लालमिर्च के फायदे और नुकसान – Lal Mirch ke Fayde aur Nuksan

Last Updated on March 11, 2023 by admin

लालमिर्च का पौधा : 

       लालमिर्च का पौधा 60 से 90 सेमी ऊंचा होता है इसके पत्ते लंबे होते हैं। इसके फूल सफेद व पत्तियों का रंग हरा होता है। फल अगर कच्चा है तो हरा और पक जाने पर हल्का पीला व लाल होता है। एक मिर्च में बहुत से बीज होते हैं जोकि बिल्कुल बैंगन के बीजों की तरह होते हैं।

      लालमिर्च का स्वाद तीखा होता है यह काफी मशहूर है। कच्चे एवं पके मिर्च का आचार बनाया जाता है और इसका उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है।

मिर्च की शुद्धता की पहचान : पिसी हुई लालमिर्च में लकड़ी का बुरादा और रंग मिला होता है। 1 चम्मच पिसी हुई लाल मिर्च 1 कप पानी में घोलें। इससे पानी रंगीन हो जायेगा और बुरादा पानी में तैरने लगेगा।

लाल मिर्च में पाये जाने वाले तत्त्व : 

तत्त्वमात्रा
प्रोटीन2.9 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट31.6 ग्राम
ऊर्जा कि. केलोरी264
कैल्शियम160 मिलीग्राम
फासफोरस370 मिलीग्राम
कैरोटीन34.5 मिलीग्राम
विटामिन-सी50 मिलीग्राम

विभिन्न भाषाओं में लाल मिर्च के नाम :

संस्कृत   लंका, कटुवीरा, रक्तमरिच, पित्त कारिर्णी।
हिन्दी        लाल मिर्च।
अंग्रेजी      रेड़ चिल्ली।
मराठी        मुलुक, मिरची लाल।
तैलगु    मिर्चाकाया।
बंगाली      लंका, मारिच, गाछ मरिच।
गुजराती  मरचां।
फारसी        फिलहिले सुर्ख।
अरबी    फिलहिले अहमर।
उर्दू      सुर्ख मिर्च।
लैटिन   कैप्सिकम एन्युअम।

लालमिर्च के गुण (Lal Mirch ke Gun)

  • लालमिर्च गर्म, खुश्क, जलनशील तथा जहरनाशक होती है। 
  • यह पेट के रोग, घाव, अरुचि (भूख न लगना), स्वरभंग (गला बैठना), अपच, पेशाब में धातु का आना आदि रोगों को भी लाभकारी है। 
  • यह खाने में तीखा तथा तेज होती है तथा लार ग्रंथि को बढ़ाती है और आमाशय के अन्दर गरमी पैदा करती है। 
  • अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से यह हृदय और रक्तवाहिनियों को उत्तेजित करती है तथा पेशाब की मात्रा को बढ़ाती है।

सेवन की मात्रा : 

2 ग्राम।

विभिन्न रोगों के उपचार में लालमिर्च के फायदे (Lal Mirch ke Fayde aur Upyog)

1. मूत्रकृच्छ: ईसबगोल की 3 ग्राम भूसी में मिर्ची के तेल की 5 से 10 बूंदे मिलाकर पानी के साथ खाने से पेशाब में जलन और अन्य परेशानी दूर होती है।

2. पेट का दर्द:

  • 1 ग्राम मिर्च के पाउडर में 100 ग्राम गुड़ को मिलाकर गोली बनाकर खायें इससे पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
  • आधा ग्राम लालमिर्च को 2 ग्राम शुंठी के चूर्ण के साथ खाने से पेट का दर्द दूर होता है।

3. भूख का न लगना : पित्त के कमजोर होने के कारण जिसको भूख न लगती हो उसे मिर्च के बीजों के तेल की 5 से 30 बूंद बताशे में मिलाकर खानी चाहिए। इससे भूख खुलकर लगने लगती है।

4. हैजा (कालरा):

  • लाल मिर्च के बीजों को अलग करके उसके छिलकों को बारीक पीस लें, फिर उसमें थोड़ा कपूर, हींग और शहद मिलाकर 240 मिलीग्राम की गोलियां बनाकर खायें। इससे हैजा ठीक हो जाता है।
  • हैजा में हर उल्टी और दस्त के बाद रोगी को 1 चम्मच मिर्च का तेल पिलाना चाहिए। इसे तीन चार बार पिलाने से ही हैजा खत्म हो जाता है।
  • अफीम और भुनी हींग की गोली देने के बाद, मिर्च का काढ़ा पिलाने से हैजा दूर होता है।
  • लालमिर्च को बारीक पीसकर, झड़बेर जैसी गोलियां बनाकर रखें और हैजे के रोगी को हर 1 घंटे पर 1 गोली और 7 लौंग देने से हैजे की बीमारी दूर होती है।

5. स्वर भंग (गले का बैठ जाना): थोड़ी-सी लाल मिर्च के बारीक चूर्ण में बादाम और चीनी मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें और रोज खायें। इससे स्वर भंग दूर होता है।

6. प्रमेह: मिर्च के बीजों के 1 बूंद तेल को बताशे में रखकर दूध या लस्सी के साथ खाने से प्रमेह में बहुत लाभ होता है।

7. कमर दर्द: मिर्ची के तेल की मालिश करने से व इसके जले हुए फलों का लेप लगाने से कमर दर्द और जांघों के दर्द में लाभ मिलता है।

8. डिप्थीरिया: डिप्थीरिया और गले के दर्द में मिर्ची के तेल से लेप करने से रोग ठीक होता है।

9. कुत्ते के काटने पर:

  • मिर्च को पानी के साथ पीसकर कुत्ते के काटे हुए स्थान पर लेप करने से थोड़ी देर बाद जहर बाहर निकल जाता है और दर्द व जलन भी मिट जाती है। इससे घाव में पीव और मवाद नहीं बनती है।
  • मिर्ची के तेल को खाज, खुजली, जोड़ों की सूजन, ‘वान (कुत्ता) और ततैया के काटने की जगह पर लगाने से आराम मिलता है।

10. फोड़े-फुन्सी और खुजली:

  • बरसात के मौसम में होने वाले फोड़े-फुंसियों और खुजली आदि में मिर्च के तेल को खाने से फोड़े-फुंसी जल्दी ठीक जाते हैं।
  • गर्मी के मौसम में शरीर पर दाने या फुंसियां हो जाती है। इसके लिए मिर्ची के तेल को लगाना चाहिए। इससे खुजली में राहत मिलती है और फोडे़-फुंसियां भी ठीक हो जाती हैं।

11. शराबियों का नशा और भ्रम: 1 ग्राम मिर्च का चूर्ण 20 मिलीलीटर गुनगुने पानी में मिलाकर दिन में 2 से 3 बार देने से शराब का नशा उतरकर भ्रम दूर हो जाता है। इस प्रयोग से सिन्नपात में भी आराम मिलता है।

12. आमवात: मिर्ची के तेल की मालिश आमवात में भी लाभदायक है।

13. गले के रोग: 1 लीटर पानी में 10 ग्राम पिसी हुई मिर्च डालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा से कुल्ला करने से मुंह के छाले मिटते हैं और गले के घाव ठीक हो जाते हैं।

14. आंखों का दर्द: लाल मिर्च को पीसकर उसका गाढ़ा लेप बना लें और उस लेप को पैर के अंगूठे के नाखून पर लेप करें। अगर दोनों आंखों में दर्द हो रहा हो तो दोनों पैर के अंगूठे पर लेप करें। इससे आंखों का दर्द दूर हो जाता है।

15. सांप के काटने की पहचान: सांप के काटने पर लालमिर्च खाने से मिर्च कड़वी नहीं लगती है इससे सांप काटने की पहचान की जा सकती है।

16. बिच्छू काटने पर: लाल मिर्च पीसकर लगाने से बिच्छू के डंक के जलन में राहत मिल जाती है।

17. खटमल: लाल सूखी मिर्चों को पानी में उबालें, फिर इस पानी को उस जगह पर छिड़क दें जहां पर खटमल हो इससे वहां खटमल दोबारा नहीं आते हैं।

18. बुखार: बुखार में अगर बच्चे को हवा लगकर पैर में लकवे की आशंका हो तो मिर्च के बारीक पाउडर में तेल मिलाकर मालिश करने से फायदा मिलता है।

19. मलेरिया का बुखार: 3 पीस लालमिर्च को डंठल सहित पानी में पीसकर बायें हाथ की अनामिका में लपेटकर, मलमल के कपड़े से बांध लें और कपड़े पर पानी डालते रहें ताकि वह गीला रहें। इस विधि को बुखार आने से कम से कम 2 घंटे पहले करें। इससे मलेरिया का बुखार नहीं आता है।

20. दांतों का दर्द: लालमिर्च को बारीक पीसकर पानी में घोलकर छान लें। उस पानी को हल्का गर्मकर 2 से 4 बूंद कान में डालें। याद रहे दर्द बांई ओर के दांत में होने पर दांई ओर के कान में और दांयी ओर के दांत में होने पर बांयी ओर के कान में डालें।

21. मुंह के छाले: लालमिर्च को पानी में घोलकर या काढ़ा बनाकर पीने से मुंह के छाले व घाव जल्द ठीक होते हैं।

22. पेट में पानी का भरना: लालमिर्च के पौधे की 20 ग्राम पत्तियां और 10 दाने कालीमिर्च लेकर ठण्डा करके 1-1 ग्राम की मात्रा में सेंधानमक और नौसादार मिलाकर पिलाने से जलोदर में लाभ होता है।

23. खाज-खुजली: शोथ (सूजन), खुजली और त्वचा के रोगों में लाल मिर्च में पकाया हुआ तेल लगाने से लाभ होता है। बारिश के मौसम में होने वाली फुंसियों के लिये यह बहुत ही लाभदायक है।

24. त्वचा के रोग: 125 ग्राम लालमिर्च और 375 मिलीलीटर सरसों के तेल को मिलाकर आग पर पकाने के लिये रख दें। इसके अच्छी तरह से पकने के बाद उतारकर छान लें। इसे लाल मिर्च का तेल कहते है यह कई सालों पुरानी फुंसियों को भी ठीक कर देती है और यह त्वचा के सारे रोगों में फायदा पहुंचाती है।

25. सिर का दर्द: छोटी लालमिर्च और बड़ी लालमिर्च को बराबर मात्रा में लेकर थूहर के दूध के साथ पीसकर माथे पर लेप करें। इससे सभी प्रकार का सिर दर्द ठीक हो जाता है।

26. शरीर में सूजन: लगभग 375 मिलीलीटर सरसों के तेल में 125 ग्राम लाल मिर्च को गर्म करें और इसके उबलने पर इस तेल को छानकर सूजन वाले शरीर के हिस्से पर लगाने से शरीर की सूजन दूर हो जाती है।

लालमिर्च के नुकसान – Lal Mirch ke Nuksan

 पित्त प्रकृति वाले व्यक्तियों के लिए लाल मिर्च को ज्यादा खाना हानिकारक है। यह मूत्राशय, आमाशय और फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।

दोषों को दूर करने वाला : लाल मिर्ची में घी और शहद मिलाने से इसके दोष दूर हो जाते हैं।

(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)

Leave a Comment

error: Alert: Content selection is disabled!!
Share to...