प्राकृतिक रूप से आपके दाँतों को शक्तिशाली बनाने में सहायता करता है, कैविटी को रोकता है और साँस की बदबू दूर करता है।
4. त्वचा को लाभ – ग्रीन-टी में एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाते हैं और त्वचा का युवापन बरकरार रखते हैं। यह त्वचा को सनबर्न और टैनिंग से बचाती हैं। यह शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है, जिससे त्वचा ग्लो करती है और रंग निखरता है। ग्रीन-टी स्वस्थ त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है और कई रोगों के उपचार में उपयोग की जाती है, जैसे स्किन कैंसर। यह लाभ तभी होते हैं, जब ग्रीन-टी को कई महीनों या वर्षों तक पिया जाए।( और पढ़े –त्वचा की 6 प्रमुख समस्या और उनके उपाय)
5. वजन कम होना – कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि अगर आप वजन कम करने के लिए एक्सरसाइज के साथ ग्रीनटी पीते हैं तो इससे वजन कम करने को बूस्ट मिलता है। ग्रीन-टी में पाए जानेवाले तत्त्व वसा को जलानेवाले हार्मोनों के स्रावण को बढ़ाते हैं। इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म ठीक होता है, इसके अतिरिक्त चाय की पत्तियों में कुछ बॉयोएक्टिव पदार्थ होते हैं, जो पानी में घुल जाते हैं और वजन कम करने में सहायता करते हैं। अगर आप फ्लैट-बेली चाहते हैं तो एक दिन में चार कप ग्रीन-टी पिएँ। ग्रीन-टी में पाया जानेवाला पॉलीफिनाल वसा के ऑक्सीडेशन और उस दर को बढ़ा देता है, जिसमें आपका शरीर भोजन को कैलोरी में बदलता है।( और पढ़े –मोटापा कम करने के सफल 58 घरेलु नुस्खे )
6. सौंदर्य बढ़ाने में – ग्रीन-टी सौंदर्य बढ़ाने में भी कारगर है, क्योंकि इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और दूसरे पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है। यही कारण है कि बहुत सारे सौंदर्य प्रसाधनों में ग्रीन-टी होती है। ग्रीन-टी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करती है। ( और पढ़े – गोरा होने के 16 सबसे कामयाब घरेलु नुस्खे)
7-. कैंसर से बचाव – अनुसंधानों में यह बात सामने आई है कि प्रतिदिन ग्रीन-टी पीने से कैंसर का खतरा कम हो जाता है। इसमें पॉलीफेनॉल्स होता है, एक एंटी-ऑक्सीडेंट जो कोशिका को क्षतिग्रस्त होने से रोकता है। ‘नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट’ के अनुसार ग्रीन-टी में पाए जानेवाले पॉलीफेनाल, कैटेचिंस और विभिन्न एंटी-ऑक्सीडेंट्स कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को मारने में सहायता करता है और उन्हें विकसित होने से रोकता है, इसमें पाए जानेवाले विभिन्न एंटी-ऑक्सीडेंट कई प्रकार के कैंसर की आशंका को कम कर देते हैं। ये कोशिकाओं को फ्री-रैडिकल्स से क्षतिग्रस्त होने से बचाते हैं और ट्यूमर की संख्या तथा आकार को कम करते हैं।
नियमित रूप से ग्रीन-टी के सेवन से आँतों, प्रोस्टेट, ब्रेस्ट, मुँह और फेफड़ों के कैंसर से बचाव होता है। चीन के हुए एक अनुसंधान के अनुसार, जो लोग प्रतिदिन पाँच कप ग्रीन-टी का सेवन करते हैं, उनमें स्टमक कैंसर होने की आशंका 40 प्रतिशत तक कम हो जाती है।( और पढ़े – कैंसर को जड़ से मिटाने वाले तीन रामबाण फकीरी नुस्खे)
8. मानसिक स्वास्थ्य – ग्रीन-टी में एक अमीनो एसिड एल-थियानिन होता है, जो मस्तिष्क को अधिक मात्रा में सेरेटोनिन के स्रावण में सहायता करता है, जिससे सिरदर्द से लेकर भावनात्मक अवसाद कम करने में सहायता मिलती है। ग्रीन-टी मस्तिष्क में सेरेटोनिन का स्तर भी बढ़ाती है, जिससे तनाव और एंग्जाइटी दूर होती है। मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बढ़ाती है। ग्रीन-टी मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती है, जिससे ध्यान-केंद्रण की क्षमता सुधरती है। कई अनुसंधानों में यह बात सामने आई है कि ग्रीन-टी अल्जाइमर्स की आशंका भी कम करती है। ( और पढ़े –मानसिक रोग के कारण व घरेलु उपचार )
