Last Updated on April 19, 2022 by admin
नींद हमें बहुत सुकून और आराम देती है। कई बार नींद से भी कई तरह के विकार जुड़ जाते हैं। हाइपरसोमनिया या हाइपरसोमनोलेंस भी ऐसा ही एक नींद में बाधा देनेवाला रोग है। इसमें दिन में भी सारा दिन उनींदापन छाया रहता है और रात को भी कई घंटों की गहरी नींद आती है। ऐसे लोग सुबह तरोताज़ा उठते हैं पर वे दिन में कभी भी बिना थकान के भी कई घंटे सो सकते हैं। उन्हें उठने पर कोई ताज़गी महसूस नहीं होती। यह सुनने में भले कितना भी मजेदार क्यों न लगे पर वे खाने के बीच या बातचीत के दौरान भी ऊँघ सकते हैं।
हाइपरसोमनिया के कारण क्या है ? (Jyada Neend Aane ke Karan in Hindi)
ज्यादा नींद आने के कुछ संभावित कारणों में से कुछ निम्नलिखित हैं –
- यह अवस्था प्राय: पुरुषों में तथा आरंभिक वयस्कावस्था में पाई जाती है। इसका कोई खास कारण नहीं है पर इसे जेनेटिक झुकाव भी कह सकते हैं। सिर में आई चोट के कारण भी ऐसा हो सकता है।
- तनाव, अवसाद, उद्वेग, बाइपोलर डिसऑर्डर, मिरगी आदि अन्य मानसिक रोगों के कारण भी हाइपरसोमनिया हो सकता है।
- स्लीप एपनिया के रोगी अकसर हाइपरसोमनिया के शिकार भी होते हैं।
- रेस्टलेस लेग सिंड्रोम, नार्कोलेप्सी,अल्जाइमर और पार्किसन जैसे न्यूरोडिजेनेरेटिव डिसऑर्डस में भी रोगी को ज़्यादा नींद आती है।
- कुछ मामलों में दवाइयों को छोड़ने के कारण भी हाइपरसोमनिया की समस्या उत्पन्न हो सकती है । यह समस्या किसी औषधि के प्रयोग को अचानक रोक देने या सेवन की मात्रा कम करने पर हो सकती जिसे “ड्रग विड्रॉवल” के नाम से जाना जाता है ।
- वजन का ज्यादा बढ़ना या मोटापा। ( और पढ़े – मोटापा कम करने के 58 अचूक घरेलू उपाय)
- नशीले पदार्थों का सेवन जैसे – ड्रग या शराब ( और पढ़े – नशीले (मादक) पदार्थों के सेवन से होने वाले रोग )
हाइपरसोमनिया के लक्षण क्या होते है ? (Hypersomnia Symptoms in Hindi)
ज्यादा नींद आने के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं –
- रात को लंबे घंटों तक नींद लेना।
- दिन में कई घंटे सोना।
- दिन में किसी भी समय ऊँघना।
- सोने का अनुचित और अनैच्छिक ढाँचा।
- उठने के बाद बिस्तर से बाहर आने में कठिनाई होना,लंबी नींद के बाद भी तरोताज़ा महसूस न करना।
- दिमाग का स्थिर न रहना।
- व्याकुल रहना, आलस्य व थकान महसूस करना।
- याददाश्त में कमी आना और सहज बोध में बाधा आना।
- उनींदापन सा छाया रहता है।
- मतिभ्रम का बार-बार शिकार होना।
- भूख कम लगना और कई बार वज़न में कमी आना।
- बेचैनी महसूस होना, बोलने और सोचने की गति में कमी आना।
- ऊर्जा के स्तर में कमी आना।
- सामाजिक जीवन और रोज़मर्रा का जीवन प्रभावित होना।
चिकित्सक से परामर्श कब लेना चाहिए ?
निदान के लिए मापदंड –
अगर कोई इंसान सप्ताह में तीन बार, रात को ज़रूरत से ज़्यादा नींद ले या दिन में भी कई घंटे सोता रहे तो इस बारे में ध्यान दिया जाना चाहिए।
इसके अलावा इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए की व्यक्ति शरीर को थकानेवाली किसी गतिविधि में हिस्सा तो नहीं ले रहा।
गंभीर मामलों में, ये लक्षण लगभग एक माह तक चल सकते हैं और अगर दीर्घकालीन हो जाएँ तो तीन माह तक चल सकते हैं।
इसे आप नियमित रूप से नींद की कमी से प्रकट नहीं कर सकते।
अगर इनमें से कोई एक या अधिक अवस्था बनी रहे, तो उससे रोग का निदान करने में मदद मिलती है।
अधिक नींद आने का इलाज (Hypersomnia Treatment in Hindi)
अगर कोई व्यक्ति हाइपरसोमनिया का शिकार है तो उसे जीवन की गुणवत्ता में सुधार या ऊर्जा के स्तर में निखार के लिए चिकित्सा दी जा सकती है।
हाइपरसोमनिया के अधिकतर मामलों में थकान, आलस और बेचैनी इंसान के पूरे प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं और उसके स्वाभिमान में कमी आती है। अगर आप किसी खास समस्या के बारे में चर्चा करना चाहें तो मनोचिकित्सक की राय ले सकते हैं। दिन में सक्रियता बनाए रखने और नींद के घंटे कम करने के लिए मस्तिष्क को उत्तेजित रखनेवाली दवाएँ जैसे एंफीटामाइन’ आदि डॉक्टर की सलाह लेकर दी जा सकती हैं।
ज्यादा नींद आने के घरेलू उपचार (jyada neend aane ke gharelu upay
1. सौंफ : लगभग 10 ग्राम सौंफ को लगभग 500 मिलीलीटर पानी में उबालें और जब यह पानी चौथाई रह जाए तो इसमें थोड़ा-सा नमक मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। इससे अधिक नींद आना कम होकर सुस्ती दूर होती है।
2. सिरका : अधिक नींद आने के रोग से पीड़ित रोगी को सिरका सूंघाना चाहिए।
3. कटेरी : कटेरी, गिलोय, पोहकरमूल, सोंठ, भारंगी और हरड़ बराबर मात्रा लेकर 20 ग्राम की मात्रा बना लें और इसे खूब बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छानकर आंखों में लगाने से नींद और सुस्ती दूर हो जाती है।
4. बच : बच को बारीक पीसकर आंखों में लगाने और सूंघने से नींद की बीमारी दूर हो जाती है।
5. सोंठ : सोंठ, बच, छोटी पीपल और सेंधानमक को बराबर भाग में लेकर बारीक पीसकर सूंघने से नींद की बीमारी खत्म हो जाती है।
6. सहजना : सहजना के बीज, सेंधानमक, सरसों और कूठ 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर महीन पीसकर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को बकरी के मूत्र में घोटकर सूंघने से नींद अधिक आने की बीमारी ठीक हो जाती है।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)