Last Updated on January 27, 2023 by admin
1. आयोडीन :
आयोडीन थायरॉइड ग्रंथि की कार्यविधि के लिए आवश्यक है जो शक्ति का निर्माण करती है, हानिप्रद कीटाणुओं को मारती है और इसके हार्मोन्स थॉयरॉक्सीन की कमी को पूरा करते हैं।
आयोडीन मन और तन को शान्त करती है, तनाव कम करती है, मस्तिष्क को सतर्क रखती है और बाल, नाखून, दांत और त्वचा को सर्वोत्तम हालत में रखती है।
आयोडीन की कमी से गर्दन के नीचे थायरॉइड की सूजन हो सकती है और हार्मोन का उत्पादन बन्द हो सकता है जिससे शरीर के सभी संस्थान अव्यवस्थित हो जाएंगे। इसकी कमी से मन्द मानसिक प्रतिक्रियाएं, धमनियों का कड़ापन और मोटापन हो सकता है।
यद्यपि पूरे शरीर में केवल 10-12 मिलीग्राम आयोडीन होता है किंतु इसके बिना जीवित रहना सम्भव नहीं है। आयोडीन कोलेस्ट्रॉल की रासायनिक संश्लेषण में सहायता करता है और धमनियों में कोलेस्ट्रॉल चर्बी को भी डालता है।
यदि शरीर में आयोडीन की अधिकता है तो नाक में नमी अधिक होगी। पानी में ली गई क्लोरीन शरीर से आयोडीन की अधिकता को निकालने का कारण होती है।
आयोडीन के महत्वपूर्ण आहार स्रोत –
अधिक मात्रा में आयोडीन वाले आहार हैं- मूली, शतावर, गाजर, टमाटर, पालक, आलू, मटर, खुंबी, सलाद, प्याज, केला, स्ट्राबेरी, दूध और पनीर ।
2. पोटेशियम :
पोटेशियम मूल खनिज है। इसके बिना जीवन सम्भव नहीं है। पोटेशियम हमेशा किसी एसिड के साथ पाया जाता है। खनिज की कमी वाली मिट्टी खनिज की कमी वाला आहार उत्पन्न करती है। इस प्रकार के आहार का अंतर्ग्रहण शरीर की कोशिकाओं से पोटेशियम लेने के लिए विवश करता है जिससे सम्पूर्ण शरीर-रसायन विक्षुब्ध हो जाता है। पोटेशियम की कमी विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं में सूखा हुआ राख, कोयला या विशिष्ट प्रकार की मिट्टी भी खाने की इच्छा पैदा करता है।
पोटेशियम पेशियों, स्नायुओं की सामान्य शक्ति, हृदय की क्रिया और एन्जाइम प्रतिक्रयाओं के लिए आवश्यक है। यह शरीर के तरल संतुलन को नियमित करने में सहायक होता है। इसकी कमी से स्मरण-शक्ति का ह्रास पेशियों की कमजोरी, अनियमित हृदय-गति और चिड़चिड़ापन जैसे रोग हो सकते हैं। इसकी अधिकता से हृदय की अनियमितताएं हो सकती हैं।
पोटेशियम कोमल ऊतकों के लिये वही है जो कैल्शियम शरीर के कठोर ऊतकों के लिए है। यह कोशिकाओं के भीतर और बाहर के तरलों का विद्युत-अपघटनी संतुलन बनाये रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। आयु के साथ पोटेशियम का अर्न्तग्रहण भी बढ़ना आवश्यक है। पोटेशियम की कमी मानसिक सतर्कता के अभाव, पेशियों की थकावट, विश्राम करने में कठिनाई, सर्दी-जुकाम, कब्ज, जी मिचलाना, त्वचा की खुजली और शरीर की मांस-पेशियों में ऐंठन के रूप में प्रतिबिम्बित होती है। सोडियम का बढ़ा हुआ अर्न्तग्रहण शरीर की कोशिकाओं में से पोटेशियम की हानि को बढ़ा देता है। अधिक पोटेशियम से रक्त-नलिकाओं की दीवारें कैल्शियम निक्षेप से मुक्त रखी जा सकती है।
विकसित देशों में सेब के आसव का सिरका पोटेशियम का एक उत्तम स्रोत है एक चम्मच सेब के आसव के सिरके को एक गिलास पानी में मिलाइए और इसकी धीरे-धीरे चुस्की लीजिए। यह शरीर की वसाओं को जलाने में मदद करता है। गायों पर किये गये प्रयोगों में सेब के आसव के सिरके से गायों में गठिया समाप्त हो गया और दूध का उत्पादन बढ़ गया।