ग्रीन टी के नुकसान : Green Tea ke Nuksan in Hindi
1. गर्भावस्था में – गर्भवती महिलाओं कों ग्रीन टी का अत्यधिक सेवन नहीं करना चाहिये यह आपको स्वास्थ्य लाभ की बजाए हानि पहुचा सकता है। इसके अत्यधिक सेवन से गर्भपात की संभावना भी बढ़ सकती हैं।
2. कैफीन – कॉफी की तरह ग्रीन टी में भी कैफीन मौजूद होता है। हालांकि ग्रीन टी में कैफीन की मात्रा कॉफी की अपेक्षा बहुत कम होती है, लेकिन दिनभर में ग्रीन टी का अत्यधिक सेवन इससे होने वाली खतरनाक बीमारियां पैदा कर सकता है। इससे आप पेट की समस्या, अनिद्रा, उल्टी, दस्त एवं अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के शिकार हो सकते हैं।
3. गुर्दे की पथरी – ग्रीन टी में मौजूद ऑक्जेलिक एसिड गुर्दे में पथरी का कारण हो सकता है। इसके अलावा इसमें अमीनो एसिड ,कैल्शियम, यूरिक एसिड और फास्फेट भी पाया जाता है जो ऑक्जेलिक एसिड के साथ मिलकर गुर्दे की पथरी के लिए जिम्मेदार होते हैं।
4. लौह तत्व की कमी – ग्रीन टी के ज्यादा सेवन करने से आपके शरीर में लौह तत्व यानि आयरन की कमी हो सकती है। दरअसल ग्रीन टी में मौजूद टैनिन, खाद्य पदार्थों और पोषक तत्वों से होने वाले आयरन के अवशोषण में अवरोध उत्पन्न करता है।
5. ऑस्टियोपोरोसिस – हालांकि ग्रीन टी और ऑस्टियोपोरोसिस का कोई सीधा संबंध नहीं है, लेकिन ग्रीन टी को अधिक मात्रा में पीने से कैल्शियम की वह मात्रा बढ़ जाती है, जो यूरिन के माध्यम से शरीर के बाहर निकल जाती है। इस तरह से शरीर में कैल्शियम की अधिक कमी हो सकती है, जो ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों का कारण बनती है।
6. टेस्टोस्टेरॉन की कमी – ग्रीन टी का सेवन हमारे शरीर में टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को कम करता है। प्रयोगों में यह बात भी सामने आई, कि ग्रीन टी का सेवन कम करने से या इसकी मात्रा में कमी आने से टेस्टोस्टेरॉन का स्तर सामान्य होने में मदद मिलती है।
7. भूख में कमी – ग्रीन टी का अधिक सेवन करना हमारी भूख को कम कर सकता है, जिस्से आप सही डाइट नहीं ले पाते और आपके शरीर को जरूरी मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इस तरह से आपका शरीर कमजोर हो सकता है।
चाय,कॉफी या ग्रीन टी का सेहतमंद विकल्प जड़ी-बूटियों वाली आयुर्वेदिक चाय :
जड़ी-बूटियों के उपयुक्त सम्मिश्रण वाली चाय का सेवन किया जाए तो इसके कई फायदे हैं। पारंपरिक भाषा में इसे ‘काढ़ा’ भी कहा जाता है। तुलसी, दालचीनी, ज्वरांकुश, अदरक, मुलहठी वगैरह मिलाकर बनाई गई यह चाय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है, सर्दी-जुकाम से रक्षा करती है तथा शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करके स्फूर्तिमान बनाती है। इस तरह की आयुर्वेदिक चाय अच्युताय हरिओम फार्मा बनाकर बेचती हैं।
अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित ओजस्वी चाय 14 बहूमूल्य औषधियों के संयोग से मिलकर बनी है यह ओजस्वी चाय क्षुधावर्धक, मेध्य व हृदय के लिए बलदायक है। यह मनोबल को बढ़ाती है। मस्तिष्क को तनावमुक्त करती है, जिससे नींद अच्छी आती है। यह यकृत के कार्य को सुधारकर रक्त की शुद्धि करती है।
चाय ,काफ़ी या व ग्रीन टी की जगह अच्युताय हरिओम ओजस्वी पेय (आयुर्वेदिक चाय ) स्वास्थ्य व सेहत की दृष्टी से ज्यादा फायदेमंद है |