चमत्कारी औषधि सफेद मूसली के लाजवाब फायदे

Last Updated on April 9, 2023 by admin

मूसली क्या है ? : Musli in Hindi

मुसली एक झाड़ी नुमा पौधे की जड़ होती है। यह जड़ ही प्रयोग में ली जाती है जो बहुत बलवीर्यवर्द्धक और पौष्टिक गुण वाली होती है इसलिए इसका चूर्ण दूध या घी के साथ सेवन किया जाता है, इसका पाक बनाया जाता है और बाजीकारक अथवा पौष्टिक नुस्खों में भी इसे एक घटकद्रव्य के रूप में शामिल किया जाता है। आयुर्वेद ने इसकी बहुत प्रशंसा की है और शुक्रल (शुक्र तैयार करने वाली), वीर्य का स्तंभन करने वाली, धातु को पुष्ट करने वाली, वृष्य (टॉनिक), वाजीकारक (Aphrodisiac), स्नायविक संस्थान को बल देने वाली (NerveTonic), स्निग्ध तथा रसायन आदि विशेषणों से इसे संबोधित किया जाता है । यह सरलतापूर्वक सारे भारत में उपलब्ध रहती है। और इसकी सेवन विधि सरल है। भाव प्रकाश निघंटु में लिखा है –

मुसली मधुरा वृष्या वीर्योष्णा बृहणी गुरुः ।
तिक्ता रसायनी हन्ति गुदजान्यनिलं तथा।।

मुसली सफेद और काली, दो प्रकार की होती है। काली मुसली को संस्कृत में तालमूली या ताल पत्री, हिन्दी में काली मुसली या स्याह मुसली कहते हैं । मुसली सारे भारत में पंसारी और कच्ची जड़ी-बूटी बेचने वाली दुकान पर मिलती है।

विविध भाषाओं में नाम :

  • संस्कृत – श्वेत मुशली ।
  • हिन्दी – सफेद मुसली, मूसली ।
  • मराठी – सफेद मुसली ।
  • गुजराती – धोली , मुसली।
  • बंगला – श्वेत मुषली ।
  • तेलगु – सल्लोगड्डा ।
  • तामिल – तन्निर विटंग ।
  • कन्नड़ – नेलताड़ी ।
  • मलयालम – शेडे बेल ।
  • फारसी – शकाकुले ।
  • हिन्दी – सफेद मूसली।
  • इंग्लिश – व्हाइट मूसली (White Mosle)।
  • लैटिन – एस्पेरे गुस एडसेण्डेंस (Asparagus Adscendens) |

सफेद मूसली के औषधीय गुण : Musli ke Gun in Hindi

  • मुसली मधुर रस वाली, वीर्यवर्द्धक, उष्ण वीर्य, पुष्टिकारक, भारी, कड़वी, रसायन रूप तथा बवासीर और वात पित्त को नष्ट करने वाली है।
  • यह कफवर्द्धक, मूत्रल, शुक्र धातु को पुष्ट करने वाली तथा स्तंभन शक्ति उत्पन्न करने वाली है।

रासायनिक संघटन :

  • सफेद मुसली में एस्पेरेगिन (Asparagin), एल्बुमिन युक्त पदार्थ, पिच्छिल द्रव्य और सेल्युलोज होता है।
  • स्याह काली मूसली में -स्टार्च 43.48,टेनिन 4.15, सूत्र 14.18 तथा राख 8.6% होती है।