पोटेशियम के महत्वपूर्ण आहार स्रोत –
सूखा हुआ बिना मलाई के दूध का पाउडर, गेहूं के अंकुर, छुहारे, खमीर, आलू, मूंगफली, बन्दगोभी, मटर, केले, सूखे मेवे, नारंगी और अन्य फलों के रस, खरबूजे के बीज, मुर्गे, मछली और सबसे अधिक पैपरिका और सेब के आसव का सिरका।
3. कैल्शियम :
हडि्डयों और दांतों को बनाने और उनके रख-रखाव के लिए, पेशियों के सामान्य संकुचन के लिए, हृदय की गति को नियमन करने के लिए और रक्त का थक्का बनाने के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। कैल्शियम जीवन-शक्ति और सहनशीलता बढ़ाता है, कोलेस्ट्रॉल स्तरों को संतुलित करता है, स्नायुओं के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है और रजोधर्म विषयक दर्दों के लिए ठीक है। एन्जाइम की गतिविधि के लिए कैल्शियम की आवश्यकता है। हृदय-संवहनी के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम मैग्नेशियम के साथ काम करता है। रक्त के जमाव के द्वारा यह घावों को शीघ्र भरता है। कुछ विशेष कैंसर के विरुद्ध भी यह सहायक होता है। कैल्शियम उदासी, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा और एलर्जी को कम करता है।
कैल्शियम की आवश्यकता गर्भवती महिलाओं, 60 से अधिक उम्र के पुरुषों, 45 से अधिक उम्र की स्त्रियों, धूम्रपान करने वालों और अधिक शराब पीने वालों को अधिक होती है। बच्चों में सूखा रोग कैल्शियम की कमी का ही लक्षण है।
विटामिन `डी´ की विशेष रूप से आवश्यकता कैल्शियम के समावेशन के लिए होती है। विटामिन `सी´ भी कैल्शियम के समावेशन में सुधार लाता है। सम्पूरक के रूप में कैल्शियम कार्बोनेट भोजन के साथ अधिक अच्छे ढंग से समावेशित होता है।
कैल्शियम के महत्वपूर्ण आहार स्रोत –
दूध और इसके उत्पाद, दालें, सोयाबीन, हरी पत्तीदार सब्जियां, नींबू जाति के फल, सार्डीन, मटर, फलियां, मूंगफली, वाटनट (सिंघाड़ा), सूर्यमुखी के बीज इस खनिज के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
यदि आहार में पर्याप्त कैल्शियम न हो तो विविध शारीरिक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक कैल्शियम उस व्यक्ति की हडि्डयों से लिया जाता है।
4. फॉस्फोरस :
शरीर में अधिकांश कैल्शियम फॉस्फोरस के रूप में होता है अत: फॉस्फोरस का उपयोग कैल्शियम के उपयोग से सम्बद्ध है। सामान्य हड्डी और दांत की संरचना के लिए फॉस्फोरस की जरूरत होती है जो भोजन को ऊर्जा में बदलते हैं। इसकी कमी के परिणाम हैं साधारण कमजोरी, हड्डी का दर्द और भूख की कमी। इसकी अधिकता कैल्शियम को समा लेने में बाधा पहुंचा सकती है।
हड्डी टूटने में फॉस्फोरस स्वस्थ होने की प्रक्रिया में शीघ्रता लाता है और घाव से कैल्शियम की हानि को रोकता है। फॉस्फोरस स्नायविक स्वास्थ्य में मदद करता है और गुर्दों का अपशिष्ट बाहर निकालने में सहायक होता है। मैग्नेशियम या लोहे की बहुलता फॉस्फोरस के भण्डारण को रोक सकती है। सफेद चीनी और उच्च वसा वाला आहार कैल्शियम-फॉस्फोरस संतुलन को बिगाड़ सकता है। फॉस्फोरस सम्पूरक डॉक्टर की सलाह के बिना कभी मत लीजिए।
फॉस्फोरस के महत्वपूर्ण आहार स्रोत –
सम्पूर्ण अनाज और डबल रोटी, फलियां, दालें, दूध और दूध के उत्पाद, बीज, गिरीदार फल, अण्डे, मछली, मुर्गे और मांस इसके महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
