Last Updated on June 29, 2024 by admin
क्या आप अब भी चाय के नाम पर घोल पीते हैं? चायपत्ती+दूध+शक्कर+पानी का घोल?
सामान्य चाय, कॉफी, कोल्ड सॉफ्ट ड्रिंक्स वगैरह पी पीकर ऊब चुके हैं या कैफ़ीन इत्यादि के स्वास्थ्यगत दुष्प्रभावों से अवगत होकर अपने आपको व अपने अपनों को इनसे बचाना चाहते हैं अथवा अब ऐसा कुछ पीना और ख़ुद बनाना चाहते हैं जो पौष्टिक हो एवं स्वादिष्ट भी ? तो आइए हर्बल चाय आसानी से अपने घर पर बनाएँ।
हर बार अलग अनुपात में निम्नांकित में से 3-4 अथवा अधिक सामग्रियाँ मिलाकर हर दिन नया स्वाद व सेहत पा सकते हैं, प्रयोग कर-करके अपने पसंद के स्वाद बनाना कोई भी सीख सकता है।
हर्बल चाय बनाने के लिए आवश्यक सामग्रियाँ और उनके स्वास्थ्य लाभ (Herbal Tea Ingredients and their Benefits in Hindi)
1) दालचीनी : इस पेड़ की छाल टुकड़ों अथवा चूर्ण (पाउडर) के रूप में मिलती है। इसे दरदरा कूटकर अथवा हाथ से छोटे टुकड़ों में तोड़ लें। यह श्वसन-संक्रमण, मस्तिष्क, हृदय व कॉलस्ट्रोल की समस्याओं में उपयोगी है।
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2) काली मिर्च : इसे कूट-पीसकर मिलाना है। खाँसी, रक्तचाप व पेट के कीड़े की स्थिति में सहायक होती है।
3) लौंग : इसे दरदरा करके प्रयोग में ला सकते हैं। पेटदर्द, रक्तविकार, जुकाम, दाँत, जीभ कट जाने पर, कब्ज़, मुख के छाले, कफ़, माइग्रेन में सहायक होती है।
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4) हल्दी : अन्य समस्त सामग्रियों के जैसे इसे भी हर बार अलग अनुपात में स्वाद व इच्छानुसार डाल सकते हैं। यह पीड़ा निवारक, रक्त शोधक है।
5) तेजपात : यह गरम मसाले के पैकेट के साथ भी मिल सकता है। रक्तपित्त, सर्दी, मधुमेह में उपयोगी है।
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6) जीरा : कुछ दानों को कुचल लें। इसमें लोहा, तांबा, कैल्शियम, मैग्नीशियम व अनेक विटामिन्स होते हैं।
7) सौंफ : 4-7 दानों को कूटकर प्रयोग करें। कैंसर विरोधी होने के साथ-साथ एनीमिया व पेट के रोगों में उपयोगी है।
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8) इलायची : इसका पाउडर बनाकर उल्टी, सर्दी, खाँसी और गले की खराश हटाने में प्रयोग किया जा सकता है, इसका छिलका भी चाय में उबाल दें। ‘इलायची वाली कॉफ़ी’ भी बना सकते हैं।
9) अदरक : इसके साथ अथवा अलग से बारीक सोंठ को भी मिलाया जा सकता है। अदरक के सूखे रूप को ही सोंठ कहते हैं; दोनों के गुण लगभग समान हैं। पाचन, दर्द, गैस, गठिया, जी मिचलाने में उपयोगी होता है।
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10) लेमनग्रास : नींबू जैसे स्वादवाला यह पौधा 10-40 रुपयों में ख़रीदकर लगाया जा सकता है। सूजन, जलन दूर करने, एंटिसेप्टिक के रूप में उपयोगी है।
11) नींबूपत्ती : नींबू के पेड़ से एक-दो पत्तियाँ तोड़कर खौलती चाय में डाल दी जाती हैं। मुख की दुर्गंध व अन्य मुख रोगों में उपयोगी होती है।
12) लौंगतुलसी : यह पौधा तुलसी जैसा दिखता है किंतु पत्तियों का स्वाद लौंग जैसा होता है, पत्तियों को मसलकर चाय में मिलाया जाता है। यह रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ानेवाली होती है।
13) तुलसी : ये राम, शाम व जंगली इत्यादि विभिन्न प्रकार की होती हैं जिसकी पत्तियाँ स्वास्थ्यवर्धक होने के ही साथ स्वादवर्धक भी होती हैं। श्वसन, पाचन, बुखार, पथरी व धूम्रपान की आदत छोड़ने में एवं बालों के लिए उपयोगी होती है।
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उपरोक्त प्राचीन भारतीय मसालों को घर पर रसोई में डिब्बों में रखकर कभी-भी उपयोग किया जा सकता है। उपरोक्त लगभग सभी सामग्रियों में एंटि ऐजिंग तत्त्व होते हैं; एंटी ऑक्सिडेंट्स होते हैं जो फ्री रेडिकल्स को हटाते हैं जिससे शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन होता रहता है, बाल, त्वचा व रक्त पर अच्छे प्रभाव पड़ते हैं।
घर पर हर्बल चाय कैसे बनाएं ? (How to Make Herbal Tea at Home in Hindi )
हर्बल चाय (आयुर्वेदिक चाय) बनाने की विधि कुछ इस प्रकार है –
- चुटकीभर अथवा अति सीमित मात्राओं में अलग-अलग अनुपात में इच्छानुसार हर बार अलग परिमाण में वांछित सामग्रियों को मिलाकर पानी खौल लें।
- इच्छा हो तो गाय/ भैंस/ बकरी अथवा सोयाबीन का दूध स्वादानुसार शक्कर या मिश्री मिलाएँ।
- चाहें तो उपरोक्त वांछित मिश्रण को किसी भी प्रकार की सामान्य चाय के साथ उबाला जा सकता है, जिससे सामान्य चाय के दुष्प्रभाव घटेंगे व चाय में पौष्टिकता आएगी।
वैसे आज-कल सामान्य चाय में उपरोक्त में से कुछ मसालों को मिलाकर पैकेज्ड किया जाता है (जैसे कि नेचर केयर रेड लेबल; मसाला चाय अथवा अन्य) तथा आज-कल तो कालीमिर्च, इलायची इत्यादि के संमिश्रण तैयार करके भी हर्बल चाय के रूप में बेचे जाने लगे हैं किंतु हर प्रकार की चाय में अपने हाथ से नया पुराना कुछ न कुछ हर बार मिलाना ही चाहिए ताकि स्वाद में परिवर्तन आए व पौष्टिकता भी आती रहे।
उपरोक्त के अतिरिक्त और भी कई खाद्यपदार्थ व गरम मसाले तक कुछ-कुछ मात्रा में मिलाए जा सकते हैं किंतु यदि कोई गंभीर रोग हो तो बिना चिकित्सक से पूछे कोई अनजाना प्रयोग न करें।
हर्बल चाय से जुड़ा अंधविश्वास :
इसे केवल ठंढ के मौसम में पीना चाहिए, वास्तविकता में ऐसा कुछ नहीं है, बस ध्यान रखें कि हल्दी, सोंठ जैसे गर्म तासीर के मसाले गर्मियों के मौसम में कभी-कभी डालें अथवा कम मात्रा में मिलाएँ।