मूसली के उपयोग : Musli ke Upyog

  • दोनों प्रकार की मुसली के गुण, कर्म और प्रयोग बहुत कुछ एक जैसे हैं। दोनों शुक्रल यानि शुक्र धातु की वृद्धि करता है, पुष्टिकारक और बलवर्द्धक हैं और यौनविकारों को दूर करने वाले नुस्खों में उनका उपयोग किया जाता है ।
  • इसका चूर्ण एकल औषधि के रूप में भी, दूध या अन्य अनुपान के साथ, सेवन किया जाता है।
  • इसे लगातार 2-3 मास तक सेवन करना चाहिए।
  • काली मूसली का प्रभाव मूत्र मार्ग तथा यौनांग पर विशेष रूप से होता है, इसलिए मूत्र विकार और यौन विकार को दूर करने में काली मुसली का उपयोग उत्तम रहता है।
  • मधुमेह का रोगी भी, दुर्बलता, कृशता (दुबला-पतलापन) और यौन दौर्बल्य आदि को दूर करने के लिए, सेवन कर सकता है।
  • मुसली का पाक बनाया जाता है जो बहुत पौष्टिक और बलवीर्यवर्द्धक होता है। सफेद और काली मुसली के कुछ घरेलू प्रयोग प्रस्तुत किये जा रहे हैं।

सफेद मूसली के फायदे : Safed Musli ke Fayde

1.कमजोरी : जहां कुछ लोग मोटापे से परेशान हैं और मोटापा कम करने के उपाय करते रहते हैं वहां कुछ युवा स्त्री-पुरुष ऐसे भी हैं जो बहुत दुबले-पतले हैं जिससे उनकी आंखें अंदर धंसी हुई, गाल पिचके हुए, चेहरा सूखा हुआ और पूरा शरीर सूखा हुआ दिखाई देता है जो अच्छा नहीं लगता। ऐसे दुबले-पतले लोगों को यह प्रयोग लगातार 2-3 मास तक करना चाहिए, ज्यादा समय तक भी करें तो हर्ज नहीं ।

सफेद मूसली, सालमपंजा, असगंध, मुलहठी और शतावर- सब 100-100 ग्राम लेकर कूट-पीस कर खूब महीन चूर्ण करके मिला लें और 200 ग्राम पिसी मिश्री मिला कर इस मिश्रण को छन्नी से तीन बार छानें, ताकि सभी द्रव्य ठीक से मिल कर एक जान हो जाएं। इसे एयर टाइट ढक्कन लगा कर बर्नी में भर कर रखें। इस मिश्रण को 1-1 बड़ा चम्मच (1010 ग्राम), सुबह-शाम कुनकुने गर्म दूध के साथ, 2-3 माह तक नियमित रूप से सवन करने पर दुबला-पतलापन दूर होता है, शरीर शक्तिशाली और सुडौल होता है और चेहरा भर जाता है।

यह प्रयोग करते हुए देर रात तक जागना, भूख सहना यानि भोजन वक्त पर न करना और ठीक से चबाए बिना जल्दी-जल्दी खाना आदि बुरी आदतों से दूर रहें। शाम को भी मल विसर्जन के लिए शौचालय में जाया करें। ( और पढ़े – दुबलापन दूर करने के 14 सबसे असरकारक उपाय)

2. बहुमूत्र : बार-बार पेशाब आना बहुमूत्र रोग होता है। इसे मूत्रातिसार भी कहते हैं । इस व्याधि को दूर करने के लिए काली मुसली का महीन चूर्ण 1 चम्मच (5 ग्राम) और जायफल का चूर्ण 2 ग्राम- मिलाकर सुबह-शाम पानी के साथ फांकना चाहिए। इस प्रयोग से बार-बार पेशाब आना बंद हो जाता है। ( और पढ़े – बार बार पेशाब आने के कारण लक्षण और उपचार)

3. शीघ्रपतन : यौन-शक्ति की फिजूलखर्ची करने वालों का दाम्पत्य जीवन बड़ा अतृप्त, मानसिक क्लेशपूर्ण और मनोमालिन्य से भरा हुआ हो जाता है। इसमें सबसे प्रमुख कारण शीघ्रपतन की शिकायत होना होता है। पौष्टिक आहार का सेवन, नियमित रूप से व्यायाम, उचित दिनचर्या, मन में प्रसन्नता व उमंग का अनुभव करना- इन सबका पालन करते हुए काली मुसली 1 चम्मच (5ग्राम) और बंग भस्म 4 रत्ती (आधा ग्राम) दोनों को थोड़े शहद में मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले चाट कर सेवन करें। इसके बाद पानी से कुल्ले न करें, मुंह का थूक निगल-निगल कर मुंह साफ करें। आधा घंटे बाद चाहें तो एक गिलास मीठा कुनकुना गर्म दूध पी सकते हैं।

