कबीट के उपयोग फायदे और नुकसान | Kabit Benefits & Side Effects in Hindi

Last Updated on December 28, 2019 by admin

कबीट क्या है ? : Kabit in Hindi

कबीट का वृक्ष बहुत ऊंचा होता है। इसकी छाल सफ़ेद और फटी हुई होती है, पत्ते चिकने, छोटे और तनिक चौड़े होते हैं। पतझड़ में इसके पत्ते झड़ जाते हैं लेकिन यह बिल्कुल पत्र-हीन नहीं होता, कुछ पत्ते रह जाते हैं। वसन्त ऋतु में नये पत्ते आ जाते हैं, वर्षा के आरम्भ में छोटे-छोटे सफ़ेद फूल आते हैं।

इसका फल बेल फल की तरह गोल, भूरा सफ़ेद और कठोर छिलके वाला होता है।
छोटा फल खट-मिठ्ठा और बड़े आकार का फल मीठा होता है।

कबीट का वृक्ष यूं तो सारे भारत में उत्पन्न होता है पर कम मात्रा में होता है। इसी तरह बेल का वृक्ष भी सारे भारत में पैदा होने के बावजूद कम मात्रा में ही दिखाई देता है। यहां कबीट के औषधीय गुण व उपयोग से सम्बन्धित विवरण प्रस्तुत है। भाव प्रकाश निघण्ट्र में लिखा है –

कपित्थमाम संग्राहि कषायं लघुलेखनम्।।
पक्वं गुरु तृषा हिक्का शमनं वातपित्तजित्।।
स्वादम्लं तुवरं कण्ठशोधनं ग्राहि दुर्जनम्।

कबीट का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of kabit in Different Languages

Kabit in –

संस्कृत (Sanskrit) – कपित्थ
हिन्दी (Hindi) – कबीट, कैथ
मलयालम (Malayalam) – कंवठ
गुजराती (Gujarati) – कबीट
कन्नड़ (Kannada) – वेललु
तेलगु (Telugu) – एलांगाकाय
तामिल (Tamil) – बलामरं
फारसी (Farsi) – कबीट
इंगलिश (English) – वुड एपल (Wood Apple)
लैटिन (Latin) – फेरोनिया एलीफेण्टिनम् (Feronia Elephantinum).

कबीट के औषधीय गुण : Medicinal Properties of kabit in Hindi

  • कच्चा कबीट ग्राही, कसैला, हलका और लेखन होता है।
  • पका हुआ कबीट भारी तथा प्यास, हिचकी, वात और पित्त को नष्ट करने वाला होता है।
  • यह स्वाद में खट्टा और कसैला होता है।
  • यह कण्ठ को शुद्ध करता है लेकिन स्वर को हानि पहुंचाता है।
  • सुश्रुत के अनुसार यह कसैला, मधुर रस युक्त, दस्त बांधने वाला तथा ठण्डा होता है।
  • कच्चा फल कफनाशक, दस्त बांधने वाला, वातनाशक तथा पका फल मधुर अम्ल रस वाला, भारी, श्वास-खांसी और अरुचिनाशक, प्यासशामक और कण्ठ साफ़ करने वाला होता है।

कबीट के फायदे और उपयोग : Kabit Benefits in Hindi

  1. इसका उपयोग हाथी बड़े चमत्कारपूर्ण ढंग से करता है। वह इसे साबित निगल जाता है और साबुत ही मल के साथ बाहर निकाल देता है लेकिन कमाल इस बात का है कि कबीट का गूदा हाथी के पेट में रह जाता है और छिलके की खाली खोल, क्रिकेट बॉल की तरह, बिना टूटे फूटे बाहर आ जाती है। शायद इसीलिए इसे लैटिन भाषा में ‘फेरोनिया एलीफेण्टम’ कहा गया है।
  2. रसोईघर में इसके गूदे को चटनी बनाने में प्रयोग किया जाता है। इसकी चटनी बड़ी स्वादिष्ट और खटमिट्ठी लगती है।
  3. इसका मीठा शर्बत भी बनाया जाता है जो तरावट देने वाला और प्यास मिटाने वाला होता है।
  4. इसके गुण बेल फल से मिलते जुलते हैं और कुछ हद तक उपयोग भी।
  5. रक्तपित्त, अतिसार (डायरिया) और प्रवाहिका (डीसेण्ट्री) रोग में इसके गूदे का सेवन करना लाभ करता है।
  6. बेल और कबीट के गूदे का शर्बत बना कर पीने से स्त्री-पुरुषों एवं बच्चों के पेट-दर्द व मरोड़ में लाभ होता है।
  7. इसके पत्तों का रस 1-1 चम्मच पीने से उलटी, हिचकी व अतिसार में आराम होता है और त्वचा पर लगाने से शीतपित्ती (आर्किटेरिया) के ददोड़े (चठे) ठीक होते हैं।
  8. इसके पत्तों का चूर्ण 5 ग्राम सुबह मिश्री मिले दूध के साथ कुछ दिन तक सेवन करने से अति उष्णता के कारण होने वाला स्वप्नदोष होना बन्द होता है।
  9. इसके पके हुए गूदे का सेवन गले और मसूढ़ों को लाभ पहुंचाता है।

कबीट के नुकसान : kabit Side Effects in Hindi

कच्चा फल स्वर को हानि पहुंचाने वाला होता है।

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