Last Updated on July 21, 2020 by admin
जायफल क्या है ? : What is Nutmeg in Hindi
यह एक वृक्ष का फल है जिसका प्रयोग प्राय: गरम मसाले के रूप में किया जाता है। जायफल की तासीर गरम होती है, इसलिए वायु एवं कफ की रोगों में यह विशेष उपयोगी सिद्ध होता है। छोटे बच्चों के सर्दी, जुखाम ,खांसी, पसली चलना ,छाती में दर्द या सर्दी के कारण आने वाला बुखार, निमोनिया आदि रोग में जायफल से लाभ होता है। दस्तों एवं उल्टी की बीमारी में भी जायफल का प्रयोग शीघ्र प्रभावकारी सिद्ध होता है।
जायफल का पेड़ कहां पाया या उगाया जाता है ? : Where is Nutmeg Tree Found or Grown?
जायफल के वृक्ष की कई जातियां होती हैं जिनमें से कुछ जातियां भारत में पाई जाती हैं। मलय द्वीप (दक्षिण पूर्व एशिया में एक प्रायद्वीप है) में इसके वृक्ष 70-80 फुट तक ऊंचे होते हैं। इन वृक्षों में नर और मादा के वृक्ष अलग-अलग होते हैं।
भारत में इसकी पैदावार बंगाल, नीलगिरी, त्रावणकोर, मलाबार और बाहर के देशों में लंका, जावा, सुमात्रा तथा मलयेशिया में होती है। सिंगापुर का जायफल अच्छा माना जाता है। इसका वृक्ष सदा हरा बना रहता है।
जायफल लम्बा गोल होता है जो देश भर में पंसारी या किराना दूकान पर मिलता है। कच्चे फल के ऊपर रक्ताभ पीले रंग की एक कोमल पतली छाल (Aril) होती है जो सूखने पर अलग हो जाती है। इसे ही जातिपत्री या जावित्री (Mace) कहते हैं और बीज (फल) को जायफल कहते हैं।
जायफल का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Nutmeg in Different Languages
Nutmeg (Jaiphal) in –
- संस्कृत – जातिफल
- हिन्दी – जायफल
- मराठी – जायफल
- गुजराती – जायफल
- बंगला – जायफल
- तैलुगु – जाजिकाया
- तामिल – जाजिकई
- कन्नड़ – जाईफल
- मलयालम – जाजिकाई
- फारसी – जौजबुया
- इंगलिश – नट मेघ (Nutmeg)
- लैटिन – मिरिस्टिका फ्रेगरेन्स (Muristica fragrance)
जायफल है औषधीय गुणों की खान : Jaiphal ke Gun in Hindi
- जायफल रस में कड़वा, तीक्ष्ण, गरम, रुचिकारक तथा हलका होता है ।
- यह अग्निदीपक, ग्राही, स्वर के लिए हितकारी, कफ तथा वात को नष्ट करने वाला है ।
- जायफल मुख का फीकापन दूर करने वाला है ।
- यह मल की दुर्गन्ध व कालिमा तथा कृमि को नष्ट करता है ।
- जायफल खांसी, वमन, श्वास, शोष, पीनस और हृदय रोग दूर करने वाला है।
- जायफल का तेल ल उत्तेजक, बल्य और अग्निप्रदीपक होता है
- यह जीर्ण अतिसार, आध्मान, आक्षेप, शूल, आमवात, दांतों से पस आना और वृण (घाव) आदि व्याधियों को नष्ट करने वाला है।
- जायफल सुगन्धित, दीपन, वातहर, वेदना शामक, आक्षेप निवारक, उत्तेजक, पौष्टिक और वाजीकारक है।
- आमाशय के लिए उत्तेजक होने से आमाशय में पाचक रस बढ़ाता है जिससे भूख लगती है।
- जायफल आंतों में पहुंच कर वहां से वायु हटाता है।
- यूनानी मत के अनुसार जायफल मूत्रल, स्तन्यवर्द्धक, उत्तेजक, निद्राप्रद, पाचक, पौष्टिक और कामोत्तेजक है ।
- यह विसूचिका, अतिसार, यकृत प्लीहा के विकार, सिर दर्द और नेत्र रोगों में लाभ करता है।
जायफल की तासीर :
जायफल का स्वभाव गर्म होता है।
जायफल का रासायनिक विश्लेषण : Nutmeg Chemical Constituents
- जायफल में उड़नशील तेल – 6 से 16%
- एक स्थिर तेल – 38 से 43%,
- प्रोटीन – 7.5%
- स्टार्च – 14.6 से 24.2%
- खनिज द्रव्य – 1 से 7% होते हैं।
(‘द्रव्य गुण विज्ञान’ से साभार)
सेवन की मात्रा : How to Consume Jaifal
jaifal ka istemal kaise karte hain
- चूर्ण – आधा से एक ग्राम