4. मूत्र कृच्छ : पेशाब में रुकावट होना मूत्र कृच्छ कहलाता है। इस व्याधि को दूर करने के लिए सफेद मुसली का चूर्ण और पिसी मिश्री 11 चम्मच लेकर मिला लें । इस पर 3 बूंद चंदन का तेल टपका कर, एक गिलास दूध-पानी की मीठी लस्सी के साथ सुबह-शाम लेने से यह व्याधि दूर हो जाती है। पेशाब की जलन भी दूर हो जाती है।

5. कान का रोग : काली मुसली का चूर्ण 10 ग्राम दो कप पानी के साथउबालकर काढ़ा करें। जब पानी आधा कप बचे तब इसमें चौथाई कप (पानी से आधी मात्रा में) सरसों का तेल डाल कर फिर उबालें । जब पानी जल जाए, सिर्फ तेल बचे तब उतारकर छान लें और शीशी में भर लें । इस तेल की 2-2 बूंद कान में टपकाने से कान का बहना या दुखना ठीक होता है।

6. गुर्दे का दर्द : काली मुसली का चूर्ण एकचम्मच और तुलसी की 5-6 पत्ती, पानी के साथ, सुबह-शाम लेने से गुर्दे का दर्द ठीक होता है।

7. बल वर्धक : शरीर को पुष्ट और बलवान बनाने के लिए मुसली का एक सरल प्रयोग प्रस्तुत है-सफेद मुसली, असगंध, विधारा और मिश्री-सबको अलग-अलग कूट पीस कर महीन चूर्ण कर लें और प्रत्येक को 300-300 ग्राम वजन में लेकर मिला लें। इसे तीन बार छान कर एयर टाइट ढक्कन वाली बर्नी में भर कर रखें। इसे सुबह खाली पेट और रात को भोजन करने के दो घंटे बाद, 10 ग्राम मात्रा में, कुनकुने गर्म मीठे दूध के साथ सेवन करें। प्रतिदिन 20 ग्राम चूर्ण सेवन करने पर, यह 1200 ग्राम चूर्ण 60 दिन चलेगा। 60 दिन नियमित रूप से सेवन करें, दोनों वक्त सुबह शाम शौच के लिए बेनागा जाते रहे, खूब चबाचबा कर, दोनों वक्त ठीक समय पर भोजन करें । यह प्रयोग विवाहित और अविवाहित दोनों युवक-युवतियों तथा वयस्क स्त्री-पुरुषों के लिए उपयोगी है।

8. पेट दर्द (उदरशूल) : पेट दर्द दूर करने के लिए काली मुसली और दालचीनी समान मात्रा में पीस कर मिला लें। एक चम्मच चूर्ण ताजे पानी के साथ दिन में दो बार फांकने से पेट दर्द दूर हो जाता है।

9. श्वास फूलना : काली मुसली की जड़ की छाल कूट पीस कर महीन चूर्ण कर लें । पान वाले से सादा पान बनवा कर, उस पान में आधा चम्मच यह चूर्ण डाल कर, पान मुंह में दबा कर, चबाते-चसते रहें। दिन में दो बार यह प्रयोग करें। इस प्रयोग के असर से श्वास फूलना और दमारोग में आराम होता है। ( और पढ़े –सांस फूलने की परेशानी से राहत देगे यह 11 घरेलू इलाज )

10. वीर्य की कमी में:

  • सफेद मूसली और शक्कर को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोज सबेरे गाय के दूध के साथ खाने से वीर्य की कमी दूर होती है।
  • 3 से 6 ग्राम मूसली के कन्द के चूर्ण में मिश्री मिलाकर सेवन करने से धातु की कमी दूर हो जाती है।
  • 3 से 6 ग्राम मूसली और सेमल मूल का चूर्ण, 5 से 10 ग्राम शर्करा (चीनी) और 5 ग्राम घी को एक साथ प्रतिदिन 3 बार सेवन करना चाहिए। इससे धातु की कमी दूर हो जाती है।

11. मूत्राघात (पेशाब में वीर्य का आना): 14 से 28 मिलीलीटर मूसली का काढ़ा, 4 मिलीलीटर तिल का तेल, 5 ग्राम घी तथा 100 मिलीलीटर दूध को एक साथ मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से पेशाब में वीर्य का आना बंद हो जाता है।

12. नपुंसकता:

  • सफेद मूसली और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ खाने से शरीर की शक्ति और खोई हुई मैथुन शक्ति वापस मिल जाती है।
  • 250 ग्राम सफेद मूसली का बारीक चूर्ण बना लें, इस चूर्ण को 2 किलो दूध में मिलाकर खोया बना लें। फिर 250 ग्राम घी में डालकर इस खोए को भून लें। ठण्डा हो जाने पर आधा किलो पीसकर शक्कर (शुगर) मिलाकर प्लेट या थाली में जमा लें। इसे सुबह-शाम 20 ग्राम की मात्रा में खाने से काम-शक्ति बढ़ती है।
  • 50-50 ग्राम सफेद मूसली, सतावर और असगंध को पीसकर रख लें। इस मिश्रण को 10 ग्राम की मात्रा में सोते समय 250 ग्राम हल्के गर्म दूध में खांड के साथ मिलाकर लेने से नपुंसकता का रोग कुछ ही दिनों में दूर हो जाता है।
  • 20 ग्राम सफेद मूसली, 200 ग्राम तालमखाने के बीज तथा 200 ग्राम गोखरू को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 5 ग्राम चूर्ण दूध के साथ खाने से नपुंसकता के रोग में लाभ मिलता है।
  • सफेद मूसली और मिश्री को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाकर 6 ग्राम की मात्रा में खाने से नपुंसकता खत्म हो जाती है।
  • काली मूसली का पाक बनाकर खाने से नपुसंकता मिटकर खत्म हो जाती है।
  • 10 ग्राम काली मूसली को लेकर दूध के साथ खाने से नपुंसकता दूर हो जाती है।
  • काली मूसली की जड़ का चूर्ण 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम मिश्री मिले हुए गर्म दूध के साथ खाने से कुछ हद तक नपुंसकता के रोग में लाभ होता है।

13. दस्त:

  • काली मूसली के फल के पिसे हुए चूर्ण को 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से दस्तों में आराम मिलता है।
  • सफेद मूसली के पिसे हुए चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर मीठे दूध के साथ पीने से दस्तों में लाभ होता है।

14. आमातिसार: 10 ग्राम सफेद मूसली का चूर्ण बनाकर चीनी में मिलाकर दूध के साथ रोजाना सुबह-शाम रोगी को दें। ऐसा करने से आमातिसार (ऑवयुक्त दस्त) का रोग खत्म हो जाता है।

15. संग्रहणी: 6 ग्राम काली मूसली को खूब बारीक पीसकर 125 ग्राम गाय के मट्ठा (लस्सी) के साथ सेवन करने से संग्रहणी (बार-बार दस्त का आना) समाप्त हो जाता है।

16. आंवरक्त (पेचिश):

  • 10 ग्राम सफेद मूसली के चूर्ण को मट्ठे में मिलाकर रोजाना पीने से पेचिश रोग ठीक हो जाता है।
  • काली मूसली के चूर्ण को चावलों के पानी या मट्ठे (लस्सी) में मिलाकर पीने से पेचिश का रोग दूर हो जाता है।