5. लोहा (आयरन) :
लाल रक्त कोशिकाओं को खून में हीमोग्लोबिन बनाने के लिए लोहे की आवश्यकता रहती है। फेफड़ों से शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों तक ऑक्सीजन ले जाने के लिए भी इसकी आवश्यकता होती है। शरीर का कुछ लोहा जिगर और तिल्ली में जमा हो जाता है। विटामिन `बी´ के चयापचय के लिए भी लोहे की आवश्यकता होती है। लिंग और शरीर की क्रियात्मक स्थिति के अनुसार दैनिक आहार में केवल 2-4 `एम´-`जी´ लोहे की आवश्यकता होती है। शरीर के संस्थान अनाजों में समाये हुए लोहे का केवल 5 से 10 प्रतिशत ही सोख सकते हैं।
हरी पत्तेदार सब्जियों में लोहे का प्रतिशत बहुत अधिक होता है। आहार की मिश्रित संरचना पर भी सोख प्रतिशत निर्भर होता है। इन्हीं कारणों से लोहे की दैनिक आवश्यकता 12-24 मिलीग्राम के बीच रखी गई है। लोहे की कमी से उत्पन्न एनीमिया (खून की कमी) को ठीक करने के लिए आहार में इसकी बहुत अधिक आवश्यकता होती है। ऐसी स्थितियों में लौह सम्पूरकों या लोहे की पुष्टिकृत आहारों का आश्रय लिया जा सकता है।
जन्म पर बच्चे के पास केवल चार महीने के लोहे की आपूर्ति होती है। लोहे की थोड़ी सी कमी भी इसके बौद्धिक विकास को कम कर सकती है।
मासिकस्राव और गर्भावस्था के समय महिलाओं में लोहे की कमी हो जाती है। कठोर व्यायाम से भी शरीर में लोहे की कमी होती है। कुछ आहार शरीर द्वारा अन्य आहारों से प्राप्त लोहे का उपयोग रोक देते हैं। लोहे की कमी शरीर में श्वासहीनता, थकावट और कमजोरी उत्पन्न कर सकती है। इसकी अधिकता विषाक्तता उत्पन्न कर सकती है।
लोहे के महत्वपूर्ण आहार स्रोत –
हरी पत्तेदार सब्जियां, मटर फलियां, किशमिश, अखरोट, नाशपाती, सम्पूर्ण अनाज, मूंग, मसूर, चोकर, बीज, सोयाबीन ।
6. जस्ता :
जस्ता शरीर में कई एंजाइमों के लिए सह-घटक के रूप में कई कार्य करता है। यह ऊतकों के सामान्य कार्य में सहायता करता है और शरीर में प्रोटीन और कार्बोज को सम्भालने के लिए आवश्यक है।
शरीर में जस्ते की कमी मद्यपान, आहार की प्रतिक्रिया, कम प्रोटीन के आहार, जुकाम, गर्भावस्था और रोग के कारण हो सकती है। जस्ते की कमी होने से स्वाद और भूख की कमी, घाव का देर से भरना, गंजापन, विकास रुकना, हृदय-रोग, मानसिक रोग और प्रजनन-सम्बंधी विकार हो जाते हैं। कुछ मध्य-पूर्व के देशों में बौनेपन का कारण आहार में जस्ते की कमी माना जाता है।
जस्ते के महत्वपूर्ण आहार स्रोत –
सभी अनाज, मलाई निकाला हुआ दूध, संसाधित पनीर, खमीर, गिरीदार फल, बीज, गेहूं के अंकुर, चोकर, बिना पॉलिश किया हुआ चावल, पालक, मटर, कॉटेज पनीर । सम्पूर्ण गेहूं के आटे के उत्पादों में सफेद आटे की अपेक्षा चार गुना अधिक जस्ता होता है।
7. मैगनीज :
मैगनीज शरीर के सुरक्षा-तंत्रों से सीधे सम्बद्ध है। यह विधि एंजाइमों को सक्रिय करता है और विटामिन `बी´ तथा `ई´ के उचित उपयोग में सहायता देता है। यह पाचन में मदद करता है।
मैगनीज मधुमेह के लिए अच्छा है क्योंकि यह ग्लूकोज सहन शक्ति बढ़ाता है। आमतौर से मैगनीज की कमी मानवों में नहीं पाई जाती। इसकी अधिक मात्रा शरीर की लोहा सोखने की क्षमता कम कर देती है।
मैगनीज के महत्वपूर्ण आहार स्रोत –
एक कप काली चाय, गिरीदार फल, बीज, सम्पूर्ण अनाज और चोकर ।
8. मैग्नीशियम :