- तेल – एक से तीन बूंद
जायफल के उपयोग : Uses of Jaifal in Hindi
jaiphal ka upyog hindi me
- जायफल गर्म और तीक्ष्ण प्रकृति का होता है अतः वात और कफ का शमन करने के लिए एक घटक द्रव्य के रूप में इसका उपयोग किया जाता है ।
- जायफल शोथ हर (सूजन मिटनेवाला), वेदना नाशक, वातशामक और कृमिनाशक होने से स्नायविक संस्थान के लिए उपयोगी होता है
- जायफल रोचक, दीपक, पाचक, यकृत को सक्रिय करने वाला और ग्राही होने से पाचन संस्थान के लिए उपयोगी होता है ।
- यह अनिद्रा, शूल, अग्निमांद्य, कास (खांसी), श्वास, हिचकी, शीघ्रपतन और नपुंसकता आदि व्याधियां दूर करने में उपयोगी होता है।
- इसके चूर्ण और तेल को उपयोग में लिया जाता है। यहां कुछ अच्छे और गुणकारी सिद्ध होने वाले नुस्खे प्रस्तुत किये जा रहे हैं।
जायफल के फायदे : Jaiphal Benefits in Hindi
जायफल के औषधीय प्रयोग का तरीका, मात्रा एवं विधियां ये हैं –
झाइयां और धब्बे दूर करने में जायफल फायदेमंद
पत्थर पर पानी के साथ जायफल को घिसें और लेप तैयार कर लें। इस लेप को नेत्रों की पलकों पर और नेत्रों के चारों तरफ लगाने से नेत्र ज्योति बढ़ती है, चेहरे की त्वचा की झाइयां और धब्बे आदि दूर होते हैं। लगातार कुछ दिनों तक लेप लगाना चाहिए।
दूध के पाचन में लाभकारी है जायफल का प्रयोग
शिशु का दूध छुड़ा कर ऊपर का दूध पिलाने पर यदि दूध पचता न हो तो दूध में आधा पानी मिला कर, इसमें एक जायफल डाल कर उबालें । इस दूध को थोड़ा ठण्डा करके कुनकुना गर्म, चम्मच से, शिशु को पिलाएं। यह दूध शिशु को हजम हो जाएगा और मल बंधा हुआ तथा दुर्गन्ध रहित होने लगेगा।
जायफल का प्रयोग दूर करे जोड़ों का दर्द
शरीर के जोड़ों में दर्द होना गठिया यानी सन्धिवात रोग का लक्षण होता है। गठिया के अलावा चोट, मोच और पुरानी सूजन के लिए जायफल और सरसों के तेल को मिला कर मालिश करने से आराम होता है। इसकी मालिश से शरीर में गर्मी आती है, चुस्ती फुर्ती आती है और पसीने के रूप में विकार निकल जाता है।
जायफल के इस्तेमाल से पेट दर्द में लाभ
पेट में दर्द हो, आध्मान हो तो जायफल के तेल की 2-3 बूंद शक्कर में या बताशे में टपका कर खाने से फौरन आराम होता है।
दांत का दर्द मिटाता है जायफल
दांत में दर्द होने पर जायफल के तेल में रुई का फाहा डुबो कर इसे दांत-दाढ़ के कोचर में रखने से कीड़े मर जाते हैं और दर्द दूर हो जाता है। इस तेल में वेदना स्थापन करने का गुण होता है इसलिए यह तेल उस अंग को थोड़े समय के लिए संज्ञाशून्य कर देता है और दर्द का अनुभव होना बन्द हो जाता है।
घाव भरने में लाभकारी जायफल
पुराने और बिगड़े हुए घाव को ठीक करने के लिए, मल्हम में जायफल का तेल मिला कर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।
जायफल के सेवन से विभिन्न रोगों का इलाज
जायफल के उपयोग से कुछ विभिन्न प्रकार के रोग ठीक किये जाते हैं। उदर पीड़ा, हैजा और अतिसार होने पर जायफल को आग में भून कर इसका चूर्ण, एक ग्राम की दो खुराक करके, एक-एक खुराक, सुबह शाम शहद में मिला कर चाटने से आराम होता है।
जायफल को भून लेने से इसकी मादकता और विषाक्तता समाप्त हो जाती है। हैजा होने पर जायफल का चूर्ण, एक ग्राम की आठ मात्रा बना कर, एक-एक घण्टे से शहद में मिला कर चाटना चाहिए। हैजा होने पर, हाथ पैरों में एंठन हो तो एक जायफल का चूर्ण, 100 ग्राम सरसों के तेल में मिला कर गर्म करें। खूब उबाल कर उतार लें। कुनकुना गर्म रहे तब इस तेल से शरीर पर मालिश करें। इससे एंठन बन्द हो जाती है।