17. प्रदर रोग:

  • लगभग 3 ग्राम सफेद मूसली के चूर्ण को आंवले, पालक के साथ सेवन करने से श्वेतप्रदर में लाभ होता है।
  • 10 ग्राम सफेद मूसली को सुबह-शाम चीनी में मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से प्रदर रोग में फायदा होता है।

18. दर्द व सूजन में: काली मूसली को पीसकर चोट-मोच या कमजोर हड्डी पर लगाने से लाभ होता है।

19. जलोदर (पेट में पानी भरना): मूसली का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से जलोदर (पेट में पानी का भरना) का रोग दूर हो जाता है।

20. रक्तप्रदर: काली मूसली की कन्द 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से अत्यार्तव (मासिकस्राव में खून का अधिक आना) में बहुत लाभ मिलता है। इसे दूध में पेय बनाकर सेवन करने से भी बहुत लाभ मिलता है।

21. बच्चे का जन्म आसानीपूर्वक होना: काली मूसली को महिला के हाथ-पैरों में धागे से बांध दें। बच्चा होने के बाद इसे खोल देना चाहिए।

22. पेट में दर्द: 3 से 6 ग्राम काली मूसली को नमक और अजवायन के साथ सुबह-शाम पीने से पेट के दर्द में आराम मिलता है।

23. पेशाब का बार-बार आना: सफेद मूसली, खंभारी, छुहारा और पका केला इन्हें पीसकर दूध या पानी के साथ खाने से पेशाब का बार-बार आना बंद हो जाता है।

24. लिंग वृद्धि: मूसली का चूर्ण घी में मिलाकर लिंग पर लेप करने से लिंग बड़ा और मोटा जाता है।

25. शरीर को शक्तिशाली बनाना:

  • काली मूसली के चूर्ण में मिश्री मिलाकर खाने से शरीर की शक्ति बढ़ती है।
  • लगभग 10 ग्राम सफेद मूसली के चूर्ण को 250 मिलीलीटर दूध में लेकर पकायें और गाढ़ा होने तक पकने दें। अब इसको निकालकर 1 प्लेट पर रख दें, सुबह तक यह खीर की तरह उस प्लेट पर जम जायेगा। अब इसमें शक्कर मिलाकर इसको खायें। इसका सेवन 40 दिनों तक करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में ताकत बढ़ती है। इसके सेवन के दिनों में गर्म और खट्टे पदार्थों से परहेज करना चाहिए।

26. शरीर में सूजन: पेट में पानी भरने के कारण होने वाली सूजन में मूसली का पेय बनाकर सुबह-शाम देने से सूजन ठीक हो जाती है।

मुसली से निर्मित आयुर्वेद दवा :

आयुर्वेद शास्त्र में एक से बढ़कर एक बल वीर्यवर्द्धक,पौष्टिक और शक्ति की सुरक्षा और वृद्धि करने वाले द्रव्यों का विवरण पढ़ने को मिलता है। उन श्रेष्ठ द्रव्यों में से एक है यह मुसली, जो पुरुष की वीर्य शक्ति और शारीरिक शक्ति को अक्षुण्ण रखने में समर्थ सिद्ध होती है। यही वजह है कि लगभग सभी श्रेष्ठ वाजीकारक और बलपुष्टि कारक नुस्खों में मूसली भी पाई जाती है।

यहां दो बहुत ही अच्छे और अत्यंत गुणकारी आयुर्वेदिक योग प्रस्तुत कर रहे हैं जिनमें मुसली को भी शामिल किया गया है। किसी भी एक नुस्खे का सेवन लगातार 3-4 माह तक करके परिणाम देखा जा सकता है। हाथ कंगन को आरसी क्या, करके देख लें जिसका मन चाहे, पर हां, आहार-विहार और आचारविचार अच्छा रहे और अपथ्य का त्याग रख कर ही सेवन करें यह अत्यावश्यक है। मैले कपड़े पर अच्छा रंग नहीं चढ़ता, यह तथ्य याद रहे।