मानव-शरीर की प्रत्येक कोशिका में मैग्नीशियम का एक भाग होता है, चाहे वह थोड़ा ही हो। सम्पूर्ण शरीर में मैग्नीशियम 50 ग्राम से कम होता है। शरीर के अन्दर कैल्शियम और विटामिन `सी´ का संचालन करने, स्नायुओं और मांसपेशियों की उपयुक्त कार्यशीलता के लिए और एन्जाइमों को सक्रिय बनाने के लिए मैग्नीशियम आवश्यक है। कैल्शियम-मैग्नीशियम संतुलन में अस्तव्यस्तता से स्नायु-तंत्र दुर्बल हो सकता है। फ्रांस में मिट्टी में मैग्नीशियम का अंश कम होने का सम्बंध कैंसर की बहुलता से जोड़ा जाता है।
कोपेनहैगन के एक अध्यक्ष जिनको हृदय का दौरा पड़ा था उनमें मैग्नीशियम के स्तर कम पाये गये थे। मैग्नीशियम के निम्न स्तरों और उच्च रक्तचाप में स्पष्ट सह-सम्बंध स्थापित किया गया है। निम्न मैग्नीशियम स्तर से मधुमेह भी हो सकता है। यूरोलोजी की रिर्पोट के अनुसार मैग्नीशियम और विटामिन बी 6 गुर्दे और गाल-ब्लेडर की पथरी के खतरे को कम करने में प्रभावी थे। कठोर दैहिक व्यायाम शरीर के मैग्नीशियम की सुरक्षित निधि को खत्म कर देते हैं और संकुचन को कमजोर कर देते हैं। जो लोग नियमित व्यायाम करते हैं उन्हें सामान्य लोगों की तुलना में अधिक मैग्नीशियम सम्पूरकों की आवश्यकता होती है।
मैग्नीशियम के महत्वपूर्ण आहार स्रोत –
एक गिलास कठोर जल मैग्नीशियम के लिए खाद्य-सम्पूरक है। कठोर जल में उच्च मैग्नीशियम का अंश होता है। कठोर जल का प्रयोग करने वाले क्षेत्रों में दिल के दौरे वाले रोगी कम से कम होते हैं।
इसके अन्य महत्वपूर्ण स्रोत हैं – सम्पूर्ण अनाज, दालें, गिरीदार फल, हरी पत्तीदार सब्जियां और डेरी उत्पाद ।
9. तांबा :
तांबा लोहे के समावेशन में मदद करता है। यह उसी प्रकार लोहे के साथी के रूप में काम करता है जैसे पोटैशियम और सोडियम एक जोड़े की तरह काम करते हैं। तांबा लोहे को हीमोग्लोबिन में बदलने में मदद करता है। तांबा तंत्र में लचीलापन पैदा करता है। तांबे के स्तरों में असंतुलन समग्र कोलेस्ट्रॉल बढ़ा देता है और एच. डी. एल. का अनुपात कम कर देता है।
तांबे की कमी से केन्द्रीय स्नायु-संस्थान में अव्यवस्थाएं, रक्तहीनता और गर्भावस्था की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। तांबे की अधिकता सेलेनियम के प्रभाव को अवरुद्ध कर सकती है जो कैंसर के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है।
तांबे के महत्वपूर्ण आहार स्रोत –
फल, सूखी फलियां, गिरीदार फल, गहरे रंग के चाकलेट, खमीर, गेहूं अंकुरित, केले और शहद इस सूक्ष्म मात्रिक तत्व के स्रोत हैं।
10. सेलेनियम :
सेलेनियम प्रति-उपचायक के रूप में काम करता है। यह सबसे प्रभावशाली प्रति-उपचायक खनिज है। यह शरीर को हानिप्रद मुक्त मूलकों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है जो चर्बीयुक्त ऊतकों के ऑक्सीजन के परिणामस्वरूप होते हैं। यह रक्त के थक्के बनने से रोकता है। यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है और जहरीले जीवों के विषों के प्रभावों को व्यर्थ कर देता है। यह बुढ़ापे की क्रियाओं को धीमा करता है। जिगर की सुस्वस्थता कायम रखने के लिए विटामिन `ई´ के साथ सेलेनियम आवश्यक है।
शरीर में सेलेनियम की कमी से कैंसर और हृदय-रोगों की अधिक आशंका रहती है।
सेलेनियम के महत्वपूर्ण आहार स्रोत –