सर्दी और सिरदर्द में लाभकारी है जायफल का प्रयोग
कुनकुने गर्म पानी के साथ जायफल को पत्थर पर घिस कर इस लेप को नाक के ऊपर और कपाल पर लगाने से सिर दर्द और सर्दी में आराम होता है।
अत्यधिक प्यास और वमन में लाभकारी जायफल
अजीर्ण होने पर बार बार प्यास लगती है और वमन होती है। जायफल का चूर्ण 10 ग्राम एक लिटर उबलते पानी में डालें और ढक कर रख दें। ठण्डा होने पर इसे थोड़ी थोड़ी मात्रा में दिन भर पिलाने से प्यास का शमन होता है और वमन होना बन्द हो जाता है।
कमर दर्द में जायफल के सेवन से लाभ
प्रायः प्रसव के बाद स्त्रियों को कमर में दर्द होने लगता है। जायफल को शराब में घिस कर लेप बनाएं और कमर पर लेप लगाएं और बंगला पान में जायफल का चूर्ण एक ग्राम डाल कर खिलाएं। इससे कमर दर्द में आराम होता है।
श्वास कष्ट मिटाए जायफल का उपयोग
शिशु की छाती में कफ जमा हो जाने पर उसका श्वास फूलने लगता है । जायफल को पानी में घिस कर लेप तैयार करें। इसे थोड़ा कुनकुना गर्म करके शिशु की छाती और पीठ पर लेप करके, कपड़ा गर्म करके थोड़ी देर सेक कर दें। शिशु का श्वास कष्ट दूर हो जाएगा।
शिशु की सर्दी में जायफल से फायदा
शिशु को सर्दी जुकाम हो जाए तो जायफल और सोंठ को गाय के घी के साथ पत्थर पर घिस लें। इसे दिन में तीन बार, अंगुली से शिशु को चटाएं। सर्दी ठीक हो जाएगी।
अनिद्रा मिटाए जायफल का उपयोग
रात को नींद न आती हो तो जायफल, पानी के साथ पत्थर पर घिस कर. लेप आंखों की पलकों के ऊपर लगाएं । जायफल व जावित्री का चूर्ण 1-1 ग्राम, दूध में डाल कर उबालें और उतारकर ठण्डा कर लें। इसमें 1 चम्मच मिश्री डाल कर, सोने से 2-3 घण्टे पहले पानी के साथ लें।
मन्दाग्नि में जायफल का उपयोग फायदेमंद
जायफल का एक ग्राम चूर्ण शहद में मिला कर, सुबह शाम चाटने से जठराग्नि प्रबल होती है और मन्दाग्नि दूर हो जाती है।
मुंह के छाले दूर करे जायफल का प्रयोग
जायफल को तोड़ कर पानी में उबाल कर ठण्डा कर लें। इस पानी से कुल्ले करने से छाले अच्छे हो जाते हैं।
कान की सूजन में जायफल का उपयोग लाभदायक
जायफल पानी के साथ पीस कर कान के पीछे लेप करने से कर्णमूल की सूजन या गांठ दूर हो जाती है।
जायफल के कुछ अन्य लाभ : jaiphal ke labh
- वायु विकार – सरसों के तेल में जायफल को घिसकर पेट पर लेप करने से वायु-विकार में आराम मिलता है।
- सिर-दर्द – जायफल को पानी के साथ पत्थर पर घिसकर सिर पर मलने से सिर-दर्द दूर हो जाता है ।
- बच्चों की सर्दी – बच्चों को अगर ठण्ड लग जाए तो माँ के दूध में जायफल को घिसकर बच्चों को चटाने से सर्दी दूर हो जाती है।
- दस्तों में – जायफल के साथ सोंठ को पानी में घिसकर दिन में तीन बार देने में दस्त बन्द हो जाते हैं।
- कब्ज – जायफल को नींबू के रस में घिसकर देने से दस्त साफ हो जाता है और वायु-विकार ,पेट फूलना दूर हो जाता है।
- जुकाम – शिशु को जुकाम हो जाने पर जायफल को घिसकर उसे शहद से शिशु को चटाएँ। जुकाम दूर हो जाएगा।
- चेहरे के कील मुँहासे – जायफल को दूध में घिसकर उसका लेप चेहरे पर करें। कुछ देर बाद चेहरे को शीतल जल से धो दें। चेहरा खिल उठेगा और कुछ दिनों के प्रयोग से चेहरे के कील-मुँहासे और खाल का खुरदरापन दूर हो जाएगा।
- मिर्गी का दौरा – कहा जाता है कि 21 जायफल की माला बनाकर पहनने से मिरगी रोग नष्ट हो जाता है।
जायफल से बनने वाले कुछ लाभदायक योग (आयुर्वेदिक दवा) :
( माप :- 1 रत्ती = 0.1215 ग्राम )