1. मुशल्यादि चूर्ण : इस योग का नामकरण ही मुसली के नाम से किया गया है। सफेद मुसली, विदारीकंद, गिलोय सत्व, कौंच के शुद्ध किये हुए यानि छिलका रहित बीज, गोखरू, सेमल की मुसली और आंवला-सबका कुटा-पिसा महीन चूर्ण 50-50 ग्राम, पिसी मिश्री 250 ग्राम, सबको मिला कर तीन बार छान कर शीशी में भर लें। एक-एक बड़ा चम्मच भर चूर्ण, फांक कर ऊपर से मीठा कुनकुना गर्म दूध पिएं। यह प्रयोग लगातार 3-4 माह तक सेवन करें।

2. दिव्य रसायन चूर्ण : सफेद मुसली, असगंध, विधारा, मुलहठी,शतावर, गोखरू, विदारीकंद, कौंच के शुद्ध बीज और तालमखाना- सबका कुटा पिसा महीन चूर्ण 10-10 ग्राम, तुलसी के बीज, अकरकरा, तेजपात, नागकेशर 2-2 ग्राम, दालचीनी 1 ग्राम, जावित्रीव इलायची चूर्ण आधा-आधा ग्राम और 30 ग्राम मिश्री पिसी हुई। इन सभी द्रव्यों का महीन पिसा चूर्ण मिलाकर, तीन बार छान कर, शीशी में भर लें । यह चूर्ण 1-1 बड़ा चम्मच भर फांक कर ऊपर से मीठा कुनकुना गर्म दूध, सुबह-शाम, 3-4 माह तक पथ्य-अपथ्य का पालन करते हुए सेवन करें और परिणाम देख लें।

दोनों नुस्खे अत्यंत वीर्यवर्धक , शुक्र वाहिनी नाड़ियों और यौनांग प्रदेश पर विशेष प्रभाव कर नपुंसकता और यौनांग की शिथिलता दूर करने वाले, धातुक्षीणता, वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन, स्नायविक दुर्बलता, शुक्राणु-अल्पता (Oligospermia) आदि विकार नष्ट करने वाले हैं।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

6 thoughts on “चमत्कारी औषधि सफेद मूसली के लाजवाब फायदे”

  1. लिया जा सकता है । बस यह याद रखें विदारी कन्द और सफेद मूसली बल वर्धक होने के साथ ही वाजिकारक और उत्तेजक भी होते है ~ हरिओम

  2. हरि ओम

    अश्वगंधा पाक मे चीनी होती है
    चीनी मे ज्यादा नही खाता
    क्या मै
    1। आमला 50gm
    2। सतावर 50gm
    3 विदारी कन्द 50 gm
    4। सफेद। मूसली। 50gm
    5। धनिया। 25 gm
    6। सोफ 25 gm
    7। गोंद। बबूल 25 gm
    8 मिसरी धागे वाली 50gm
    9। इमली बीज गिरि। 50 gm
    सभी को मिलाकर चूर्ण (5gm)
    सुबह और। रात को। दुध से ले सकते हैं
    हरि ओम

  3. अश्वगंधा पाक का सेवन करें वह आपके लिए सबसे अच्छा रहेगा ~ हरिओम

  4. हरि ओम
    दोनो ही नुस्के। अच्छे है लेकिन गर्मी के मौसम मे सिमित मात्रा लेने पर भी पेट मे। नुसकान कर्ता है।
    कोई एसा नुसका बताए जो ठंडा हौ और वजिकारन हौ जैसे आमला सतावर विदरिकंद जो। पेट मे गरम ना करे
    🙏
    पाचन तेज हौ
    बल वीर्या वर्धक हौ
    वजिकरण हौ
    उतेजक ना हौ
    हरि ओम

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