शतावर, फूलगोभी, अजमोद, खीरा, लहसुन, प्याज, खुंभी, मूली, खमीर, सम्पूर्ण अनाज,ब्राउन चावल में सफेद चावल से 12 गुना सेलेनियम होता है, सम्पूर्ण गेहूं की डबल रोटी में सफेद डबल रोटी से तीन गुना। शोधन करने और देर तक पकाने से सेलेनियम नष्ट हो जाता है। सम्पूरक केवल डॉक्टरी सलाह पर लिए जाने चाहिए। अधिक सेलेनियम वाले आहारों पर ध्यान केन्द्रित कीजिए।
11. सोडियम :
सोडियम शरीर की कोशिकाओं के अन्दर और बाहर पानी के संतुलन को बनाये रखने में सहायक होता है। इसकी कमी से पेशियों में ऐंठन, एडेमा हो सकता है, किंतु इसकी अधिकता से हानिकारक परिणाम जैसे उच्च रक्तचाप, गुर्दे की बीमारियां, जिगर का सूत्रणरोग और संकुलन सम्बंधी हृदय रोग हो सकते हैं। सोडियम मूत्र और विशेषत: पसीने में सोडियम क्लोराइड के रूप में निकलता है। कभी-कभी आहारों में जैव सोडियम आवश्यकता की पूर्ति के लिये पर्याप्त नहीं होता। अत: सोडियम क्लोराइड या खाने का नमक भोजन में शामिल करना पड़ता है।
सोडियम के महत्वपूर्ण आहार स्रोत –
संसाधित आहार और स्वयं सामान्य नमक। सोडियम की कमी से डरने की आवश्यकता नहीं है।
12. पारा :
पारा हमारी धमनियों की दीवारों को काट देता है, जन्म-दोष और कई मनोवैज्ञानिक रोगलक्षण उत्पन्न कर देता है।
13. एल्यूमीनियम :
एल्यूमीनियम मस्तिष्क के अन्दर गहराई में कुछ स्नायु-रेशों तक अपना मार्ग बनाते हुए मानसिक रोग उत्पन्न करता है। शरीर में यह धातु सस्ते संक्षरित करने वाले एल्यूमीनियम के बर्तनों से आती है या एल्यूमीनियम की पन्नियों से प्राप्त होती है ।
14. कॉपर :
कॉपर कई एन्जाइमों में पाया जाता है। विष का प्रभाव कम करने और संक्रामक रोगों में इसका सेवन किया जाता है। कॉपर लेने से लौह, विटामिन-सी तथा जिंक को पचाने में मदद मिलती है। लाल रक्त कणिकाएं (रेड ब्लड सेल्स) कॉपर के बिना नहीं बन सकती। शरीर में इसकी कमी से व्यक्ति `एनीमिक´ (खून की कमी से ग्रस्त) हो सकता है। जैतून और गिरीदार फल में यह पाया जाता है।
इसे दो मिलीग्राम से ज्यादा नहीं लेना चाहिए। हमारे शरीर को दूसरे माध्यमों से कॉपर मिलता रहता है जैसे तांबे के बर्तनों, पानी के पाइपों, दवाओं खाद्य-प्रसंस्करणों (फूड प्रोसेसिंग), सुंगंधों और फसलों पर छिड़की जानेवाली दवाओं आदि से।
15. क्रोमियम :
क्रोमियम उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण रखने में सहायता करता है और मधुमेह को रोकता है। यह पेशियों को रक्त से शर्करा लेने और चर्बीदार कोलेस्ट्रॉल संश्लेषण को नियंत्रित करने में भी सहायता करता है। यह रक्त शर्करा के स्तरों को समतल रखता है। शरीर में इसकी कमी से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जैसेकि मध्यम मधुमेह में होता है।
आयु के साथ शरीर में क्रोमियम की आपूर्तियां हो जाती हैं। शरीर में क्रोमियम का भण्डार कठोर व्यायाम, चोटों और शल्य-चिकित्सा से भी कम हो जाता है। कुछ अनुसंधानकर्त्ता विश्वास करते हैं कि पर्याप्त क्रोमियम धमनियों को कड़े होने से रोकने में मदद कर सकता है।
16. सीसा (लेड) :
शरीर में हडि्डयों और ऊतकों में सीसे का भण्डारण होता है। सीसे की अतिमात्रा उल्टी और मूर्च्छा का कारण भी बन सकती है। सीसे का उच्च स्तर शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन की सुलभता में रुकावट उत्पन्न करता है।