जातिफलादि वटी – निर्माण विधि और फायदे
जायफल, लोंग, पीपल, सेन्धानमक, सोंठ, धतूरे के बीज, शुद्ध हिगुल, सुहागे का फूला – सब 10-10 ग्राम लेकर, कूट पीस कर बारीक चूर्ण कर लें और नींबू के रस में घुटाई करके 1-1 रत्ती की गोली बना कर छाया में सुखा लें।
लाभ : सुबह शाम एक चम्मच तिल और एक चम्मच मख्खन के साथ 2-2 गोली लेने से बवासीर से गिरने वाला खून बन्द हो जाता है। लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से बवासीर के मस्से मुरझा कर गिर जाते हैं।
वीर्य स्तम्भन वटी – निर्माण विधि और फायदे
जायफल, लोंग, जावित्री, केशर, इलायची के दाने, अकरकरा, जुन्देबेदस्तर और भीम सेनी कपूर सब 10-10 ग्राम लेकर कूट पीस कर खूब महीन चूर्ण करके बंगला पान (मीठा पत्ता) के रस और शहद में घोंट कर 1-1 रत्ती को गोलियां बना कर छाया में सुखा लें।
लाभ : सुबह शाम 1-1 गोली दूध के साथ लेने से वीर्य शुद्ध एवं गाढ़ा होता है जिससे स्तम्भन क्षमता बढ़ती है और शीघ्रपतन होना बन्द होता है। इसके अलावा पाचन क्रिया ठीक होती है, शरीर में बल बढ़ता है और चेहरा कान्तिमान होता है।
मगनाभ्यादि वटी – निर्माण विधि और फायदे
जायफल का महीन पिसा हुआ चूर्ण, जावित्री, वंश लोचन – 10-10 ग्राम, छोटी इलायची के पिसे हुए दाने 7 ग्राम, मोती पिष्टी 6 ग्राम, केशर 6 ग्राम, चांदी भस्म 4 ग्राम और स्वर्ण भस्म 2 ग्राम – इन्हें बंगला पान (मीठा पत्ता) के रस में, खूब अच्छी तरह घुटाई करके एक जान कर लें फिर 1-1 रत्ती की गोलियां बना कर छाया में सुखा लें।
लाभ : पूरे शीतकाल के दिनों में 1-1 गोली सुबह शाम दूध के साथ लें। इसके सेवन से धातु स्राव, स्वप्नदोष, धातु विकार, प्रमेह, क्षय श्वास कष्ट, मन्दाग्नि आदि विकार दूर होते हैं तथा स्नायविक संस्थान को बल मिलता है।
यह योग उपदंश, सुजाक, मधुमेह के रोगी की चिकित्सा में भी सहयोगी औषधि के रूप में अच्छा कार्य करता है, शरीर को स्वस्थ और सुडौल बनाता है तथा बलवीर्य की वृद्धि करता है। यह आयुर्वेद के उत्तम वाजीकारक योगों में से एक योग है।
इतना विवरण जायफल की उपयोगिता और गुणवत्ता को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त है। इसी प्रकार जायफल का उपयोग मकरध्वज वटी, विगोजेम टेबलेट, कामचूड़ामणि रस, सालम पाक, गर्भधारक योग, अश्वगन्धा पाक ,फेसकेयर ,मूसली पाक ,बादाम पाक ,कौंच पाक, चन्द्रोदय वटी, अतिसोल वटी आदि अनेक बलवीर्यवर्द्धक आयुर्वेदिक योगों के घटक द्रव्यों में किया जाता है।
किसे जायफल का उपयोग नहीं करना चाहिए? : Who Should Not Use Jaifal
जायफल के दुष्प्रभावों (नुकसान) से बचने के लिए इन लोगों को जायफल का उपयोग नहीं करना चाहिए –
- गर्भवतीं महिलाओं को जायफल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- एलर्जी के रोगियों को चिकित्सक की सलाह लेकर ही जायफल का इस्तेमाल करना चाहिए, अन्यथा त्वचा संबंधित विकार हो सकतें है।
जायफल के साइड इफेक्ट : Jaiphal Side Effects in Hindi
आयुर्वेद मतानुसार, जायफल के ये नुकसान भी हो सकते है –
- ज्यादा मात्रा में सेवन से यह मादक (नशीला) प्रभाव उत्पन्न करता है । इसके प्रभाव से चक्कर आना, प्रलाप, मूढ़ता, बहुत अधिक प्यास लगना, व्याकुलता, बेहोशी, आदि लक्षण प्रकट हो सकते हैं।
- यह मृत्यु का कारण भी बन सकता है ।
- जायफल अत्यधिक कामोत्तेजक होता है, अत्यधिक मात्रा में इसका सेवन नुकसान पहुंचा सकता है।
(दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)